Chapter 2

                                                        क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं


1. निम्नलिखित को पृथक् करने के लिए आप किन विधियों को अपनाएँगे?

(a) सोडियम क्लोराइड को जल के विलयन से पृथक् करने में।

उत्तर:

सोडियम क्लोराइड (NaCl) को जल के विलयन से पृथक् करने के लिए आप निम्नलिखित विधियों का उपयोग कर सकते हैं:

  1. वाष्पीकरण (Evaporation):
    इस विधि में, जल के विलयन को गर्म किया जाता है ताकि जल वाष्पीकृत हो जाए और केवल सोडियम क्लोराइड बच जाए। यह विधि तब उपयोगी होती है जब आप एक ठोस को विलयन से पृथक् करना चाहते हैं। जल के वाष्पित होने पर सोडियम क्लोराइड के क्रिस्टल बच जाते हैं।

    • प्रक्रिया:

      • पहले सोडियम क्लोराइड का जल के साथ मिश्रण लें।

      • मिश्रण को गर्म करें, जिससे जल वाष्पीकृत हो जाएगा।

      • अंत में, सोडियम क्लोराइड के क्रिस्टल बचेंगे।

  2. सुझाव:
    वाष्पीकरण विधि में यह ध्यान रखना जरूरी है कि जल का उबालते समय सोडियम क्लोराइड आसानी से ठोस रूप में एकत्रित हो जाता है। इस प्रक्रिया का उपयोग तब किया जाता है जब हमें विलयन से केवल एक ठोस पदार्थ को निकालना हो, जैसे नमक को पानी से निकालना।

b) अमोनियम क्लोराइड को सोडियम क्लोराइड तथा अमोनियम क्लोराइड के मिश्रण से पृथक् करने में।

उत्तर:

अमोनियम क्लोराइड (NH₄Cl) को सोडियम क्लोराइड (NaCl) और अमोनियम क्लोराइड के मिश्रण से पृथक् करने के लिए आप "सपारीकरण (Sublimation)" विधि का उपयोग कर सकते हैं।

विधि: सपारीकरण (Sublimation)

सपारीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें कुछ पदार्थ सीधे ठोस से गैस के रूप में बदल जाते हैं, बिना तरल अवस्था में आए। अमोनियम क्लोराइड एक ऐसा पदार्थ है, जो गर्म करने पर सीधे ठोस से गैस (वाष्प) में बदल जाता है। जबकि सोडियम क्लोराइड (NaCl) इस प्रक्रिया में नहीं बदलता और यह ठोस के रूप में रहता है।

प्रक्रिया:

  1. मिश्रण तैयार करें: अमोनियम क्लोराइड और सोडियम क्लोराइड का मिश्रण लें।

  2. गर्म करें: मिश्रण को धीरे-धीरे गर्म करें। इस तापमान पर अमोनियम क्लोराइड वाष्पीकृत हो जाएगा (सपारीकरण), जबकि सोडियम क्लोराइड ठोस रूप में रहेगा।

  3. संग्रहण: अमोनियम क्लोराइड की वाष्प को ठंडा करके पुनः ठोस रूप में जमा किया जा सकता है। यह प्रक्रिया तब होती है जब अमोनियम क्लोराइड ठंडी सतह पर संघनित हो जाता है।

  4. सोडियम क्लोराइड: सोडियम क्लोराइड गर्मी से प्रभावित नहीं होता और वह मिश्रण में ठोस रूप में बना रहता है।

इस प्रक्रिया के लाभ:

  • अमोनियम क्लोराइड और सोडियम क्लोराइड के मिश्रण से अमोनियम क्लोराइड को आसानी से पृथक् किया जा सकता है।

  • यह प्रक्रिया केवल अमोनियम क्लोराइड पर लागू होती है, क्योंकि इसका क्वथनांक बहुत कम है और यह सीधे ठोस से गैस में बदल सकता है।

यह विधि विशेष रूप से तब उपयोगी होती है जब दोनों पदार्थों के भौतिक गुण (जैसे क्वथनांक) बहुत अलग होते हैं, और एक पदार्थ गैसीकरण द्वारा आसानी से पृथक् हो सकता है।

