Chapter 1
राख की रस्सी
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प्रश्न 1: लोनपो गार कौन थे?
उत्तर: लोनपो गार तिब्बत के बत्तीसवें राजा सौनगवसैन गांपो के मंत्री थे।
प्रश्न 2: लोनपो गार किस कारण से प्रसिद्ध थे?
उत्तर: वे अपनी चालाकी और हाजिरजवाबी के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्ध थे।
प्रश्न 3: लोनपो गार अपने बेटे को लेकर क्यों चिंतित थे?
उत्तर: क्योंकि उनका बेटा बहुत भोला था और उसमें कोई होशियारी नहीं थी।
प्रश्न 4: लोनपो गार ने अपने बेटे को क्या कार्य सौंपा?
उत्तर: उन्होंने अपने बेटे को सौ भेड़ें देकर शहर भेजा और कहा कि वे भेड़ों को मारे या बेचे बिना, सौ जौ के बोरे लेकर लौटे।
प्रश्न 5: शहर पहुँचकर लोनपो गार का बेटा क्यों दुखी था?
उत्तर: क्योंकि उसके पास जौ के बोरे खरीदने के लिए पैसे नहीं थे और उसे कोई उपाय नहीं सूझ रहा था।
प्रश्न 6: लोनपो गार ने अपने बेटे की परीक्षा कैसे ली और इसका उद्देश्य क्या था?
उत्तर: लोनपो गार ने अपने बेटे को सौ भेड़ें दीं और आदेश दिया कि वह भेड़ों को मारे या बेचे बिना सौ जौ के बोरे लेकर लौटे। इस कठिन कार्य के माध्यम से लोनपो गार यह देखना चाहते थे कि उनका सीधा-सादा बेटा कठिन परिस्थितियों में कैसे सोचता है और क्या वह किसी समस्या का समाधान निकाल सकता है। इस परीक्षा का उद्देश्य यह था कि बेटे में समझदारी और व्यवहारिक बुद्धि विकसित हो।
प्रश्न 7: पाठ का शीर्षक "राख की रस्सी" क्या प्रतीक करता है?
उत्तर: "राख की रस्सी" एक प्रतीक है बुद्धिमानी और कल्पनाशीलता का। यह शीर्षक उस समय की ओर संकेत करता है जब लड़की समस्या का समाधान निकालती है और यह दर्शाती है कि जटिल से जटिल कार्य भी चतुराई और समझदारी से हल किया जा सकता है। यह शीर्षक पूरे पाठ की भावना और मुख्य संदेश को दर्शाता है।
प्रश्न 8: लोनपो गार के बेटे ने भेड़ों के बाल क्यों उतारे और उन्हें बेच दिया?
उत्तर: लोनपो गार ने अपने बेटे को आदेश दिया था कि वह सौ जौ के बोरे लेकर घर लौटे। बेटे के पास पैसे नहीं थे, इसलिए उसने भेड़ों के बाल उतारकर उन्हें बेच दिया और जो रुपए मिले उनसे जौ के बोरे खरीदे।
प्रश्न 9: लोनपो गार ने अपने बेटे के कार्य पर कैसे प्रतिक्रिया दी?
उत्तर: लोनपो गार ने बेटे के कार्य पर कोई ध्यान नहीं दिया और उन्हें यह तरीका पसंद नहीं आया। वे गुस्से में उठकर कमरे से बाहर चले गए।
प्रश्न 10: लोनपो गार का बेटा दूसरी बार शहर क्यों गया?
उत्तर: लोनपो गार ने उसे दूसरी बार आदेश दिया कि वह भेड़ों को लेकर फिर से जौ के सौ बोरे लेकर लौटे। इसलिए बेटा दूसरी बार शहर गया।
प्रश्न 11: लड़की ने लोनपो गार के बेटे की मदद कैसे की?
उत्तर: लड़की ने भेड़ों के सींग काटे और उन्हें बेचकर जो पैसे मिले उनसे जौ के सौ बोरे खरीदने का उपाय बताया। फिर वह बोरे लेकर बेटे को घर भेज दिया।
प्रश्न 12: लोनपो गार ने लड़की से क्या अनुरोध किया?
उत्तर: लोनपो गार ने लड़की से कहा कि वह एक नौ हाथ लंबी राख की रस्सी बनाए।
प्रश्न 13: लोनपो गार ने अपने बेटे को फिर से भेड़ों को लेकर क्यों भेजा, और इस बार वह क्या चाहता था?
