Chapter 5
1. प्रोकैरियोटी कोशिकाएँ यूकैरियोटी कोशिकाओं से किस प्रकार भिन्न होती हैं?:
उत्तर: प्रोकैरियोटी कोशिकाएँ: इनमें केंद्रक (nucleus) नहीं होता। इनकी डीएनए एकल और मुक्त रूप से कोशिका द्रव्य (cytoplasm) में पाया जाता है।
यूकैरियोटी कोशिकाएँ: इनमें केंद्रक (nucleus) होता है, जो एक झिल्ली से घिरा रहता है। इनकी डीएनए संरचित रूप में केंद्रक में स्थित होती है।2. यदि प्लैज्मा झिल्ली फट जाए अथवा टूट जाए तो क्या होगा?
उत्तर::
यदि प्लैज्मा झिल्ली फट जाती है या टूट जाती है, तो कोशिका का बाह्य पर्यावरण के साथ नियंत्रण समाप्त हो जाएगा। यह कोशिका के अंदर और बाहर के पदार्थों के आवागमन में विघ्न उत्पन्न करेगा, जिससे कोशिका की स्थिरता और कार्य में परेशानी हो सकती है। इससे कोशिका का हाइपरटोनिक या हाइपोटोनिक वातावरण प्रभावित हो सकता है, और कोशिका मर भी सकती है।3. यदि गॉल्जी उपकरण न हो तो कोशिका के जीवन में क्या होगा?:
उत्तर:
गॉल्जी उपकरण के बिना, कोशिका में उत्पादित प्रोटीन और अन्य पदार्थों का संचयन, रूपांतरण, और पैकेजिंग ठीक से नहीं हो पाएगा। इससे कोशिका के अंदर कुछ जैविक क्रियाओं में विघ्न उत्पन्न हो सकता है, जैसे कि पदार्थों का सही स्थान पर भेजना और लाइसोसोम का निर्माण भी प्रभावित हो सकता है।4. कोशिका का कौन-सा अंगक बिजलीघर है? और क्यों?
:उत्तर:
माइटोकॉन्ड्रिया कोशिका का "बिजलीघर" है। इसका कारण यह है कि माइटोकॉन्ड्रिया ATP (ऐडिनोसिन ट्राइफॉस्फेट) उत्पन्न करते हैं, जो कोशिका की ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। ATP जीवन प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है।5. कोशिका झिल्ली को बनाने वाले लिपिड तथा प्रोटीन का संश्लेषण कहाँ होता है?
उत्तर::
कोशिका झिल्ली को बनाने वाले लिपिड और प्रोटीन का संश्लेषण अंतर्द्रव्यी जालिका (ER) पर होता है। खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका पर राइबोसोम होते हैं, जो प्रोटीन संश्लेषण करते हैं, जबकि चिकनी अंतर्द्रव्यी जालिका लिपिड संश्लेषण में सहायता करती है।6. अमीबा अपना भोजन कैसे प्राप्त करता है?:
उत्तर:
अमीबा फैगोसाइटोसिस के माध्यम से अपना भोजन प्राप्त करता है। अमीबा अपनी झिल्ली के द्वारा भोजन को अपने अंदर समाहित कर लेता है, और फिर इसे पाचन रस से पचाता है।7. परासरण क्या है?:
उत्तर:
परासरण (Diffusion) एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें किसी पदार्थ के अणु उच्च सांद्रता क्षेत्र से कम सांद्रता क्षेत्र की ओर गतिमान होते हैं, जब तक दोनों क्षेत्रों में सांद्रता समान न हो जाए।निम्नलिखित परासरण प्रयोग करें:
साँस का आदान-प्रदान: शरीर में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का परासरण फेफड़ों और रक्त के बीच होता है।पानी का अवशोषण: पादपों में पानी और खनिजों का परासरण जड़ से होकर ऊपर की ओर होता है।
इन सवालों के माध्यम से कोशिका के विभिन्न अंगों और उनके कार्यों को समझा जा सकता है।
पानी का प्रवाह एक अर्द्धपारगम्य झिल्ली (semi-permeable membrane) के पार,
कम घुले हुए विलेय (solute) की सांद्रता वाले क्षेत्र से
अधिक घुले हुए विलेय की सांद्रता वाले क्षेत्र की ओर होता है।
आसान शब्दों में:
जब दो घोल एक अर्द्धपारगम्य झिल्ली के द्वारा अलग किए जाते हैं, तो
पानी कम सांद्रता वाले घोल से होकर
अधिक सांद्रता वाले घोल की तरफ स्वतः बहता है
ताकि दोनों तरफ संतुलन (equilibrium) स्थापित हो जाए।
उदाहरण:
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यदि आप किशमिश को पानी में भिगोते हैं, तो वह फूल जाती है।
क्योंकि पानी किशमिश के अंदर परासरण द्वारा प्रवेश करता है।
परासरण के महत्व:
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पौधों में जड़ों द्वारा जल अवशोषण।
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कोशिकाओं की स्फीति बनाए रखना।
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कोशिकाओं में पानी और अन्य पदार्थों का संतुलन।
