Chapter 3

  सोन के फर

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प्रश्न 1: सुखराम कौन रहिस अउ ओकर का काम रहय?

उत्तर: सुखराम एक गरीब मनखे रहिस, जेकर खेती-खार नइ रहय। ओहा छेरी-पठरू पाल के जंगल म चराय बर जाथे अउ ओही ले अपन गुजर-बसर करथे।

प्रश्न 2: सुखराम ल जंगल म काबर पियास लगिस?

उत्तर: जेठ महिना रहिस, अउ आगी कस घाम पड़त रहिस। तीर-तखार म पानी नइ रहय, ए कारण सुखराम ल पियास लगिस।

प्रश्न 3: शंकर भगवान सुखराम ल का-काकर दान दीस?

उत्तर: शंकर भगवान साधु के भेस म आके सुखराम ल पानी भरे कमंडल ले पानी पियाइस अउ एक पसर सोन के फर दान दीस।

प्रश्न 4: शंकर भगवान के कहे के अनुसार सुखराम फर ल का करिस?

उत्तर: सुखराम चार ठन फर खाइस अउ बाँचिस तेन फर ल पंछा के छोर म बाँध के घर लेगे।

प्रश्न 5: ए पाठ ले का सिख मिलथे?

उत्तर: ए पाठ ले सिख मिलथे के लालच करना गलत बात आय। दूसर के चीज ल देखके मन म लालच नइ आना चाही, अउ लोकसमाज म समझाइस देके मनखे ल सुधारा जा सके।

प्रश्न 6: सुखराम कौन था और वह क्या काम करता था?

उत्तर: सुखराम एक गरीब आदमी था, जिसके पास खेती-खार नहीं था। वह छेरी-पठरू (बकरियाँ) पालता था और जंगल में चराने ले जाता था।

प्रश्न 7: सुखराम को शंकर भगवान ने क्या दिया और क्यों?

उत्तर: शंकर भगवान ने सुखराम को पानी और पाँच सोन के फर दिए, क्योंकि वह बहुत प्यासा था और भगवान को उस पर दया आ गई।

प्रश्न 8: सोन के फर पाकर सुखराम ने क्या किया?

उत्तर: सुखराम ने चार फर खा लिए और एक फर को घर लाकर रँधनी के पठेरा में मढ़ा दिया। अगली सुबह देखा तो वह सोन (सोना) में बदल चुका था।

प्रश्न 9: चोरों ने सोन के फर के साथ क्या किया और उन्हें क्या सजा मिली?

उत्तर: चोरों ने सुखराम के घर से फर चुरा लिए। लेकिन जब गाँव में बइठका हुआ और पंचों ने फर वापस मंगवाया तो वो कच्चा निकला। पंचों ने चोरों को फटकारा और समझाया कि मेहनत की कमाई से ही सुख मिलता है।

प्रश्न 10: इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है?

उत्तर: इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि लालच बुरी बला है। मेहनत और ईमानदारी से कमाया गया धन ही टिकता है। चोरी और बेइमानी से कभी कोई बड़ा नहीं बनता।

प्रश्न और अभ्यास के उत्तर

प्रश्न 1: (क) सुखराम छेरी-पठरू चराए बर कहाँ गय रिहिस?

उत्तर: सुखराम जंगल में छेरी-पठरू चराने के लिए गया था।

(ख) सुखराम काबर तालाबेली देत रहिस?

उत्तर: सुखराम प्यास के मारे तालाबेली दे रहा था क्योंकि वह बहुत प्यासा था और पानी नहीं मिल रहा था।

(ग) सुखराम ल कोन पानी दिस?

उत्तर: शंकर भगवान ने सुखराम को पानी दिया था।

(घ) साधु के दे फर का होगे?

उत्तर: साधु ने सुखराम को एक फर दिया था जो बाद में सोने का फर बन गया।

(ड) सुखराम सोन के फर ल का करिस?

