Chapter 19
केदारनाथ अग्रवाल
प्रश्न 1.कवि के आशावादी दृष्टिकोण पर प्रकाश डालें।
उत्तर-कवि केदारनाथ अग्रवाल की दृष्टि में भविष्य और जीवन उज्ज्वल और आशापूर्ण है। उन्होंने अपनी कविता में यह संदेश दिया है कि भारत का हर नागरिक सम्मान, सुख-समृद्धि और ज्ञान-वैज्ञानिक उन्नति से परिपूर्ण जीवन जी सके। कवि निराशा या क्लेश को स्वीकार नहीं करते; उनका दृष्टिकोण हमेशा सकारात्मक और उत्साहवर्धक है।
कवि ने भारत का एक ऐसा चित्र उकेरा है, जहाँ कोई भी क्षेत्र या व्यक्ति दुर्बल या दीन-हीन नहीं दिखाई देता। उनके हृदय में आशाओं की किरणें निरंतर प्रस्फुटित रहती हैं और वह चाहते हैं कि जन-मन उल्लास, खुशियों और समृद्धि से झूम उठे। उनके अनुसार ज्ञान, विद्या और साधन-संपन्नता के माध्यम से जीवन में नव चेतना का संचार होना चाहिए।
इस प्रकार, कवि का आशावादी दृष्टिकोण केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र और उसकी जनता के कल्याण से जुड़ा है, जिसमें अभाव, कष्ट और पीड़ा की कोई जगह नहीं है।
प्रश्न 2.कवि के मन में आजाद हिन्दुस्तान की कैसी कल्पना है?
उत्तर-कवि केदारनाथ अग्रवाल की दृष्टि में आजाद हिन्दुस्तान एक ऐसा देश है जहाँ हर नागरिक साधन-संपन्न, सम्मानित और खुशहाल जीवन जी सके। कवि की कल्पना में हर घर गीतों और उल्लास से भरा हो, जहाँ हर ओर प्रसन्नता और उमंग का वातावरण हो।
प्रश्न 3.कवि आजाद हिन्दुस्तान में गीतों और फूलों की खेती क्यों करना चाहता है ?
उत्तर-कवि केदारनाथ अग्रवाल आजाद भारत में गीतों और फूलों की खेती इसलिए करना चाहते हैं ताकि भारतीय जीवन हर ओर सौंदर्य, उल्लास और प्रसन्नता से भरपूर दिखाई दे। फूलों का प्रतीक भारत के हर कोने में हर्ष और समृद्धि का है, जबकि गीतों का प्रतीक यह दर्शाता है कि हर घर और हर जीवन आनंद, उत्साह और खुशी से गूँजता रहे।
प्रश्न 4.इस कविता में विद्या की खेती का क्या अभिप्राय है?
उत्तर-कवि केदारनाथ अग्रवाल इस कविता में विद्या की खेती का अर्थ यह प्रकट करना चाहते हैं कि आजाद भारत में हर घर और हर व्यक्ति शिक्षा और ज्ञान से सम्पन्न हो। विद्या के प्रकाश से जीवन में अज्ञान और अंधकार नहीं रहेगा।
प्रश्न 5.इस कविता के केन्द्रीय भाव पर प्रकाश डालें।
उत्तर-कवि केदारनाथ अग्रवाल की कविता ‘पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ का केन्द्रीय भाव आशावाद और जनकल्याण पर आधारित है। इसमें कवि ने आजाद भारत का ऐसा रूप दर्शाया है जहाँ हर नागरिक मान-सम्मान, स्वतंत्रता, ज्ञान, विज्ञान और खुशियों से संपन्न हो।
प्रश्न 6.कवि की राष्ट्रीय-भावना पर प्रकाश डालें।
उत्तर-कवि केदारनाथ अग्रवाल की कविता ‘पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ में राष्ट्रीय-भावना का मुख्य उद्देश्य जन-जन में राष्ट्रप्रेम और नवजागरण की चेतना जागृत करना है। कवि ने आजाद भारत की ऐसी कल्पना की है जहाँ हर नागरिक क्लेश-रहित, प्रसन्नचित्त और सुखी हो।
प्रश्न 7.“मैं कहता हूँ। फिर कहता हूँ’ में कवि के किस भाव का अभिव्यक्ति हुई है ?
उत्तर-कविता ‘पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ में “मैं कहता हूँ, फिर कहता हूँ” पंक्तियों के माध्यम से कवि केदारनाथ अग्रवाल ने अपने दृढ़ विश्वास और आशावादी भावों को व्यक्त किया है। यहाँ कवि लगातार यह दोहराता है कि आजाद भारत में हर नागरिक का जीवन सुख-समृद्धि और खुशियों से भरपूर होगा।
प्रश्न 8.‘मोरों-सा नर्तन’ के पीछे कवि का तात्पर्य क्या है ?
