Chapter 9
डायरी कमर सीधी, ऊपर चढ़ो!
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1. यह डायरी किसके अनुभव को बताती है?
उत्तर: यह डायरी एक महिला टीचर के अनुभव को बताती है, जो नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग, उत्तरकाशी में पहाड़ पर चढ़ने की ट्रेनिंग के लिए गई थीं।
2. डायरी किस तारीख की है और कहाँ की है?
उत्तर:डायरी की तारीख है 2 फरवरी 1984, और यह उत्तरकाशी में नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग के कैंप की है।
3. पहले ही दिन उन्हें कितने किलोमीटर चलना पड़ा?
उत्तर: पहले ही दिन उन्हें 26 किलोमीटर पहाड़ी, सँकरे और ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर चलना पड़ा।
4. टीचर को किन दिक्कतों का सामना करना पड़ा?
उत्तर:
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उनके पैरों में छाले पड़ गए थे।
-
कमर पर भारी बैग (पिट्ठू) था।
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उन्हें बहुत दर्द हो रहा था।
-
चलना मुश्किल हो गया था।
5. उन्होंने क्या सोचा था कि ब्रिगेडियर ज्ञान सिंह से क्या कहेंगी?
उत्तर: उन्होंने सोचा था कि ब्रिगेडियर से कहेंगी कि वे ट्रैकिंग पर नहीं जा सकतीं, क्योंकि उन्हें बहुत दर्द हो रहा है।
6. ब्रिगेडियर ज्ञान सिंह ने क्या प्रतिक्रिया दी?
उत्तर: उन्होंने सख्त और हौसला बढ़ाने वाली बात कही:
"पैरों में छाले पड़े हैं, चल नहीं सकती—यही कहना चाहती हैं ना आप! यह कोई नई बात नहीं है। जल्दी तैयार हो जाओ!"
यह दिखाता है कि वह सभी प्रतिभागियों को हिम्मत और अनुशासन सिखाना चाहते थे।
7. तुम्हें क्या लगता है – पहाड़ पर चढ़ना आसान होता है या कठिन? क्यों?
उत्तर: मुझे लगता है कि पहाड़ पर चढ़ना कठिन होता है क्योंकि:
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रास्ता ऊबड़-खाबड़ होता है
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शरीर में ताकत और सहनशक्ति चाहिए होती है
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मौसम बदल सकता है
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डर और थकान को झेलना पड़ता है
8. ग्रुप नंबर सात की लीडर कौन थी?
उत्तर: ग्रुप नंबर सात की लीडर केंद्रीय विद्यालय की टीचर थीं, जो डायरी लिख रही हैं।
9. लीडर को क्या जिम्मेदारियाँ दी गई थीं?
उत्तर: लीडर की जिम्मेदारियाँ थीं:
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साथियों का सामान उठाने में मदद करना
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सबसे पीछे चलना और ध्यान रखना कि कोई पीछे न रह जाए
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जरूरत पड़ने पर हाथ पकड़कर चढ़ाना
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रुकने के लिए सही जगह ढूँढना
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बीमार साथी की देखभाल करना
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खाने-पीने का ध्यान रखना
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साथी से गलती हो जाए तो हँसते हुए सजा भुगतना
10. ग्रुप नंबर सात में किस-किस राज्य की लड़कियाँ थीं?
उत्तर: ग्रुप नंबर सात में असम, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय और नागालैंड राज्यों की लड़कियाँ थीं।
11. लेखिका को क्या दुख था?
उत्तर: उन्हें दुख था कि वे इन राज्यों की लड़कियों की भाषा नहीं समझ सकीं और वे खुद भी हिंदी ठीक से नहीं बोल पाती थीं, जिससे आपसी बातचीत सीमित रही।
12. क्या तुमने कभी पहाड़ देखे हैं या चढ़ाई की है?
उत्तर: अगर नहीं किया तो कल्पना करो:
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रास्ते संकरे और ऊँचे होंगे
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कहीं घास और फूल होंगे
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कभी ठंडी हवा, कभी गर्मी
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बीच-बीच में रुकना पड़ेगा
13. तुम एक बार में कितनी दूर चल सकते हो?