उत्तर: लोनपो गार ने अपने बेटे को फिर से भेड़ों को लेकर भेजा क्योंकि वह चाहता था कि उसका बेटा केवल भेड़ों को लेकर नहीं, बल्कि जौ के सौ बोरे लेकर लौटे। उसने पहले ही अपने बेटे को यह आदेश दिया था कि वह भेड़ों को न बेचे और न मारे, बल्कि उन्हें वापिस लाकर सौ जौ के बोरे लेकर आए। जब बेटे ने भेड़ों के बाल बेचकर जौ के बोरे खरीदे, तो लोनपो गार को यह तरीका पसंद नहीं आया, इसलिए उसने बेटे से दुबारा वही कार्य करने को कहा।
प्रश्न 14: लड़की ने लोनपो गार के बेटे की मदद क्यों की और उसने क्या शर्त रखी?
उत्तर: लड़की ने लोनपो गार के बेटे की मदद इसलिए की क्योंकि उसने उसकी स्थिति समझी और उसे कोई रास्ता दिखाया। उसने भेड़ों के सींग काटकर बेचे, जिससे उसे जौ के सौ बोरे खरीदने के लिए पैसे मिले। फिर उसने लोनपो गार के बेटे से यह शर्त रखी कि अगर वह राख की रस्सी बनाएगी, तो लोनपो गार को वह रस्सी गले में पहननी होगी।
प्रश्न 15: "राख की रस्सी" का क्या प्रतीक है और यह कहानी से किस प्रकार जुड़ी हुई है?
उत्तर: "राख की रस्सी" एक प्रतीक है जो यह दर्शाता है कि जीवन में कुछ कार्य अप्रत्यक्ष रूप से असंभव लग सकते हैं, लेकिन कुछ बुद्धिमानी और चतुराई से उन्हें संभव बनाया जा सकता है। कहानी में लड़की ने यह चुनौती स्वीकार की और अपने तरीके से उस असंभव कार्य को संभव किया, जबकि लोनपो गार को उसकी शर्त पूरी करनी पड़ी, जो उसे पहले असंभव लग रही थी।
प्रश्न 16: लड़की ने लोनपो गार के बेटे के लिए किस प्रकार की रस्सी बनाई?
उत्तर: लड़की ने नौ हाथ लंबी राख की रस्सी बनाई, जिसे उसने पत्थर के सिल पर रखकर जलाया। जलने के बाद रस्सी के आकार की राख बच गई।
प्रश्न 17: लोनपो गार ने राख की रस्सी को देखकर क्या प्रतिक्रिया दी?
उत्तर: लोनपो गार रस्सी देखकर चकित रह गए, क्योंकि वह जानते थे कि राख की रस्सी को गले में पहनना तो दूर, उसे उठाना भी मुश्किल है। हाथ लगाते ही वह टूट जाएगी।
प्रश्न 18: लोनपो गार ने अपनी चालाकी के सामने लड़की की समझदारी के बारे में क्या महसूस किया?
उत्तर: लोनपो गार ने महसूस किया कि लड़की की समझदारी के सामने उनकी अपनी चालाकी धरी रह गई, और वह कुछ नहीं कर पाए।
प्रश्न 19: लोनपो गार ने अंत में क्या निर्णय लिया?
उत्तर: लोनपो गार ने बिना वक्त गँवाए अपने बेटे की शादी का प्रस्ताव लड़की के सामने रख दिया, और धूमधाम से दोनों की शादी हो गई।
प्रश्न 20: लोनपो गार और लड़की के बीच की समझदारी और चतुराई की तुलना करें।
उत्तर: लोनपो गार और लड़की के बीच की तुलना में यह स्पष्ट है कि लोनपो गार अपने जीवन में हमेशा चालाकी और बुद्धिमानी से काम लेते थे, लेकिन लड़की की समझदारी और चतुराई ने उनकी चालाकी को मात दे दी। जब लोनपो गार ने लड़की से राख की रस्सी की मांग की, तो उसने उसे एक ऐसा चुनौतीपूर्ण कार्य दिया, जो पूरी तरह असंभव था। लोनपो गार की चालाकी धरी की धरी रह गई, क्योंकि वह लड़की के समक्ष अपनी समझदारी साबित नहीं कर पाए। अंत में, लोनपो गार को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने बेटी के सामने अपने बेटे की शादी का प्रस्ताव रखा।
प्रश्न 21: लड़की की समझदारी का क्या महत्व था और कैसे उसने लोनपो गार की चालाकी को नकारा?
