Chapter 20  

किसके जंगल ? 


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प्रश्न: सोच सकते हो ये बच्चे पोटलियाँ लेकर जंगल में क्या करने जा रहे होंगे?
उत्तर: ये बच्चे पोटलियाँ लेकर जंगल में खेलने, सीखने और प्रकृति से जुड़ने जा रहे हैं। वे पेड़ों पर चढ़ते हैं, फूल-पत्तों से मालाएँ बनाते हैं, जंगली फल खाते हैं और पक्षियों की आवाज़ निकालते हैं। उनकी दीदी सूर्यमणि उन्हें जंगल के पेड़-पौधों और जानवरों के बारे में सिखाती हैं।

प्रश्न: सूर्यमणि बच्चों को जंगल क्यों ले जाती हैं?
उत्तर: सूर्यमणि बच्चों को जंगल इसलिए ले जाती हैं ताकि वे जंगल के पेड़-पौधों और जानवरों को पहचान सकें, उनसे प्यार करना सीखें और समझें कि जंगलों को बचाना कितना ज़रूरी है।

प्रश्न: सूर्यमणि जंगलों के बारे में क्या सोचती हैं?
उत्तर: सूर्यमणि मानती हैं कि "जंगल को पढ़ना, किताबें पढ़ने जितना ही ज़रूरी है।" उनका मानना है कि जंगल और आदिवासी जीवन एक-दूसरे से जुड़े हैं। अगर जंगल नहीं बचेंगे तो आदिवासियों का जीवन भी मुश्किल हो जाएगा।

प्रश्न: सूर्यमणि कौन हैं?
उत्तर: सूर्यमणि झारखंड की एक आदिवासी लड़की हैं जो अब एक 'गर्ल स्टार' यानी चमकता सितारा हैं। उन्होंने पढ़ाई करके अपनी ज़िंदगी बदली और अब अपने गाँव के बच्चों को जंगल और शिक्षा से जोड़ने का काम करती हैं। 

प्रश्न: तुम्हें क्या लगता है, जंगल क्या होते हैं?
उत्तर: जंगल वे प्राकृतिक क्षेत्र होते हैं जहाँ बहुत सारे पेड़, झाड़ियाँ, पौधे, जानवर, पक्षी और अन्य जीव रहते हैं। ये प्रकृति का संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं।

प्रश्न: कहीं बहुत सारे पेड़ उगाए गए हों तो क्या वह जंगल बन जाता है?
उत्तर: नहीं, केवल पेड़ लगाने से जंगल नहीं बनता। जंगल में पेड़ों के साथ-साथ जानवर, चिड़ियाँ, कीड़े-मकोड़े, झाड़ियाँ, बेल, घास, मिट्टी की नमी और एक पूरा पारिस्थितिक तंत्र होता है।

प्रश्न: पेड़ों के अलावा जंगल में और क्या-क्या होता है?
उत्तर: पेड़ों के अलावा जंगल में जंगली जानवर, चिड़ियाँ, कीड़े-मकोड़े, झाड़ियाँ, बेलें, घास, मशरूम, जड़ी-बूटियाँ और जल स्रोत होते हैं।

प्रश्न: क्या सभी जंगलों में एक ही तरह के पेड़ होते हैं? तुम कितने पेड़ पहचान लेते हो?

उत्तर: नहीं, सभी जंगलों में एक जैसे पेड़ नहीं होते। अलग-अलग इलाकों और मौसमों के अनुसार जंगलों में अलग-अलग प्रकार के पेड़ होते हैं। मैं नीम, पीपल, आम, बरगद, बबूल, अमरूद, यूकेलिप्टस आदि कुछ पेड़ पहचान सकता हूँ।

प्रश्न: सूर्यमणि कहती हैं अगर जंगल नहीं बचेंगे तो हम भी नहीं बचेंगे। ऐसा क्यों?
उत्तर: सूर्यमणि ऐसा इसलिए कहती हैं क्योंकि जंगल हमें साफ हवा, पानी, भोजन, लकड़ी, जड़ी-बूटियाँ, रहने की जगह और जलवायु संतुलन प्रदान करते हैं। यदि जंगल नहीं बचेंगे, तो हमारी ज़िंदगी का संतुलन बिगड़ जाएगा और जीवन कठिन हो जाएगा। 

