प्रेमचंद

मौखिक प्रश्नों के उत्तर:

  1. कथा नायक की रुचि किन कार्यों में थी?

    • उत्तर:कथा नायक की रुचि खेल-कूद, विशेष रूप से कनकौए उड़ाने में थी। इसके अलावा, वह पढ़ाई में बहुत ध्यान नहीं देता था।

  2. बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल क्या पूछते थे?

    • उत्तर:बड़े भाई साहब हमेशा छोटे भाई से यही सवाल करते थे कि "तुमने पढ़ाई की या नहीं?"

  3. दूसरी बार पास होने पर छोटे भाई के व्यवहार में क्या परिवर्तन आया?

    • उत्तर:दूसरी बार पास होने पर छोटे भाई का आत्मविश्वास बढ़ गया था और वह अब यह समझने लगा था कि उसे पढ़ाई में गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।

  4. बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में कितने बड़े थे और वे कौन-सी कक्षा में पढ़ते थे?

    • उत्तर:बड़े भाई साहब छोटे भाई से पाँच साल बड़े थे और वे आठवीं कक्षा में पढ़ते थे।

  5. बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए क्या करते थे?

    • उत्तर:बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए कनकौए उड़ाना पसंद करते थे और इसके लिए समय निकालते थे।


लिखित प्रश्नों के उत्तर:

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में):

  1. छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम-टेबिल बनाते समय क्या-क्या सोचा और फिर उसका पालन क्यों नहीं कर पाया?

    • उत्तर:छोटे भाई ने सोचा कि वह समय का सही उपयोग करेगा और पढ़ाई के लिए नियमित समय तय करेगा, लेकिन खेल-कूद और अन्य कामों में वह ध्यान नहीं दे पाया, जिससे वह टाइम-टेबिल का पालन नहीं कर सका।

  2. एक दिन जब गुल्ली डंडा खेलने के बाद छोटा भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुँचा तो उनकी क्या प्रतिक्रिया हुई?

    • उत्तर:बड़े भाई साहब ने छोटे भाई को डाँटा और कहा कि वह समय का सही उपयोग नहीं कर रहा है, और उसकी जगह वे खुद कनकौए उड़ाने की चाह रखते थे, लेकिन अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता देते थे।

  3. बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ क्यों दबानी पड़ती थीं?

    • उत्तर:बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ दबानी पड़ती थीं क्योंकि उन्हें अपने छोटे भाई की भलाई की जिम्मेदारी थी और उन्हें अपने कर्तव्यों को पहले निभाना था।

  4. बड़े भाई साहब छोटे भाई को क्या सलाह देते थे और क्यों?

    • उत्तर:बड़े भाई साहब छोटे भाई को सलाह देते थे कि वह पढ़ाई में ध्यान दे और अपनी जिम्मेदारी समझे, क्योंकि जीवन में सफलता और अनुभव दोनों ही महत्वपूर्ण हैं।

  5. छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का क्या फ़ायदा उठाया?

    • उत्तर:छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का फ़ायदा उठाया और पढ़ाई में कम ध्यान देने लगा, क्योंकि अब उसे डाँटने वाला कोई नहीं था।


(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में):

  1. बड़े भाई की डाँट-फटकार अगर न मिलती, तो क्या छोटा भाई कक्षा में अव्वल आता? अपने विचार प्रकट कीजिए।

    • उत्तर:यदि बड़े भाई की डाँट-फटकार न मिलती, तो छोटा भाई कक्षा में अव्वल नहीं आता। भाई साहब के मार्गदर्शन और डाँट से ही वह पढ़ाई में सुधार कर पाया था। यह उसकी सफलता का मुख्य कारण था, क्योंकि वह भाई साहब के अनुशासन के तहत बेहतर प्रयास करता था।

  2. स पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के किन तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया है? क्या आप उनके विचार से सहमत हैं?

