Chapter 1
प्रश्न 1. ईश्वरात् काः निवर्तन्ते ?
(A) वाच:
(B) मनसाः
(C) विद्या:
(D) धनम्
उत्तर- (A)
प्रश्न 2. कः ल बिभेति ?
(A) पापम्
(B) विद्वान्
(C) मुर्खम्
(D) ब्रह्मणम्
उत्तर- (B)
प्रश्न 3. ब्रह्मणः किम् स्वरूपम् ?
(A) आनन्दं
(B) देव:
(C) दुखम्
(D) दुखम्
उत्तर- (A)
प्रश्न 4. सर्वभूतेषु क: चेता ?
(A) साक्षी
(B) मनसा:
(C) देवा:
(D) पापम्
उत्तर- (A)
प्रश्न 5. तमसो मा कः गमय ?
(A) आनन्दं
(B) सत्य:
(C) ज्योति:
(D) दुख:
उत्तर- (C)
प्रश्न 6. ….. मा सद्गमयः
(A) असतो
(B) ज्योति:
(C) वेधं
(D) परं
उत्तर- (A)
प्रश्न 7. नमः ……… पृष्ठतस्ये ।
(A) ज्योति:
(B) असतो
(C) पुरस्तादथ
(D) वेधम्
उत्तर- (C)
प्रश्न 8. वेत्तासि …….. च परं च धाम ।
(A) नम:
(B) वेधं
(C) असतो
(D) गूढ़ :
उत्तर- (B)
प्रश्न 9. ……. न विभेति ।
(A) विद्वान्
(B) ब्रह्मण:
(C) ज्योति:
(D) देव:
उत्तर- (A)
प्रश्न 10. सर्वभूतेषु …….. चेताः ।
(A) सत्य:
(B) विद्वान्
(C) गुढ़:
(D) साक्षी
उत्तर- (D)
प्रश्न 11. वेत्तासि वेधं च …….. च धाम ।
(A) परं
(B) ज्योति:
(C) नमम्
(D) सर्वत:
उत्तर- (A)
प्रश्न 12. तमसो मा ……… गमय ।
(A) असतो
(B) सत्य:
(C) ज्योति:
(D) वेधं
उत्तर- (C)
प्रश्न 13. एको देवः ……… गूढ़ः ।
(A) सर्वव्यापी
(B) अन्तरात्मा
(C) सर्वभूतेषु
(D) चेता:
उत्तर- (C)
1. एकपदेन उत्तरं वदत (एक शब्द में उत्तर दीजिए)
(क) ईश्वरात् काः निवर्तन्ते? (ईश्वर से क्या लौट जाता है?)
उत्तर: वाचः (वाणी)
(ख) केन सह ताः निवर्तन्ते? (किसके साथ वह लौट जाता है?)
उत्तर: मनसा (मन के साथ)
(ग) ब्रह्मणः किं स्वरूपम्? (ब्रह्म का स्वरूप क्या है?)
उत्तर: आनन्दम् (आनंद)
(घ) कः न बिभेति? (कौन नहीं डरता?)
उत्तर: विद्वान् (जानने वाला)
(ङ) तमसः कुत्र गन्तुमिच्छति? (अंधेरे से कहाँ जाना चाहता है?)
उत्तर: ज्योतिः (प्रकाश की ओर)
2. एतानि पद्यानि एकपदेन मौखिक रूपेण पूरयत (इन छंदों को एक शब्द में मौखिक रूप से पूरा कीजिए)
(क) यतो वाचो……….
उत्तर: निवर्तन्ते (लौट जाती है)
(ख) आनंद ब्रह्मणो……….
उत्तर: विद्वान् (जानने वाला)
(ग) सर्वभूतेषु……….
उत्तर: गूढः (छिपा हुआ)
(घ) केवलो……….
उत्तर: निर्गुणश्च (निर्गुण भी)
(ङ) त्वमस्य विश्वस्य परं……….
