Chapter 15
उसी से ठंडा उसी से गर्म
👉Text Book PDF👉MCQ Online Exam
👉Click Here YouTube Video
प्रश्न 1: लकड़हारा जंगल में क्यों गया था?
उत्तर: लकड़हारा जंगल में लकड़ियाँ काटने गया था ताकि वह शाम को शहर में जाकर उन्हें बेच सके।
प्रश्न 2: लकड़हारा अपने हाथों पर फूँक क्यों मार रहा था?
उत्तर: लकड़हारा अपने हाथों पर फूँक इसलिए मार रहा था ताकि उसकी उँगलियाँ गर्म हो जाएँ, क्योंकि बहुत ठंड पड़ रही थी और उसके हाथ सुन्न हो रहे थे।
प्रश्न 3: मियाँ बालिश्तिये लकड़हारे को देखकर क्या सोच रहे थे?
उत्तर: मियाँ बालिश्तिये सोच रहे थे कि लकड़हारा बार-बार अपने हाथों पर मुँह से फूँक क्यों मार रहा है। वे यह बात समझ नहीं पा रहे थे, इसलिए उन्होंने जाकर लकड़हारे से पूछने का निश्चय किया।
प्रश्न 4: मियाँ बालिश्तिये ने लकड़हारे से क्या पूछा?
उत्तर: मियाँ बालिश्तिये ने लकड़हारे से पूछा कि वह मुँह से अपने हाथों पर फूँक क्यों मार रहा है।
प्रश्न 5: इस कहानी में मियाँ बालिश्तिये जैसे काल्पनिक पात्र का क्या महत्व है?
उत्तर: मियाँ बालिश्तिये जैसे काल्पनिक पात्रों का उपयोग कहानी को रोचक और मजेदार बनाने के लिए किया गया है। ऐसे पात्र बच्चों की कल्पना को बढ़ाते हैं और कहानी में उत्सुकता बनाए रखते हैं।
प्रश्न 6: लकड़हारे ने चूल्हा कैसे बनाया?
उत्तर: लकड़हारे ने इधर-उधर से दो पत्थर उठाकर चूल्हा बनाया और उसमें आग सुलगाकर आलू पकाने रख दिए।
प्रश्न 7: लकड़हारा चूल्हे की आग को बार-बार मुँह से फूंककर क्यों तेज़ कर रहा था?
उत्तर: लकड़ियाँ गीली थीं, इसलिए आग बार-बार बुझ जाती थी। लकड़हारा मुँह से फूंककर आग को तेज़ कर रहा था ताकि आलू अच्छे से पक जाएँ।
प्रश्न 8: जब लकड़हारा गरम आलू खाने लगा, तो उसने क्या किया?
उत्तर: लकड़हारा जब गरम आलू खाने लगा तो उसने मुँह से 'फू-फू' करके उसे ठंडा किया और फिर खाने लगा।
प्रश्न 9: मियाँ बालिश्तिये को क्या-क्या गलतफहमी हुई?
उत्तर: मियाँ बालिश्तिये को लगा कि लकड़हारे के मुँह से आग निकलती है, क्योंकि वह बार-बार फूंक मार रहा था। फिर उन्होंने सोचा कि शायद वह आलू को भी फूंककर जलाने वाला है। उन्हें लकड़हारे की फूँक मारने की वजह समझ में नहीं आ रही थी।
प्रश्न 10: इस कहानी से हमें क्या सिखने को मिलता है?
उत्तर: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हर चीज़ को समझने की कोशिश करनी चाहिए। बिना पूछे या समझे अपने मन से धारणा नहीं बनानी चाहिए। साथ ही, यह भी पता चलता है कि एक ही चीज़ – मुँह से फूँक – अलग-अलग समय पर अलग-अलग काम कर सकती है।
प्रश्न 11: क्या असल में बालिश्तिये होते हैं? लेखक ने बालिश्तिये की बात क्यों की होगी?
उत्तर: नहीं, असल में बालिश्तिये नहीं होते। यह एक कल्पनिक पात्र है। लेखक ने बालिश्तिये की बात इसलिए की होगी ताकि कहानी रोचक बन सके और बच्चों को आसानी से समझ आ सके कि छोटी सोच और सीमित जानकारी रखने वाला व्यक्ति कैसे चीज़ों को गलत समझ सकता है।
प्रश्न 12: क्या तुमने भी कभी सर्दी में अपने हाथों पर फूंक मारी है? कैसा लगता है?