(c) धातु के छोटे टुकड़े को कार के इंजन आयल से पृथक् करने में।

उत्तर:  धातु के छोटे टुकड़े को कार के इंजन आयल (तेल) से पृथक् करने के लिए आप "चुंबकीय पृथक्करण (Magnetic Separation)" विधि का उपयोग कर सकते हैं।

विधि: चुंबकीय पृथक्करण (Magnetic Separation)

चुंबकीय पृथक्करण एक भौतिक प्रक्रिया है, जिसमें चुंबकीय गुण रखने वाले पदार्थों को चुंबक द्वारा पृथक् किया जाता है। अगर धातु के छोटे टुकड़े (जो चुंबकीय होते हैं) इंजन आयल (जो गैर-चुंबकीय होता है) में मिल गए हैं, तो आप इसे चुंबक का उपयोग करके आसानी से पृथक् कर सकते हैं।

प्रक्रिया:

  1. मिश्रण तैयार करें: कार के इंजन आयल में मिलाए गए धातु के छोटे टुकड़े लें।

  2. चुंबक का उपयोग करें: एक मजबूत चुंबक लें और उसे धीरे-धीरे मिश्रण के पास लाकर धातु के टुकड़ों को खींचें। चूंकि धातु चुंबकीय होते हैं, वे चुंबक द्वारा आकर्षित हो जाएंगे।

  3. धातु के टुकड़ों का पृथक्करण: चुंबक के माध्यम से सारे धातु के टुकड़े आयल से अलग हो जाएंगे, और तेल (जो गैर-चुंबकीय होता है) अलग रह जाएगा।

इस विधि के लाभ:

  • यह विधि बहुत सरल और तेज है, विशेषकर तब जब एक पदार्थ चुंबकीय होता है।

  • चुंबक का उपयोग करके आप धातु के टुकड़ों को बिना किसी रासायनिक प्रतिक्रिया के पृथक् कर सकते हैं।

  • यह प्रक्रिया आयल के गुणधर्मों को प्रभावित नहीं करती है, और यह अधिक प्रभावी होती है जब धातु के टुकड़े छोटे और चुंबकीय होते हैं।

ध्यान देने योग्य बात:

  • इस विधि का उपयोग केवल उन मिश्रणों में किया जा सकता है, जिनमें एक पदार्थ चुंबकीय होता है। अगर मिश्रण में धातु चुंबकीय नहीं है, तो इस विधि का उपयोग नहीं किया जा सकता।


(d) दही से मक्खन निकालने के लिए।

उत्तर:

विधि: विघटन (Churning)

विघटन एक भौतिक प्रक्रिया है, जिसमें किसी मिश्रण को घुमाकर या मंथन करके उसके घटकों को पृथक् किया जाता है। दही में मक्खन निकालने के लिए, दही को लगातार मंथन (घुमाने) से उसकी वसा (फैट) अलग हो जाती है और मक्खन के रूप में जमा हो जाती है, जबकि बाकी दही का पानी (मठा) अलग हो जाता है।

प्रक्रिया:

  1. दही लें: ताजे दही को एक गहरे बर्तन में डालें।

  2. मंथन करें: दही को मंथन यंत्र (जैसे मथनी) से मथें। यदि मथनी न हो, तो एक इलेक्ट्रिक मिक्सर का भी उपयोग किया जा सकता है। इसे कुछ मिनटों तक घुमाते रहें।

  3. मक्खन का रूप लेना: जैसे-जैसे आप मंथन करते हैं, दही की वसा (फैट) एकत्र होकर मक्खन के रूप में इकट्ठा होने लगेगी।

  4. मठा अलग करें: मंथन के बाद, मक्खन का एक हिस्सा और पानी (मठा) अलग हो जाता है। मठा को बाहर निकाल सकते हैं, और मक्खन को एकत्रित कर सकते हैं।

  5. धोना (वैकल्पिक): यदि आपको शुद्ध मक्खन चाहिए तो आप मक्खन को ठंडे पानी से धो सकते हैं ताकि उसमें किसी भी प्रकार की अतिरिक्त दही की अशुद्धियाँ निकल जाएं।

इस विधि के लाभ:

  • यह एक बहुत ही पारंपरिक और सरल विधि है।

  • इससे दही से शुद्ध मक्खन प्राप्त किया जा सकता है।

  • मठा (दही का पानी) भी उपयोगी होता है और इसे अन्य खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे कि पेय पदार्थों या भोजन में।