प्रश्न: तुम किसी को जानते हो जिसे जंगल से बहुत लगाव है?
उत्तर: हाँ, मैं अपने गाँव के एक बुज़ुर्ग को जानता हूँ जिन्हें जंगल से बहुत लगाव है। वे अक्सर बच्चों को जंगल के पेड़-पौधों, जानवरों और जड़ी-बूटियों के बारे में बताते हैं और हमेशा जंगल को साफ और सुरक्षित रखने की बात करते हैं।

प्रश्न: ठेकेदार ने सूर्यमणि के गाँव वालों को जंगल में जाने से रोका। सोचो क्यों?
उत्तर: ठेकेदार चाहता था कि वह जंगल के सारे संसाधनों जैसे लकड़ी, पत्ते आदि पर खुद का अधिकार रखे और उनसे पैसे कमाए। इसलिए उसने गाँव वालों को जंगल में जाने से रोका, ताकि वे कुछ भी न ले सकें और वह अकेले जंगल का उपयोग कर सके।

प्रश्न: क्या तुम्हारे आस-पास कोई ऐसी जगह है, जो तुम सोचते हो सभी के लिए होनी चाहिए पर वहाँ जाने से लोगों को रोका जाता है?
उत्तर: हाँ, हमारे इलाके में एक झील है जो पहले सभी के लिए खुली थी, पर अब वहाँ एक निजी संस्था ने कब्जा कर लिया है और अब आम लोग वहाँ नहीं जा सकते। जबकि वह झील पहले सभी के लिए थी।

प्रश्न: तुम्हें क्या लगता है- जंगल किसके हैं?
उत्तर: मुझे लगता है जंगल हम सबके हैं – जो लोग वहाँ रहते हैं, जो उससे जीवन चलाते हैं और बाकी सभी जो प्रकृति से जुड़े हैं। जंगल सिर्फ किसी एक व्यक्ति या सरकार के नहीं होने चाहिए।

प्रश्न: बुधियामाई ने कहा- जंगल तो हमारा 'साँझा बैंक' है, न तेरा, न मेरा। क्या कोई और ऐसी चीज़ है जो हम सबका साँझा खज़ाना है, कोई उसका ज्यादा इस्तेमाल करे तो सभी को नुकसान होगा?
उत्तर: हाँ, पानी, हवा और धरती भी हमारे साँझा खज़ाने हैं। अगर कोई बहुत ज़्यादा पानी बर्बाद करे या हवा को ज़हरीला कर दे तो सभी को नुकसान होता है। इसलिए इनका इस्तेमाल संतुलित और समझदारी से करना चाहिए। 

प्रश्न: क्या तुम्हारा ऐसा कोई साथी है, जिसे तुम अपने मन की हर बात बता सकते हो?
उत्तर: हाँ, मेरा एक बहुत अच्छा दोस्त है जिसे मैं अपने मन की हर बात बता सकता हूँ। वह मुझे अच्छे से समझता है और कभी मेरा मजाक नहीं उड़ाता। मैं उस पर पूरा भरोसा करता हूँ।

प्रश्न: कई लोग जंगल से इतनी दूर हो गए हैं कि अकसर आदिवासियों की जिंदगी नहीं समझते। कुछ तो उन्हें जंगली भी कह देते हैं। ऐसा कहना सही क्यों नहीं है?
उत्तर: ऐसा कहना बिल्कुल भी सही नहीं है क्योंकि आदिवासी लोग जंगलों के रक्षक होते हैं। वे जंगल से प्यार करते हैं, उसका संरक्षण करते हैं और जितनी जरूरत हो उतना ही लेते हैं। उन्हें जंगली कहना अपमानजनक है क्योंकि वे एक सुसंस्कृत जीवन जीते हैं और उनके पास अपनी भाषा, रीति-रिवाज और ज्ञान होता है।

प्रश्न: आदिवासी कैसे रहते हैं, इस बारे में तुम क्या जानते हो? लिखो और चित्र बनाओ।
उत्तर: आदिवासी लोग साधारण लेकिन आत्मनिर्भर जीवन जीते हैं। वे जंगलों के पास रहते हैं और अपनी ज़रूरत की चीजें जंगल से प्राप्त करते हैं। वे खेती करते हैं, बांस और पत्तों से चीजें बनाते हैं, जड़ी-बूटियाँ इकट्ठा करते हैं और त्योहार मनाते हैं। वे अपनी भाषा बोलते हैं और नाच-गान में माहिर होते हैं।