उत्तर: लड़की की समझदारी का महत्व इस बात में था कि उसने लोनपो गार के असंभव से लगने वाले आदेश को सही तरीके से सुलझाया। उसने राख की रस्सी बनाई, जो न केवल एक असंभव कार्य था, बल्कि इसे गले में पहनना तो दूर, उठाना भी मुश्किल था। इस समझदारी से लड़की ने यह साबित किया कि कभी-कभी सीधे और सच्चे तरीके से किसी समस्या का समाधान किया जा सकता है, जबकि चालाकी से कुछ हासिल नहीं होता।
प्रश्न 22: कहानी का संदेश क्या है?
उत्तर: इस कहानी का संदेश यह है कि सच्चाई और समझदारी से काम लेना हमेशा बेहतर होता है। चालाकी और धोखाधड़ी से दी गई सफलता टिकाऊ नहीं होती, जबकि ईमानदारी और चतुराई से न केवल समस्या का समाधान किया जा सकता है, बल्कि अच्छे परिणाम भी मिलते हैं। कहानी यह भी बताती है कि कभी-कभी हमें अपनी गलतियों को स्वीकार करना चाहिए और उन्हें सुधारने के लिए कदम उठाना चाहिए।
(क) तिब्बत के मंत्री अपने बेटे के भोलेपन से चिंतित रहते थे। तुम्हारे विचार से वे किन-किन बातों के बारे में सोचकर परेशान होते थे?
उत्तर: तिब्बत के मंत्री को अपने बेटे के भोलेपन के कारण चिंता थी क्योंकि उनका बेटा बहुत सीधा था और होशियार नहीं था। मंत्री को यह डर था कि उनका बेटा उनकी तरह समझदारी से निर्णय नहीं ले पाएगा, और उनके बाद शासन कैसे चलेगा। वह चिंतित थे कि उनका बेटा कठिन परिस्थितियों का सामना नहीं कर पाएगा और उनके बाद उनका काम सही तरीके से नहीं चल सकेगा।
(ख) तुम तिब्बत के मंत्री की जगह होती तो क्या उपाय करती?
उत्तर: यदि मैं तिब्बत के मंत्री की जगह होती, तो मैं अपने बेटे को समझदारी और चालाकी सिखाने के लिए उसे जीवन के कठिन निर्णयों का सामना करने का मौका देती। उसे छोटी-छोटी चुनौतियाँ देती और उसे सिखाती कि कैसे हर समस्या का समाधान सोच-समझ कर किया जा सकता है। इसके अलावा, उसकी बुद्धिमत्ता को बढ़ाने के लिए उसे अच्छे गुरुओं से शिक्षा दिलवाती।
23. शहर की तरफ
(क) मंत्री ने अपने बेटे को शहर क्यों भेजा था?
उत्तर: मंत्री ने अपने बेटे को शहर इसलिए भेजा था ताकि वह उसे किसी कठिन परिस्थिति में डाले और उसे समझदारी से काम करने की कला सिखा सके। वह चाहता था कि उसका बेटा जीवन के वास्तविक अनुभवों से कुछ सीखे और उसे जिम्मेदारी निभाने के काबिल बनाए।
(ख) उसने अपने बेटे को भेड़ों के साथ शहर में ही क्यों भेजा?
उत्तर: मंत्री ने बेटे को भेड़ों के साथ शहर भेजा ताकि वह किसी तरह से भेड़ों का ध्यान रखते हुए और पैसे जुटाने के तरीके सीख सके। भेड़ों के साथ भेजने का उद्देश्य यह था कि बेटा किसी न किसी तरह से समस्या का समाधान निकाले और साथ ही अपने संसाधनों का सही उपयोग करे।
(ग) तुम्हारे घर के बड़े लोग पहले कहाँ रहते थे? घर में पता करो। आस-पड़ोस में भी किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में पता करो जो किसी दूसरी जगह जाकर बस गया हो। उनसे बातचीत करो और जानने की कोशिश करो कि क्या वे अपने निर्णय से खुश हैं। क्यों? एक पुरुष, एक महिला और एक बच्चे से बात करो। यह भी पूछो कि उन्होंने वह जगह क्यों छोड़ दी?
