एही तैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा !

  1. हमारी आज़ादी की लड़ाई में समाज के उपेक्षित माने जाने वाले वर्ग का योगदान:
    उत्तर: इस कहानी में लेखक ने समाज के उपेक्षित वर्ग के योगदान को इस प्रकार उभारा है कि वह आमतौर पर अनदेखे या उपेक्षित रहते हुए भी स्वतंत्रता संग्राम में अपनी भूमिका निभाते हैं। दुलारी और टुन्नू जैसे पात्र इस बात का प्रतीक हैं कि भले ही वे समाज के निचले स्तर पर आते हों, पर उनका योगदान राष्ट्रीय आंदोलन के लिए महत्वपूर्ण था। दुलारी ने अपनी कजली कला के माध्यम से जन जागरूकता फैलाने में योगदान दिया, और टुन्नू ने विदेशी वस्त्रों के विरोध में भाग लिया, जिससे यह साबित होता है कि उपेक्षित वर्ग भी संघर्ष में शामिल था।

  2. कठोर हृदयी समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर क्यों विचलित हो उठी?
    उत्तर:दुलारी को एक कठोर और सख्त व्यक्तित्व के रूप में देखा जाता है, लेकिन टुन्नू की मृत्यु ने उसके भीतर छिपी कोमलता और संवेदनशीलता को उजागर किया। वह टुन्नू से प्रेम करती थी, और उसकी मृत्यु ने उसे भावनात्मक रूप से विचलित कर दिया। यह दिखाता है कि दुलारी का व्यक्तित्व जितना कठोर था, उतना ही अंदर से वह एक नर्म और प्रेमपूर्ण व्यक्ति भी थी।

  3. कजली दंगल जैसी गतिविधियों का आयोजन क्यों हुआ करता होगा?
    उत्तर:कजली दंगल जैसी गतिविधियाँ सांस्कृतिक जागरूकता और एकता बढ़ाने के लिए आयोजित की जाती थीं। ये आयोजन समाज की एकता, सांस्कृतिक परंपराओं का संरक्षण और स्वदेशी उत्पादों का प्रचार करने का माध्यम थे। कजली जैसे लोक गीतों के माध्यम से राष्ट्रीयता और स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया जाता था।

    कुछ अन्य परंपरागत लोक आयोजन:

    • होली और दीपावली जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव।

    • संगीत और नृत्य महोत्सव।

    • तीज-त्योहार, जैसे करवा चौथ, मकर संक्रांति आदि।

  4. दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ:

    • साहसी और स्वतंत्र: वह कभी भी समाज के दबाव से नहीं डरती और अपनी इच्छाओं को व्यक्त करती है।

    • कला प्रेमी: दुलारी अपनी गायन कला के प्रति पूरी तरह से समर्पित है।

    • संवेदनशील और कोमल: बाहर से कठोर दिखने वाली दुलारी के भीतर गहरी भावनाएँ और संवेदनाएँ हैं।

    • सामाजिक रूप से जागरूक: दुलारी अपने समाज की समस्याओं से जुड़ी रहती है और देश के लिए प्रतिबद्ध है।

  5. दुलारी का टुन्नू से पहली बार परिचय कहाँ और किस रूप में हुआ?
    उत्तर: दुलारी और टुन्नू का पहली बार परिचय टाउन हॉल में हुआ था, जहाँ टुन्नू कजली गायक था। वहाँ उनके बीच एक सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध स्थापित हुआ, और यह धीरे-धीरे प्रेम में बदल गया।

  6. दुलारी का टुन्नू को यह कहना कहाँ तक उचित था- "तै सरबउला बोल जिन्नगी में कब देखले लोट?"
    उत्तर: यह कथन टुन्नू के प्रति दुलारी के प्रेम और अनादर का प्रतीक था। दुलारी की यह बात इस संदर्भ में आज के युवा वर्ग के लिए संदेश देती है कि रिश्तों में ईमानदारी और सच्चाई होनी चाहिए। यह भी बताता है कि प्रेम केवल दिखावा नहीं, बल्कि समझ और सामंजस्य होना चाहिए।

  7. भारत के स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी और टुन्नू ने अपना योगदान किस प्रकार दिया?
    उत्तर: दुलारी और टुन्नू ने अपनी कला और स्वदेशी आंदोलन में भाग लेकर योगदान दिया। दुलारी ने कजली गाने के माध्यम से जनता को जागरूक किया और विदेशी वस्त्रों के विरोध में भाग लिया। टुन्नू ने भी विदेशी वस्त्रों का विरोध किया और अपने संगीत के माध्यम से राष्ट्रीयता की भावना फैलाने में मदद की।

  8. दुलारी और टुन्नू के प्रेम के पीछे उनका कलाकार मन और उनकी कला थी?
    उत्तर: उनका प्रेम न केवल व्यक्तिगत था, बल्कि वह उनके कला के प्रति प्रेम के परिणामस्वरूप था। टुन्नू और दुलारी का प्रेम उनके संस्कृति और देश के प्रति समर्पण के रूप में परिणत हुआ। इस प्रेम ने दुलारी को अपने देश के प्रति जागरूक किया और उसे स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।

  9. विदेशी वस्त्रों के ढेर में कोरी साड़ियों का फेंका जाना:
    उत्तर: दुलारी द्वारा विदेशी वस्त्रों के ढेर में साड़ियों का फेंकना उसकी स्वदेशी भावना और राष्ट्रीयता को दर्शाता है। यह उसके लिए एक सशक्त कदम था, जो उसे अपने देश के स्वतंत्रता संग्राम के प्रति प्रतिबद्धता और विदेशी साम्राज्यवाद का विरोध व्यक्त करने का एक तरीका था।

  10. "मन पर किसी का बस नहीं; वह रूप या उमर का कायल नहीं होता।"
    उत्तर: टुन्नू का यह कथन उसके दुलारी के प्रति सच्चे प्रेम को दर्शाता है। उसका प्रेम केवल बाहरी रूप या उम्र पर आधारित नहीं था, बल्कि वह अंदर की सुंदरता और सच्चे प्रेम को महत्व देता था। उसका विवेक प्रेम को सही दिशा में मोड़ता है, जो समाज और देश के प्रति समर्पण का रूप लेता है।

  11. "एही तैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!" का प्रतीकार्थ:
    उत्तर: यह वाक्य दुलारी के अंदर की पीड़ा और दुख को व्यक्त करता है। यह उसकी मानसिक स्थिति और शोक का प्रतीक है, जो टुन्नू की मृत्यु के बाद उभरता है। यह गीत उसकी नाराजगी और संघर्ष को दर्शाता है और साथ ही समाज की निष्क्रियता और संघर्ष के बीच उसके भीतर के दर्द को भी व्यक्त करता है।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                THANK YOU.                                                                                                                                 AUTHOR-RUMI DEKA.