उत्तर: जैसे: "मैं एक बार में करीब 4 किलोमीटर चल सकता हूँ। अगर ट्रैकिंग हो तो शायद थोड़ा और।"
14. पहाड़ पर चढ़ने का रास्ता ऐसा हो सकता है:
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टेढ़ा-मेढ़ा रास्ता
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पेड़-पौधे और झाड़ियों से घिरा हुआ
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कहीं पत्थर, कहीं फिसलन
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ऊपर चोटी पर सूरज और झंडा भी बना सकते हो
15. ग्रुप लीडर की जिम्मेदारियों के बारे में तुम क्या सोचते हो?
उत्तर: ग्रुप लीडर की जिम्मेदारियाँ बहुत ज़रूरी और जिम्मेदारियों से भरी होती हैं। उन्हें न केवल खुद का ध्यान रखना होता है, बल्कि पूरे ग्रुप का भी। उन्हें सबसे पीछे रहकर यह देखना होता है कि कोई साथी पीछे न रह जाए, बीमार का ध्यान रखना, खाने-पीने का इंतज़ाम देखना और अगर कोई गलती हो तो खुद सजा भुगतना—यह बहुत साहस और सेवा भावना का काम है।
16. अगर तुम्हें ऐसे कैंप में लीडर चुना जाए तो तुम्हें कैसा लगेगा?
उत्तर : अगर मुझे ऐसे कैंप में लीडर चुना जाए तो मुझे गर्व महसूस होगा। साथ ही थोड़ी घबराहट भी होगी क्योंकि यह बहुत जिम्मेदारी वाला काम है। लेकिन मैं कोशिश करूँगा कि सबकी मदद कर सकूँ और एक अच्छा लीडर बन सकूँ।
17. तुम्हारी कक्षा में मॉनीटर की क्या-क्या ज़िम्मेदारियाँ होती हैं?
उत्तर: कक्षा में मॉनीटर की जिम्मेदारियाँ होती हैं:
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कक्षा में अनुशासन बनाए रखना
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उपस्थिति दर्ज करना
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जब टीचर न हों तो शांति बनाए रखना
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ब्लैकबोर्ड साफ़ करना या जरूरत का सामान लाना
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किसी छात्र को परेशानी हो तो टीचर को बताना
18. क्या तुम मॉनीटर बनना पसंद करोगे? क्यों?
उत्तर: हाँ, मैं मॉनीटर बनना पसंद करूँगा क्योंकि इससे मुझे ज़िम्मेदार बनना सीखने मिलेगा और सबकी मदद करने का मौका मिलेगा। यह मेरे आत्मविश्वास को भी बढ़ाएगा।
या
नहीं, मैं मॉनीटर बनना पसंद नहीं करूँगा क्योंकि मुझे लगता है कि मैं थोड़ा शर्मीला हूँ और मुझे सबको संभालने में अभी थोड़ी परेशानी होगी। लेकिन भविष्य में ज़रूर बनना चाहूँगा।
19. जब कोई नदी पार करने में डर रहा था, तब प्रशिक्षक ने क्या किया?
उत्तर: जब कोई भी नदी पार करने के लिए आगे नहीं बढ़ रहा था, तब प्रशिक्षक खुद रस्सी और हुक लेकर संगीता मैडम के पास आए। उन्होंने सबको उत्साहित करने के लिए ज़ोर से कहा – "श्री चीयर्स फॉर संगीता मैडम!" और फिर किसी ने उन्हें हल्के से धक्का दे दिया, जिससे संगीता मैडम पानी में उतर गईं।
20. संगीता मैडम को सबसे ज़्यादा डर कब लगा और क्यों?
उत्तर: संगीता मैडम को सबसे ज़्यादा डर तब लगा जब वे नदी के बीचोंबीच पहुँच गईं और उनके पैर जमीन पर टिक नहीं रहे थे। उस समय उनके हाथ से रस्सा भी छूट गया था, और उन्हें लगा कि वे बह जाएँगी। ठंड और डर से उनका पूरा शरीर काँपने लगा था।
21. संगीता मैडम ने हिम्मत कैसे जुटाई?