ध्यान देने योग्य बात:

  • विघटन से प्राप्त मक्खन का स्वाद ताजगी और प्राकृतिक होता है, जो पारंपरिक विधियों के द्वारा होता है।

मंथन करते समय गति को नियंत्रित रखना जरूरी है, ताकि अधिक समय तक मंथन से वसा एकत्र हो सके।


(c) जल से तेल निकालने के लिए।

उत्तर:     

1. विषम आसवन (Decantation) विधि:

यह विधि तब उपयोगी है जब मिश्रण में दोनों घटक (जल और तेल) एक-दूसरे में अच्छी तरह घुलते नहीं हैं, यानी वे भिन्न घनत्व वाले होते हैं और आसानी से अलग हो सकते हैं।

प्रक्रिया:

  1. मिश्रण तैयार करें: जल और तेल का मिश्रण लें। तेल और जल का मिश्रण एक विषमांगी (heterogeneous) मिश्रण होता है, क्योंकि तेल जल में नहीं घुलता है।

  2. मिश्रण को शांत होने दें: मिश्रण को कुछ समय के लिए छोड़ दें ताकि तेल और जल अलग हो जाएं। तेल हल्का होता है, इसलिए वह जल के ऊपर तैरने लगेगा।

  3. ऊपर से तेल निकालें: तेल जल की सतह पर तैरने के बाद, आप धीरे-धीरे तेल को चम्मच, पाइप या किसी अन्य उपकरण की मदद से ऊपर से निकाल सकते हैं।

  4. अंतिम चरण: अब बचा हुआ जल अलग हो जाएगा। यदि आवश्यक हो, तो आप तेल को और शुद्ध कर सकते हैं, या यदि जल में तेल की कुछ अशुद्धता हो, तो फिर से प्रक्रिया को दोहरा सकते हैं।

2. वैक्यूम आसवन (Vacuum Distillation) विधि (यदि तेल और जल का मिश्रण गर्म किया जाए):

यदि मिश्रण को गर्म किया जाता है, तो तेल और जल को उनके क्वथनांक के आधार पर पृथक् किया जा सकता है। इस विधि में मिश्रण को कम दबाव (वैक्यूम) में गर्म किया जाता है ताकि जल और तेल के वाष्पीकरण को नियंत्रित किया जा सके।

प्रक्रिया:

  1. मिश्रण को एक फ्लास्क में रखें और उसे वैक्यूम चेंबर में रखें।

  2. कम दबाव पर गर्म करें: मिश्रण को हल्के से गर्म करें। जल और तेल के क्वथनांक अलग होने के कारण, जल पहले वाष्पित होगा (जल का क्वथनांक 100°C है, जबकि तेल का क्वथनांक इससे अलग हो सकता है)।

  3. संघनन द्वारा पृथक्करण: जब जल वाष्पित होकर संघनित हो जाएगा, तो आप तेल और जल को अलग-अलग प्राप्त कर सकते हैं।

उपयुक्त विधि का चुनाव:

  • विषम आसवन तब उपयुक्त है जब तेल और जल का मिश्रण साधारण रूप से अलग हो सकता है।

  • वैक्यूम आसवन तब उपयुक्त है जब मिश्रण को गर्म किया जा रहा हो और घटक अलग-अलग क्वथनांक पर उबालते हों।

यह दोनों विधियाँ जल और तेल को अलग करने के लिए इस्तेमाल की जा सकती हैं, और यह विधियाँ भौतिक प्रक्रियाएँ हैं, जिससे दोनों घटक उनके भौतिक गुणों के आधार पर अलग हो जाते है 

(1) चाय से चाय की पत्तियों को पृथक् करने में।

उत्तर:     

प्रक्रिया:

  1. चाय तैयार करें: पहले चाय पत्तियों को उबालकर या उबाले गए पानी में डुबोकर चाय का रस तैयार करें।

  2. छानने का उपकरण तैयार करें: एक छानक पत्र (filter paper) या छानने की जाली (strainer) लें। छानक पत्र या जाली को कप या बर्तन पर रखें, ताकि चाय की पत्तियाँ उसमें रह जाएं और चाय का तरल अन्य बर्तन में निकले।

