Chapter 6

 बूंद-बूंद, दरिया-दरिया 

1. “बूंद-बूंद, दरिया-दरिया...” पाठ – मुख्य बातें

उत्तर: घड़सीसर तालाब की विशेषताएँ:

  1. 650 साल पुराना तालाब – जैसलमेर के राजा घड़सी ने बनवाया था।

  2. लोगों ने मिल-जुलकर काम किया।

  3. तालाब के पास थे –

    • पक्के घाट

    • बरामदे

    • कमरे और हॉल

    • स्कूल जहाँ बच्चे पढ़ते थे

  4. तालाब में बारिश का पानी इकट्ठा होता था और जब एक भरता, तब अगला भरने लगता।

  5. नौ तालाब आपस में जुड़े थे – इस तरह पानी पूरे साल भरपूर रहता।

2. प्रश्न और उत्तर

1. घड़सीसर क्या था और किसने बनवाया था?

उत्तर: घड़सीसर एक तालाब था जिसे जैसलमेर के राजा घड़सी ने लोगों के साथ मिलकर बनवाया था।

2. घड़सीसर तालाब के किनारे क्या-क्या था?

उत्तर: इस तालाब के पास पक्के घाट, सजे हुए बरामदे, कमरे, बड़े हॉल और एक स्कूल था जहाँ बच्चे पढ़ने आते थे।

3. लोग तालाब को साफ कैसे रखते थे?

उत्तर: लोग इस बात का ध्यान रखते थे कि तालाब गंदा न हो और सफ़ाई में भी वे खुद हिस्सा लेते थे।

4. घड़सीसर तालाब में पानी कैसे आता था और कहाँ जाता था?

उत्तर: बारिश का पानी इसमें इकट्ठा होता था। जब यह भर जाता, तो अतिरिक्त पानी नीचे बने दूसरे तालाब में चला जाता। इस तरह नौ तालाब आपस में जुड़े थे।

5. आज घड़सीसर कैसा हो गया है? क्यों?

उत्तर: आज घड़सीसर उजड़-सा हो गया है क्योंकि उसके रास्ते में अब मकान और कॉलोनियाँ बन गई हैं। बारिश का पानी अब तालाब तक नहीं पहुँच पाता।

3. सोचो और बताओ:

  उत्तर: अगर आज भी हम मिलकर तालाब, बावड़ी या कुएँ बनाएँ तो हमें क्या-क्या फ़ायदा हो सकता है?
  • क्या तुम्हारे आसपास ऐसा कोई तालाब या जलस्रोत है जो अब सूख गया है या गंदा हो गया है?
  • अगर गाँव या शहर में ऐसा कोई प्राचीन जल स्रोत है तो क्या उसे दोबारा उपयोगी बनाया जा सकता है?

4. गतिविधियाँ:

उत्तर: घड़सीसर तालाब का चित्र बनाओ – दिखाओ कैसे तालाबों की श्रृंखला बनती थी।
  • एक डायग्राम बनाओ जो दिखाए कि कैसे बारिश का पानी एक तालाब से दूसरे में जाता था।

  • कक्षा में एक ड्रामा तैयार करो – “अगर पानी बोल पाता... तो क्या कहता?”

5. अल-बिरूनी की नज़र से — मुख्य बातें

 अल-बिरूनी कौन थे?

  • अल-बिरूनी लगभग 1000 साल पहले भारत आए थे।

  • वे जिस देश से आए थे, आज उसे उज़्बेकिस्तान कहा जाता है।

  • वे घूमकर, देखकर, और लिखकर बहुत सी जानकारी एकत्र करते थे।

तालाबों के बारे में उनकी राय:

  • भारत के लोग तालाब बनाने में माहिर हैं।

  • वे भारी पत्थरों से तालाबों के चारों ओर चबूतरे बनाते थे।

  • सीढ़ियाँ होती थीं जो ऊपर से नीचे तक जाती थीं।

  • उतरने-चढ़ने के अलग रास्ते होते थे – इससे भीड़ नहीं लगती थी।

  • उनके लेखन से आज हमें इतिहास की जानकारी मिलती है।

6. प्रश्न और उत्तर

1. अल-बिरूनी कहाँ से आए थे?

उत्तर: अल-बिरूनी उज्बेकिस्तान (जो उस समय का एक अलग इलाका था) से आए थे।

2. अल-बिरूनी भारत में क्या देखकर हैरान हुए?