उत्तर: निधानम् (आश्रय)
3. एतेषां पदानां अर्थ वदत (इन शब्दों के अर्थ बताइए)
उत्तर:
- विद्वान् = जानने वाला, पंडित (जो ज्ञान रखता हो)
- गूढः = छिपा हुआ (जो दिखाई न दे)
- बिभेति = डरता है (भयभीत होता है)
- कुतश्चन = किसी से भी (किसी भी कारण से)
- ततम् = व्याप्त (चारों ओर फैला हुआ)
4. स्वस्मृत्या काञ्चित् संस्कृतप्रार्थनां श्रावयत (अपनी स्मृति से कोई संस्कृत प्रार्थना सुनाइए)
उत्तर:
त्वमेव माता च पिता त्वमेव (तू ही माता है और तू ही पिता है)
त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव (तू ही बंधु है और तू ही मित्र है)
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव (तू ही विद्या है और तू ही धन है)
त्वमेव सर्वं मम देव देव (तू ही मेरे लिए सब कुछ है, हे देवों के देव)
अभ्यासः (लिखितः)
1.संधिविच्छेदं कुरुत (संधि-विच्छेद कीजिए)
उत्तर:
(क) कुतश्चन = कुतः + चन
(ख) ज्योतिर्गमय = ज्योतिः + गमय
(ग) वेत्तासि = वेत्ता + असि
(घ) नमोऽस्तु = नमः + अस्तु
(ङ) ततोऽसि = ततः + असि
2. प्रकृति-प्रत्यय-विच्छेदं कुरुत (प्रकृति-प्रत्यय विच्छेद कीजिए)
उत्तर:
(क) अप्राप्य = अ + प्राप् + ल्यप्
(ख) विद्वान् = विद् + शतृ
(ग) गूढः = गुह् + क्त
(घ) ततम् = तत् + क्त
(ङ) वेद्यम् = विद् + ण्यत्
3. समासविग्रहं कुरुत (समास-विग्रह कीजिए)
उत्तर:
(क) सर्वभूतेषु = सर्वं भूतानि तेषु (सभी प्राणियों में)
(ख) कर्माध्यक्षः = कर्मणाम् अध्यक्षः (कर्मों का अध्यक्ष)
(ग) अनन्तरूपः = अनन्तं रूपं यस्य सः (जिसके अनंत रूप हैं)
(घ) सर्वभूताधिवासः = सर्वं भूतानाम् अधिवासः (सभी प्राणियों का निवास)
(ङ) अमितविक्रमः = अमितः विक्रमः (असीम पराक्रम वाला)
4. रिक्त स्थानानि पूरयत (रिक्त स्थान पूर्ण कीजिए)
(क) ………. मा सद्गमय।
उत्तर: असतो
(असत् से मुझे सत् की ओर ले जा)
(ख) तमसो मा ………. गमय।
उत्तर: ज्योतिर्गमय
(अंधेरे से मुझे प्रकाश की ओर ले जा)
(ग) नमः ………. पुरस्तादथ पृष्ठतस्ते।
उत्तर: पुरस्तात्
(आगे और पीछे तुझे नमस्ते)
(घ) वेत्तासि ………. च ………. च धाम।
उत्तर: वेद्यम् / परम्
(तू जानता है वेद्य और परम धाम को)
5. अधोनिर्दिष्टानां पदानां स्ववाक्येषु प्रयोगं कुरुत (नीचे दिए गए शब्दों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए)
उत्तर:
(क) बिभेति = बालकः सर्पात् बिभेति। (बच्चा साँप से डरता है।)
(ख) निवर्तते = विद्यार्थी गृहात् निवर्तते। (विद्यार्थी घर से लौटता है।)
(ग) वेत्ता = ईश्वरः सर्वं वेत्ता। (ईश्वर सब कुछ जानता है।)
(घ) सर्वतः = ग्रामं सर्वतः वृक्षाः संनाधति। (गाँव को चारों ओर से वृक्ष घेरे हुए हैं।)
(ङ) नमः = गणेशाय नमः। (गणेश जी को नमस्ते।)
प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: उपनिषद् और भगवद्गीता का महत्व क्या है?