उत्तर: इस प्रश्न का उत्तर व्यक्तिगत रूप से भिन्न हो सकता है। यह सवाल अपने घर और आस-पड़ोस के अनुभव पर आधारित है, इसलिए आप अपने घर के बड़े लोगों से और आस-पड़ोस के लोगों से बात करके उनके स्थान बदलने के कारणों और अनुभवों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
24. 'जी' एक तरह का अनाज है
प्रश्न: 'जी' एक तरह का अनाज है जिसे कई तरह से इस्तेमाल किया जाता है। है इसकी रोटी बनाई जाती है, सत्तू बनाया जाता है और सूखा भूनकर भी खाया जाता है। अपने घर में और स्कूल में बातचीत करके कुछ और अनाजों के नाम पता करो।
उत्तर: यहाँ कुछ अन्य अनाजों के नाम दिए गए हैं जिन्हें घर और स्कूल में उपयोग किया जा सकता है:
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चावल
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मक्का
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क्विनोआ
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बाजरा
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रागी
25. गेहूँ
(क) नीचे दी गई संज्ञाओं का वर्गीकरण इन दो प्रकार की संज्ञाओं में करो - व्यक्तिवाचक संज्ञा और जातिवाचक संज्ञा:
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लेह - जातिवाचक संज्ञा
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धातु - जातिवाचक संज्ञा
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शेरवानी - व्यक्तिवाचक संज्ञा
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भोजन - जातिवाचक संज्ञा
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ताँबा - जातिवाचक संज्ञा
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खिचड़ी - जातिवाचक संज्ञा
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शहर - जातिवाचक संज्ञा
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वेशभूषा - जातिवाचक संज्ञा
(ख) ऊपर लिखी हर जातिवाचक संज्ञा के लिए तीन-तीन व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ खुद सोचकर लिखो:
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धातु
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सोना
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चाँदी
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ताँबा
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भोजन
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रोटी
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सब्ज़ी
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दाल
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शहर
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दिल्ली
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मुंबई
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जयपुर
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वेशभूषा
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शेरवानी
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साड़ी
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कुर्ता
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26.तुम सेर, मैं सवा सेर
प्रश्न: इस लड़की का तो सभी लोहा मान गए। था न सचमुच नहले पर दहला! तुम्हें भी यही करना होगा।
उत्तर: इस वाक्य में लड़की की चतुराई और साहस की तारीफ की जा रही है। "नहले पर दहला" का अर्थ है कि किसी को मुसीबत में डालना और जवाब में उससे भी बड़ी चुनौती देना। इसका संदेश है कि आपको भी अपनी बुद्धिमानी और साहस से किसी भी समस्या का समाधान ढूँढ़ना चाहिए और अपने कार्यों में दृढ़ नायक की तरह काम करना चाहिए।
27. तुम ऐसा कोई काम ढूँढ़ो जिसे करने के लिए सूझबूझ की ज़रूरत हो।
प्रश्न: तुम ऐसा कोई काम ढूँढ़ो जिसे करने के लिए सूझबूझ की ज़रूरत हो। उसे एक कागज़ में लिखो और तुम सभी अपनी-अपनी चिट को एक डिब्बे में डाल दो। डिब्बे को बीच में रखकर उसके चारों ओर गोलाई में बैठ जाओ। अब एक-एक करके आओ, उस डिब्बे से एक चिट निकालकर पढ़ो और उसके लिए कोई उपाय सुझाओ। जिस बच्चे ने सबसे ज़्यादा उपाय सुझाए वह तुम्हारी कक्षा का 'बीरबल' होगा।
