रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

1. मैग्नीशियम रिबन को जलाने से पहले मसलने का कारण:

उत्तर: मैग्नीशियम रिबन को जलाने से पहले मसलने का कारण यह है कि रिबन की सतह पर ऑक्सीजन का एक पतला परत जमा हो जाता है, जिसे "मैग्नीशियम ऑक्साइड" कहा जाता है। यह परत मैग्नीशियम के दहन में अवरोध उत्पन्न करती है। जब इसे मसलते हैं, तो यह परत हट जाती है और फिर मैग्नीशियम रिबन को बिना किसी रुकावट के जलाया जा सकता है।


2. रासायनिक समीकरण:

1. हाइड्रोजन + क्लोरीन → हाइड्रोजन क्लोराइड:

उत्तर:

H2(g)+Cl2(g)2HCl(g)


2. बेरियम क्लोराइड + अमोनियम सल्फेट → बेरियम सल्फेट + अमोनियम क्लोराइड:

उत्तर:







BaCl2(aq)+(NH4)2SO4(aq)BaSO4(s)+2NH4Cl(aq)

3. सोडियम + जल → सोडियम हाइड्रॉक्साइड + हाइड्रोजन:

उत्तर:

2Na(s)+2H2O(l)2NaOH(aq)+H2(g)

3. अवस्था के संकेतों के साथ संतुलित रासायनिक समीकरण:

1. जल में बेरियम क्लोराइड तथा सोडियम सल्फेट के विलयन के साथ अभिक्रिया:


उत्तर:
BaCl2(aq)+Na2SO4(aq)BaSO4(s)+2NaCl(aq)

2. सोडियम हाइड्रोक्साइड का विलयन (जल में) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (जल में) के विलयन से अभिक्रिया करके सोडियम क्लोराइड का विलयन तथा जल बनाता है:

NaOH(aq)+HCl(aq)NaCl(aq)+H2O(l)

यहां दिए गए प्रश्नों के उत्तर:

1. सफेदी करने के लिए उपयोग होने वाले पदार्थ का नाम और सूत्र:

  1. (i) पदार्थ 'X' का नाम और सूत्र:

    • सफेदी करने के लिए उपयोग होने वाला पदार्थ चोरी (Chlorine) है। इसका रासायनिक सूत्र Cl₂ है।

  2. (ii) चोरी का जल के साथ अभिक्रिया:

    • जल के साथ चोरी की अभिक्रिया में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) और ऑक्सीजन उत्पन्न होते हैं। रासायनिक समीकरण निम्नलिखित है:

    Cl2(g)+H2O(l)HCl(aq)+HClO(aq)Cl_2(g) + H_2O(l) \rightarrow HCl(aq) + HClO(aq)

    (यहां HClO हाइपोच्लोरस अम्ल है)


2. क्रियाकलाप 1.7 में गैस की मात्रा की तुलना:

  1. गैस का नाम जो दूसरी परखनली में एकत्रित गैस से दोगुना है:

    • यदि क्रियाकलाप 1.7 में दोनों परखनलियों में पानी का विद्युत अपघटन हो रहा है, तो हाइड्रोजन (H₂) गैस का आयतन ऑक्सीजन (O₂) गैस के मुकाबले दोगुना होता है। इस प्रकार, हाइड्रोजन गैस की मात्रा दूसरी परखनली में दोगुनी होगी।


3. विस्थापन अभिक्रिया - क्रियाकलाप 1.9:

  1. विस्थापन अभिक्रिया के लिए रासायनिक समीकरण:

    • लोहे और कॉपर सल्फेट के विलयन में विस्थापन अभिक्रिया होती है, जिसमें लोहे का कॉपर को विस्थापित कर देना होता है। इस अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण निम्नलिखित है:

    Fe(s)+CuSO4(aq)FeSO4(aq)+Cu(s)Fe(s) + CuSO_4(aq) \rightarrow FeSO_4(aq) + Cu(s)

    (यहां FeSO₄ लोहे का सल्फेट और Cu कॉपर है)


4. क्रियाकलाप 1.9 में प्रक्रिया:

  • दोनों परखनलियों में 10 mL कॉपर सल्फेट का विलयन डालने और लोहे की कीलों को डुबोने के बाद, पहली परखनली में कॉपर का रंग हटा जाएगा क्योंकि लोहे ने कॉपर को विस्थापित कर दिया है, और दूसरी परखनली में कॉपर की उपस्थिति साफ दिखाई देगी।

प्रश्नों के उत्तर:

  1. लोहे की कील को कॉपर सल्फेट के विलयन में डुबोने पर विलयन का रंग क्यों बदलता है?

    1. जब लोहे की कील को कॉपर सल्फेट के विलयन में डुबोया जाता है, तो लोहे (Fe) द्वारा कॉपर (Cu) को विस्थापित किया जाता है। इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप कॉपर की परत लोहे पर जमा हो जाती है और कॉपर सल्फेट का नीला रंग मिट जाता है, जिससे विलयन का रंग हल्का हो जाता है।

    2. रासायनिक अभिक्रिया:

      Fe(s)+CuSO4(aq)FeSO4(aq)+Cu(s)Fe(s) + CuSO_4(aq) \rightarrow FeSO_4(aq) + Cu(s)

      (यहां Fe ने Cu को विस्थापित किया है)

  2. क्रियाकलाप 1.10 से भिन्न द्विविस्थापन अभिक्रिया का एक उदाहरण:

    1. द्विविस्थापन अभिक्रिया का एक उदाहरण:

      Na2SO4(aq)+BaCl2(aq)BaSO4(s)+2NaCl(aq)Na_2SO_4(aq) + BaCl_2(aq) \rightarrow BaSO_4(s) + 2NaCl(aq)

      इस अभिक्रिया में बेरियम क्लोराइड (BaCl₂) और सोडियम सल्फेट (Na₂SO₄) विलयित होते हैं, जिससे बेरियम सल्फेट (BaSO₄) का अवक्षेप (अघुलनशील पदार्थ) बनता है और सोडियम क्लोराइड (NaCl) विलयन में रहता है।

  3. कृपचयित और अपचयित पदार्थों की पहचान निम्नलिखित अभिक्रियाओं में:

    1. अभिक्रिया:

      4Na(s)+O2(g)2Na2O(s)4Na(s) + O_2(g) \rightarrow 2Na_2O(s)
    2. कृपचयित पदार्थ: Na (सोडियम) — इसमें ऑक्सीजन की वृद्धि हो रही है, इसलिए यह उपचयित (oxidized) हो रहा है।

    3. अपचयित पदार्थ: O₂ (ऑक्सीजन) — इसमें ऑक्सीजन का हास हो रहा है, इसलिए यह अपचयित (reduced) हो रहा है।