Chapter 7
परमाणु सिद्धान्त, तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण व गुणधर्म
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न.12 थॉमसन के मॉडल का नाम बताइए?प्रश्न.13 बोर की कक्षाओं को क्या कहते हैं?
प्रश्न.14 आधुनिक आवर्त नियम क्या है?
प्रश्न.15मेंडलीफ का आवर्त नियम लिखें।
प्रश्न.16 मेंडलीफ ने तत्त्वों को उनके किस गुण के आधार पर आवर्त क्रम में रखा?
प्रश्न.17 18 वे वर्ग के सदस्यों को क्या नाम दिया गया है?
प्रश्न.18 d ब्लॉक तथा f ब्लॉक तत्त्वों का अन्य नाम?
प्रश्न.19 धातु, अधातु एवं उपधातु का आधुनिक आवर्त सारणी में स्थान:
उत्तर:
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धातु (Metals):
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धातु आधुनिक आवर्त सारणी में बाएं और केंद्र के भागों में स्थित होते हैं।
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वे विद्युत और ताप के अच्छे चालक होते हैं।
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अधातु (Non-metals):
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अधातु आधुनिक आवर्त सारणी में दाएं के भाग में स्थित होते हैं।
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वे विद्युत और ताप के अच्छे चालक नहीं होते हैं।
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उपधातु (Metalloids):
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उपधातु आवर्त सारणी में धातु और अधातु के बीच स्थित होते हैं।
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इनमें धातु और अधातु दोनों के गुण होते हैं और ये सीमित रूप से विद्युत का संचालन कर सकते हैं।
प्रश्न.20 इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी की एक वर्ग में आवर्तिता समझाइए:
उत्तर:
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इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी (Electron Gain Enthalpy) वह ऊर्जा है जो किसी गैसीय अवस्था में किसी तत्व के एक परमाणु द्वारा एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने पर निकलती है।
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वर्ग में आवर्तिता:
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एक ही वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर, परमाणु आकार बढ़ता है और प्रभावी नाभिकीय आवेश कम होता है, जिससे इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति कम होती है और इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान घटता है।
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एक ही आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर, परमाणु आकार घटता है और प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ता है, जिससे इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति बढ़ती है और इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान बढ़ता है।
प्रश्न.21 वाण्डरवाल त्रिज्या एवं सहसंयोजक त्रिज्या से आप क्या समझते है?
उत्तर:
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वाण्डरवाल त्रिज्या:
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जब एक ही पदार्थ के दो अणु निकट आते हैं, तो उनके परमाणुओं के बीच की दूरी का आधा वाण्डरवाल त्रिज्या कहलाती है।
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सहसंयोजक त्रिज्या:
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जब दो समान परमाणु एक सहसंयोजक बंध से जुड़े होते हैं, तो दोनों परमाणुओं के नाभिकों के बीच की दूरी का आधा सहसंयोजक त्रिज्या कहलाती है।
प्रश्न.22 धनायन उदासीन परमाणु से छोटा तथा ऋणायन उदासीन परमाणु से बढ़ा होता है क्यों?
उत्तर:
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धनायन (Cation) बनने के दौरान, एक या अधिक इलेक्ट्रॉन खोने से परमाणु का आकार छोटा हो जाता है, क्योंकि बाह्यतम इलेक्ट्रॉन पर प्रभावी नाभिकीय आकर्षण बढ़ जाता है।
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ऋणायन (Anion) बनने पर, एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने से परमाणु का आकार बढ़ जाता है, क्योंकि अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन से नाभिकीय आकर्षण कम होता है, और इलेक्ट्रॉनों के बीच का विकर्षण बल बढ़ जाता है।
प्रश्न.23 प्रभावी नाभिकीय आवेश से क्या समझते है? यह वर्ग एवं आवर्त में किस प्रकार परिवर्तित होता है?
