यशपाल
मौखिक प्रश्नों के उत्तर (एक-दो पंक्तियों में):
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किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें क्या पता चलता है?
→ किसी व्यक्ति की सामाजिक स्थिति, वर्ग और प्रतिष्ठा का अनुमान उसकी पोशाक से लगाया जा सकता है। -
खरबूजे बेचनेवाली स्त्री से कोई खरबूजे क्यों नहीं खरीद रहा था?
→ लोग उसे उसके बेटे की मृत्यु के दूसरे दिन बाजार में बैठने के लिए तिरस्कार की दृष्टि से देख रहे थे। -
उस स्त्री को देखकर लेखक को कैसा लगा?
→ लेखक को उस स्त्री के दुःख से गहरी व्यथा हुई, पर वह उसके पास बैठकर बात नहीं कर पाया। -
उस स्त्री के लड़के की मृत्यु का कारण क्या था?
→ लड़के को खेत में काम करते समय साँप ने डँस लिया था जिससे उसकी मृत्यु हो गई। -
बुढ़िया को कोई भी क्यों उधार नहीं देता?
→ क्योंकि उसके बेटे की मृत्यु के बाद घर में कमाने वाला कोई नहीं बचा था, इसलिए उधार लौटाने की कोई संभावना नहीं थी।
लिखित (क) प्रश्नों के उत्तर (25–30 शब्दों में):
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मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्त्व है?
→ पोशाक मनुष्य की सामाजिक स्थिति का प्रतीक बन जाती है। इससे लोगों का दृष्टिकोण तय होता है और कई बार यह व्यक्ति के अधिकारों को भी प्रभावित करती है। -
पोशाक हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है?
→ जब हम समाज के निम्न वर्ग की पीड़ा को समझना चाहते हैं, तब हमारी उच्च पोशाक हमें उनके पास जाने और सहानुभूति जताने से रोकती है। -
लेखक उस स्त्री के रोने का कारण क्यों नहीं जान पाया?
→ लेखक समाज में अपनी स्थिति और पोशाक के कारण उस गरीब स्त्री के पास बैठने और बात करने में संकोच करता रहा। -
भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था?
→ भगवाना डेढ़ बीघा ज़मीन में खेती करता था और खरबूजे आदि बेचकर अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। -
लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढ़िया खरबूजे बेचने क्यों चल पड़ी?
→ बेटे की मृत्यु के बाद परिवार में खाने को कुछ नहीं था और बहू बीमार थी, इसलिए मजबूरी में बुढ़िया को खरबूजे बेचने आना पड़ा। -
बुढ़िया के दुःख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद क्यों आई?
→ क्योंकि उस महिला को पुत्र शोक में महीनों आराम और सेवा मिली, जबकि गरीब बुढ़िया को शोक मनाने का भी समय और साधन नहीं मिला।
लिखित (ख) प्रश्नों के उत्तर (50–60 शब्दों में):
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बाजार के लोग खरबूजे बेचनेवाली स्त्री के बारे में क्या-क्या कह रहे थे?
→ बाजार के लोग उस बुढ़िया को तिरस्कार से देख रहे थे। कोई उसे बेहया कह रहा था, कोई कहता कि रोटी के लिए इनके लिए धर्म-ईमान का कोई मूल्य नहीं। किसी को चिंता थी कि वह दूसरों के धर्म को अपवित्र कर रही है। -
पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने पर लेखक को क्या पता चला?
→ लेखक को पता चला कि बुढ़िया का जवान बेटा 'भगवाना' खेत में साँप के काटने से मर गया था। घर में बहू बीमार है और छोटे-छोटे बच्चे हैं। परिवार का पालन-पोषण उसी पर निर्भर था। -
लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया माँ ने क्या-क्या उपाय किए?
→ बुढ़िया ने ओझा बुलाकर झाड़-फूँक करवाई, नागदेव की पूजा की और पूजा के लिए दान-दक्षिणा भी दी, जिससे घर का आटा-अनाज भी चला गया, पर भगवाना नहीं बच सका। -
लेखक ने बुढ़िया के दुःख का अंदाजा कैसे लगाया?
