✅ पाठ प्रवेश पर आधारित 40 प्रश्नोत्तर

🔹 बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

1.कविता का मुख्य गुण क्या माना जाता है?

👉 थोड़े में बहुत कुछ कह देना।


2.गद्य रचना में जब कविता का गुण दिखाई देता है, तो कौन-सा मुहावरा याद नहीं रखना पड़ता?

👉 सार-सार को गहि रहे, थोथा देय उड़ाय।


3.सरल और कम शब्दों में लिखना कैसा कार्य है?

👉 कठिन कार्य।


4.सूक्ति कथाएँ, आगम कथाएँ, जातक कथाएँ, पंचतंत्र की कहानियाँ किसकी मिसाल हैं?

👉 सारगर्भित लेखन की।


5.कोंकणी में किस लेखक ने सारगर्भित लेखन किया है?

👉 रवींद्र केलेकर।


6.प्रस्तुत पाठ के प्रसंग किस प्रकार के पाठक की माँग करते हैं?

👉 समझदार और संवेदनशील पाठक की।


7.‘गिन्नी का सोना’ प्रसंग किससे परिचित कराता है?

👉 समाज को रहने योग्य बनाने वालों से।


8.‘झेन की देन’ किस दर्शन से जुड़ा है?

👉 बौद्ध दर्शन से।


9.झेन पद्धति किस देश में लोकप्रिय है?

👉 जापान।


10झेन पद्धति का उद्देश्य क्या है?

👉 व्यस्त जीवन में शांति के पल पाना।


🔹 लघु उत्तरीय प्रश्न

1.पाठ में किस लेखन शैली की प्रशंसा की गई है?

👉 कम शब्दों में अधिक कहने वाली शैली की।


2.सरल लेखन क्यों कठिन होता है?

👉 क्योंकि उसमें भावनाएँ और विचार संक्षेप में व्यक्त करने होते हैं।


3‘गिन्नी का सोना’ पाठ का क्या उद्देश्य है?

👉 समाज के लिए निःस्वार्थ कार्य करने वालों को सामने लाना।


4.‘झेन की देन’ पाठ में क्या प्रेरणा दी गई है?

👉 ध्यान द्वारा संतुलित जीवन जीने की।


5.रवींद्र केलेकर किस भाषा के लेखक थे?

👉 कोंकणी।


6.प्रस्तुत पाठ में लेखक क्या प्रेरणा देना चाहता है?

👉 एक जागरूक और सक्रिय नागरिक बनने की


7.पंचतंत्र की कहानियों में कौन-सा गुण होता है?

👉 शिक्षाप्रद और संक्षिप्त रूप में गूढ़ अर्थ।


8.बौद्ध दर्शन की झेन पद्धति क्या सिखाती है?

👉 आत्मचिंतन और शांति।


9.पाठ में लेखक ने किस प्रकार के लेखन को प्रमुखता दी है?

👉 सूक्तिपूर्ण और सारगर्भित लेखन।


10.‘गिन्नी का सोना’ किन लोगों पर केंद्रित है?

👉 दूसरों के भले के लिए काम करने वाले।


🔹 विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

लेखक ने ‘थोड़े में बहुत कहने’ की परंपरा को किन उदाहरणों से स्पष्ट किया है?


सूक्ति कथाएँ और पंचतंत्र की कहानियाँ सारगर्भित क्यों मानी जाती हैं?


‘गिन्नी का सोना’ और ‘झेन की देन’ में से किसका प्रभाव अधिक प्रेरक लगता है? क्यों?


रवींद्र केलेकर के लेखन की कौन-सी विशेषता पाठ में उभरकर सामने आती है?


लेखक ने “पढ़ने-गुनने” से आगे बढ़कर क्या अपेक्षा की है?


गद्य में कविता का गुण होना पाठक के लिए क्यों विशेष अनुभव बन जाता है?


झेन पद्धति आधुनिक जीवन में कैसे उपयोगी हो सकती है?