उत्तर: वे भारत के लोगों द्वारा बनाए गए बड़े-बड़े तालाबों को देखकर हैरान हुए। उन्होंने देखा कि लोग चबूतरे और सीढ़ियाँ बड़ी कुशलता से बनाते थे।

3. अल-बिरूनी की किताबों से आज क्या पता चलता है?

उत्तर: उनकी किताबों से हमें 1000 साल पहले के भारत की समाज, रहन-सहन और तकनीक की जानकारी मिलती है।

7सोचो और पता करो:

 अपने स्कूल या घर के पास ये देखें:

  • वहाँ पक्की सड़कें हैं या कच्चा मैदान?

  • इलाका ढलान वाला है या समतल?

  • बारिश का पानी कहाँ जाता है — नालियों, गड्ढों, जमीन में या पाइपों में?

8.  बूंद-बूंद की कीमत:

  • जैसलमेर जैसे इलाकों में बारिश बहुत कम होती है, फिर भी लोग पानी को संजोकर रखते हैं।

  • इस तरह के जल-संरक्षण के तरीके और क्षेत्रों की खोज करो।

 9. खोज की गतिविधियाँ:

  • उज़्बेकिस्तान को नक्शे में ढूँढो। कौन-कौन से देश उसके पास हैं?

  • अल-बिरूनी की तस्वीर या डाक टिकट देखो (1973 में जारी हुआ था)।

  • ऐसे अन्य स्रोतों के बारे में जानो:

    • पुराने सिक्के

    • दस्तावेज

    • चित्र

    • इमारतें (जैसे कुतुब मीनार, किले, बावड़ियाँ)

10. गतिविधियाँ और चर्चा के विषय:

  • तालाब की सीढ़ियों और चबूतरे का चित्र बनाओ जैसा अल-बिरूनी ने बताया।

  • सोचो, अगर आज भी हम ऐसे तालाब बनाते तो हमारे पानी की समस्या कितनी कम हो सकती थी?

  • क्या तुम्हारे गाँव या शहर में कोई ऐसा प्राचीन जलस्रोत है? 

11. बूँद-बूँद, दरिया-दरिया… – मुख्य बातें

उत्तर: पानी की समझदारी:

  • राजस्थान जैसे सूखे क्षेत्रों में भी पानी की कमी नहीं थी क्योंकि लोग हर बूँद की कीमत जानते थे

  • तालाब, जोहड़, बावड़ी, और कुँए मिलकर जल-संचय करते थे।

साझी ज़िम्मेदारी:

  •  

    पानी का इंतजाम सभी मिलकर करते – व्यापारी, किसान, मजदूर सभी।
  • तालाबों का पानी ज़मीन सोख लेती थी, जिससे आसपास के कुएँ और बावड़ियाँ भर जाती थीं।

घर में भी इंतजाम:

  • छत पर गिरे बारिश के पानी को जमीन के नीचे बने टैंक में पहुँचाने की व्यवस्था थी।

12. सोचो और समझो

प्रश्न और उत्तर:

1. ऐसे क्षेत्रों में पानी की कमी क्यों नहीं होती थी?

उत्तर: क्योंकि लोग बारिश की हर बूँद को संजोते थे और मिल-जुलकर तालाब और जोहड़ बनाते थे।

2. तालाबों का पानी कुएँ और बावड़ी तक कैसे पहुँचता था?

उत्तर: तालाब का कुछ पानी जमीन में सोख लिया जाता था, जो जमीन के नीचे जाकर कुओं और बावड़ियों को भर देता था।

3. बावड़ी को सीढ़ीदार कुआँ क्यों कहते हैं?

उत्तर: क्योंकि उसमें लोग खुद नीचे उतरकर पानी तक पहुँचते थे, ना कि ऊपर से खींचते थे।

4. प्यासे यात्रियों के लिए बावड़ियाँ क्यों बनवाई जाती थीं?

उत्तर: क्योंकि पानी पिलाना पुण्य का काम माना जाता था, इसलिए सुंदर और उपयोगी बावड़ियाँ बनती थीं।


13.गतिविधि 2: खुद से बनाओ

बावड़ी का चित्र बनाओ

उत्तर: सीढ़ियाँ जो नीचे पानी तक जाती हों।

  • पानी भरा हुआ दिखाई दे।

  • आसपास पेड़-पौधे या यात्री बैठे हों।

14. शिक्षक और छात्र के लिए चर्चा:

उत्तर: पानी ज़मीन कैसे सोखती है?