→ लेखक ने बुढ़िया के दुःख की तुलना अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला से की, जिसे पुत्रशोक में पूर्ण देखभाल और सहानुभूति मिली थी, जबकि बुढ़िया को काम पर जाना पड़ा। इससे लेखक को बुढ़िया का दुःख और अधिक गहरा प्रतीत हुआ।
विस्तृत उत्तर:
पाठ का शीर्षक ‘दुःख का अधिकार’ कहाँ तक सार्थक है? स्पष्ट कीजिए।
→ यह शीर्षक अत्यंत सार्थक है क्योंकि यह समाज में व्याप्त आर्थिक और सामाजिक असमानता पर गहरा प्रश्नचिह्न लगाता है। लेखक यह दिखाता है कि दुःख मनाना भी एक विशेषाधिकार बन चुका है, जो केवल संपन्न वर्ग को ही सहज रूप से उपलब्ध है। गरीबों को अपनी आवश्यकताएँ पूरी करने के लिए अपने शोक को भी दबाना पड़ता है। जिस बुढ़िया का बेटा अभी-अभी मरा है, वह अगले ही दिन बाजार में सौदा बेचने को विवश है। यह स्थिति दर्शाती है कि दुःख मनाने का अधिकार भी सबको समान रूप से प्राप्त नहीं है, और इसीलिए यह शीर्षक पूरी कहानी की आत्मा को सारगर्भित रूप में प्रस्तुत करता है।
बिलकुल, यहाँ है ‘दुःख का अधिकार’ पाठ से जुड़े (ग) आशय स्पष्ट कीजिए और भाषा-अध्ययन के उत्तर:
(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए:
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जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।
→ इस पंक्ति में लेखक कहना चाहता है कि जैसे हवा में बहती पतंग एकदम नीचे नहीं गिरती, वैसे ही किसी प्रतिष्ठित या ऊँचे सामाजिक स्तर की पोशाक इंसान को साधारण या निम्न वर्ग के लोगों के साथ घुलने-मिलने से रोक देती है। उसकी हैसियत ही उसे सहज मानवीय व्यवहार से वंचित कर देती है। -
इनके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई, धर्म-ईमान सब रोटी का टुकड़ा है।
→ यह वाक्य समाज की निम्न वर्ग की विवशता को दर्शाता है। यह तिरस्कारपूर्ण टिप्पणी है जिसमें लोग कह रहे हैं कि गरीबों के लिए पारिवारिक संबंध या धर्म-आस्था से अधिक महत्त्वपूर्ण रोटी है। दरअसल, यह उनकी मजबूरी की निंदा है जो कि अनुचित है। -
शोक करने, गम मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और... दुःखी होने का भी एक अधिकार होता है।
→ लेखक यह बताना चाहता है कि दुख प्रकट करने के लिए भी आर्थिक स्थिति और सामाजिक सहारा चाहिए। गरीबों को जीवन की जरूरतें इतनी भारी होती हैं कि उनके पास शोक मनाने का समय, सुविधा और अधिकार तक नहीं बचता।
भाषा-अध्ययन:
2. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखिए:
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ईमान –
→ सत्यनिष्ठा, धर्म, सच्चाई, निष्ठा, सदाचार -
बदन –
→ शरीर, तन, देह, काय, अंग
3. पाठ में आए शब्द-युग्मों को छाँटकर लिखिए (उदाहरण: बेटा-बेटी):
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बेटा-बेटी
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खसम-लुगाई
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दुआन्नी-चवन्नी
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पास-पड़ोस
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मुँह-अँधेरे
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छन्नी-ककना
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झाड़ना-फूंकना
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फफक-फफककर
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बिलख-बिलखकर
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तड़प-तड़पकर
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लिपट-लिपटकर
4. वाक्यांशों की व्याख्या (पाठ के संदर्भ अनुसार):
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बंद दरवाजे खोल देना –
→ यह वाक्यांश दर्शाता है कि व्यक्ति की पोशाक और दिखावा कई बार उसे सामाजिक प्रतिष्ठा दिलाते हैं और ऐसे रास्ते खोलते हैं जो आम लोगों के लिए बंद रहते हैं। -
निर्वाह करना –
→ जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करना। जैसे – भगवाना अपने परिवार का निर्वाह खेत की फसल और खरबूजे बेचकर करता था। -
भूख से बिलबिलाना –
→ बहुत अधिक भूख के कारण तड़पना। लड़के अपने पिता की मृत्यु के बाद भूख से व्याकुल हो उठे थे। -
कोई चारा न होना –
→ जब कोई विकल्प या उपाय न बचे। बुढ़िया के पास खरबूजे बेचने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था। -
शोक से द्रवित हो जाना –
→ किसी के दुख से मन बहुत भावुक हो जाना। जैसे – लेखक जब संभ्रांत महिला के पुत्रशोक की बात याद करता है तो मन द्रवित हो उठता है।
5. शब्द-युग्मों और शब्द-समूहों का प्रयोग वाक्यों में:
(क):
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छन्नी-ककना – माँ ने बेटे के अंतिम संस्कार के लिए अपने छन्नी-ककना तक बेच दिए।
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अढ़ाई मास – वह महिला अढ़ाई मास तक अपने पुत्र के वियोग में बिस्तर से नहीं उठी।
