Chapter 17
वीर कुंवर सिंह
निबंध से
1. वीर कुँवर सिंह के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया?
उत्तरः वीर कुँवर सिंह के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ मुझे प्रभावित करती हैं:
साहस – कुँवर सिंह का सम्पूर्ण जीवन उनकी साहसी घटनाओं से भरा पड़ा है। लेकिन अपने घायल हाथ को काटकर गंगा को समर्पित करने की उनकी क्षमता साहस का सबसे अनूठा उदाहरण है।
उदारता – कुँवर सिंह का व्यक्तित्व अत्यंत उदार था। अपनी ख़राब आर्थिक स्थिति के बावजूद भी वे हमेशा गरीबों की मदद करते थे। इस उदारता के फलस्वरूप उन्होंने अनेक तालाब, कुएँ, विद्यालय तथा रास्ते बनवाये।
स्वाभिमानी - कुँवर सिंह कितने स्वाभिमानी व्यक्ति थे, इसका पता इसी बात से चलता है कि वृद्ध होने के बाद भी उन्होंने अंग्रेजों के सामने घुटने नहीं टेके।
साम्प्रदायिक सद्भाव - कुँवर सिंह की साम्प्रदायिक सौहार्द में गहरी आस्था थी इसलिए उनकी सेना में इब्राहीम खान और किफायत हुसैन धर्म के आधार पर नहीं बल्कि कार्यकुशलता और वीरता के कारण थे। यहां हिंदू और मुसलमानों के सभी त्योहार एक साथ मनाए जाते थे।
2. कुँवर सिंह को बचपन में किन कामों में मजा आता था? क्या उन्हें उन कामों से स्वतंत्रता सेनानी बनने में कुछ मदद मिली?
उत्तरः पढ़ने-लिखने की बजाय कुँवर सिंह को घुड़सवारी, तलावारबाजी और कुश्ती में आ़नंद आता था। निःसंदेह इन कार्यो से उनमें एक वीर पुरुष का बिकास हुआ जिसके फलस्वरूप उन्होंने आगे चलकर अनेक वीरतापूर्ण कार्य करके इतिहास में अपनी अमिट छाप छोड़ी। यदि वे ये काम नहीं करते तो अंग्रेजों से अनेक युद्ध कैसे लड़ते।
उत्तरः यह कथन कुँवर वीर सिंह पर सर्वाधिक सटीक बैठता है। वह एक सांप्रदायिक व्यक्ति थे, सेना में उनकी नियुक्ति धर्म के आधार पर नहीं बल्कि दक्षता और वीरता के आधार पर होती थी। इसके उदाहरण इब्राहिम खान और किफायत हुसैन थे जो सेना में उच्च पदों पर थे। उन्होंने हमेशा हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखते हुए हिंदुओं के लिए स्कूल और मुसलमानों के लिए मकतब बनवाए।
उत्तरः साहसी व्यक्ति – इनके साहसी स्वभाव का प्रमाण उनकी अपनी जीवन कहानी है जो अनेक उदाहरणों से भरी हुई है। इतनी उम्र होने के बावजूद भी वे अंग्रेजों से लोहा लेते समय बिल्कुल भी नहीं घबराये। उन्होंने अपना पूरा जीवन आजादी की लड़ाई और संघर्ष में बिताया। लेकिन उनके साहस का असली परिचय तब मिलता है जब गंगा पार करते समय अंग्रेजों की गोली से घायल हाथ को बेकार होने के संदेह पर गंगा मां को चढ़ा दिया गया। उसके बाद भी वे उसी कुशलता से अंग्रेजों से लड़ने को तैयार रहे, जो उनके अदम्य साहस का परिचायक है।
उदार व्यक्ति- वीर सिंह जी उदार व्यक्तित्व के स्वामी थे। वह लोगों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे, लेकिन उनकी खुद की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, लेकिन वह किसी भी गरीब को खाली हाथ नहीं भेजते थे। उनकी उदारता का पता इस बात से चलता है कि उन्होंने अनेक तालाब, कुएँ, विद्यालय, सड़कें बनवाईं।
स्वाभिमानी व्यक्ति- कुँवर सिंह जी एक स्वाभिमानी व्यक्ति थे। यह उनका स्वाभिमान ही था कि उन्होंने अंग्रेजों की अधीनता के बजाय उनके खिलाफ खड़े होकर और सिर उठाकर जीना स्वीकार किया।
उत्तरः वीर कुँवर सिंह को अच्छी तरह पता था कि ब्रिटिश सरकार उनके पीछे पड़ी है। वे ऐसे स्थान चुनते थे जो उनकी गुप्त बैठकों के लिए उपयुक्त स्थान हों। जहाँ वे सक्रिय रूप से अंग्रेजों के विरुद्ध गुप्त योजनाएँ बना सकते थे। इसके लिए उन्होंने अपनी गुप्त बैठकों के लिए बिहार के प्रसिद्ध सोनपुर मेले को चुना। यहीं पर सभी क्रांतिकारी एकत्रित होकर अंग्रेजों के विरुद्ध गुप्त योजनाएं क्रियान्वित करते थे।
- आप जानते हैं कि किसी शब्द को बहुवचन में प्रयोग करने पर उसकी वर्तनी में बदलाव आता है। जैसे-सेनानी एक व्यक्ति के लिए प्रयोग करते हैं और सेनानियों एक से अधिक के लिए। सेनानी शब्द की वर्तनी में बदलाव यह हुआ है कि अंत के वर्ण 'नी' की मात्रा दीर्घ '' (ई) से ह्रस्व 'f' (इ) हो गई है। ऐसे शब्दों को, जिनके अंत में दीर्घ ईकार होता है, बहुवचन बनाने पर वह इकार हो जाता है, यदि शब्द के अंत में ह्रस्व इकार होता है, तो उसमें परिवर्तन नहीं होता जैसे-दृष्टि से दृष्टियों।