    • उत्तर:लेखक ने समूची शिक्षा के तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया है, जैसे परीक्षा प्रणाली, निबंध लिखने की प्रक्रिया, और अनावश्यक बकवास याद करने की आदतें। वह मानते हैं कि यह सब व्यर्थ है और छात्रों को रटंत शिक्षा से अधिक वास्तविक समझ की आवश्यकता है। मैं इससे सहमत हूँ क्योंकि शिक्षा का उद्देश्य केवल रटने से अधिक होना चाहिए।

  3. बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ कैसे आती है?

    • उत्तर:बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ केवल किताबों से नहीं, बल्कि वास्तविक जीवन और अनुभवों से आती है। वह मानते हैं कि दुनिया को समझने के लिए किताबों से ज्यादा जीवन के अनुभव महत्वपूर्ण होते हैं।

      प्रश्नों के उत्तर:

      4. छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के प्रति श्रद्धा क्यों उत्पन्न हुई?

      • उत्तर:छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के प्रति श्रद्धा इसलिए उत्पन्न हुई क्योंकि बड़े भाई साहब ने उसे जीवन के अनुभवों और शिक्षा का सही महत्व बताया। उन्होंने उसे समझाया कि ज्ञान केवल किताबों से नहीं, बल्कि वास्तविक जीवन के अनुभवों से भी मिलता है, जो उसे सच्ची दिशा दिखाते हैं। छोटे भाई ने उनके उपदेशों और दृष्टिकोण को आत्मसात किया, जिससे श्रद्धा पैदा हुई।

      5. बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ बताइए:

      • उत्तर:बड़े भाई साहब में अनुशासन, जिम्मेदारी, और आत्म-नियंत्रण की विशेषताएँ थीं। वे अपने छोटे भाई की भलाई के लिए कड़े थे, लेकिन उनकी चिंता सच्ची थी। वे जीवन के अनुभवों से समझने वाले और जिम्मेदारी लेने वाले व्यक्ति थे। वे अपना कर्तव्य निभाने के लिए अपनी इच्छाओं को दबाते थे।

      6. बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से किसे और क्यों महत्त्वपूर्ण कहा है?

      • उत्तर:बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव को अधिक महत्त्वपूर्ण कहा है क्योंकि वे मानते थे कि जीवन के वास्तविक अनुभव इंसान को सच्ची समझ और ज्ञान प्रदान करते हैं। किताबों से जो ज्ञान मिलता है, वह सीमित होता है, लेकिन जीवन के अनुभवों से हमें दुनिया को सही दृष्टिकोण से देखने का अवसर मिलता है।

      7. पाठ के किन अंशों से पता चलता है कि-

      (क) छोटा भाई अपने भाई साहब का आदर करता है।

      • "भाई साहब ने मुझे गले से लगा लिया और बोले-मैं कनकौए उड़ाने को मना नहीं करता।"

      • इस अंश से पता चलता है कि छोटे भाई ने भाई साहब की बातों को गंभीरता से सुना और उनका आदर किया।

      (ख) भाई साहब को जिंदगी का अच्छा अनुभव है।

      • "हमारे दादा को हमें समझाने और सुधारने का अधिकार हमेशा रहेगा।"

      • इस अंश से यह स्पष्ट होता है कि भाई साहब ने जीवन के अनुभवों को महत्व दिया और समझाया कि उम्र और अनुभव से ही जीवन की सही समझ आती है।

      (ग) भाई साहब के भीतर भी एक बच्चा है।

      • "भाई साहब लंबे हैं ही। उछलकर उसकी डोर पकड़ ली और बेतहाशा होस्टल की तरफ़ दौड़े।"

      • यहां यह दिखाया गया है कि भाई साहब भी कभी-कभी बच्चों जैसी सरलता और जोश दिखाते हैं।

      (घ) भाई साहब छोटे भाई का भला चाहते हैं।

      • "भाई साहब के रूप में मैं अब एक आदर्श बन गया था। उन्होंने मुझे सही दिशा दिखाई और सही कार्य करने के लिए प्रेरित किया।"

      • इस अंश से यह साफ होता है कि भाई साहब का उद्देश्य छोटे भाई का भला करना था और वे उसे सच्चे मार्ग पर चलने की सलाह देते थे।