उत्तर: जब उन्होंने सुना कि सब उन्हें "रस्सा पकड़ो, रस्सा पकड़ो" कह रहे हैं, तब उन्होंने साहस जुटाकर रस्से को दोबारा पकड़ा और धीरे-धीरे आगे बढ़ना शुरू किया। इस तरह उन्होंने हिम्मत से डर को हराया और किनारे तक पहुँच गईं।
22. जब वे नदी पार कर गईं, तब उन्हें कैसा महसूस हुआ?
उत्तर: नदी पार करने के बाद संगीता मैडम को बहुत खुशी और गर्व महसूस हुआ। उन्हें यह एहसास हुआ कि उन्होंने एक जोखिम भरा काम कर लिया है। अब वे खुद दूसरों को सलाह दे रही थीं कि रस्से को कसकर पकड़ो।
23. पहाड़ों पर चढ़ने के लिए किन-किन चीजों की जरूरत पड़ती है?
उत्तर:
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रस्सी और हुक
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विंडचीटर (ठंडी हवा से बचाव के लिए जैकेट)
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पानी की बोतल
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खाने का हल्का और पौष्टिक सामान (गुड़, चना, ग्लूकोज)
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टॉर्च
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सीटी (जरूरत पड़ने पर संकेत देने के लिए)
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तौलिया और साबुन
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प्लास्टिक शीट (बारिश से बचने या नीचे बैठने के लिए)
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डायरी और पेन (लिखने के लिए)
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मजबूत जूते
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हेलमेट (सुरक्षा के लिए)
24. रस्सी और हुक का इस्तेमाल किसी और चीज में होते देखा है? कहाँ?
उत्तर: हाँ, रस्सी और हुक का इस्तेमाल:
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बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन में मजदूर ऊँचाई पर काम करते समय करते हैं।
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फायर ब्रिगेड (दमकल कर्मी) आग से बचाने के लिए ऊँचाई से उतरने में करते हैं।
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रॉक क्लाइम्बिंग, रेस्क्यू ऑपरेशन, और एडवेंचर स्पोर्ट्स में भी होता है।
25. पहाड़ी नदी पार करने के लिए हम और किन-किन चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं?
उत्तर:
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रस्सी ब्रिज (rope bridge)
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लकड़ी या बांस से बना अस्थायी पुल
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राफ्ट (फूलाकर चलने वाली नाव)
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नाव या डोंगी
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ज़िपलाइन (अगर लगाई हो तो)
26. पहाड़ों पर ज्यादा शक्ति की जरूरत क्यों होती है?
उत्तर: क्योंकि:
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रास्ते चढ़ाई वाले और मुश्किल होते हैं।
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ऊबड़-खाबड़ और सँकरे होते हैं।
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बैग व सामान लेकर चलना पड़ता है।
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ठंडी हवा में शरीर को अधिक ताकत लगती है गर्म रहने के लिए।
इसलिए शरीर में शक्ति, सहनशीलता और साहस होना ज़रूरी होता है।
27. क्या तुमने कभी किसी से जोखिम भरे काम के बारे में सुना है? क्या?
उत्तर: हाँ, मैंने अपने चाचा से सुना कि उन्होंने बाढ़ के समय एक बूढ़े व्यक्ति को बचाया था। पानी बहुत तेज था, लेकिन उन्होंने रस्सी बाँधकर नदी पार की और उन्हें सुरक्षित निकाला।
28. क्या तुमने कभी कोई हिम्मत भरा काम किया है? यदि हाँ, तो अपनी कक्षा में सुनाओ। उसे अपने शब्दों में लिखो भी।
उत्तर : हाँ, एक बार मेरी छोटी बहन छत पर खेलते-खेलते गिरने वाली थी। मैंने तेजी से दौड़कर उसका हाथ पकड़ लिया और उसे गिरने से बचा लिया। मुझे डर तो लगा, लेकिन बहन को बचाने की खुशी ज़्यादा थी।
29. क्या तुम कभी पेड़ पर चढ़े हो? कैसा अनुभव रहा?
