Chapter 3
कठपुतली
-कविता से
1. कठपुतली को गुस्सा क्यों आया?
उत्तरः कठपुतली गुस्से में है क्योंकि वह एक धागे में बंधी हुई है और आज़ादी चाहती है।
2. कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़ी होने खड़ी होती? होने की इच्छा है, लेकिन वह क्यों नहीं खड़ी होती?
उत्तरः कठपुतली को अपने पैरों पर खड़े होने की इच्छा होती है, लेकिन वह खड़ी नहीं हो पाती क्योंकि वह एक धागे से बंधी होती है, उसमें आजादी के लिए लड़ने की क्षमता नहीं होती और अपने पैरों पर खड़े होने की ताकत नहीं होती।
3. पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को क्यों अच्छी लगी?
उत्तरःदूसरी कठपुतलियों को पहली कठपुतली पसंद आई क्योंकि पहली कठपुतली स्वतंत्र होने की बात कर रही थी और दूसरी कठपुतली भी बंधन से मुक्त होना चाहती थी।
4. पहली कठपुतली ने स्वयं कहा कि-'ये धागे / क्यों हैं मेरे पीछे-आगे ?/ इन्हें तोड़ दो; / मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।'- तो फिर वह चिंतित क्यों हुई कि 'ये कैसी इच्छा / मेरे मन में जगी ?' नीचे दिए वाक्यों की सहायता से अपने विचार व्यक्त कीजिए-
• उसे दूसरी कठपुतलियों की ज़िम्मेदारी महसूस होने लगी।
• उसे शीघ्र स्वतंत्र होने की चिंता होने लगी।
• वह स्वतंत्रता की इच्छा को साकार करने और स्वतंत्रता को हमेशा बनाए रखने के उपाय सोचने लगी।
• वह डर गई, क्योंकि उसकी उम्र कम थी।
उत्तरः कठपुतली अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती है अर्थात उसे पराधीनता पसंद नहीं है लेकिन वह खड़ी नहीं होती क्योंकि जब सभी कठपुतलियों की स्वतंत्रता की जिम्मेदारी उस पर आती है तो वह डर जाती है। उन्हें लगता है कि कहीं उनका यह कदम सभी को परेशानी में न डाल दे और उनकी उम्र भी कम है, इसलिए उन्हें दूसरों के सपोर्ट की भी जरूरत है. वहीं आजादी मिलने के बाद उसे बरकरार रखना भी जरूरी है इसलिए कथनी और करनी में अंतर है, जिसे कठपुतली ने समझ लिया।
कविता से आगे
1. 'बहुत दिन हुए / हमें अपने मन के छंद छुए।' - इस पंक्ति का अर्थ और क्या हो सकता है? अगले पृष्ठ पर दिए हुए वाक्यों की सहायता से सोचिए और अर्थ लिखिए-
(क) बहुत दिन हो गए, मन में कोई उमंग नहीं आई।
(ख) बहुत दिन हो गए, मन के भीतर कविता-सी कोई बात नहीं उठी, जिसमें छंद हो, लय हो।
(ग) बहुत दिन हो गए, गाने गुनगुनाने का मन नहीं हुआ।
(घ) बहुत दिन हो गए, मन का दुख दूर नहीं हुआ और न मन में खुशी आई।
उत्तरः 'बहुत दिन हो गए हमारे दिल के छंद को छूए हुए' पंक्ति का अर्थ यह है कि बहुत समय हो गया है न तो मन का दुख दूर हुआ है और न ही मन में खुशी आई है।
2. नीचे दो स्वतंत्रता आंदोलनों के वर्ष दिए गए हैं। इन दोनों आंदोलनों के दो-दो स्वतंत्रता सेनानियों के नाम लिखिए-
(क) सन् 1857........................ ................................
(ख) सन् 1942........................ ................................
उत्तरः क) सन् 1857- कुँवरसिंह, तात्या टोपे ।
ख) सन् 1942- सुभाषचंद्र बोस, चन्द्र शेखर आज़ाद ।
अनुमान और कल्पना
■ स्वतंत्र होने की लड़ाई कठपुतलियाँ कैसे लड़ी होंगी और स्वतंत्र होने के बाद स्वावलंबी होने के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए होंगे? यदि उन्हें फिर से धागे में बाँधकर नचाने के प्रयास हुए होंगे तब उन्होंने अपनी रक्षा किस तरह उपायों से की होगी?
उत्तरः स्वतंत्र होने के लिए कठपुतलियों को सबसे पहले पराधीनता के विरुद्ध आवाज उठानी होगी। तो फिर तुमने अपने धागे तोड़ दिए होंगे।
यदि उन्हें दोबारा बांधने का प्रयास किया गया होता तो उन्होंने बंधन में बंधना स्वीकार नहीं किया होता और पूरी ताकत से युद्ध किया होता।
भाषा की बात
1. कई बार जब दो शब्द आपस में जुड़ते हैं तो उनके मूल रूप में परिवर्तन हो जाता है। कठपुतली शब्द में भी इस प्रकार का सामान्य परिवर्तन हुआ है। जब काठ और पुतली दो शब्द एक साथ हुए कठपुतली शब्द बन गया और इससे बोलने में सरलता आ गई। इस प्रकार के कुछ शब्द बनाइए- जैसे-काठ (कठ) से बना-कठगुलाब, कठफोड़ा
हाथ-हथ सोना-सोन मिट्टी-मट
उत्तरः हाथ-हथ से बना हथकड़ी,हथकरघा
सेना-सोन से बना सोननदी, सोनपापड़ी
मिट्टी-मट से बना मटका, मटमैला ।
2. कविता की भाषा में लय या तालमेल बनाने के लिए प्रचलित शब्दों और वाक्यों में बदलाव होता है। जैसे-आगे-पीछे अधिक प्रचलित शब्दों की जोड़ी है, लेकिन कविता में 'पीछे-आगे' का प्रयोग हुआ है। यहाँ 'आगे' का '... बोली ये धागे' से ध्वनि का तालमेल है। इस प्रकार के शब्दों की जोड़ियों में आप भी परिवर्तन कीजिए-दुबला-पतला, इधर-उधर, ऊपर-नीचे, दाएँ-बाएँ, गोरा-काला, लाल-पीला आदि।
उत्तरः दुबला-पतला----- पतला-दुबला ।
इधर-उधर----- उधर-इधर।
ऊपर-नीचे----- नीचे-ऊपर।
दाएँ-बाएँ----- बाँए-दाँए।
गोरा-काला----- काला-गोरा।
लाल-पीला-----पीला-लाल।
Question answer type by-Mandira Saha