उत्तर:
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प्रभावी नाभिकीय आवेश (Effective Nuclear Charge) वह नाभिकीय आवेश है जो बाह्यतम इलेक्ट्रॉनों को महसूस होता है।
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यह वास्तविक नाभिकीय आवेश से कम होता है, क्योंकि आंतरिक इलेक्ट्रॉन बाह्यतम इलेक्ट्रॉनों को नाभिकीय आकर्षण से कुछ हद तक बचाते हैं।
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वर्ग में: एक ही वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर, प्रभावी नाभिकीय आवेश घटता है क्योंकि कोशों की संख्या बढ़ती है और बाह्यतम इलेक्ट्रॉनों पर नाभिकीय आकर्षण कम होता है।
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आवर्त में: एक ही आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर, प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ता है क्योंकि नाभिक में प्रोटॉनों की संख्या बढ़ती है और बाह्यतम इलेक्ट्रॉनों पर अधिक आकर्षण होता है।
प्रश्न.24 संयोजकता एक ही आवर्त में बीए से दाएं किस प्रकार का आवर्ती गुणधर्म प्रदर्शित करती है?
उत्तर:
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एक ही आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर, संयोजकता का मान पहले बढ़ता है (1 से 4 तक) और फिर घटने लगता है।
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यह इसलिए होता है क्योंकि आवर्त में परमाणु आकार घटता है और बाह्यतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या भी बढ़ती है, जिससे संयोजकता में बदलाव होता है।
प्रश्न.25 डाल्टन का परमाणु संरचना सिद्धांत लिखें:
उत्तर:
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प्रत्येक तत्व के परमाणु समान होते हैं और उनके गुणधर्म भी समान होते हैं।
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परमाणु अविभाज्य होते हैं, अर्थात् वे न तो उत्पन्न होते हैं, न नष्ट होते हैं, और न ही उनकी संरचना में कोई बदलाव होता है।
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तत्वों के परमाणु किसी निश्चित अनुपात में मिलकर यौगिक बनाते हैं।
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रासायनिक प्रतिक्रियाओं में परमाणु केवल यांत्रिक रूप से मिलते हैं या अलग होते हैं, वे न तो उत्पन्न होते हैं और न ही नष्ट होते हैं।
प्रश्न27. तत्त्वों के निम्नलिखित गुण आवर्त्तसारणी में किस प्रकार आवर्तितता दर्शाते हैं?
उत्तर:
(i) परमाणु त्रिज्या:
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आवर्त्तीय गुण: आवर्त्तसारणी में, परमाणु त्रिज्या ऊपर से नीचे जाने पर बढ़ती है, क्योंकि कोशों की संख्या बढ़ जाती है और बाह्यतम इलेक्ट्रॉनों पर नाभिकीय आकर्षण कम हो जाता है।
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वर्ग में: एक ही आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर परमाणु त्रिज्या घटती है, क्योंकि नाभिक का प्रभाव बढ़ता है, जिससे बाह्यतम इलेक्ट्रॉनों का आकार छोटा हो जाता है।
(ii) आयनन एन्वैल्पी (Ionization Enthalpy):
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आवर्त्तीय गुण: आवर्त्तसारणी में, आयनन एन्वैल्पी ऊपर से नीचे जाने पर घटती है, क्योंकि कोशों की संख्या बढ़ने से बाह्यतम इलेक्ट्रॉनों की नाभिक से आकर्षण कम हो जाता है और वे आसानी से बाहर निकल सकते हैं।
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वर्ग में: एक ही आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर आयनन एन्वैल्पी बढ़ती है, क्योंकि नाभिकीय आकर्षण मजबूत होता है और इलेक्ट्रॉन को बाहर निकालने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
(iii) विद्युत ऋणात्मकता (Electronegativity):
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आवर्त्तीय गुण: आवर्त्तसारणी में, विद्युत ऋणात्मकता ऊपर से नीचे जाने पर घटती है, क्योंकि बाह्यतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ने से इलेक्ट्रॉनों को खींचने की प्रवृत्ति घट जाती है।
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वर्ग में: एक ही आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर विद्युत ऋणात्मकता बढ़ती है, क्योंकि नाभिकीय आवेश बढ़ने से बाह्य इलेक्ट्रॉनों को आकर्षित करने की क्षमता भी बढ़ती है।
