Chapter 12
📘 पाठ आधारित प्रश्नोत्तर
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यशपाल का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
➤ सन् 1903 में पंजाब के फिरोजपुर छावनी में। -
यशपाल की प्रारंभिक शिक्षा कहाँ हुई?
➤ काँगड़ा में। -
उन्होंने बी.ए. की पढ़ाई कहाँ से की?
➤ लाहौर के नेशनल कॉलेज से। -
नेशनल कॉलेज में यशपाल की मुलाकात किन क्रांतिकारियों से हुई थी?
➤ भगत सिंह और सुखदेव से। -
यशपाल को जेल क्यों जाना पड़ा?
➤ स्वतंत्रता संग्राम की क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेने के कारण। -
यशपाल की मृत्यु कब हुई थी?
➤ सन् 1976 में। -
यशपाल किस शैली के विशिष्ट रचनाकार माने जाते हैं?
➤ यथार्थवादी शैली के। -
उनके प्रमुख कहानी संग्रह कौन-कौन से हैं?
➤ ज्ञानदान, तर्क का तूफान, पिंजरे की उड़ान, वा दुलिया, फूलों का कुर्ता। -
उनका कौन-सा उपन्यास भारत विभाजन की त्रासदी को दर्शाता है?
➤ झूठा सच। -
यशपाल की भाषा की क्या विशेषता है?
➤ स्वाभाविकता और सजीवता।
🚆 गद्यांश "नवाब साहब और खीरे" पर आधारित प्रश्नोत्तर
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लेखक किस ट्रेन में सफर कर रहे थे?
➤ मुफस्सिल की पैसेंजर ट्रेन में। -
उन्होंने सेकंड क्लास का टिकट क्यों लिया?
➤ एकांत और बाहर के दृश्य देखने के लिए। -
लेखक किसके साथ डिब्बे में बैठे?
➤ लखनऊ के नवाबी नस्ल के एक सफेदपोश सज्जन के साथ। -
नवाब साहब डिब्बे में क्या कर रहे थे?
➤ दो ताजे खीरे तौलिये पर रखे थे, संभवतः उन्हें खाने वाले थे। -
लेखक ने नवाब साहब के भाव से क्या अनुमान लगाया?
➤ नवाब साहब को उनके एकांत में विघ्न का असंतोष था। -
लेखक को नवाब साहब की चुप्पी क्यों खटक रही थी?
➤ क्योंकि नवाब साहब संगति के लिए उत्साह नहीं दिखा रहे थे। -
नवाब साहब ने लेखक को खीरा खाने का आग्रह कैसे किया?
➤ “आदाब अर्ज, जनाब, खीरे का शौक फ़रमाएँगे?” -
लेखक ने खीरा खाने से इनकार क्यों किया?
➤ आत्मसम्मान के कारण। -
नवाब साहब ने खीरे को खाने से पहले क्या किया?
➤ धोया, छिला, फाँकों में काटा, नमक-मिर्च छिड़का। -
लेखक ने खीरे के रसास्वादन के किस दृश्य का वर्णन किया?
➤ नवाब साहब खीरे को सूँघकर उसका रसास्वादन करते हैं और फिर खिड़की से फेंक देते हैं। -
नवाब साहब ने खीरे की फाँकों के साथ क्या किया?
➤ एक-एक कर उन्हें खिड़की से बाहर फेंक दिया। -
लेखक ने नवाब साहब के इस व्यवहार को क्या कहा?
➤ खानदानी तहज़ीब, नफ़ासत और नजाकत। -
लेखक को नवाब साहब की क्रिया से क्या महसूस हुआ?
➤ नवाब साहब दिखावा कर रहे हैं और असलियत छिपा रहे हैं। -
खीरे की फाँकों को फेंकने के पीछे नवाब साहब का क्या कारण था?
➤ खीरा स्वादिष्ट है लेकिन भारी (सकील) होता है, मेदे पर बोझ डालता है। -
नवाब साहब के किस शब्द से लेखक चकित हो गया?
➤ डकार लेकर बोले, “खीरा लज़ीज होता है, लेकिन सकील होता है।” -
लेखक को नवाब साहब की क्रिया से क्या बोध हुआ?
➤ यही है नयी कहानी की तरह की कल्पना—स्वाद के बिना तृप्ति। -
नयी कहानी को लेखक किससे जोड़ते हैं?
➤ बिना पात्र, घटना, विचार के लेखक की इच्छा मात्र से बनी कहानी। -
नवाब साहब ने खीरे के स्वाद का रसास्वादन कैसे किया?
➤ केवल सूँघकर और कल्पना से। -
लेखक ने नवाब साहब को किस प्रकार का रईस बताया है?
➤ दिखावटी और खानदानी नफ़ासत प्रदर्शित करने वाला। -
इस पूरे प्रसंग का व्यंग्यात्मक उद्देश्य क्या है?
➤ समाज में व्याप्त दिखावे, खोखले आचरण और साहित्यिक बनावट की आलोचना।