उत्तर : हाँ, मैं बचपन में कई बार आम और जामुन के पेड़ पर चढ़ा हूँ। शुरुआत में डर लगता था, लेकिन धीरे-धीरे मज़ा आने लगा। ऊँचाई से नीचे देखना रोमांचक लगता था।
30. पेड़ पर चढ़ते हुए तुम्हें डर लगा या नहीं? क्या कभी गिरे भी?
उत्तर : हाँ, शुरुआत में डर लगता था कि कहीं गिर न जाऊँ। एक बार एक पतली टहनी पर पैर पड़ गया और मैं फिसलकर नीचे गिर गया। सौभाग्य से मुझे ज़्यादा चोट नहीं आई। उसके बाद और सावधानी बरतने लगा।
31. क्या तुमने कभी किसी को छोटी दीवारों पर चढ़ते देखा है?
उत्तर: हाँ, स्कूल के खेल के मैदान में या दोस्तों के साथ खेलते समय कई बार दीवारों पर चढ़ते हुए देखा है।
32. दीवार पर चढ़ने और ऊँची चट्टान पर चढ़ने में तुम्हें क्या अंतर लगता है?
उत्तर:
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दीवार पर चढ़ना आसान होता है क्योंकि वह एकसमान और सीधी होती है।
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चट्टान पर चढ़ना कठिन होता है क्योंकि उसमें जगह-जगह ऊबड़-खाबड़ हिस्सा होता है और ऊपर से नीचे तक एक-सा नहीं होता।
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चट्टान बहुत ऊँची होती है, इसलिए उसमें ज़्यादा ताकत, संतुलन और सुरक्षा उपकरण की जरूरत होती है।
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चट्टान पर चढ़ने में जोखिम और रोमांच दोनों ज़्यादा होते हैं।
33. क्या तुम्हारी कक्षा में कोई ऐसा बच्चा है, जिसे तुम्हारी भाषा समझ नहीं आती? ऐसे में तुम क्या करते हो?
उत्तर: हाँ, मेरी कक्षा में एक बच्चा है जो हाल ही में दूसरे राज्य से आया है और हमारी भाषा नहीं समझता। ऐसे में मैं उसे इशारों, हावभाव और चित्रों की मदद से समझाने की कोशिश करता हूँ। कभी-कभी अंग्रेज़ी में भी बात करता हूँ ताकि उसे मदद मिले।
34. क्या कभी तुम भी रास्ता भूले हो? तब तुमने क्या किया?
उत्तर: हाँ, एक बार मैं मेला देखने गया था और भीड़ में अपने परिवार से बिछड़ गया। मैंने वहीं खड़े रहकर आसपास के लोगों से मदद मांगी और आयोजकों से कहकर माइक पर घोषणा करवाई। थोड़ी देर में मम्मी-पापा मुझे मिल गए।
35. खोनदोनबी ने ऐसी स्थिति में जोर-जोर से गीत क्यों गाया होगा?
उत्तर: खोनदोनबी ने गीत इसलिए गाया ताकि डर कम हो और माहौल हल्का लगे। साथ ही, वह अपनी उपस्थिति का संकेत भी देना चाहती थी ताकि अगर कोई पास में हो तो सुन सके।
36. क्या डर से उभरने के लिए तुमने किसी और को कुछ खास करते हुए देखा है? क्या और कब?
उत्तर : हाँ, एक बार मेरे छोटे भाई को अंधेरे में डर लग रहा था, तो उसने अपने मनपसंद कार्टून का गाना गाना शुरू कर दिया। इससे उसका ध्यान डर से हट गया और वह आराम से बैठा रहा।
37. करके देखो – गतिविधि सुझाव:
बिना बात किए संचार (communication) करना एक मज़ेदार और सीखने वाला प्रयोग हो सकता है! जैसे:
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हाथों से इशारे करके किताब माँगना
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चेहरे के भाव से सहमति जताना
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सिर हिला कर हाँ या ना कहना
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उँगली से इशारा करके चीज़ों की ओर ध्यान दिलाना
तुम ये सब अपनी कक्षा में दोस्तों के साथ करके देखो — बहुत मज़ा आएगा!
38 . बछेन्द्री पाल कौन थीं?