  3. चाय छानें: चाय के मिश्रण को छानक में डालें। चाय का तरल नीचे बर्तन में गिरेगा, जबकि चाय की पत्तियाँ छानक में रुक जाएंगी।

  4. चाय की पत्तियाँ हटा दें: छानने के बाद, चाय की पत्तियाँ अलग हो जाएंगी और आप आसानी से चाय का तरल (चाय का पानी) प्राप्त कर सकते हैं।

उपयुक्त विधि:

छानना एक भौतिक प्रक्रिया है और यह चाय पत्तियों (जो कि ठोस हैं) को चाय के तरल (जो कि द्रव है) से पृथक् करने के लिए एकदम उपयुक्त है।

(g) बालू से लोहे की पिनों को पृथक् करने में।

उत्तर:   बालू से लोहे की पिनों को पृथक् करने के लिए "चुंबक (Magnetism)" की विधि का उपयोग किया जाता है।

प्रक्रिया:

  1. बालू और लोहे की पिनों का मिश्रण तैयार करें: पहले बालू और लोहे की पिनों का मिश्रण तैयार करें।

  2. चुंबक का उपयोग करें: एक मजबूत चुंबक (magnet) लें और उसे मिश्रण के पास लाएं। चुंबक लोहे की पिनों को अपनी ओर आकर्षित करेगा क्योंकि लोहे के टुकड़े चुंबकीय होते हैं।

  3. लोहे की पिनें पृथक् करें: चुंबक को मिश्रण से धीरे-धीरे खींचते हुए लोहे की पिनों को चुंबक पर चिपका लें। फिर, चुंबक को अलग करें और पिनों को हटा लें।

  4. बालू को छोड़ दें: अब बालू चुंबक से अलग हो जाएगा क्योंकि बालू में कोई चुंबकीय गुण नहीं होते हैं, और आप लोहे की पिनों को आसानी से पृथक् कर पाएंगे।

उपयुक्त विधि:

चुंबक (Magnetism) एक बहुत प्रभावी और सरल विधि है जब मिश्रण में एक चुंबकीय और एक गैर-चुंबकीय पदार्थ होते हैं, जैसे कि बालू और लोहे की पिनें।

(h) भूसे से गेहूँ के दानों को पृथक् करने में।

उत्तर:   भूसे से गेहूँ के दानों को पृथक् करने के लिए "हवा से छलना (Winnowing)" की विधि का उपयोग किया जाता है।

प्रक्रिया:

  1. मिश्रण तैयार करें: भूसा और गेहूँ के दाने मिश्रित होते हैं, जिसमें गेहूँ के दाने भारी होते हैं और भूसा हल्का होता है।

  2. हवा से छलना: मिश्रण को एक चौड़ी और समतल सतह पर रखें या एक छन्नी में डालकर ऊपर से हवा को प्रवाहित करें। आप हवा का उपयोग करके हल्के भूसे को उड़ाते हुए गेहूँ के दानों को एक जगह संकलित कर सकते हैं।

  3. चयनित गेहूँ के दाने: हवा के प्रभाव से भूसा हल्का होने के कारण उड़ जाएगा और गेहूँ के दाने जो भारी होते हैं, वे नीचे एकत्रित होंगे।

  4. पृथक्करण: अब आप आसानी से गेहूँ के दानों को पृथक् कर सकते हैं क्योंकि वे भूसे से अलग हो चुके होते हैं।

उपयुक्त विधि:

हवा से छलना (Winnowing) एक पारंपरिक विधि है जिसका उपयोग कृषि में मिश्रणों को पृथक् करने के लिए किया जाता है, विशेष रूप से जब एक हल्का पदार्थ (जैसे भूसा) और भारी पदार्थ (जैसे गेहूँ) एक साथ होते हैं।

(1) पानी में तैरते हुए महीन मिट्टी के कण को पानी से अलग करने के लिए।

उत्तर:  पानी में तैरते हुए महीन मिट्टी के कणों को पानी से अलग करने के लिए "संचयन (Sedimentation)" और "साफ़ाई" या "छानने" (Filtration) की विधि का उपयोग किया जा सकता है।

प्रक्रिया:

  1. संचयन (Sedimentation):

    • विधि: पानी में तैरते हुए महीन मिट्टी के कण को सबसे पहले कुछ समय के लिए ठहरने दिया जाता है। इस प्रक्रिया में, पानी में मिले मिट्टी के कण अपने वजन के कारण धीरे-धीरे तल में बैठ जाते हैं।