उत्तर: उपनिषद् और भगवद्गीता मानव जीवन के लिए अनमोल ग्रंथ हैं। उपनिषदों में ऋषियों ने ब्रह्म, आत्मा, अद्वैत, कर्म और ज्ञान के महत्वपूर्ण विचार दिए हैं। भगवद्गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को जीवन, धर्म और कर्म का मार्ग दिखाया है। ये दोनों ग्रंथ हमें सोचने, सीखने और आध्यात्मिक रूप से विकसित होने की दिशा देते हैं।
प्रश्न 2: उपनिषदों का मुख्य विषय क्या है?
उत्तर: उपनिषदों में ब्रह्म, आत्मा, अद्वैत, सृष्टि, प्राण, कर्म और ज्ञान के बारे में शिक्षा दी गई है। ये ग्रंथ जीवन के गूढ़ रहस्यों और आध्यात्मिक अनुभव को समझने में हमारी मदद करते हैं।
प्रश्न 3: भगवद्गीता किस महाकाव्य में आती है और इसका उद्देश्य क्या है?
उत्तर: भगवद्गीता महाभारत के भीष्मपर्व (अध्याय 25-42) में है। इसका उद्देश्य लोगों को कर्म करने की प्रेरणा देना, धर्म और नैतिकता का मार्ग दिखाना और जीवन में आध्यात्मिक ज्ञान से मार्गदर्शन करना है।
प्रश्न 4: उपनिषदों का विकास किस समय और किन वेदों के अंतर्गत हुआ?
उत्तर: उपनिषदों का विकास वैदिक साहित्य के ज्ञानखंड में हुआ। ये विभिन्न वेदों से संबंधित हैं: ऋग्वेद में ऐतरेय, शुक्लयजुर्वेद में ईशावास्य और बृहदारण्यक, कृष्णयजुर्वेद में तैत्तिरीय और कठ, सामवेद में केन और छान्दोग्य, तथा अथर्ववेद में मुण्डक, माण्डूक्य और प्रश्न उपनिषद शामिल हैं।
प्रश्न 5: बृहदारण्यक और छान्दोग्य उपनिषदों का आकार और महत्व क्या है?
उत्तर: बृहदारण्यक और छान्दोग्य उपनिषद दोनों सबसे बड़ी उपनिषदें हैं। इनमें ब्रह्म, आत्मा और जीवन के गूढ़ दार्शनिक विचार विस्तार से दिए गए हैं।
प्रश्न 6: माण्डूक्य उपनिषद का विशेष क्या है?
उत्तर: माण्डूक्य उपनिषद उपनिषदों में सबसे छोटी है, जिसमें केवल 12 मंत्र हैं। इसके बावजूद यह अद्वैत, ब्रह्म और आत्मा के उच्चतम ज्ञान को संक्षेप में प्रस्तुत करती है।
प्रश्न 7: भगवद्गीता में कुल कितने अध्याय और श्लोक हैं?
उत्तर: भगवद्गीता में 18 अध्याय हैं और कुल 700 श्लोक हैं।
प्रश्न 8: उपनिषदों और भगवद्गीता में ज्ञान का स्वरूप किस प्रकार है?
उत्तर: उपनिषदों और भगवद्गीता का ज्ञान आध्यात्मिक और दार्शनिक है। यह हमें हमारे कर्म, धर्म और जीवन के उद्देश्य समझने में मदद करता है और ब्रह्म के गूढ़ तत्वों के प्रति जागरूक बनाता है।
प्रश्न 9: “यतो वाचो निवर्तन्ते अप्राप्य मनसा सह” का अर्थ क्या है?
उत्तर: इसका अर्थ है कि कुछ बातें ऐसी होती हैं जिन्हें शब्दों में नहीं कहा जा सकता, उन्हें केवल मन से ही समझा जा सकता है। यह ज्ञान और आनंद के गहरे अनुभव को दिखाता है।
प्रश्न 10: “असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मा अमृतं गमय” का संदेश क्या है?
उत्तर: इस मंत्र का संदेश है कि हमें असत्य से सत्य, अंधकार से प्रकाश और मृत्यु से अमरता की ओर बढ़ना चाहिए। यह हमें आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष की ओर मार्गदर्शन करता है।
प्रश्न 11: “एको देवः सर्वभूतेषु गूढः” का भाव क्या है?