उत्तर: बछेन्द्री पाल एक पर्वतारोही थीं, जिन्हें माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई के लिए चुना गया था। वे एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला बनीं और उन्होंने इतिहास रचा।
39. बछेन्द्री पाल किससे मिलने आई थीं?
उत्तर: बछेन्द्री पाल ब्रिगेडियर ज्ञान सिंह से आशीर्वाद लेने आई थीं।
40. बछेन्द्री पाल ने कौन-सा गीत गाया था?
उत्तर: बछेन्द्री पाल ने एक पहाड़ी गीत गाया था—
"बेडु पाको बारा मासा, काफल पाको चैता मेरी छैला"
41. टेंट लगाने के लिए किन-किन चीज़ों का इस्तेमाल किया गया?
उत्तर: टेंट लगाने के लिए प्लास्टिक शीट, खूँटे, और रस्सियों का उपयोग किया गया।
42. ठंड से बचने के लिए उन्होंने क्या किया?
उत्तर: ठंड से बचने के लिए उन्होंने प्लास्टिक शीट का इस्तेमाल किया, जिससे हवा अंदर न जाए, और रात को स्लीपिंग बैग में सोए, जिनमें पंख भरे थे जो गरमी देते थे।
43. खाना कैसे पकाया गया?
उत्तर: खाना पकाने के लिए उन्होंने पत्थरों से चूल्हा बनाया, लकड़ियाँ इकट्ठी कीं और आग जलाकर खाना बनाया।
44. सफ़ाई का ध्यान कैसे रखा गया?
उत्तर: खाना खाने के बाद छिलके और कूड़ा एक पैकेट में इकट्ठा किया और जगह को साफ़ कर दिया।
45. पहाड़ पर टेंट के चारों तरफ नाली क्यों खोदी गई होगी?
उत्तर: पहाड़ों पर बारिश या बर्फ़ पिघलने के कारण पानी बहता रहता है। टेंट के चारों तरफ़ नाली इसलिए खोदी जाती है ताकि पानी टेंट के अंदर न जाए और वह सूखा बना रहे।
46. पर्वतारोहण की तरह और कौन-कौन से काम हैं जिन्हें 'एडवेंचर' कहा जाता है? क्यों?
उत्तर: पर्वतारोहण की तरह ये काम भी ‘एडवेंचर’ कहे जाते हैं:
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जंगल सफारी
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रिवर राफ्टिंग
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स्कूबा डाइविंग
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स्काई डाइविंग
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साइकिल ट्रेकिंग
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रॉक क्लाइम्बिंग
इन सभी में साहस, शारीरिक शक्ति, जोखिम और रोमांच शामिल होता है। यही कारण है कि इन्हें एडवेंचर एक्टिविटी कहा जाता है।
47: तुम पहाड़ पर हो। तुम्हें वहाँ कैसा लग रहा है? क्या-क्या दिख रहा है? क्या-क्या करने को मन कर रहा है?
उत्तर: मैं पहाड़ पर खड़ा हूँ और चारों तरफ़ हरियाली और ऊँचे-ऊँचे देवदार के पेड़ दिखाई दे रहे हैं। आसमान बिल्कुल साफ़ है और हल्के-हल्के बादल पहाड़ों को छू रहे हैं। हवा ठंडी है लेकिन बहुत ही ताज़गी से भरी हुई। दूर-दूर तक फैली घाटियाँ, झरने और बर्फ से ढँकी चोटियाँ देखकर मन खुश हो गया।
पक्षियों की चहचहाहट और पत्तों की सरसराहट सुनकर मन शांत हो गया। वहाँ के लोग बहुत सीधे और मुस्कुराते हुए मिले। कुछ बच्चे मुझे हाथ हिलाकर "नमस्ते" कह रहे थे।
मेरा मन कर रहा है कि मैं भी वहाँ के बच्चों के साथ पहाड़ी खेल खेलूँ, झरनों के पास जाकर पानी में पैर डुबाऊँ और किसी बड़ी चट्टान पर चढ़कर नीचे की सुंदर वादियों को निहारूँ।
अगर मुझे छड़ियाँ मिलें, तो मैं और ऊपर तक चढ़ना चाहूँगा ताकि बादलों को छू सकूँ और वहां बैठकर अपनी डायरी में इस खूबसूरत सफर को लिख सकूँ। पहाड़ की इस शांति और सुंदरता को मैं कभी नहीं भूल पाऊँगा।
48: बछेन्द्री ने चोटी पर तिरंगा क्यों गाड़ा होगा?