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पास-पड़ोस – पास-पड़ोस के लोगों ने बुढ़िया के बारे में अनेक बातें कीं।
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दुअन्नी-चवन्नी – अब बेटे के बिना कोई उसे दुअन्नी-चवन्नी भी उधार नहीं देता।
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मुँह-अँधेरे – भगवाना मुँह-अँधेरे खरबूजे तोड़ने खेत गया था।
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झाड़ना-फूंकना – साँप के काटने पर माँ ओझा को बुलाकर झाड़ना-फूंकना करवाने लगी।
(ख):
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फफक-फफककर – बुढ़िया अपने बेटे की याद में फफक-फफककर रो रही थी।
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बिलख-बिलखकर – बच्चों ने भूख से बिलख-बिलखकर दादी से खाने को माँगा।
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तड़प-तड़पकर – माँ बेटे को तड़प-तड़पकर याद कर रही थी।
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लिपट-लिपटकर – माँ, बहू और बच्चे भगवाना से लिपट-लिपटकर रोए।
6. दी गई वाक्य संरचना के आधार पर नए वाक्य बनाएँ:
(क):
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बच्चे खेलते-खेलते थक गए।
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परीक्षा में पास होने के लिए मेहनत करनी ही होगी।
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चाहे उसके लिए मुझे अपनी किताबें ही क्यों न बेचनी पड़ें।
(ख):
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जैसी संगत होती है, वैसा ही असर होता है।
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वह जो एक बार चला गया, फिर लौटकर नहीं आया।
योग्यता-विस्तार
1. 'व्यक्ति की पहचान उसकी पोशाक से होती है।' – इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा के लिए मुख्य बिंदु:
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पोशाक से व्यक्ति की सामाजिक, आर्थिक स्थिति का अनुमान होता है।
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कोई क्या पहनता है, यह उसकी पसंद, संस्कृति और व्यक्तित्व को दर्शाता है।
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समाज में अच्छे वस्त्रों से सम्मान मिल सकता है, जबकि साधारण कपड़े उपेक्षा का कारण बन सकते हैं।
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लेकिन केवल पोशाक से किसी के चरित्र और आत्मा का मूल्यांकन उचित नहीं।
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निष्कर्ष: पोशाक बाहरी पहचान देती है, लेकिन असली पहचान व्यक्ति के आचरण और व्यवहार से होती है।
2. यदि आपने भगवाना की माँ जैसी किसी दुखिया को देखा है तो उसकी कहानी लिखिए (कल्पित कहानी):
हमारे मोहल्ले में एक बुज़ुर्ग अम्मा रहती हैं। उनके बेटे की एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। बेटे की मृत्यु के बाद उनका घर उजड़ गया। पति पहले ही चल बसे थे, बहू और पोते को पालने की ज़िम्मेदारी अम्मा पर आ गई। बहुत दुःख सहने के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी। सुबह-सुबह सब्जियाँ लेकर बाजार जातीं और बेचतीं। लोगों की उपेक्षा झेलतीं, लेकिन फिर भी मुस्कराकर काम करतीं। उनका साहस और सहनशीलता देखकर सबको उनसे सीख मिली।
3. पता कीजिए कि कौन-से साँप विषैले होते हैं? उनके चित्र एकत्र कीजिए और भित्ति पत्रिका में लगाइए।
विषैले साँपों के नाम:
साँप का नाम | विशेषता |
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1. नाग (Cobra) | फन फैलाता है, ज़हर फौरन असर करता है |
2. करैत (Krait) | रात में सक्रिय, बहुत ही ज़हरीला |
3. रसेल वाइपर (Russell's Viper) | सबसे अधिक मौतों का कारण |
4. सॉ स्केल्ड वाइपर (Saw-scaled Viper) | छोटा पर अत्यधिक विषैला |
5. बैंडेड करैत (Banded Krait) | काले-पीले रंग का साँप, बहुत ज़हरीला |
शब्दार्थ और टिप्पणियाँ:
शब्द | अर्थ |
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इरादा / आशय | उद्देश्य, नीयत |
पोशाक | वस्त्र, पहनावा |
अनुभूति | एहसास, अनुभव |
अड़चन | विघ्न, रुकावट |
अधेड़ | आधी उम्र का, लगभग 40-60 वर्ष की आयु का व्यक्ति |
व्यथा | पीड़ा, दुःख |
एहसास | अनुभूति, भाव |
बेहया | बेशर्म, निर्लज्ज |
नीयत | सोच, इरादा, उद्देश्य |
बरकत | वृद्धि, सौभाग्य, लाभ |
खसम | पति |
लुगाई | पत्नी |
परचून की दुकान | आटा, दाल आदि की खुदरा दुकान |
सूतक | किसी के जन्म या मृत्यु के बाद की छूत |
कछियारी | खेतों में तरकारियाँ बोना |
निर्वाह | जीवन-यापन, गुजारा |
मेड़ | खेतों की सीमारेखा, मिट्टी की दीवार |
तरावट | नमी, ठंडक |
ओझा | झाड़-फूंक करने वाला व्यक्ति |
छन्नी-ककना | स्त्रियों के छोटे-मोटे गहने |
सहूलियत | सुविधा, आसानी |
THANK YOU .