Chapter 19
दिव्यांगता अभिशाप नहीं
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1. नरेश को कहाँ जाना था और वह कैसे पहुँचा?
उत्तर: नरेश को दूसरे शहर जाना था, इसलिए वह स्टेशन जा रहा था। वह चौराहे से एक ऑटो-रिक्शा में बैठकर स्टेशन पहुँचा।
2. ऑटो रिक्शा कौन चला रहा था?
उत्तर: एक दिव्यांग युवक जो बैसाखियों के सहारे चलता था, वह ऑटो रिक्शा चला रहा था।
3. नरेश को उस युवक पर भरोसा क्यों नहीं हुआ?
उत्तर: क्योंकि युवक दिव्यांग था, इसलिए नरेश को शक हुआ कि वह ऑटो कैसे चला पाएगा।
4. दिव्यांग युवक ने नरेश से क्या कहा?
उत्तर: उसने कहा – “भरोसा तो कीजिए भाई साहब!”
5. रमेश को कौन-सी बीमारी थी और उसके कारण क्या हुआ?
उत्तर: रमेश को बचपन में पोलियो हो गया था, जिसके कारण उसकी एक टाँग खराब हो गई।
6. रमेश ने पढ़ाई कहाँ तक की?
उत्तर: रमेश ने बारहवीं तक की पढ़ाई की और फिर आगे की पढ़ाई के साथ काम करने की योजना बनाई।
7. रमेश ने कौन सा काम शुरू किया?
उत्तर: रमेश ने बैंक से कर्ज लेकर एक ऑटो रिक्शा खरीदा और वह खुद ऑटो चलाने लगा।
8. नरेश को रमेश के बारे में क्या अचरज हुआ?
उत्तर: नरेश को यह देखकर अचरज हुआ कि एक दिव्यांग युवक इतनी कुशलता से ऑटो चला सकता है और उसे समय पर स्टेशन पहुँचा सकता है।
9. राजाराम को जन्म से क्या दिक्कत थी?
उत्तर राजाराम को जन्म से दिखाई नहीं देता था (नेत्रहीन थे)।
10. राजाराम ने कहाँ पढ़ाई की और अब क्या करते हैं?
उत्तर: राजाराम ने दिव्यांगों के लिए विशेष स्कूल में पढ़ाई की और आगे चलकर ऊँची शिक्षा प्राप्त की। अब वे बैंक में नौकरी करते हैं।
11. दृष्टि बाधित लोग कैसे पढ़ते हैं?
दृष्टि बाधित लोग ब्रेल लिपि के माध्यम से पढ़ते हैं, जिसमें अक्षरों को छूकर महसूस किया जाता है।
12. ब्रेल लिपि क्या है?
उत्तर: ब्रेल लिपि एक विशेष प्रकार की लिपि है जिसे अंधे या दृष्टिहीन लोग अपनी उंगलियों से छूकर पढ़ते हैं।
13. ब्रेल लिपि के जनक कौन थे?
उत्तर: ब्रेल लिपि के जनक लुई ब्रेल थे। वे स्वयं भी दृष्टिहीन थे।
14. लुई ब्रेल कैसे अंधे हुए थे?
उत्तर: लुई ब्रेल बचपन में खेलते समय अपनी आँखें खो बैठे थे।
15. लुई ब्रेल कैसे अपने घर के कामों में मदद करते थे?
उत्तर: लुई सुबह कुएँ से पानी लाते थे और घर के कामों में अपनी माँ की मदद करते थे।
16. लुई ब्रेल कैसे रास्ता पहचानते थे?
उत्तर: लुई एक पतली छड़ी लेकर चलते थे और छड़ी से रास्ता टटोलते थे। साथ ही वे खुशबू और आवाज से भी चीज़ों की पहचान करते थे।
प्रश्न और उत्तर (प्रश्न ऊपर, उत्तर नीचे)
1. लुई ब्रेल को लोग क्या कहकर बुलाते थे जिससे उन्हें गुस्सा आता था?
उत्तर: लोग उन्हें "बेचारा लुई" कहकर बुलाते थे, जिससे उन्हें गुस्सा आता था।
2. लुई ब्रेल ने कैसे ज्ञान प्राप्त किया?
उत्तर: लुई ब्रेल पढ़ नहीं सकते थे, लेकिन वे लोगों से बातें करते और कहानियाँ सुनते थे। इससे उन्होंने बहुत कुछ सीखा।
3. पहले दृष्टिबाधित बच्चों की पढ़ाई में क्या कठिनाई थी?
उत्तर: पहले किताबें नहीं होती थीं। हर अक्षर को कागज पर उभारा जाता था, लेकिन कुछ अक्षरों को छूकर पहचानना बहुत मुश्किल होता था।
4. ब्रेल लिपि किसने बनाई?
उत्तर: ब्रेल लिपि लुई ब्रेल ने बनाई।
5. ब्रेल लिपि कैसे काम करती है?
उत्तर: ब्रेल लिपि में मोटे कागज पर सूजे से छेद किए जाते हैं। छेदों की वजह से दूसरी ओर उभार बन जाते हैं जिन्हें दृष्टिबाधित व्यक्ति अपनी उंगलियों से छूकर पहचानता है।
6. लुई को जब दिखाई नहीं देता था, तब वे क्या करते थे और वह चीज़ों को कैसे पहचानते थे?
उत्तर: लुई ब्रेल को बचपन में ही दिखाई नहीं दिया था, लेकिन उन्होंने चीजों को पहचानने के लिए अपनी अन्य इन्द्रियों का इस्तेमाल किया। वे चीज़ों को उनकी खुशबू से पहचानते थे और आवाज़ों से भी चीज़ों का अनुमान लगाते थे। उन्होंने अपना जीवन स्वावलंबी तरीके से जीने की कोशिश की और एक छड़ी का उपयोग किया, जिससे वह अपने रास्ते की पहचान कर पाते थे। उन्होंने विभिन्न आवाज़ों से अपने आस-पास के लोगों को भी पहचान लिया था।
7. रमेश के दिव्यांग होने का क्या कारण था?