उत्तर: हाँ, सर्दी में अपने हाथों पर फूंक मारने से हाथों को थोड़ी गर्माहट मिलती है और ठंड से राहत मिलती है। यह बहुत अच्छा और आरामदायक महसूस होता है।
प्रश्न 13: मुँह से छोड़ी गई फूँक की हवा आस-पास की हवा के मुकाबले कैसी लगती है?
उत्तर: मुँह से छोड़ी गई फूँक की हवा आसपास की हवा की तुलना में गर्म लगती है, क्योंकि वह हमारे शरीर से निकलती है और शरीर का तापमान बाहर की हवा से अधिक होता है।
प्रश्न 14: अगर हाथों को मुँह से थोड़ी दूरी पर रखो, तब भी क्या मुँह से निकली हुई हवा गर्म लगेगी? क्यों?
उत्तर: अगर हाथों को मुँह से थोड़ी दूरी पर रखा जाए तो हवा उतनी गर्म महसूस नहीं होगी, क्योंकि हवा दूरी तय करते हुए ठंडी हो जाती है और उसका असर कम हो जाता है।
प्रश्न 15:क्या तुम कोई और ऐसी स्थिति सोच सकते हो जब फूंक मारने से गर्मी मिलती है?
उत्तर: हाँ, जब हम ठंड में हाथों को गर्म करने के लिए मुँह से फूँक मारते हैं, या जब हम ठंडी हवा में फूँक मारकर किसी चीज़ को थोड़ा गरम करना चाहते हैं, तब फूँक से गर्मी मिलती है। जैसे – सर्दी में हाथ गरम करने के लिए।
प्रश्न 16: मुलायम कपड़े (जैसे रूमाल) पर फूँक मारने से क्या वह गर्म हो गया?
उत्तर: थोड़ी देर के लिए वह कपड़ा थोड़ा गर्म लग सकता है क्योंकि मुँह से निकलने वाली हवा शरीर के तापमान की होती है, जो आसपास की हवा से गर्म होती है।
प्रश्न 15: अगर लकड़हारा बिना फूँक मारे ही गर्म आलू खा लेता तो क्या होता?
उत्तर: अगर वह बिना फूँक मारे गर्म आलू खा लेता, तो उसकी जीभ या मुँह जल सकता था। इसलिए वह फूँक मारकर उसे ठंडा कर रहा था।
प्रश्न 16: क्या कभी कुछ गर्म खाने या पीने से तुम्हारी जीभ जली है?
उत्तर: हाँ, कभी-कभी बहुत गर्म चाय या दूध पीने से जीभ जल जाती है। तब हम उसे ठंडा करने के लिए फूँक मारते हैं या थोड़ा रुककर पीते हैं।
प्रश्न 17: तुम अपने गर्म खाने को कैसे-कैसे ठंडा करते हो?
उत्तर:
-
फूँक मारकर
-
पंखे के नीचे रखकर
-
थोड़ी देर इंतज़ार करके
-
खाने को थाली में फैला कर
प्रश्न 18: अगर रोटी, चावल और दाल बहुत गर्म हैं तो तुम तीनों को किस-किस तरीके से ठंडा करोगे?
उत्तर:
-
रोटी को हवा में झलझलाकर
-
चावल को थाली में फैलाकर
-
दाल को थोड़ा समय ठंडा होने देकर या फूँक मारकर
-
पंखे के नीचे रखकर
प्रश्न 19: की चाय और उसकी फूँक की हवा में कौन ज्यादा गर्म?
उत्तर: मिन्नी की चाय ज्यादा गर्म है, उसकी फूँक की हवा उससे कम गर्म है, इसलिए वह फूँक मार-मारकर चाय को ठंडा कर रही है।
प्रश्न 20 : के हाथ और उसकी फूँक की हवा में कौन ज्यादा ठंडा या गर्म?
उत्तर: सोनू के हाथ ज्यादा ठंडे हैं, और उसकी फूँक की हवा थोड़ी गर्म है, इसलिए वह हाथों पर फूँक मारकर उन्हें गर्म करने की कोशिश कर रहा है।
प्रश्न 21: क्या तुमने कभी देखा या सुना है कि लोग अलग-अलग चीज़ों से संगीत बजाते हैं?