प्रश्न: क्या तुम्हारा कोई आदिवासी दोस्त है? उससे जंगल के बारे में तुमने क्या-क्या सीखा?
उत्तर: हाँ, मेरी एक सहपाठी आदिवासी है। मैंने उससे सीखा कि कैसे पेड़ों की पहचान की जाती है, कौन-कौन से पत्ते औषधियों के लिए उपयोगी हैं, और जंगल में बिना नुकसान किए कैसे जीवन जिया जा सकता है। उसने मुझे यह भी बताया कि आदिवासी लोग अपने त्योहार कैसे मनाते हैं और जंगल उनके लिए कितने महत्वपूर्ण होते हैं। 

प्रश्न: सूर्यमणि चाहती थी कि लोग त्योहारों पर अपने गीत गानों को गाएँ, उन्हें भूलें न। तुम्हें क्या लगता है, यह क्यों जरूरी है?
उत्तर: सूर्यमणि चाहती थी कि लोग अपने पारंपरिक गीत, पहनावा, भाषा और कला को याद रखें क्योंकि यह उनकी पहचान और संस्कृति से जुड़ा हुआ है। अगर लोग अपनी संस्कृति को भूल जाएँगे, तो आने वाली पीढ़ियाँ अपनी जड़ों से कट जाएँगी। यह सब हमारी परंपरा और जीवन के अनुभवों की अमूल्य धरोहर हैं जिन्हें बचाकर रखना बहुत जरूरी है।

प्रश्न: ‘तोरांग’ में और क्या-क्या होता है?
उत्तर: 'तोरांग' में कुडुक समाज और अन्य आदिवासी समुदाय की खास किताबों को सँभालकर रखा गया है। वहाँ गाने-बजाने के लिए बाँसुरी, तरह-तरह के ढोल भी होते हैं। बच्चे वहाँ जड़ी-बूटियों की पहचान, बाँस की चीजें बनाना और अपनी भाषा को सीखते हैं। यह एक ऐसा केंद्र है जहाँ लोग अपने हक की लड़ाई के लिए भी सूर्यमणि की मदद लेने आते हैं।

प्रश्न: जंगल अधिकार कानून 2007 के बारे में तुमने क्या सीखा?
उत्तर: जंगल अधिकार कानून 2007 आदिवासियों को जंगल पर उनका हक दिलाता है। जो लोग 25 साल से जंगल में रह रहे हैं, उन्हें जंगल से नहीं हटाया जा सकता और उन्हें वहाँ की चीजों पर अधिकार है। जंगल की देखभाल भी अब उनकी ग्राम सभा को करनी होती है। यह कानून आदिवासियों को उनके अधिकार और सम्मान के साथ जीने का अवसर देता है।

प्रश्न: क्या तुम ऐसे किसी और व्यक्ति को जानते हो जो जंगलों के पेड़-पौधों के लिए काम करते हैं?
उत्तर: हाँ, जैसे सुंदरलाल बहुगुणा जी ने “चिपको आंदोलन” के ज़रिए जंगलों को बचाने के लिए बहुत बड़ा काम किया था। उन्होंने लोगों को पेड़ों से लिपट जाने को कहा, ताकि उन्हें काटा न जा सके। ऐसे बहुत से लोग हैं जो पर्यावरण और जंगलों के लिए आज भी काम कर रहे हैं।

प्रश्न: तुम्हारा अपना सपना क्या है? सपना पूरा करने के लिए तुम क्या करोगे?
उत्तर: मेरा सपना है कि मैं एक ऐसा काम करूँ जिससे समाज को फायदा हो। मैं पर्यावरण की रक्षा करना चाहता/चाहती हूँ। इसके लिए मैं पेड़ लगाऊँगा/लगाऊँगी, पानी की बचत करूँगा/करूँगी और लोगों को भी जागरूक करूँगा/करूँगी।

प्रश्न: क्या जंगल कटने के कारण मौसम पर प्रभाव पड़ा है?
उत्तर: हाँ, अखबारों और खबरों में अक्सर यह देखने को मिलता है कि जंगल कटने से बारिश कम हो रही है, गर्मी बढ़ रही है और मौसम का संतुलन बिगड़ रहा है। इससे नदियाँ सूखने लगी हैं और खेतों में फसलें भी प्रभावित हो रही हैं।

प्रश्न: क्या तुम अपने समुदाय के लिए ऐसा कुछ करना चाहोगे? तुम किस चीज को बचाए रखना चाहोगे?
उत्तर: हाँ, मैं अपने समुदाय की भाषा, रीति-रिवाज, त्यौहार और पारंपरिक पहनावे को बचाए रखना चाहूँगा/चाहूँगी। मैं चाहूँगा/चाहूँगी कि हमारी परंपराएँ और संस्कृति जिंदा रहें और आने वाली पीढ़ियाँ भी इन पर गर्व कर सकें।