उत्तर: सुखराम ने सोन के फर को बेचने के लिए शहर ले जाने का फैसला किया था।

(च) सुखराम के गोसइन के का नाव रहिस?

उत्तर: सुखराम की पत्नी का नाम सुखिया था।

प्रश्न 1: सुखराम के बारे में चार वाक्य लिखें:

उत्तर: 1.सुखराम एक गरीब आदमी था, जो बकरियाँ पालता था और जंगल में उन्हें चराता था।

2. एक दिन शंकर भगवान ने उसे प्यास के मारे दया दिखाई और उसे पानी और सोन के फर दिए।

3. सुखराम ने सोन के फर को बेचने के लिए शहर जाने का निर्णय लिया।

4. उसने अपनी मेहनत से खूब पैसा कमाया और एक अच्छा जीवन जीने लगा।

प्रश्न 2:तुमने कहानी को ध्यान से पढ़ा है। अब लिखो कि यह बातें किसने और किससे कही थीं?

(क) 'कस जी सुखराम तैहा काबर तालाबेली देत हस?"

उत्तर: यह बात शंकर भगवान ने सुखराम से पूछी थी।

(ख) 'हाँ भइया। एला झटकन तउल अउ मोला पइसा दे।'

उत्तर: यह बात सोनार ने सुखराम से कही थी।

(ग) 'चल तो देखा, कहाँ हे सोन के फर?'

उत्तर: यह बात चोरों ने सुखराम से कही थी।

(घ) 'कस जी! सुखराम कहत हे तेन बात ह सिरतोन ए?'

उत्तर: यह बात पंचों ने चोरों से कही थी।

प्रश्न 1:साधु की बात पर ध्यान लगाकर नीचे लिखे प्रश्न के उत्तर दें:

(क) साधु ने सुखराम को क्या दिया?

उत्तर: साधु ने सुखराम को एक फर दिया।

(ख) बाँचे फर को पठेरा में रखने के लिए क्यों कहा?

उत्तर: साधु ने कहा कि फर को पठेरा में रखने से वह सुरक्षित रहेगा और बाद में उसे घर में मढ़ा जाएगा।

प्रश्न 5: खाल्डे में लिखे वाक्य को ध्यान से पढ़कर विचार करें और बताएं कि क्या होता है।

(क) शंकर जी नहीं आते तो?

उत्तर: अगर शंकर जी नहीं आते तो सुखराम को प्यास के मारे मुश्किल हो जाती, और वह शायद मर भी जाता।

(ख) सोन के फर को नहीं बेचते तो?

उत्तर: अगर सुखराम सोन के फर को नहीं बेचता, तो वह उस पैसों का लाभ नहीं उठा पाता और उसकी ज़िंदगी वैसे की वैसे रहती।

(ग) बैठक में चोरों को नहीं बुलाते तो?

उत्तर: अगर सुखराम चोरों को बैठक में नहीं बुलाता, तो चोरों का पता नहीं चलता और वे चोरी करके भाग जाते।

प्रश्न 6: इस लोककथा में किसका काम सबसे अच्छा लगा? कारण सहित पांच वाक्य में अपने विचार लिखें।

उत्तर: इस लोककथा में शंकर भगवान का काम सबसे अच्छा लगा क्योंकि उन्होंने सुखराम की मदद की जब वह प्यास के मारे परेशान था। शंकर भगवान ने उसे न केवल पानी दिया, बल्कि सोन के फर को भी दिया, जिससे सुखराम की ज़िंदगी बदल गई। इसके बाद, सुखराम ने सोन के फर को बेचकर अच्छा पैसा कमाया और एक अच्छा जीवन शुरू किया। यह दया और सहानुभूति का उदाहरण है, जो जीवन को सुखमय बना सकती है। शंकर भगवान ने न सिर्फ सुखराम की मदद की, बल्कि उसे जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी दी।



Editing By- Rita Moni Bora