9. निम्नलिखित परासरण प्रयोग करें:
उत्तर: (i) 'B' तथा 'C' के खाली भाग में जल क्यों एकत्र हो गया? इसका वर्णन करो।
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कप 'B' में चीनी और कप 'C' में नमक डाला गया था।
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चीनी और नमक ने कप के अंदर की घोल की सांद्रता (concentration) बढ़ा दी।
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बाहर जल के घोल की तुलना में अंदर अधिक विलेय (solute) था, इसलिए
परासरण के कारण पानी बाहर से आलू की दीवारों को पार कर अंदर घोल की तरफ आया। -
परिणामस्वरूप, 'B' और 'C' के कपों में जल एकत्र हो गया।
इसलिए जल का प्रवाह कम सांद्रता (बाहर) से अधिक सांद्रता (अंदर) की ओर हुआ।
(ii) 'A' आलू इस प्रयोग के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
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'A' कप में कुछ नहीं डाला गया था (ना चीनी, ना नमक)।
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इसलिए यह नियंत्रण समूह (control group) की तरह है।
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इसकी मदद से हम देख सकते हैं कि बिना किसी विलेय के परासरण नहीं होता।
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यह साबित करता है कि जल का प्रवाह विलेय की उपस्थिति पर निर्भर करता है।
'A' आलू प्रयोग के सही निष्कर्ष निकालने के लिए आवश्यक था।
(iii) 'A' तथा 'D' आलू के खाली भाग में जल एकत्र क्यों नहीं हुआ? इसका वर्णन करो।
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'A' में कोई विलेय (जैसे चीनी या नमक) नहीं था,
इसलिए कोई परासरण नहीं हुआ और जल नहीं आया। -
'D' उबला हुआ आलू था, और उबालने से उसकी कोशिकाएँ नष्ट हो गईं,
जिससे उसकी कोशिका झिल्ली (semi-permeable membrane) खराब हो गई थी। -
इस कारण 'D' कप में परासरण की प्रक्रिया नहीं हो पाई और जल एकत्र नहीं हुआ।
तो 'A' में विलेय नहीं था और 'D' में अर्द्धपारगम्य झिल्ली काम नहीं कर रही थी।
10. कायिक वृद्धि एवं मरम्मत हेतु किस प्रकार के कोशिका विभाजन की आवश्यकता होती है तथा इसका औचित्य बताएं?
उत्तर:
कायिक वृद्धि एवं मरम्मत के लिए सूत्री विभाजन (Mitosis) की आवश्यकता होती है।
औचित्य:
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सूत्री विभाजन में एक मातृ कोशिका दो समान संतति कोशिकाओं में विभाजित होती है।
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संतति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या मातृ कोशिका के समान होती है।
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इससे जीव के शरीर में वृद्धि (growth) होती है और क्षतिग्रस्त अथवा मृत कोशिकाओं की मरम्मत और प्रतिस्थापन होता है।
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इस प्रकार शरीर के ऊतक (tissues) अपना कार्य सही ढंग से कर पाते हैं।
11. युग्मकों के बनने के लिए किस प्रकार का कोशिका विभाजन होता है? इस विभाजन का महत्व बताएं।
उत्तर:
युग्मकों (gametes) के बनने के लिए अर्धसूत्री विभाजन (Meiosis) होता है।
महत्व:
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अर्धसूत्री विभाजन में एक कोशिका से चार नई कोशिकाएँ बनती हैं।
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इन संतति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या आधी होती है (मातृ कोशिका की तुलना में)।
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निषेचन (fertilization) के समय नर और मादा युग्मकों के मिलन से गुणसूत्रों की संख्या पुनः सामान्य हो जाती है।
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इससे पीढ़ी दर पीढ़ी गुणसूत्रों की संख्या स्थिर बनी रहती है और
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जीवन में आनुवंशिक विविधता (genetic variation) आती है, जो विकास (evolution) के लिए महत्वपूर्ण है।