प्रश्न: क्या तुम्हारे आस-पास कोई फ़ैक्टरी है? उसमें किस तरह का काम होता है?
उत्तर: हाँ, मेरे गाँव/शहर के पास एक फैक्ट्री है जिसमें सीमेंट/कपड़े/दवाइयाँ बनाई जाती हैं। वहाँ बहुत सारे लोग काम करते हैं।

प्रश्न: फ़ैक्टरी की वजह से क्या जमीन और पेड़ों पर कोई असर पड़ा है? क्या वहाँ के लोगों ने भी इस बात को उठाया है?
उत्तर: हाँ, फैक्ट्री बनने से आसपास के कई पेड़ काट दिए गए हैं। वहाँ की जमीन भी अब बंजर होने लगी है। कुछ लोगों ने इसकी शिकायत की है और पर्यावरण विभाग को भी इसकी जानकारी दी है।

प्रश्न: क्या उड़ीसा के किसी किनारे पर समुद्र है? समुद्र कैसे पहचाना?
उत्तर: हाँ, उड़ीसा के पूर्वी किनारे पर बंगाल की खाड़ी नामक समुद्र है। नक्शे में नीले रंग से दर्शाया गया क्षेत्र समुद्र को दर्शाता है, जिससे समुद्र पहचाना जा सकता है।

प्रश्न: नक्शे में और कौन-कौन से ऐसे राज्य हैं, जिनके किसी किनारे पर समुद्र है?
उत्तर: गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल ऐसे राज्य हैं जिनके किनारे पर समुद्र है।

प्रश्न: नक्शे में सूर्यमणि का राज्य झारखंड कहाँ है?
उत्तर: झारखंड भारत के पूर्वी भाग में स्थित एक राज्य है, जो बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और छत्तीसगढ़ से घिरा हुआ है।

प्रश्न: नक्शे में जंगल कहाँ-कहाँ हैं? कैसे पहचानोगे?
उत्तर: नक्शे में जंगल को आमतौर पर हरे रंग से दर्शाया जाता है। जहाँ ज्यादा हरा रंग है, वहाँ घने जंगल हैं। जहाँ हल्का हरा है, वहाँ कम घने जंगल हैं।

प्रश्न: यह कैसे पहचाना, कहाँ ज्यादा घने जंगल हैं और कहाँ कम घने जंगल हैं?
उत्तर: नक्शे में गहरे हरे रंग वाले हिस्से ज्यादा घने जंगल दिखाते हैं जबकि हल्के हरे रंग वाले हिस्से कम घने जंगल दर्शाते हैं।

प्रश्न: नक्शे में कौन-सा राज्य है जहाँ सबसे ज्यादा घने जंगल हैं?
उत्तर: मिज़ोरम, अरुणाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में सबसे ज्यादा घने जंगल हैं।

प्रश्न: अगर कोई मध्य प्रदेश में है तो देश के सबसे ज्यादा घने जंगल उसकी किस दिशा में होंगे? उन राज्यों के नाम लिखो।
उत्तर: अगर कोई मध्य प्रदेश में है तो सबसे ज्यादा घने जंगल उसकी पूर्व दिशा में होंगे। इन राज्यों के नाम हैं – छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड, मिज़ोरम और अरुणाचल प्रदेश।

प्रश्न: नक्शे में मिजोरम और उसके आस-पास के राज्यों के नाम पढ़ो।
उत्तर: मिजोरम के आस-पास के राज्य हैं – मणिपुर, त्रिपुरा और असम। इसके पूर्व में म्यांमार देश भी स्थित है।

प्रश्न: तुमने जमीन को टीन से नापने का तरीका पढ़ा। जमीन को नापने के और तरीके क्या-क्या हैं?
उत्तर: जमीन को नापने के और तरीके हैं – एकड़, हेक्टेयर, वर्ग मीटर, बीघा, कट्ठा, गज आदि। अलग-अलग राज्यों में अलग नाम और माप प्रचलित हैं।

प्रश्न: स्कूल से आते हुए बच्चों ने रास्ते में बाँस के बने कप से पानी पीया। तुम्हें क्या लगता है, जंगल में कप किसने बनाकर रखा होगा? क्यों?
उत्तर: कप किसी गाँववाले या स्कूल के शिक्षक ने बनाया होगा ताकि लोग झरने का पानी आराम से पी सकें। बाँस आसानी से जंगल में मिलता है और उससे चीजें बनाना आदिवासियों की कला है।