उत्तर: इस गतिविधि का उद्देश्य बच्चों को समस्या समाधान की सूझबूझ सिखाना है। उदाहरण के लिए, एक चिट में यह लिखा हो सकता है: "यदि तुम्हें किसी दोस्त के साथ बुरा व्यवहार हो जाए, तो तुम क्या करोगे?" इस पर विभिन्न उपाय सुझाए जा सकते हैं जैसे:
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पहले दोस्त से बात करके स्थिति स्पष्ट करो।
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यदि दोस्त सुनने के लिए तैयार न हो, तो शांत रहकर स्थिति को समझाने की कोशिश करो।
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समझाने के बाद भी समस्या न सुलझे तो शिक्षक से मदद लें।
इस प्रकार से बच्चों को सूझबूझ से विचार करना और सही समाधान निकालना सिखाया जा सकता है।
28. मंत्री ने बेटे से कहा, "पिछली बार भेड़ों के बाल उतारकर बेचना मुझे जरा भी पसंद नहीं आया।"
प्रश्न: क्या मंत्री को सचमुच यह बात पसंद नहीं आई थी? अपने उत्तर का कारण भी बताओ।
उत्तर: मंत्री को सचमुच यह बात पसंद नहीं आई थी, क्योंकि वह चाहते थे कि उनका बेटा किसी भी कठिन परिस्थिति का समाधान समझदारी से निकाले, न कि किसी आसान रास्ते से जैसे भेड़ों के बाल उतारकर बेचना। उनका यह कहना कि "मुझे यह पसंद नहीं आया" यह दिखाता है कि मंत्री की इच्छा थी कि उनके बेटे को असली समझदारी से काम लेना चाहिए, न कि केवल बाहर से दिखने वाले हल का पालन करना चाहिए।
29. सींग और जी
प्रश्न: पहली बार में मंत्री के बेटे ने भेड़ों के बाल बेच दिए और दूसरी बार में भेड़ों के सींग बेच डाले। जिन लोगों ने ये चीजें खरीदी होंगी, उन्होंने भेड़ों के बालों और सींगों का क्या किया होगा? अपनी कल्पना से बताओ।
उत्तर: जिन लोगों ने भेड़ों के बाल खरीदे होंगे, वे उनका उपयोग गर्म कपड़े बनाने के लिए कर सकते थे, जैसे ऊनी स्वेटर, शॉल, या ऊन से बने अन्य उत्पाद। वहीं, जिन लोगों ने भेड़ों के सींग खरीदे होंगे, उन्होंने उनका उपयोग हेडगियर, शिकार के उपकरण, या सजावट के सामान बनाने के लिए किया होगा। यह कल्पना पर आधारित उत्तर है, क्योंकि सींग और बाल विभिन्न उपयोगों के लिए बेचे जा सकते थे।
30. बात को कहने के तरीके
प्रश्न: नीचे कहानी से कुछ वाक्य दिए गए हैं। इन बातों को तुम तुम और सकती हो -
(क) चैन से ज़िंदगी चल रही थी।
उत्तर: ज़िंदगी आराम से चल रही थी।
(ख) होशियारी उसे छूकर भी नहीं गई थी।
उत्तर: होशियारी तो उसे छू तक नहीं पाई थी।
(ग) मैं इसका हल निकाल देती हूँ।
उत्तर: मैं इसका समाधान दे देती हूँ।
(घ) उनकी अपनी चालाकी धरी रह गई।
उत्तर: उनकी अपनी चतुराई बेकार हो गई।
31. 'लोनपो गार का बेटा होशियार नहीं था।'
(क) 'होशियार' और 'चालाक' में क्या फर्क होता है? किस आधार पर किसी को तुम चालाक या होशियार कह सकती हो? इसी प्रकार 'भोला' और 'बुद्ध' के बारे में भी सोचो और कक्षा में चर्चा करो।
उत्तर:
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होशियार वह व्यक्ति होता है जो बुद्धिमानी से सोचने और निर्णय लेने की क्षमता रखता है। होशियार व्यक्ति समस्याओं को आसानी से हल कर सकता है और समझदारी से कार्य करता है।
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चालाक वह व्यक्ति होता है जो अपनी स्थिति को सुधारने के लिए अक्सर धोखा या चालाकी का सहारा लेता है। चालाक व्यक्ति किसी काम को अपनी फायदेमंद तरीके से करता है, भले ही वह सही या गलत हो।
भोला व्यक्ति वह होता है जो बहुत सरल और सीधे विचार वाला होता है, बिना किसी बुरे इरादे के।
बुद्ध व्यक्ति वह होता है जो जीवन में अनुभव से समझदारी और ज्ञान प्राप्त करता है।
(ख) लड़की को तुम 'समझदार' कहोगी या बुद्धिमान? क्यों?
उत्तर: मैं लड़की को 'समझदार' कहूँगी, क्योंकि उसने समस्या का हल निकाला और पूरी स्थिति को सही तरीके से सुलझाया। बुद्धिमानी में ज्ञान और अनुभव शामिल होते हैं, जबकि समझदारी से तात्पर्य है किसी परिस्थिति में सही और उचित निर्णय लेना। लड़की ने सही निर्णय लिया और इसका परिणाम भी सकारात्मक रहा।
Priyanka Das