    • क्यों: महीन मिट्टी के कण पानी में हल्के होते हुए भी अंततः गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से तल में डूब जाते हैं, जिससे पानी और मिट्टी के कणों का पृथक्करण हो जाता है

    • चरण: पानी को कुछ समय के लिए स्थिर छोड़ने से मिट्टी नीचे बैठ जाएगी और साफ पानी ऊपर रहेगा

  2. फिल्ट्रेशन (Filtration):

    • विधि: यदि मिट्टी के कण बहुत महीन हैं और जल में निलंबित हैं, तो आप फ़िल्टर पेपर या सूती कपड़े से पानी को छान सकते हैंयह विधि उन


(1) पुष्प की पंखुड़ियों के निचोड़ से विभिन्न रंजकों को पृथक् करने में।

उत्तर:पानी में तैरते हुए महीन मिट्टी के कणों को पानी से अलग करने के लिए "संचयन (Sedimentation)" और "साफ़ाई" या "छानने" (Filtration) की विधि का उपयोग किया जा सकता है।

प्रक्रिया:

  1. संचयन (Sedimentation):

    • विधि: पानी में तैरते हुए महीन मिट्टी के कण को सबसे पहले कुछ समय के लिए ठहरने दिया जाता है। इस प्रक्रिया में, पानी में मिले मिट्टी के कण अपने वजन के कारण धीरे-धीरे तल में बैठ जाते हैं।

    • क्यों: महीन मिट्टी के कण पानी में हल्के होते हुए भी अंततः गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से तल में डूब जाते हैं, जिससे पानी और मिट्टी के कणों का पृथक्करण हो जाता है।

    • चरण: पानी को कुछ समय के लिए स्थिर छोड़ने से मिट्टी नीचे बैठ जाएगी और साफ पानी ऊपर रहेगा।

  2. फिल्ट्रेशन (Filtration):

    • विधि: यदि मिट्टी के कण बहुत महीन हैं और जल में निलंबित हैं, तो आप फ़िल्टर पेपर या सूती कपड़े से पानी को छान सकते हैं। यह विधि उन कणों को हटाने में मदद करेगी जो संचित नहीं हो सकते या तुरंत नीचे नहीं बैठ सकते।

    • फिल्टर पेपर का उपयोग: एक फ़िल्टर पेपर को एक छलने वाले पात्र में रखकर पानी को उसमें से गुजारें। फिल्टर पेपर महीन कणों को पकड़ लेगा और साफ पानी निचे एकत्रित हो जाएगा।

उपयुक्त विधि:

  • संचयन (Sedimentation) और फिल्ट्रेशन (Filtration) दोनों विधियाँ इस प्रक्रिया में उपयोगी हैं। सबसे पहले आप संचन विधि का उपयोग करके महीन कणों को पानी से अलग कर सकते हैं और फिर फिल्ट्रेशन के जरिए पानी को पूरी तरह साफ़ कर सकते हैं।

2. चाय तैयार करने के लिए आप किन-किन चरणों का प्रयोग करेंगे। विलयन, विलायक, विलेय, घुलना, घुलनशील, अघुलनशील, घुलेय (फिल्ट्रेट) तथा अवशेष शब्दों का प्रयोग करें।

उत्तर:  चाय तैयार करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन किया जाएगा, जिसमें "विलयन," "विलायक," "विलेय," "घुलना," "घुलनशील," "अघुलनशील," "घुलेय (फिल्ट्रेट)," और "अवशेष" शब्दों का उपयोग किया जाएगा:

1. विलयन तैयार करना:

चाय बनाने के लिए सबसे पहले पानी (विलायक) को उबालते हैं। पानी में चाय की पत्तियाँ (विलेय) डाली जाती हैं। चाय की पत्तियाँ पानी में घुलती हैं और चाय का स्वाद और रंग पानी में मिलकर विलयन बनाते हैं।

  • विलयन: यह वह मिश्रण है जो पानी और चाय की पत्तियों से बना है। चाय का रंग, स्वाद और गंध पानी में घुलकर विलयन का हिस्सा बन जाते हैं।

2. घुलना और घुलनशीलता:

