Chapter-1

समानता 


1. लोकतंत्र मेंसार्वभौमिक वयस्क मताधिकार क्यों महत्त्वपर्णू है?

उत्तरः 

a. यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 326 में उल्लिखित है, जो सभी वयस्क नागरिकों को, चाहे उनकी जाति, धर्म, लिंग, या सामाजिक आर्थिक स्थिति कुछ भी हो, मतदान का अधिकार प्रदान करता है। 

b. सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार का विचार यह मानता है कि सभी नागरिक, चाहे उनकी सामाजिक आर्थिक स्थिति या जाति कुछ भी हो, समान रूप से सरकार में भाग लेने का अधिकार रखते हैं। यह विचार लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के अनुरूप है, जो समानता और प्रतिनिधित्व पर आधारित है।

c. सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार भारत के लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण अधिकार है। यह सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करता है, सामाजिक न्याय को बढ़ावा देता है, और सभी नागरिकों को समान अधिकार देता है।

2. बॉक्स में दिए गए संविधान के अनचु्छेद 15 के अंश को पनः पढ़िए और दो ऐसे तरीके बताइए, जिनसे यह अनचु्छेद असमानता को दरू करता है?

उत्तरः 1. राज्य किसी भी नागरिक के खिलाफ केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान या इनमें से किसी के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा।

2. कोई भी नागरिक किसी भी व्यक्ति को केवल धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्म स्थान या इनमें से किसी के आधार पर दुकानों, सार्वजनिक रेस्तरां और सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों में प्रवेश से वंचित नहीं कर सकता है। पूर्णतः आंशिक रूप से राज्य निधि से निर्मित कुओं, तालाबों, स्नान घाटों, सड़कों और सार्वजनिक सैरगाह स्थलों के उपयोग पर कोई प्रतिबंध नहीं था।

3. ओमप्रकाश वाल्मीकि का अनुभव, अंसारी दंपति के अनुभव से किस प्रकार मिलता था?

उत्तरः ओमप्रकाश वाल्मिकी और अंसारी दम्पति का अनुभव कुछ इस प्रकार था।

1.ओमप्रकाश वाल्मिकी को समाज के अन्य उच्च वर्ग के छात्रों से अलग फर्श पर बैठना पड़ता था और शिक्षकों द्वारा उनसे धूल भी उठवाई जाती थी, उसी तरह लोग अंसारी दंपति को अपने घर में एक कमरा भी नहीं देना चाहते थे।

2. ओमप्रकाश वाल्मिकी के साथ जातिगत कारणों से असमानता का व्यवहार किया गया, जबकि अंसारी दंपत्ति के साथ धार्मिक कारणों से भेदभाव किया गया।

4. “काननू के सामने सब व्यक्‍ति बराबर हैं” इस कथन सेआप क्या समझते हैं? आपके विचार से यह लोकतं त्र मेंमहत्त्वपर्ण क्यों है? 

उत्तरः 1. कानून के समक्ष सभी समान हैं चाहे भारत का सर्वोच्च पद राष्ट्रपति का हो या सामान्य नागरिक का। एक ही अपराध के लिए सभी को समान सज़ा मिलती है।

2. कानून किसी भी व्यक्ति के साथ उसके धर्म, जाति, लिंग, वंश, क्षेत्र के आधार पर भेदभाव नहीं करता है। कानून के समक्ष भारत के सभी नागरिक समान हैं। हमारे विचार में कानून के समक्ष समानता लोगों को यह संदेश देती है कि देश में किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा रहा है और हम आम जनता का भी कानून के समक्ष उतना ही महत्व है जितना किसी उच्च पद पर बैठे व्यक्ति का। इससे लोकतंत्र बहुत मजबूत होता है।

5. दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 , के अनसारु उनको समान अधिकार प्राप्‍त हैं और समाज में उनकी परीू  भागीदारी संभव बनाना सरकार का दायित्त्व है। सरकार को उन्ह निें :शलु्क शिक्षा देनी है और विकलांग बच्चों को स्कूलों की मखु्यधारा मेंसम्मिलित करना है। काननू यह भी कहता है कि सभी सार्वजनिक स्थल, जैसे– भवन, स्कूल आदि मेंढलान बनाए जाने चाहिए, जिससे वहाँ विकलांगों के लिए पहुँचना सरल हो।

    चित्र को देखिए और उस बच्चे के बारे में सोचिए, जिसे सीढ़ियों से नीचे लाया जा रहाहै। क्या आपको लगताहै कि इस स्थिति मेंउपर्युक्र्यु‍त काननू लागू किया जा रहाहै? वह भवन में आसानी सेआ-जा सके ,उसके लिए क्या करना आवश्यक है? उसेउठाकर सीढ़ियों से उतारा जाना, उसके सम्मान और उसकी सरुक्षा को कै से प्रभावित करता है?

उत्तरः 1. ऊपर दी गई तस्वीर में विकलांगता कानून का पालन नहीं किया जा रहा है, क्योंकि इमारत में ढलान नहीं है इसलिए बच्चे को सीढ़ियों से होकर जाना पड़ता है। (बी) आयकर अधिनियम के।

2. दिव्यांग व्यक्ति को भवन के अंदर-बाहर आसानी से आने-जाने के लिए सीढ़ियों के स्थान पर ढलान का निर्माण करना चाहिए।

3. उसे सीढ़ियों से ऊपर ले जाना उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाता है। वह खुद को अक्षम समझने लगता है, जिससे उसका आत्मविश्वास कमजोर हो जाएगा। बार-बार सीढ़ियाँ चढ़ने और उतरने से दुर्घटनाएँ हो सकती हैं जिससे शारीरिक चोट लग सकती है।



Type By - Junmoni Das.