  • मिट्टी की परतों से होकर पानी नीचे तक कैसे पहुँचता है?

  • क्या तुम्हारे गाँव/शहर में कोई पुरानी बावड़ी या जोहड़ है?

  • क्या हम आज भी वैसा पानी संजोने का तरीका अपना सकते हैं? 

15. पानी की किल्लत और पुराने ज़माने की जल-संस्कृति – प्रश्नोत्तर और गतिविधि

प्रश्न-उत्तर

1. क्या तुम्हारे यहाँ कभी पानी की किल्लत हुई है? अगर हाँ, तो क्यों?

उत्तर: हाँ, हमारे यहाँ गर्मियों में पानी की किल्लत होती है क्योंकि बारिश कम होती है और ट्यूबवेल सूख जाते हैं। कई बार नल में भी कई दिनों तक पानी नहीं आता।

2. जब दादी/नानी तुम्हारी उम्र की थीं, तब घर में पानी कहाँ से आता था?

उत्तर: तब घर में न तो नल थे और न ही टैंक। लोग कुएँ, बावड़ी या तालाब से पानी भरकर लाते थे। कई बार पानी भरने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी।

3. क्या 'तब' और 'अब' में कोई बदलाव आया है?

उत्तर: हाँ, अब हर घर में पाइपलाइन और नल हैं। लोग आसानी से घर में पानी पा जाते हैं, लेकिन कुछ लोग पानी की कद्र नहीं करते और बर्बाद करते हैं।

4. मुसाफ़िरों के लिए पानी का क्या इंतजाम होता था?

उत्तर: पहले गाँवों और शहरों में मुसाफ़िरों के लिए प्याऊ, मटकियाँ, मशक या तालाबों का इंतजाम होता था।
अब लोग पानी की बोतलें, फिल्टर, या कूलर साथ रखते हैं। रेलवे स्टेशन और बस अड्डों पर वाटर ATM होते हैं।

16. यह कितना पुराना है? किसने बनवाया होगा?

उत्तर : हमारे गाँव का कुआँ लगभग 80 साल पुराना है। इसे गाँव के ज़मींदार रामनाथजी ने बनवाया था ताकि सभी लोग पानी भर सकें।

17. इसके आस-पास किस तरह की इमारत बनी है?

उत्तर: इस बावड़ी के चारों तरफ पत्थर की दीवारें हैं और उतरने के लिए सीढ़ियाँ बनी हैं। पास में एक छोटा मंदिर भी है।

18. पानी साफ़ है या नहीं? क्या इसकी सफ़ाई होती है?

उत्तर: पानी थोड़ा हरा हो गया है क्योंकि लोग सफ़ाई नहीं करते। पहले महीने में एक बार गाँव के लोग सफ़ाई करते थे।

19. यहाँ से कौन-कौन पानी भरते हैं?

उत्तर: कुछ लोग आज भी यहाँ से पीने या नहाने का पानी भरते हैं, खासकर गर्मियों में जब नलों में पानी नहीं आता।

20. क्या कभी यहाँ कोई त्योहार मनाया जाता है?

उत्तर: हाँ, छठ पूजा, गंगा दशहरा जैसे त्योहारों पर महिलाएँ पूजा करने यहाँ आती हैं। तालाब के किनारे मेला भी लगता है।

21. पानी कहीं सूख तो नहीं गया?

उत्तर: हां, गर्मियों में कभी-कभी कुआँ सूख जाता है। पहले पानी साल भर रहता था, लेकिन अब कम बारिश होती है।

22. पानी के बर्तन और कला पर चर्चा

  • क्या तुम्हारे घर में पानी के लिए ताँबे, पीतल, स्टील, या मिट्टी के बर्तन इस्तेमाल होते हैं?

  • क्या तुमने कभी घड़े, सुराही, या कलश जैसे बर्तन देखे हैं?

  • क्या तुमने किसी मंदिर, बावड़ी या तालाब पर नक्काशी, मूर्तियाँ, या सुंदर इमारतें देखी हैं?