प्रश्न: जगलों की सुरक्षा के लिए क्या-क्या किया जा सकता है?
उत्तर: जंगलों की सुरक्षा के लिए पेड़ों की कटाई रोकनी चाहिए, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए, वन्यजीवों का संरक्षण करना चाहिए, जंगलों में आग न लगने देना चाहिए और वहाँ के लोगों को जंगल की देखभाल के लिए जागरूक करना चाहिए। 

प्रश्न: भास्कर भाई की खेती और झूम खेती में क्या समानता है और क्या फ़र्क है?
उत्तर: समानता: दोनों ही खेती के तरीके प्रकृति के करीब हैं और दोनों में रासायनिक खाद का कम या बिलकुल उपयोग नहीं होता। मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बचाने का ध्यान रखा जाता है।
फ़र्क: भास्कर भाई की खेती में नियमित रूप से एक ही जगह खेती होती है, जबकि झूम खेती में कुछ साल के बाद जमीन को आराम दिया जाता है। झूम खेती में जमीन को जलाकर राख बनाई जाती है जो खाद का काम करती है, जबकि भास्कर भाई जैविक खाद का इस्तेमाल करते हैं।

प्रश्न: सूर्यमणि को जंगल से बहुत लगाव था। अपने शब्दों में समझाओ क्यों?
उत्तर: सूर्यमणि को जंगल से लगाव था क्योंकि वह जंगल को अपना घर मानती थी। वह समझती थी कि जंगल उनके समाज की पहचान है। वह जानती थी कि अगर जंगल नहीं बचेंगे, तो उनका जीवन, उनकी संस्कृति और पहचान भी खत्म हो जाएगी। इसलिए वह जंगल और अपने अधिकारों को बचाने के लिए संघर्ष करती रही।

प्रश्न: झूम खेती में तुम्हें क्या कोई बात अनोखी लगी?
उत्तर: झूम खेती की सबसे अनोखी बात यह लगी कि इसमें एक ही खेत में कई तरह की फ़सलें बोई जाती हैं। जमीन को जोता नहीं जाता, बीज बस छिड़क दिए जाते हैं। फसल कटने के बाद जमीन को कुछ साल के लिए छोड़ दिया जाता है, ताकि वह खुद से उपजाऊ हो जाए। साथ ही गाँव में लॉटरी निकालकर सबको बराबरी से खेती की ज़मीन मिलती है – यह भी एक अनोखी बात है।

प्रश्न: भास्कर भाई की खेती और झूम खेती में क्या समानता है और क्या फ़र्क है?

उत्तर: समानता: दोनों ही खेती के तरीके प्रकृति के करीब हैं और दोनों में रासायनिक खाद का कम या बिलकुल उपयोग नहीं होता। मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बचाने का ध्यान रखा जाता है।
फ़र्क: भास्कर भाई की खेती में नियमित रूप से एक ही जगह खेती होती है, जबकि झूम खेती में कुछ साल के बाद जमीन को आराम दिया जाता है। झूम खेती में जमीन को जलाकर राख बनाई जाती है जो खाद का काम करती है, जबकि भास्कर भाई जैविक खाद का इस्तेमाल करते हैं।

प्रश्न: सूर्यमणि को जंगल से बहुत लगाव था। अपने शब्दों में समझाओ क्यों?
उत्तर: सूर्यमणि को जंगल से लगाव था क्योंकि वह जंगल को अपना घर मानती थी। वह समझती थी कि जंगल उनके समाज की पहचान है। वह जानती थी कि अगर जंगल नहीं बचेंगे, तो उनका जीवन, उनकी संस्कृति और पहचान भी खत्म हो जाएगी। इसलिए वह जंगल और अपने अधिकारों को बचाने के लिए संघर्ष करती रही।

प्रश्न: झूम खेती में तुम्हें क्या कोई बात अनोखी लगी?
उत्तर: झूम खेती की सबसे अनोखी बात यह लगी कि इसमें एक ही खेत में कई तरह की फ़सलें बोई जाती हैं। जमीन को जोता नहीं जाता, बीज बस छिड़क दिए जाते हैं। फसल कटने के बाद जमीन को कुछ साल के लिए छोड़ दिया जाता है, ताकि वह खुद से उपजाऊ हो जाए। साथ ही गाँव में लॉटरी निकालकर सबको बराबरी से खेती की ज़मीन मिलती है – यह भी एक अनोखी बात है। 



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