Chapter 15

 महावीरप्रसाद द्विवेदी

🔹 1–10: लेखक और नवाब साहब का परिचय

  1. यशपाल का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
    सन् 1903 में, फीरोजपुर छावनी (पंजाब) में।

  2. यशपाल की प्रारंभिक शिक्षा कहाँ हुई थी?
    काँगड़ा में।

  3. यशपाल ने उच्च शिक्षा कहाँ से प्राप्त की थी?
    लाहौर के नेशनल कॉलेज से।

  4. यशपाल किन क्रांतिकारियों के संपर्क में आए थे?
    भगत सिंह और सुखदेव।

  5. यशपाल को जेल क्यों जाना पड़ा था?
    स्वाधीनता संग्राम की क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेने के कारण।

  6. यशपाल की मृत्यु कब हुई थी?
    सन् 1976 में।

  7. यशपाल किस प्रकार की शैली के लेखक थे?
    यथार्थवादी शैली के लेखक।

  8. उनकी रचनाओं में किसका चित्रण होता है?
    आम आदमी के सरोकारों का।

  9. नवाब साहब कहाँ के थे?
    लखनऊ के नवाबी नस्ल से।

  10. लेखक किस श्रेणी का टिकट लेकर यात्रा कर रहे थे?
    सेकंड क्लास का टिकट।


🔹 11–20: यात्रा, खीरे और व्यवहार पर आधारित

  1. लेखक ने सेकंड क्लास का टिकट क्यों लिया?
    भीड़ से बचकर एकांत में यात्रा और प्रकृति देखने के लिए।

  2. नवाब साहब कैसे बैठे थे?
    पालथी मारकर, सफेद पोशाक में।

  3. नवाब साहब के सामने क्या रखा था?
    दो ताजे खीरे, एक तौलिये पर।

  4. नवाब साहब ने लेखक से पहले क्या कहा?
    "आदाब अर्ज, जनाब, खीरे का शौक फ़रमाएँगे?"

  5. लेखक ने नवाब साहब के प्रस्ताव पर क्या उत्तर दिया?
    "शुक्रिया, किबला शौक फरमाएँ।"

  6. नवाब साहब खीरे को किस प्रकार तैयार करते हैं?
    धोकर, छीलकर, झाग निकालकर, फाँकों में काटकर, नमक-मिर्च छिड़ककर।

  7. लेखक ने खीरा क्यों नहीं खाया?
    आत्मसम्मान के कारण और पहले ही मना कर चुके थे।

  8. खीरे की फाँकों के साथ नवाब साहब क्या करते हैं?
    उन्हें सुंघते हैं और फिर खिड़की से बाहर फेंकते हैं।

  9. नवाब साहब ने खीरा खाया या नहीं?
    नहीं खाया, सिर्फ रसास्वादन किया।

  10. नवाब साहब के व्यवहार से लेखक को क्या महसूस हुआ?
    यह खानदानी नफ़ासत और तहज़ीब है।


🔹 21–30: प्रतीक, भाषा और व्यंग्य पर आधारित

  1. लेखक ने नवाब साहब के व्यवहार को किस रूप में देखा?
    बनावटी तहज़ीब और दिखावे के रूप में।

  2. ‘खीरा’ यहाँ किस बात का प्रतीक है?
    नयी कहानी के रस का, जो बिना उपयोग के भी आत्मसंतोष दे सकता है।

  3. खीरे का स्वाद लेने का नवाब साहब का तरीका क्या दिखाता है?
    दिखावटी तहज़ीब, खानदानी नकलीपन।

  4. लेखक नवाब साहब की किस बात पर चकित हैं?
    बिना खाए पेट भरने का दावा और डकार।

  5. खीरे की फाँकें फेंकने की क्रिया क्या दर्शाती है?
    आत्मप्रदर्शन और कृत्रिम व्यवहार।

  6. लेखक ने नवाब साहब को किस रूप में पहचाना?
    नयी कहानी के लेखक के रूप में।

  7. ‘नयी कहानी’ किसका प्रतीक है?
    विचार और पात्रविहीन रचना, जो केवल लेखक की इच्छा से चलती है।

  8. नवाब साहब ने खीरे को क्या कहकर टाल दिया?
    "खीरा लज़ीज होता है लेकिन मेदे पर बोझ डाल देता है।"

  9. लेखक को नवाब साहब के व्यवहार में क्या व्यंग्य मिला?
    केवल कल्पना और शैली से संतुष्टि जताना।

  10. ‘अनुभवहीन साहित्य’ का प्रतीक पाठ में क्या है?
    ➤ खीरे की फाँकों को सुंघकर फेंक देना।


🔹 31–35: भाषा, निष्कर्ष और शैली पर आधारित

  1. पाठ में किस प्रकार की भाषा शैली है?
    व्यंग्यात्मक, यथार्थपरक और चित्रात्मक।

  2. यशपाल ने किस माध्यम से आधुनिक लेखन पर कटाक्ष किया है?
    नवाब साहब के खीरे खाने के तरीके द्वारा।

  3. ‘नफासत’ का अर्थ क्या है?
    शालीनता, शुद्धता और बारीकी से सज्जित व्यवहार।

  4. ‘गुलाबी आँखों से देखना’ का तात्पर्य क्या है?
    गर्व और आत्मसंतोष से देखना।

  5. पाठ का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    बनावटी तहज़ीब और विचारशून्य साहित्य पर व्यंग्य करना।