उत्तर : मेरे नानीघर में अभी भी ताँबे के कुंड में पानी रखा जाता है। उसमें पानी ठंडा रहता है और पीने में अच्छा लगता है। गाँव के पुराने कुएँ पर पत्थर की नक्काशी है और पास में गणेशजी की मूर्ति बनी है।

23.गतिविधि सुझाव:

  1. चित्र बनाओ – एक तालाब, कुआँ या बावड़ी का चित्र बनाओ जिसमें सीढ़ियाँ, मूर्तियाँ और पानी भरते लोग दिख रहे हों।

  2. प्रोजेक्ट चार्ट – एक चार्ट पेपर पर "हमारे गाँव/शहर का जल स्रोत" लिखकर सारी जानकारी सजाओ।

  3. साक्षात्कार – किसी दादी/नानी या बड़े से बातचीत करके रिकॉर्डिंग या कहानी लिखो। 

24.चर्चा के सवाल और उत्तर (बच्चों की भाषा में)

1. कुएँ सूखने की क्या वजह हो सकती है?

संभावित कारण:

  • ज़मीन से मोटर लगाकर ज्यादा पानी निकालना

  • बारिश का पानी ज़मीन में नहीं जा पाता क्योंकि ज़मीन पक्की हो गई है

  • पुराने तालाब और बावड़ियाँ अब नहीं रही

  • पेड़ कम हो गए हैं, जिससे पानी धरती में नहीं जा पाता

उत्तर : मेरी दादी बताती हैं कि पहले कुएँ में हमेशा पानी रहता था। लेकिन अब मोटर से बहुत पानी निकाला जाता है और बारिश का पानी ज़मीन में नहीं जा पाता। इसलिए कुएँ सूख गए हैं।

25. आजकल लोग पानी का इंतजाम कैसे करते हैं?

चित्र (पेज 57) के आधार पर चर्चा के बिंदु:

  उत्तर: कहीं हैंडपंप से पानी आता है
  • कहीं टैंकर से पानी लाया जाता है

  • कुछ घरों में बोरवेल से आता है

  • कुछ जगहों पर रोज़ लाइन में लगकर पानी भरना पड़ता है

  • कुछ जगहों पर नल से 24 घंटे पानी आता है, कुछ जगहों पर सिर्फ 1-2 घंटे

बच्चों से पूछने के लिए:

  • क्या तुम्हारे घर में रोज पानी आता है?

  • क्या तुम्हें पानी भरने के लिए लाइन लगानी पड़ती है?

  • क्या सबको बराबर पानी मिलता है?

  26. अपने घर में पानी किस तरह आता है?
  1. (नीचे विकल्प पर ✔️ निशान लगाओ या खुद लिखो)

    तरीका✔️ करो
    नल से रोज आता है
    बोरवेल या मोटर से
    हैंडपंप से
    टैंकर से
    कुएँ से
    अलग तरीका (लिखो)________

    27. विचार और चर्चा (शिक्षकों और बच्चों के लिए)

    महत्वपूर्ण मुद्दे:

    • क्या सभी को पानी बराबर मिलता है?

    • क्या किसी को जात-पात या गरीबी की वजह से पानी लेने में परेशानी होती है?

    • क्या लड़कियाँ ही अकसर पानी लाती हैं? लड़कों का क्या रोल होता है?

    चर्चा का उद्देश्य:
    बच्चों में समानता, जागरूकता और सहानुभूति पैदा करना। उन्हें बताना कि पानी सभी का हक है।

    30. गतिविधियाँ

    1. चित्र बनाओ

    बच्चे एक चित्र बनाएं जिसमें:

    • कोई पानी भरता हो

    • कुआँ, बावड़ी या टैंकर दिख रहा हो

    • कोई परिवार लाइन में खड़ा हो

    3. साक्षात्कार

    बच्चे घर में जाकर माँ, दादी, नानी या पड़ोसी से पूछें:

    • पहले पानी कैसे आता था?

    • क्या पहले पानी की किल्लत थी?

31.सारांश: “पानी कहाँ से आता है?”

उत्तर: हर घर में पानी लाने का तरीका अलग-अलग है।
कहीं टैंकर आता है, कहीं नहर से भरते हैं,
कहीं नल से थोड़ा-थोड़ा पानी आता है,
तो कहीं टुल्लू पंप लगाकर ज़्यादा पानी खींच लिया जाता है।

पर कई जगह लोग:

  • दूर जाकर पानी भरते हैं

  • जात के नाम पर भेदभाव सहते हैं

  • खारा पानी झेलते हैं

  • और कभी-कभी पानी खरीदना भी पड़ता है

32.महत्वपूर्ण बातें (बच्चों के समझने लायक)

उत्तर: पानी सभी की जरूरत है, लेकिन सभी को बराबर नहीं मिलता।
  1. कई बार पानी के लिए लोग लड़ते हैं – ये झगड़े क्यों होते हैं?