'सार-सार को गहि रहे, थोथा देय उड़ाय' — इस कहावत का पाठ से क्या संबंध है?


कोंकणी भाषा में रचित इस गद्य की विशेषता क्या है?


आज के युवा पाठकों को इस पाठ से क्या प्रेरणा मिलती है?


🔹 अन्य विश्लेषणात्मक प्रश्न


1. क्योंकि उसमें कम शब्दों में अर्थ की गहराई रखनी होती है।


क्या गद्य भी कविता की तरह प्रभावशाली हो सकता है?

उत्तर--हाँ, जब उसमें संक्षिप्तता और सारगर्भिता हो।


2.पाठ का उद्देश्य केवल पढ़ना है या उससे आगे कुछ और?

उत्तर-- पाठक को चिंतनशील और सक्रिय बनाना।


3.गिन्नी का सोना किन गुणों का प्रतीक है?

उत्तर-- सेवा, त्याग और परोपकार।


4.झेन ध्यान का आज के जीवन में क्या उपयोग है?

उत्तर-- मानसिक तनाव से मुक्ति और शांति।


5.लेखन में 'थोड़ा कहा, बहुत समझा' क्यों महत्वपूर्ण है?

उत्तर-- यह पाठक की सोचने की क्षमता को जाग्रत करता है।


6.यह पाठ क्यों प्रेरणादायक कहा जा सकता है?

उत्तर-- यह सामाजिक दायित्व की भावना जगाता है।


7.लेखक ने किन लेखन परंपराओं को प्रभावशाली बताया है?

उत्तर-- जातक, सूक्ति, पंचतंत्र जैसी कथाओं को।


8.झेन ध्यान किन मूल्यों पर आधारित है?

उत्तर-- आत्मनिरीक्षण, साधना और संतुलन।


9.पाठ में रवींद्र केलेकर की रचना शैली कैसी है?

उत्तर-- संक्षिप्त, गूढ़ और प्रेरणादायक।


🔹 मूल्य-आधारित प्रश्न (Value-Based)

1.क्या हमें भी ‘गिन्नी का सोना’ जैसे लोगों से प्रेरणा लेनी चाहिए? क्यों?

उत्तर-- हाँ, क्योंकि वे दूसरों के लिए जीते हैं।


2.झेन ध्यान हमारे लिए कैसे उपयोगी हो सकता है?

उत्तर-- यह मन को शांत और केंद्रित रखने में सहायक है।


3.पाठ का कौन-सा भाग आपको सबसे अधिक प्रेरित करता है? क्यों?

उत्तर--(उत्तर विद्यार्थी स्वयं के अनुभव अनुसार दें)


4.क्या आज के समय में ऐसा लेखन आवश्यक है?

उत्तर-- हाँ, क्योंकि यह सोचने और समझने की क्षमता को बढ़ाता है।


5.संक्षिप्त लेखन में कौन-सी विशेषता होनी चाहिए?

उत्तर-- स्पष्टता, गहराई और प्रभाव।


6.क्या गद्य भी कविता जितना सुंदर हो सकता है?

उत्तर-- हाँ, जब उसमें विचारों की गहराई और सुंदर अभिव्यक्ति हो।


7.झेन ध्यान को अपने जीवन में कैसे अपनाया जा सकता है?

उत्तर-- रोज़ कुछ समय ध्यान और आत्मनिरीक्षण के लिए निकाल कर।


8.रवींद्र केलेकर का लेखन आज के युवाओं के लिए कैसे उपयोगी है?

उत्तर-- यह उन्हें सामाजिक रूप से जागरूक बनाता है।


9.क्या पाठों से केवल ज्ञान लेना पर्याप्त है?

उत्तर--.नहीं, व्यवहार में लागू करना भी ज़रूरी है।


10.इस पाठ से आप क्या सीखते हैं?

उत्तर-- सोचने की शक्ति, सामाजिक दायित्व और आत्मविकास।

Answer by Mrinmoee