उत्तर: इसका अर्थ है कि एक ही परमेश्वर सभी जीवों में छिपा हुआ है। वह हर जगह मौजूद है, सभी जीवों के अंदर वास करता है और सभी कर्मों का संचालन करता है।
प्रश्न 12: “त्वमादिदेवः पुरुषः पुराणः त्वमस्य विश्वस्य परं निधानम्” का संदेश क्या है?
उत्तर:इस श्लोक का संदेश है कि परमेश्वर ही सभी चीजों का आदिकर्ता और आधार है। उसकी शक्ति अनंत है और वह पूरे ब्रह्मांड में सर्वोच्च स्थान रखता है।
प्रश्न 13: “नमः पुरस्तादथ पृष्ठतः” का अर्थ क्या है?
उत्तर: इसका अर्थ है कि परमेश्वर को सभी दिशाओं में सम्मान और श्रद्धा दी जाती है। उसका आदर पूरे ब्रह्मांड में समान रूप से होता है।
प्रश्न 14: उपनिषद् और भगवद्गीता मानव जीवन में किस प्रकार मार्गदर्शन करते हैं?
उत्तर: ये ग्रंथ हमें हमारे कर्म, धर्म और योग के मार्ग पर चलना सिखाते हैं। साथ ही, ये जीवन में धैर्य, स्थिरता और आध्यात्मिक चेतना विकसित करने में मदद करते हैं।
प्रश्न 15: भगवद्गीता का स्वाध्याय और स्वतंत्र व्याख्याओं का महत्व क्या है?
उत्तर: भगवद्गीता की व्याख्याएँ, जैसे कि बालगंगाधर तिलक, महात्मा गांधी और विनोबा भावे ने लिखी, इसे समझने में आसान बनाती हैं। इन व्याख्याओं से इसका आध्यात्मिक, सामाजिक और राष्ट्रीय महत्व और बढ़ गया है।
प्रश्न 16: उपनिषदों में ब्रह्म और आत्मा का क्या स्वरूप बताया गया है?
उत्तर: उपनिषदों में ब्रह्म और आत्मा को असीम, सर्वव्यापी और प्रत्येक जीव के अंदर विद्यमान बताया गया है। यह अद्वैत और गहरे आध्यात्मिक सत्य को दर्शाता है।
प्रश्न 17: “अनन्तवीर्यमितविक्रमस्त्वं सर्व समाप्नोषि ततोऽसि सर्वः” का क्या अर्थ है?
उत्तर:इसका मतलब है कि परमेश्वर में असीम शक्ति और अद्भुत पराक्रम है। वह सब कुछ अपने अंदर समेटता है और इसी कारण सर्वशक्तिमान कहलाता है।
प्रश्न 18: उपनिषद और भगवद्गीता में कर्म का महत्व किस प्रकार बताया गया है?
उत्तर: उपनिषद और भगवद्गीता में कर्म को जीवन का महत्वपूर्ण अंग बताया गया है। मनुष्य को धर्म और नैतिकता के अनुसार कर्म करना चाहिए और उनके परिणामों को समझकर जीवन में संतुलन और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करनी चाहिए।
प्रश्न 19: उपनिषदों में अद्वैत का क्या महत्व है?
उत्तर: अद्वैत का मतलब है कि सब कुछ एक ही तत्व से बना है। यह ज्ञान हमें हमारे और ब्रह्म के गहरे संबंध को समझने में मदद करता है और आत्मा की एकता का अनुभव कराता है।
प्रश्न 20: उपनिषद और भगवद्गीता का वर्तमान समय में महत्व क्या है?
उत्तर: आज के समय में उपनिषद और भगवद्गीता हमें मानसिक शांति, नैतिक जागरूकता और आध्यात्मिक मार्गदर्शन देती हैं। स्वतंत्रता संग्राम के समय और समाज सुधार में भी इन्हें जीवन का आधार माना गया।
Answer by Mrinmoee