      (ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए:

      1. "इम्तिहान पास कर लेना कोई चीज नहीं, असल चीज है बुद्धि का विकास।"

        • उत्तर:इस वाक्य का अर्थ है कि केवल परीक्षा में उत्तीर्ण होना महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि असली मूल्य बुद्धि और ज्ञान के विकास में है। यह यह बताता है कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य मानसिक विकास होना चाहिए, न कि केवल परीक्षा पास करना।

      2. "फिर भी जैसे मौत और विपत्ति के बीच भी आदमी मोह और माया के बंधन में जकड़ा रहता है, मैं फटकार और घुड़कियाँ खाकर भी खेल-कूद का तिरस्कार न कर सकता था।"

        • उत्तर:यह वाक्य यह व्यक्त करता है कि आदमी चाहे विपत्ति और कठिनाइयों में हो, फिर भी उसके मन में मोह और इंद्रिय सुखों की इच्छा बनी रहती है। छोटे भाई ने इसे स्वीकार किया कि भाई साहब की डाँट और घुड़कियाँ के बावजूद, उसे खेल-कूद से मोह था।

      3. "बुनियाद ही पुख्ता न हो, तो मकान कैसे पायेदार बने?"

        • उत्तर:इसका अर्थ है कि अगर किसी कार्य या जीवन की बुनियादी नींव मजबूत न हो, तो सफलता या परिणाम स्थायी नहीं हो सकते। यह शिक्षा की बुनियादी नींव की महत्ता को दर्शाता है।

      4. "आँखें आसमान की ओर थीं और मन उस आकाशगामी पथिक की ओर, जो मंद गति से झूमता पतन की ओर चला आ रहा था, मानो कोई आत्मा स्वर्ग से निकलकर विरक्त मन से नए संस्कार ग्रहण करने जा रही हो।"

        • इस वाक्य में कल्पना और प्रतीक का प्रयोग किया गया है। यह बताते हैं कि छोटा भाई अपनी आँखों से आकाश और पतंग को देखता है, और उसके मन में आकाशगामी पथिक (पतंग) की ओर एक प्रतीकात्मक विचार आता है, जो आत्मा के शुद्धिकरण की ओर संकेत करता है।


      भाषा अध्ययन

      1. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए:

      1. नसीहत – उपदेश, सलाह

      2. रोष – क्रोध, गुस्सा

      3. आजादी – स्वतंत्रता, स्वराज

      4. राजा – सम्राट, शासक

      5. ताज्जुब – आश्चर्य, चमत्कृत

      2. मुहावरे:

      • "मेरा जी पढ़ने में बिलकुल न लगता था। एक घंटा भी किताब लेकर बैठना पहाड़ था।"

        • ❤इस वाक्य में मुहावरा "पहाड़ होना" का उपयोग किया गया है, जिसका अर्थ है अत्यधिक कठिन या कष्टकारी। यह बताता है कि छोटा भाई पढ़ाई के प्रति बिल्कुल भी उत्साहित नहीं था।

      • "भाई साहब उपदेश की कला में निपुण थे। ऐसी-ऐसी लगती बातें कहते, ऐसे-ऐसे सूक्ति बाण चलाते कि मेरे जिगर के टुकड़े टुकड़े हो जाते और हिम्मत टूट जाती।"

        • ❤यहाँ "सूक्ति बाण" का मुहावरा है, जो संकेत करता है किसी की बातें इतनी प्रभावी होती हैं कि वे सीधे दिल पर असर डालती हैं।

          1. प्रेमचंद की कहानियाँ मानसरोवर के आठ भागों में संकलित हैं। इनमें से कहानियाँ पढ़िए और कक्षा में सुनाइए। कुछ कहानियों का मंचन भी कीजिए।

          कार्यक्रम सुझाव:

          • प्रेमचंद की कहानियों का चयन करें जो उनके साहित्यिक योगदान को दर्शाती हैं। कुछ प्रमुख कहानियाँ जैसे "ग़रीबों की खुशियाँ", "सद्गति", "नमक का दरोगा" और "कफ़न" को कक्षा में पढ़ा जा सकता है।