उत्तर: बछेन्द्री पाल ने चोटी पर तिरंगा इसलिए गाड़ा, क्योंकि उन्होंने देश के लिए बहुत बड़ा काम किया था। माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचकर उन्होंने यह दिखाया कि भारत की महिलाएँ भी किसी से कम नहीं हैं। तिरंगा गाड़कर उन्होंने अपने देश का सम्मान बढ़ाया और यह बताया कि वे भारत की तरफ़ से वहाँ पहुँची हैं।
49: हम झंडा कब-कब फहराते हैं? अपने देश के झंडे के बारे में जानकारी इकट्ठी करें।
उत्तर: हम तिरंगा झंडा खास अवसरों पर फहराते हैं, जैसे:
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15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस)
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26 जनवरी (गणतंत्र दिवस)
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गणमान्य विजयों और सम्मान के समय (जैसे ओलंपिक या पर्वतारोहण जैसी उपलब्धियाँ)
भारत का राष्ट्रीय झंडा तीन रंगों से बना है:
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ऊपर केसरिया रंग, जो बलिदान और साहस का प्रतीक है
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बीच में सफेद रंग, जो शांति और सच्चाई का प्रतीक है
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नीचे हरा रंग, जो समृद्धि और हरियाली को दर्शाता है
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बीच में नीले रंग का अशोक चक्र है, जिसमें 24 तीलियाँ हैं
50: झंडे का यह डिजाइन तुमने क्यों चुना?
उत्तर : हमने अपने समूह के लिए एक झंडा बनाया जिसमें बीच में सूरज है और चारों तरफ़ नीला और हरा रंग है। हमने सूरज को मेहनत और उजाले का प्रतीक माना है और नीला रंग शांति का, हरा रंग प्रगति और प्रकृति का प्रतीक है।
51: क्या तुमने किसी और देश का झंडा देखा है? कहाँ?
उत्तर: हाँ, मैंने अमेरिका, जापान और इंग्लैंड के झंडे देखे हैं। ये मुझे टीवी, इंटरनेट और स्कूल की किताबों में दिखे थे। हर देश का झंडा उसके इतिहास और संस्कृति से जुड़ा होता है।
52: लोग एडवेंचर के लिए क्यों जाते हैं?
उत्तर: लोग एडवेंचर पर इसलिए जाते हैं क्योंकि इससे उन्हें कुछ नया करने का मौका मिलता है। एडवेंचर से डर पर जीत मिलती है, आत्मविश्वास बढ़ता है और प्रकृति के साथ जुड़ने का अनुभव होता है। यह रोमांचक भी होता है और सीखने वाला भी।
53: कोई दो उदाहरण लेकर समझाओ कि पहाड़ पर चढ़ना एक चुनौती भरा एडवेंचर क्यों हो सकता है।
उत्तर: 1. तेज़ बर्फ़ीली हवा और ठंड: जैसे बछेन्द्री पाल को एवरेस्ट पर बर्फ़ीले तूफ़ान का सामना करना पड़ा, यह बहुत मुश्किल और खतरनाक था।
54: तुम पहाड़ पर चढ़ने जाते तो क्या तैयारी करते? अपने साथ क्या-क्या ले जाते?
उत्तर: अगर मैं पहाड़ पर चढ़ने जाता, तो मैं अच्छी तैयारी करता।
मैं साथ में ये चीज़ें ले जाता:
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गरम कपड़े और विंडचीटर
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स्लीपिंग बैग
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टॉर्च और बैटरियाँ
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खाने-पीने का सामान (ग्लूकोज़, चना, गुड़ आदि)
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रस्सी, हुक और छड़ी
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सीटी और फ़र्स्ट ऐड बॉक्स
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पानी की बोतल और प्लास्टिक शीट
मैं पहले से शरीर को फिट करने की तैयारी करता और ट्रेनिंग भी लेता।