चाय की पत्तियाँ पानी में घुलने लगती हैं, क्योंकि चाय पत्तियाँ पानी में घुलनशील (soluble) होती हैं। यह प्रक्रिया रासायनिक रूप से "घुलना" कहलाती है, जिसमें चाय पत्तियाँ पानी में घुलकर विलयन में बदल जाती हैं।

  • घुलनशील: चाय की पत्तियाँ पानी में आसानी से घुल जाती हैं, क्योंकि चाय पत्तियाँ पानी में घुलनशील होती हैं। इसका मतलब है कि वे पानी के साथ मिश्रित हो जाती हैं।

3. अघुलनशील तत्व:

यदि चाय में अन्य कोई तत्व हो, जैसे कि चीनी या मसाले, तो वह भी पानी में घुल सकता है (जब तक वे घुलनशील हैं)। हालांकि, अगर चाय में कोई तत्व है जो पानी में अघुलनशील है, जैसे कि कुछ प्रकार के धुएं या कण, तो वह पानी में घुलेगा नहीं। वे तल में बैठ जाएंगे।

4. फिल्ट्रेशन (छानना):

चाय को तैयार करने के बाद, चाय के विलयन में से चाय पत्तियाँ फिल्टर पेपर या छानने की विधि से छान ली जाती हैं। इससे चाय का घुलेय हिस्सा (चाय का साफ़ पानी) अलग हो जाता है और बाकी की चाय पत्तियाँ अवशेष के रूप में रह जाती हैं।

  • घुलेय (फिल्ट्रेट): यह वह तरल है जो छानने के बाद चाय के घुले हुए तत्वों को छोड़कर निकाला जाता है, और यह साफ़ चाय का पानी होता है।

  • अवशेष: चाय की पत्तियाँ, जो पानी में घुलने के बाद भी अघुलनशील होती हैं, वह छानने के बाद अवशेष के रूप में बच जाती हैं।

5. चाय तैयार हो गई:

चाय के फिल्ट्रेट (साफ चाय का पानी) को कप में डाला जाता है और अब आपकी चाय तैयार है, जो पीने के लिए तैयार है।

सारांश:

  • विलयन = चाय का पानी जिसमें चाय की पत्तियाँ घुली होती हैं।

  • विलायक = पानी, जो चाय की पत्तियों को घोलने का कार्य करता है।

  • विलेय = चाय की पत्तियाँ, जो पानी में घुलकर विलयन बनाती हैं।

  • घुलना = चाय पत्तियों का पानी में मिश्रित होना।

  • घुलनशील = चाय पत्तियाँ पानी में आसानी से घुल जाती हैं।

  • अघुलनशील = चाय पत्तियाँ या अन्य कोई पदार्थ जो पानी में घुल नहीं सकते।

  • घुलेय (फिल्ट्रेट) = चाय का साफ़ पानी जो छानने के बाद बचता है।

  • अवशेष = चाय पत्तियाँ या अन्य अवशिष्ट पदार्थ जो छानने के बाद बच जाते हैं।

इस प्रकार चाय बनाने की प्रक्रिया में इन सभी शब्दों का प्रयोग किया जाता है।


3. प्रज्ञा ने तीन अलग-अलग पदार्थों की घुलनशीलताओं को विभिन्न तापमान पर आँचा तथा नीचे दिए गए आँकड़ों को प्राप्त किया। प्राप्त हुए परिणामों को 100 g जल में विलेय पदार्थ की मात्रा, जो संतृप्त विलयन बनाने हेतु पर्याप्त है, निम्नलिखित तालिका में दर्शाया गया है 

उत्तर:  

आपने प्रज्ञा द्वारा घुलनशीलता के आँकड़े के बारे में उल्लेख किया है, लेकिन तालिका के आँकड़े यहाँ पर उपलब्ध नहीं हैं। कृपया तालिका के आँकड़े प्रदान करें ताकि हम घुलनशीलता के परिणामों पर आधारित किसी विश्लेषण या गणना में आपकी मदद कर सकें।

यदि आप तालिका के आँकड़े साझा करते हैं, तो हम उसका उपयोग करके आवश्यक विश्लेषण कर सकते हैं, जैसे कि तापमान के अनुसार विलेय पदार्थ की मात्रा का अनुमान या अन्य संबंधित प्रश्नों का उत्तर देना।