  2. कुछ लोग ज़रूरत से ज़्यादा पानी ले लेते हैं (जैसे टुल्लू पंप) – इससे दूसरों को क्या नुकसान हो सकता है?

  3. कुछ जगहों पर पानी लेने में जात-पात की वजह से रोक लगाई जाती है – क्या ये सही है?

  4. खराब पानी पीने से सेहत पर क्या असर हो सकता है?

33. गतिविधि – "हमारे यहाँ पानी कैसे आता है?"

बच्चों को यह तालिका भरने को कहें:

सवालमेरा जवाब
तुम्हारे घर में पानी कहाँ से आता है?___________
दिन में कितनी बार पानी आता है?___________
क्या कभी पानी भरने के लिए लाइन लगानी पड़ी है?हाँ / नहीं
क्या तुम्हें पानी के लिए दूर जाना पड़ता है?हाँ / नहीं
क्या तुम्हारे मोहल्ले में किसी को पानी के लिए परेशानी होती है?हाँ / नहीं
अगर होती है, तो क्यों?___________

34. ड्रामा एक्टिविटी का विचार

शीर्षक: “पानी की लाइन”
किरदार:

  • टैंकर का इंतज़ार कर रहे लोग

  • एक परिवार जिसमें बूढ़ी दादी, बच्चा और माँ है

  • एक आदमी जिसने टुल्लू पंप लगा लिया है

  • एक लड़की जिसे पानी लाने जात के कारण रोका गया

  • एक दोस्त जो कहता है – “पानी सबका हक है!”

उद्देश्य: बच्चों को यह महसूस कराना कि पानी सबका अधिकार है, और हमें मिल-जुलकर इसे बाँटना चाहिए।

35. सोचने के लिए सवाल

  • क्या टुल्लू पंप लगाना सही है? क्यों?

  • पानी के लिए भेदभाव सही है? अगर नहीं, तो इसे कैसे रोका जाए?

  • क्या कोई ऐसा तरीका हो सकता है जिससे सबको बराबर पानी मिले?

36. चर्चा के सवालों पर सरल जवाब और सोचने के बिंदु

सवाल 1:

क्या जीने के लिए हर किसी को पानी मिल रहा है?

उत्तर: नहीं। कुछ जगहों पर लोग घंटों लाइन में लगते हैं, टैंकर का इंतज़ार करते हैं,
जबकि कुछ लोग ज़्यादा पैसे देकर आराम से खरीद लेते हैं।

सवाल 2:

कुछ लोगों को पानी खरीदकर क्यों पीना पड़ता है?

  •  क्योंकि उनके इलाके में नल का पानी नहीं आता।
  • ज़मीन का पानी खारा (नमक वाला) होता है।

  • बोरिंग या हैंडपंप से पानी नहीं आता।

  • जल बोर्ड की सुविधा वहाँ नहीं है।

सवाल 3:

पृथ्वी पर पानी साँझा (सबका) है, फिर भी कुछ लोग ज़्यादा क्यों खींच लेते हैं?

  • अमीर लोग गहरी बोरिंग करवाते हैं।
  • टुल्लू पंप लगाकर ज़्यादा और ज़ल्दी पानी खींच लेते हैं।

  • इससे बाकी लोग, जिनके पास ये साधन नहीं हैं, पानी से वंचित रह जाते हैं।

सवाल 4:

टुल्लू पंप क्यों लगाते हैं? इससे दूसरों को क्या नुकसान होता है?

क्यों लगाते हैं:

  • कम प्रेशर से नल में पानी नहीं आता।

  • पानी जल्दी भरना चाहते हैं।

नुकसान:

  • दूसरों के नल में पानी पहुँचे उससे पहले टुल्लू पंप पानी खींच लेता है।

  • गरीब या बुज़ुर्ग लोग पानी से वंचित हो जाते हैं।

तुम्हारा अनुभव क्या कहता है? (बच्चों को सोचने को कहें)
  • क्या तुमने कभी टुल्लू पंप या बोरिंग से पानी लेते देखा है?

  • क्या तुम्हारे घर में भी कभी पानी की किल्लत हुई है?

  • क्या कोई ऐसा परिवार है जिसे पानी खरीदना पड़ता है?