          • छात्रों को इन कहानियों पर आधारित मंचन के लिए निर्देशित करें। उन्हें किरदारों में बाँटकर नाटक के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास करें।

          • कक्षा में मंचन के दौरान, छात्रों को प्रेमचंद की कहानियों के संदेश और सामाजिक पहलुओं पर चर्चा करने के लिए प्रेरित करें। मंचन के बाद, छात्र अपने विचार साझा कर सकते हैं कि इन कहानियों ने उनके सोच को कैसे प्रभावित किया।

          2. शिक्षा रटंत विद्या नहीं है इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।

          कार्यक्रम सुझाव:

          • इस परिचर्चा में छात्रों से यह पूछा जा सकता है कि वे शिक्षा के बारे में क्या समझते हैं और क्या सिर्फ रटकर शिक्षा को हासिल किया जा सकता है?

          • विद्यार्थियों को प्रेरित करें कि वे शिक्षा के असल उद्देश्य पर बात करें, जैसे कि सोचने की क्षमता का विकास, समस्या हल करने की कला, और रचनात्मकता को बढ़ावा देना।

          • एक तर्कपूर्ण परिचर्चा का आयोजन करें, जहाँ छात्र अपनी विचारधारा को पेश कर सकें और शिक्षक के मार्गदर्शन में ये विचार एक दूसरे के सामने आ सकें।

          • अंत में, शिक्षक छात्रों को यह समझा सकते हैं कि रटंत विद्या से ज्यादा जरूरी है कि छात्र अपनी समझ और सृजनात्मक सोच को विकसित करें।

          3. क्या पढ़ाई और खेल-कूद साथ-साथ चल सकते हैं कक्षा में इस पर वाद-विवाद कार्यक्रम आयोजित कीजिए।

          कार्यक्रम सुझाव:

          • कक्षा में दो समूह बनाकर वाद-विवाद कार्यक्रम का आयोजन करें। एक समूह का तर्क हो सकता है कि पढ़ाई और खेल-कूद साथ-साथ चल सकते हैं, जबकि दूसरा समूह यह तर्क पेश कर सकता है कि ये दोनों एक दूसरे से टकराते हैं।

          • छात्रों को यह समझने का अवसर दें कि खेलों का मानसिक और शारीरिक विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है और पढ़ाई में एकाग्रता कैसे बढ़ सकती है।

          • अंत में, शिक्षक छात्रों को यह समझा सकते हैं कि समय का सही प्रबंधन, अनुशासन और सही दिशा में किए गए प्रयासों से पढ़ाई और खेल दोनों को संतुलित किया जा सकता है।

          4. क्या परीक्षा पास कर लेना ही योग्यता का आधार है? इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।

          कार्यक्रम सुझाव:

          • इस विषय पर चर्चा में छात्र विचार कर सकते हैं कि क्या सिर्फ परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने से किसी की वास्तविक योग्यता का आकलन किया जा सकता है।

          • छात्रों को यह विचार करने के लिए प्रेरित करें कि योग्यता सिर्फ अकादमिक सफलता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति की क्षमताओं, कौशल, और सामाजिक जिम्मेदारी को भी दर्शाती है।

          • एक ओपन-फोरम चर्चा आयोजित करें जिसमें छात्र अपने अनुभव और विचार साझा करें कि उनके अनुसार परीक्षा के अंक किस हद तक किसी व्यक्ति की योग्यता को परिभाषित करते हैं।

          • शिक्षक इस चर्चा को संक्षेप में यह कहकर समाप्त कर सकते हैं कि परीक्षा एक महत्वपूर्ण उपकरण है, लेकिन किसी की पूर्ण योग्यता का निर्धारण इसके अलावा और भी कई गुणों पर निर्भर करता है, जैसे कि संवाद कौशल, नेतृत्व क्षमता, और समग्र विकास।                                                                                                         THANK YOU