1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
1. नदी का किनारों से कुछ कहते हुए बह जाने पर गुलाब क्या सोच रहा है? इससे संबंधित पंक्तियों को लिखिए।
उत्तर:-गुलाब किनारे बैठा यह सोच रहा है—
“यदि विधाता मुझे स्वर प्रदान करते,तो मैं भी अपने पतझर के सपनों को
गीतों के रूप में जग को सुनाता।”
2. जब शुक गाता है, तो शुकी के हृदय पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:- जब शुक आनंद से गीत गाता है, उसका मधुर स्वर पूरे वन में गूँज उठता है। यह सुनकर शुकी का मन भी गाने को व्याकुल हो उठता है, पर मातृस्नेह के कारण वह चुप रहती है। उसके पंख प्रसन्नता से फैल जाते हैं और वह मौन रहते हुए भी भीतर से अत्यंत आनंदित हो जाती है।
3. प्रेमी जब गीत गाता है, तब प्रेमिका की क्या इच्छा होती है?
उत्तर:-जब साँझ के समय प्रेमी का मधुर गीत गूँजता है, तो प्रेमिका उसे सुनने के लिए घर से निकल आती है और नीम के पेड़ के पीछे छिपकर ध्यान से सुनती है। उस पल उसके मन में यह आकांक्षा जागती है कि काश, वह स्वयं उस गीत की एक पंक्ति बन पाती।
4. प्रथम छंद में वर्णित प्रकृति-चित्रण को लिखिए।
उत्तर:- प्रथम छंद में कवि ने प्रकृति का सुंदर और सजीव चित्र प्रस्तुत किया है। उसमें वेग से बहती नदी मानो किनारों से अपने मन की व्यथा कहती हुई आगे बढ़ रही है, और उसके तट पर एक गुलाब का पौधा निःशब्द खड़ा है, जैसे वह उसकी बात सुन रहा हो।
5. प्रकृति के साथ पशु-पक्षियों के सम्बन्ध की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:- पशु-पक्षियों का जीवन प्रकृति से गहरे रूप से जुड़ा हुआ है। वे अपने भोजन, जल और आश्रय के लिए पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर रहते हैं। उनकी दैनिक गतिविधियाँ—चहचहाना, गुनगुनाना, उड़ना या खेलना—सब प्रकृति की गोद में ही संपन्न होती हैं। प्रकृति की छटा और वातावरण उन्हें आनंदित कर देते हैं, जिससे वे मधुर स्वर में गाने लगते हैं और आपसी प्रेम व संबंधों को और प्रगाढ़ बनाते हैं।
6. मनुष्य को प्रकृति किस रूप में आंदोलित करती है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:-प्रकृति मनुष्य के मन को अनेक प्रकार से स्पर्श और आंदोलित करती है। उसका सुंदर और आकर्षक रूप मनुष्य के हृदय में गीत गाने की प्रेरणा जगाता है। संध्या का मनमोहक वातावरण प्रेमी को प्रेम-गीत गाने के लिए प्रेरित करता है, वहीं यह दृश्य प्रेमिका को भी घर से बाहर आकर उसे सुनने के लिए आकृष्ट करता है।
7. सभी कुछ गीत, अगीत कुछ नहीं होता। कुछ अगीत भी होता है क्या? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- गीत और अगीत का सम्बन्ध मनुष्य के हृदय में उठने वाले भावों से है। जब ये भाव स्वर पाकर व्यक्त हो जाते हैं तो वे गीत कहलाते हैं, और जब भाव मन में रहकर स्वर नहीं पा पाते, तब वे अगीत कहलाते हैं। अगीत अभिव्यक्त न होने पर भी अपने अस्तित्व और पूर्णता को बनाए रखते हैं। इसीलिए कवि का मानना है कि सब कुछ गीत नहीं होता, कुछ अगीत भी होते हैं।
8. ‘गीत-अगीत’ के केन्द्रीय भाव को लिखिए।
उत्तर:- इस कविता का केंद्रीय भाव यह है कि मन के भीतर छिपे हुए, अभिव्यक्त न हो पाने वाले अगीत का भी अपना विशेष महत्व होता है। भावों को केवल हृदय में महसूस करना, बिना शब्दों या स्वरों में व्यक्त किए, भी उतना ही सुंदर और मूल्यवान है। इसलिए मुखरित गीत और मौन अगीत—दोनों ही अपनी-अपनी तरह से मन को छूने वाले और सुंदर हैं।
2 संदर्भ-सहित व्याख्या कीजिए –
1. अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जग को गीत सुनाता
उत्तर:- संदर्भ – यह पंक्तियाँ पाठ्यपुस्तक स्पर्श भाग – 1 की कविता ‘गीत-अगीत’ से ली गई हैं, जिसके रचनाकार रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हैं।
व्याख्या – इन पंक्तियों में कवि एक गुलाब के मनोभावों को व्यक्त करते हैं। गुलाब सोचता है कि यदि ईश्वर ने उसे भी बोलने की शक्ति दी होती, तो वह अपने पतझर के दुख और पीड़ा को दुनिया के सामने गीत के रूप में प्रकट करता।
2. गाता शुक जब किरण वसंती
छूती अंग पर्ण से छनकर
उत्तर:- संदर्भ – यह पंक्तियाँ स्पर्श भाग – 1 में संकलित रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता ‘गीत-अगीत’ से उद्धृत हैं।
व्याख्या – कवि चित्रित करते हैं कि जब वसंत ऋतु की सुनहरी धूप पत्तों से छनकर आती है और तोते के शरीर को स्पर्श करती है, तो वह आनंद से भर उठता है और मधुर स्वर में गाने लगता है।
3. हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की
बिधना यों मन में गुनती है
उत्तर:- संदर्भ – यह पंक्तियाँ स्पर्श भाग – 1 की कविता ‘गीत-अगीत’ से ली गई हैं, जिसके रचनाकार रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हैं।
व्याख्या – इन पंक्तियों में प्रेमिका अपने हृदय की इच्छा व्यक्त करती है। प्रियतम का मधुर गीत सुनते हुए वह मन ही मन सोचती है कि काश वह भी उस गीत का एक हिस्सा बन पाती, ताकि सदा उसके साथ जुड़ी रह सकती।
Answer by Mrinmoee