37. बिल से जुड़े सवालों पर गाइड

कल्पना करें कि बच्चों को एक जल बिल दिखाया गया है।

सवाल 1:

बिल कौन-से दफ्तर से आया है?
( दिल्ली जल बोर्ड (या आपके राज्य की जल सेवा)

सवाल 2:

दिल्ली जल बोर्ड के नीचे दिल्ली सरकार क्यों लिखा है?
(क्योंकि यह जल सेवा राज्य सरकार के अधीन आती है।

सवाल 3:

बिल किसके नाम से है? कितने पैसे देने हैं?
( बच्चों से पूछें कि क्या उन्होंने नाम पढ़ा और रकम देखी?

सवाल 4:

क्या तुम्हारे यहाँ पानी के पैसे देने पड़ते हैं?
(हाँ/नहीं – उत्तर बच्चों के अनुभव पर निर्भर करेगा।

सवाल 5:

क्या अलग-अलग इलाकों में रेट अलग होते हैं?
➤ पता करें – जैसे अमीर बस्तियों में मीटर से बिल आता है, झुग्गियों में टैंकर से।

38. कक्षा में चर्चा के लिए सुझाव

  • पानी पर सबका बराबर हक है।

  • जो ज़रूरत से ज़्यादा पानी ले रहे हैं, वे दूसरों का हक छीन रहे हैं।

  • हमें मिल-जुलकर पानी की किल्लत को सुलझाना होगा। 

39. हम क्या समझे? — अभ्यास और उत्तर

प्रश्न 1: तुमने इस तरह की क्या कोई खबर पढ़ी है? लोगों ने मिलकर पानी की परेशानी को कैसे दूर किया?

उत्तर: हाँ, मैंने ऐसी खबर पढ़ी है जिसमें गाँव के लोगों ने मिलकर पुराने तालाब की सफाई की और उसे दोबारा इस्तेमाल में लाया। कई बार लोग खुद चंदा इकट्ठा करके तालाबों या बावड़ियों को ठीक करवा लेते हैं, जैसे जोधपुर की बावड़ी की सफाई की गई थी। इससे पूरे गाँव को फायदा हुआ।

प्रश्न 2: क्या किसी पुराने तालाब को ठीक करके इस्तेमाल किया गया?

उत्तर: हाँ, जैसे राजस्थान के अलवर जिले में दड़की माई और गाँव वालों ने मिलकर पुराना तालाब ठीक किया और पानी इकट्ठा होने लगा। इससे गर्मियों में भी कुएँ नहीं सूखे और जानवरों को पानी मिला।

40. पोस्टर बनाने की गतिविधि

नारा (स्लोगन) सुझाव:

उत्तर: "पृथ्वी पर पानी सभी का है, साँझा है!"
  1. "बूंद-बूंद बचाओ, कल के लिए बचाओ।"

  2. "पानी नहीं होगा तो जीवन नहीं होगा।"

  3. "पानी की हर बूँद की कीमत पहचानो।"

  4. "तालाब, कुएँ, बावड़ी बचाओ – गाँव में खुशहाली लाओ।"

पोस्टर चित्र के लिए सुझाव:

  • एक तरफ सूखा कुआँ और परेशान लोग

  • दूसरी तरफ भरा तालाब, हरे-भरे पेड़, खुश गाँव

  • बूँद-बूँद से तालाब भरता हुआ दिखाएं

  • दड़की माई जैसी महिला को पानी खींचती हुई दिखाएं

41. पानी का बिल देखने का अभ्यास

प्रश्न 1: यह बिल किस तारीख से किस तारीख तक का है?

उत्तर: 01 जनवरी 2025 से 31 मार्च 2025 तक

प्रश्न 2: बिल में और क्या-क्या देख पा रहे हो?

उत्तर:
  • मीटर नंबर

  • खपत (कितने यूनिट पानी खर्च हुआ)

  • पिछला बकाया

  • मरम्मत/सेवा शुल्क

  • टोटल बिल राशि

  • बिल जमा करने की आखिरी तारीख

42. शिक्षक संकेत (टीचिंग टिप्स):

  • बच्चों को स्थानीय जल स्रोतों पर चर्चा के लिए प्रेरित करें।

  • अगर संभव हो तो पास की बावड़ी/तालाब की विज़िट करवाएं।

  • स्थानीय बुजुर्गों से बात करवा कर पुराने समय के जल प्रबंधन के अनुभव जानें।

  • पोस्टर बनवाकर कक्षा में प्रदर्शनी लगाएं। 

  Priyanka Das