प्रश्न28. आधुनिक आवर्तसारणी के द्वारा तत्त्वों के वर्गीकरण को समझाइए।
उत्तर:
आधुनिक आवर्त सारणी (जिसे मोस्ली के आवर्त नियम के आधार पर तैयार किया गया है) तत्वों को उनके परमाणु क्रमांक के अनुसार वर्गीकृत करती है। इस वर्गीकरण से यह स्पष्ट होता है कि तत्वों के गुणधर्म नियमित अंतराल पर दोहराते हैं।
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आवर्त:
आवर्त सारणी में, तत्वों को क्षैतिज पंक्तियों (आवर्तों) में रखा जाता है। एक आवर्त में 8 से 18 तत्व होते हैं। एक आवर्त का प्रत्येक तत्व अपने से पहले वाले तत्व की तुलना में एक परमाणु क्रमांक में अधिक होता है। -
वर्ग (Group):
तत्वों को लंबवत पंक्तियों (वर्गों) में रखा जाता है। प्रत्येक वर्ग में समान गुणधर्म वाले तत्व होते हैं। आधुनिक आवर्त सारणी में 18 वर्ग होते हैं, जिन्हें 1 से 18 तक नामित किया गया है।-
S ब्लॉक: वर्ग 1 और 2
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P ब्लॉक: वर्ग 13 से 18
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D ब्लॉक: वर्ग 3 से 12
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F ब्लॉक: लांथनाइड और एक्टिनाइड श्रेणियाँ
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ब्लॉक:
ब्लॉक तत्वों का वर्गीकरण उनके बाह्यतम इलेक्ट्रॉनों की स्थिति के आधार पर किया जाता है।-
S ब्लॉक: बाह्यतम इलेक्ट्रॉन S कक्षा में स्थित होते हैं।
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P ब्लॉक: बाह्यतम इलेक्ट्रॉन P कक्षा में स्थित होते हैं।
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D ब्लॉक: बाह्यतम इलेक्ट्रॉन D कक्षा में स्थित होते हैं।
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F ब्लॉक: बाह्यतम इलेक्ट्रॉन F कक्षा में स्थित होते हैं।
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इस प्रकार, आवर्त सारणी में तत्त्वों को उनके परमाणु क्रमांक, गुणधर्म, और इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर व्यवस्थित किया गया है।
प्रश्न29. रदरफोर्ड के स्वर्ण पत्र प्रयोग का वर्णन करें। इस प्रयोग का परिणाम तथा निकाले गए निष्कर्षों का भी उल्लेख करें।
उत्तर: रदरफोर्ड का स्वर्ण पत्र प्रयोग (Gold Foil Experiment):
यह प्रयोग 1909 में एर्नेस्ट रदरफोर्ड और उनके सहयोगियों द्वारा किया गया। इस प्रयोग में α कणों (हेलियम नाभिक) को एक अत्यंत पतले स्वर्ण पत्र पर उत्सर्जित किया गया और उसके बाद इन कणों के परावर्तित होने की दिशा और कोणों का अध्ययन किया गया।
प्रयोग का विवरण:
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रदरफोर्ड ने एक रेडियोधर्मी स्रोत से α कणों का उत्सर्जन किया।
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इन कणों को एक पतले स्वर्ण पत्र (स्वर्ण की परत) पर लक्षित किया।
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स्वर्ण पत्र के चारों ओर एक फ्लोरेसेंट स्क्रीन रखी गई थी, जो कणों के परावर्तित होने पर चमकती थी।
परिणाम:
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अधिकांश α कण स्वर्ण पत्र से गुजर गए, और केवल थोड़े से कणों ने ही परावर्तित (बिलकुल सीधे पीछे) किया।
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कुछ कणों ने बड़े कोणों पर परावर्तन किया, जो अप्रत्याशित था।
निष्कर्ष:
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नाभिक की उपस्थिति: रदरफोर्ड ने निष्कर्ष निकाला कि परमाणु का अधिकांश भाग खाली है और उसमें एक केंद्रित नाभिक है, जिसमें सकारात्मक आवेश होता है।
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नाभिक का आकार: नाभिक अत्यधिक छोटे आकार का होता है, क्योंकि केवल कुछ कणों ने बड़े कोण पर परावर्तित किया।
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परमाणु का संरचना: परमाणु में अधिकांश स्थान खाली होता है और नाभिक परमाणु के केंद्र में स्थित होता है।
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नाभिकीय आकर्षण: α कणों का परावर्तन केवल उस समय होता है जब वे नाभिक के पास आते हैं, जिससे नाभिकीय आकर्षण का अस्तित्व स्पष्ट हुआ।