उत्तर-कविता ‘पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ में “मोरों-सा नर्तन” के माध्यम से कवि केदारनाथ अग्रवाल आजाद भारत में जनता की प्रसन्नता और आनंद का चित्र प्रस्तुत करते हैं। यहाँ कवि यह व्यक्त करना चाहते हैं कि जब भारत स्वतंत्र होगा और सबकी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति होगी, तब जन-जीवन खुशहाल, समृद्ध और आनंदित होगा।
प्रश्न 9.इस कविता के उद्देश्य पर प्रकाश डालें।
उत्तर-कविता ‘पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ का मुख्य उद्देश्य एक स्वतंत्र, समृद्ध और सुखी भारत की कल्पना को प्रकट करना है। कवि केदारनाथ अग्रवाल इस कविता के माध्यम से यह संदेश देते हैं कि आजाद भारत में हर व्यक्ति का जीवन मान-सम्मान, खुशी और समृद्धि से परिपूर्ण होगा।
कवि की यह कामना है कि भारत का प्रत्येक घर-आँगन, खेत-खलिहान गीतों और फूलों से जीवन्त और प्रसन्नचित्त हो। यहाँ कोई भी व्यक्ति दुख, क्लेश या गरीबी में न रहे। विद्या और ज्ञान का प्रकाश हर घर तक पहुँचे और लोगों के जीवन में नई चेतना, नयी ऊर्जा और नवजागरण का संचार हो।
कविता में यह भी दर्शाया गया है कि स्वतंत्रता मिलने के बाद भारतीय जन-जीवन में सामूहिक उत्साह, आनंद और सहयोग की भावना फैलेगी। जनता खुशहाल और प्रसन्नचित्त होकर अपने जीवन का उत्सव मनाएगी, जैसे मोर नृत्य करते हैं। इस प्रकार कविता का उद्देश्य व्यक्तिगत सुख-शांति के साथ-साथ राष्ट्रीय समृद्धि और सामाजिक मंगल की कल्पना को उजागर करना है।
प्रश्न 10.निम्नांकित पंक्तियों का भाव स्पष्ट करें:-
(क) क्लेश जहाँ है,
फूल खिलेगा;
हमको तुमको त्रान मिलेगा…..।
उत्तर-कविता ‘पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ की इन पंक्तियों में कवि केदारनाथ अग्रवाल ने आजाद और सुखी भारत की कल्पना प्रस्तुत की है। कवि कहना चाहता है कि जहाँ आज तक क्लेश, दुख और गुलामी का राज रहा है, वहाँ शीघ्र ही परिवर्तन होगा। भारत स्वतंत्र होगा और हर घर-आँगन में खुशियों की बहार फैलेगी।
जनता गुलामी से मुक्ति पाएगी और उनके चेहरे पर प्रसन्नता की झलक दिखाई देगी। हर जगह नव-जागरण की चेतना जागेगी और विद्या एवं ज्ञान की किरणें घर-घर आलोकित होंगी। प्रत्येक व्यक्ति जीवन में आनंद, मान-सम्मान और स्वतंत्रता का अनुभव करेगा।
इन पंक्तियों में कवि का भाव यही है कि भारत का प्रत्येक नागरिक सुखी, समृद्ध और प्रसन्नचित्त हो; जनता को सभी प्रकार की कठिनाइयों से मुक्ति मिले और देश में स्थायी शांति और विकास की स्थिति बनी रहे।
प्रश्न 10.(ख) निम्नांकित पंक्तियों की व्याख्या करें:
दीप बुझे हैं ‘जिन आँखों के
इन आँखों को ज्ञान मिलेगा…।
उत्तर–कविता ‘पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ की इन पंक्तियों में कवि केदारनाथ अग्रवाल भारतीय जनता की वर्तमान दुखद और उदासीन स्थिति को दर्शाते हैं। जहाँ लोगों की आँखों में दीप बुझ चुके हैं, यानि उनके हृदय में निराशा और पीड़ा व्याप्त है, वहाँ शीघ्र ही बदलाव आएगा।
कवि की कामना है कि भारत की जनता को ज्ञान और शिक्षा का प्रकाश प्राप्त हो, जो उनके जीवन को उज्जवल और प्रसन्नचित्त बनाए। गुलामी और क्लेश से पीड़ित जन-जीवन अब मुक्त होगा। हर घर में खुशियाँ फैलेंगी और ज्ञान का दीप जल उठेगा। जनता सभी प्रकार की कठिनाइयों और अभावों से मुक्त होकर जीवन में आनंद, शांति और नव चेतना का अनुभव करेगी।
इन पंक्तियों में कवि ने यह स्पष्ट किया है कि आज़ादी आने के साथ ही भारतीय जन-मन में नई आशा, प्रसन्नता और उज्जवल भविष्य की किरणें चमकेंगी।
पाठ से:
प्रश्न 1. बसंन्ती हवा ने अपने आपको दुसरे मुसाफिरों से अलग क्यों बताया ?