उत्तर: हाँ! लोग बाँसुरी, ढोलक, बीन, मृदंग, गिटार, शंख, हारमोनियम आदि से संगीत बजाते हैं। इन सभी की आवाज़ अलग-अलग होती है।
अगर आँखें बंद कर लो, तो भी इनकी आवाज़ पहचान सकते हैं – जैसे बाँसुरी की मीठी तान, ढोलक की धम-धम, बीन की सर्प जैसी आवाज़।
प्रश्न 22:कुछ वाद्ययंत्र और उनके चित्र (तुम कॉपी में चित्र चिपका सकते हो):
-
बाँसुरी – फूँक मारने से आवाज़ निकलती है
-
शंख – पूजा में बजाया जाता है
-
बीन – सपेरा बजाता है
-
हारमोनियम – कीबोर्ड और फूँक से
-
गिटार – तारों को बजाकर
-
ढोलक/मृदंग – हाथों से बजता है
प्रश्न 23 :ऐसी चीज़ें जिनमें फूँक मारने से सुहावनी आवाज़ आती है:
-
बाँसुरी
-
शंख
-
बीन
-
हारमोनियम
-
माउथ ऑर्गन
-
सीटी (whistle)
प्रश्न 24: क्या तुमने किसी को चश्मा साफ़ करते देखा है मुँह से फूँक मारकर?
उत्तर: हाँ, लोग चश्मे पर मुँह से फूँक मारते हैं जिससे उस पर नमी आ जाती है, और फिर कपड़े से पोंछकर साफ करते हैं। यह नमी चश्मे पर जमी धूल हटाने में मदद करती है।
प्रश्न 25: स्टील का गिलास मुँह के पास लाकर साँस छोड़ने पर क्या होता है?
उत्तर: गिलास थोड़ा धुँधला हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मुँह से निकलने वाली हवा में भाप (नमी) होती है, और जब वह ठंडी सतह से टकराती है, तो पानी की छोटी बूँदें बन जाती हैं।
प्रश्न 26:क्या शीशा भी ऐसे ही धुँधला हो सकता है?
उत्तर: हाँ! जब मुँह की गर्म और नम हवा ठंडे शीशे पर लगती है, तो वह भी धुँधला हो जाता है। इसे हम उंगली से छूकर महसूस भी कर सकते हैं। छोड़ी हुई हवा गीली होती है।
प्रश्न 27:छाती पर हाथ रखो और साँस भरो:
उत्तर: जब हम साँस भरते हैं, छाती बाहर की ओर उठती है। और जब साँस छोड़ते हैं, तो छाती अंदर जाती है। इससे पता चलता है कि हमारे फेफड़े फैल और सिकुड़ रहे हैं।
प्रश्न 28: साँस लेने और छोड़ने पर छाती के नाप में फर्क आया क्या?
उत्तर: हाँ! जब हमने गहरी साँस ली, तब छाती का नाप बड़ा हुआ।
जब साँस छोड़ी, तो छाती का नाप कम हो गया।
इसका कारण है कि साँस लेने पर हमारे फेफड़े हवा से भर जाते हैं और फैल जाते हैं।
प्रश्न 29: नाक के पास उंगली रखकर क्या हवा महसूस हुई?
उत्तर: हाँ, नाक के पास उंगली रखने पर साँस छोड़ते समय गर्म हवा महसूस होती है।
प्रश्न 30: साँप के घूमने से हमें क्या समझ में आता है?
उत्तर: साँप के घूमने से हमें यह पता चलता है कि हवा किस दिशा में बह रही है –
-
अगर साँप घड़ी की दिशा में घूमे, तो हवा नीचे से ऊपर जा रही है (जैसे गर्म हवा)।
-
अगर साँप घड़ी की उल्टी दिशा में घूमे, तो हवा ऊपर से नीचे आ रही है (जैसे ठंडी हवा या पंखे की हवा)।
प्रश्न 31: फूँक का इस्तेमाल चीज़ों को ठंडा करने के लिए भी करते हैं और गर्म करने के लिए भी। दोनों का एक-एक उदाहरण दो।
उत्तर:
उपयोग | उदाहरण |
---|---|
ठंडा करने के लिए | गरम चाय या गरम आलू को खाने से पहले मुँह से फूँक मारते हैं। |
गर्म करने के लिए | ठंड में हाथों को गर्म करने के लिए उन पर फूँक मारते हैं। |
प्रश्न 29: दीदी ने दुपट्टे पर फूँक मारकर अमित के माथे पर क्यों रखा?
उत्तर: दीदी ने दुपट्टे पर फूँक मारकर उसे थोड़ा ठंडा किया ताकि वह अमित के सूजे हुए माथे पर ठंडक पहुँचाए और सूजन कम हो।
Priyanka Das