उत्तर: रमेश को बचपन में पोलियो हो गया था, जिसके कारण उसकी एक टाँग खराब हो गई थी। हालांकि, उसने अपनी दिव्यांगता को अपने जीवन की बाधा नहीं बनने दिया और उसने कक्षा बारहवीं तक की पढ़ाई पूरी की। फिर उसने बैंक से कर्ज लेकर एक ऑटो-रिक्शा खरीदा और अब वह अपने परिवार का भरण-पोषण करता है। रमेश का उदाहरण हमें यह दिखाता है कि अगर हम आत्मविश्वास और मेहनत से काम करें तो कोई भी कठिनाई हमें रोक नहीं सकती।
8. ब्रेल लिपि में पढ़ने व लिखने की विधि में क्या अन्तर है और क्यों?
उत्तर: ब्रेल लिपि में पढ़ने और लिखने की विधि में मुख्य अंतर यह है कि लिखते वक्त हमें दाएँ से बाएँ लिखना होता है, जबकि पढ़ते वक्त हम बाएँ से दाएँ पढ़ते हैं। इसका कारण यह है कि ब्रेल लिपि में जो बिंदियाँ उकेरी जाती हैं, उन्हें दाएँ से बाएँ उकेरा जाता है, लेकिन उन्हें छूकर पढ़ते वक्त हम कागज को पलट कर बाएँ से दाएँ पढ़ते हैं।
9. जो लोग सुन नहीं पाते हैं, वे कैसे अपने विचारों को दूसरों तक पहुँचाते हैं?
उत्तर: जो लोग सुन नहीं पाते हैं, वे आमतौर पर सांकेतिक भाषा (Sign Language) का उपयोग करते हैं। सांकेतिक भाषा में हाथों और चेहरे की भावनाओं के माध्यम से संवाद किया जाता है। यह एक ऐसी विधि है जो सुनने में असमर्थ व्यक्तियों को अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने में मदद करती है। इसके अलावा, ब्रेल लिपि का उपयोग दृष्टिबाधितों द्वारा किया जाता है ताकि वे भी लिखित शब्दों के माध्यम से संवाद कर सकें।
10. तुम किस प्रकार किसी दिव्यांग को सक्षम बनने के लिए प्रेरित कर सकते हो?
उत्तर: किसी दिव्यांग को सक्षम बनाने के लिए हमें उसे प्रोत्साहित करना होगा और उसे यह विश्वास दिलाना होगा कि वह भी अन्य लोगों की तरह अपनी ज़िन्दगी जी सकता है। हम निम्नलिखित तरीकों से मदद कर सकते हैं:
शिक्षा और प्रशिक्षण: दिव्यांगों को शिक्षा और कौशल विकास में मदद करके उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करें।
समाज में समावेशन: दिव्यांग व्यक्तियों के साथ भेदभाव न करें और उन्हें समाज के अन्य लोगों की तरह समान अवसर प्रदान करें।
संसाधन उपलब्ध कराना: उन्हें उचित उपकरण, सहायक तकनीक (जैसे व्हीलचेयर, बैसाखी, ब्रेल लिपि की किताबें) उपलब्ध कराएं।
11. अपने आस-पास ऐसे व्यक्ति का अवलोकन करो जिसे दिखाई नहीं देता। पता करो कि वह अपने काम कैसे करता है?
उत्तर: यह सवाल हमें यह जानने के लिए प्रेरित करता है कि हमारे आस-पास के दृष्टिबाधित लोग अपनी ज़िन्दगी को किस प्रकार आसान बनाते हैं। हमें ध्यान से देखना चाहिए कि वे किस तरह से अपने रास्ते को पहचानते हैं, क्या वे ब्रेल का उपयोग करते हैं, और क्या उनके पास किसी प्रकार की सहायक तकनीक है, जैसे एक साथ चलते समय एक सहायक व्यक्ति या एक गाइड डॉग।
12. पत्र पत्रिकाओं से दिव्यांगों से संबंधित जानकारी इकट्ठी करें।
उत्तर: पत्र पत्रिकाओं में अक्सर दिव्यांगों के लिए समाज में उठाए गए कदम, उनके लिए चलाई जा रही योजनाओं, और उनकी प्रेरणादायक कहानियाँ छपती हैं। हमें इनसे जानकारी इकट्ठी करनी चाहिए ताकि हम जान सकें कि दिव्यांगों के कल्याण के लिए कौन-कौन सी योजनाएँ और संस्थाएँ काम कर रही हैं।
13. दृष्टिबाधित दिव्यांगता के अलावा और कौन-कौन सी दिव्यांगताएँ पाई जाती हैं, वे अपना जीवन कैसे सरल बनाते हैं?
उत्तर: दृष्टिबाधित दिव्यांगता के अलावा और भी कई प्रकार की दिव्यांगताएँ होती हैं, जैसे:
सुनने में असमर्थता (हियरिंग इम्पेयरमेंट)
शारीरिक दिव्यांगता (जैसे व्हीलचेयर पर निर्भर व्यक्ति)
बौद्धिक दिव्यांगता (जो मानसिक विकास में कमी के कारण उत्पन्न होती है) दिव्यांग व्यक्तियों के लिए अलग-अलग प्रकार के सहायक उपकरण, जैसे श्रवण यंत्र, व्हीलचेयर, और अन्य उपकरण उपलब्ध होते हैं, जो उनके जीवन को सरल बनाते हैं।