उत्तर- बसंन्ती हवा ने अपने आप को दूसरों मुसाफिरों से इसलिए अलग बताया क्योंकि उसका कोई निश्चित मंज़िल या लक्ष्य नहीं है। वह जहाँ अपनी मनमर्जी होती है, वहाँ freely घूमती रहती है। न उसका कोई घर है, न कोई निश्चित उद्देश्य। दूसरी तरफ, साधारण मुसाफिरों का कोई निश्चित लक्ष्य होता है और वे उस उद्देश्य को पाने के लिए निश्चित मार्ग का पालन करते हैं। इसके विपरीत बसंती हवा मस्तमौला की तरह बिना किसी पाबंदी या सीमा के अपना रास्ता तय करती है और अपने आनंद में निरंतर बहती रहती है।
प्रश्न 2. इस पाठ में कवि ने खेत-खलिहानों के हँसने की बात कही है। ऐसा उसने क्यों कहा?
उत्तर-कवि ने खेत-खलिहानों के हँसने की बात इसलिए कही क्योंकि वसंत में हरियाली अपने पूरे सौंदर्य पर होती है। खेत हरे-भरे हो जाते हैं, सरसों के पीले फूल खिल उठते हैं, अलसी के नीले फूल झूमते हैं। जब वसंत की हवा चलती है, तो पौधे लहराते हैं और सूरज की किरणों में खेत जैसे चमक उठते हैं। यह दृश्य ऐसा प्रतीत होता है जैसे खेत-खलिहान खुशी से हँस रहे हों। इसलिए कवि ने इस दृश्य को इसी रूप में व्यक्त किया है।
प्रश्न 3. ‘बसंती हवा‘ का कौन-सा अंश आपको सबसे ज्यादा प्रभावित करता है?
उत्तर-‘‘जहाँ से चली मैं ……….. बसंती हवा हूँ।‘‘ यह अंश मुझे सबसे अधिक प्रभावित करता है क्योंकि इसमें बसंती हवा की मस्ती, आनंद और मुक्तप्रवाहिता का सुंदर चित्रण है। जब यह हवा बहती है, तो उसके स्पर्श से शहर, गाँव, खेत, तालाब, नदी, मैदान—सभी जीवंत हो उठते हैं। वातावरण में मधुरता और जीवन की नयी ऊर्जा फैल जाती है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे बसंती हवा के साथ पूरे जगत में नवचेतना और उल्लास का संचार हो गया हो।
पाठ से आगे:
प्रश्न 1. वसंत का आगमन कब होता है? इस ऋतु में आप कैसा अनुभव करते हैं?
उत्तर-बसंत ऋतु का आगमन शरद ऋतु के समाप्त होने के बाद यानी जनवरी के मध्य से माना जाता है। इस समय प्रकृति नई जीवंतता और सुंदरता से भर उठती है। पेड़-पौधे फूलों और नई पत्तियों से सज जाते हैं, वातावरण सुगंध और ताजगी से भर जाता है। न तो गर्मी अधिक रहती है और न ही सर्दी कड़ाके की, इसलिए यह मौसम सुखद और मन को आनंदित करने वाला अनुभव देता है।
प्रश्न 2. इस पाठ को पढ़ने के बाद हवा के प्रति आपके मन में किस प्रकार के भाव उठते हैं ? लिखिए।
उत्तर- इस पाठ को पढ़ने के बाद वसंत की हवा के प्रति मेरे मन में उत्सुकता और आकर्षण का भाव जाग उठता है। मुझे लगता है कि वसंत हवा स्वतंत्र, मस्तमौला और निडर है, जो अपनी मनमर्जी से बहती है और चारों ओर जीवन का उत्साह और ताजगी भर देती है।
प्रश्न 3. सरस्वती पूजा को वसंत पंचमी के नाम से भी जानते हैं। सरस्वती पूजा पर एक निबंध लिखिए।
उत्तर- बसंत पंचमी के दिन विद्या और बुद्धि की देवी सरस्वती का पूजन बड़े श्रद्धा और उल्लास के साथ किया जाता है। इस दिन विद्यालय और घरों को सुंदर सजावट से सजाया जाता है। लोग इस दिन सरस्वती की पूजा करके विद्या और ज्ञान प्राप्ति की कामना करते हैं। विद्या की देवी सरस्वती की कृपा से ही महापुरुष जैसे बाल्मीकि, व्यास, कालिदास, सूरदास और तुलसीदास जैसे महान विद्वान हुए हैं।