Chapter 2
फ़सलों के त्योहार
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प्रश्न–उत्तर:
1. "सारा दिन बोरसी के आगे बैठकर हाथ तापते हुए गुज़र जाता है।" – ऐसा क्यों कहा गया है?
उत्तर: यह वाक्य ठंड के मौसम की गंभीरता को दर्शाता है। सर्दी इतनी ज्यादा है कि लोग पूरे दिन बोरसी (अंगीठी) के पास बैठकर हाथ सेंकते रहते हैं। इससे यह पता चलता है कि मकर संक्रांति के आस-पास ठंड बहुत ज़्यादा होती है।
2. "आज ई लोग के उठे के नईखे का? बोल जल्दी तैयार होखस।" – यह किस बात की तैयारी का संकेत है?
उत्तर: यह वाक्य त्योहार की तैयारियों का संकेत देता है। परिवार में सभी लोग खिचड़ी त्योहार के अवसर पर पारंपरिक तरीके से नहाने, पूजा करने और त्योहार मनाने की तैयारी कर रहे हैं।
3. दादी ने किन चीजों को केले के पत्तों पर रखा था और उनका क्या किया गया?
उत्तर: दादी ने केले के पत्तों पर तिल, मिट्ठा (गुड़), चावल आदि रखा था। इन वस्तुओं को घर के सभी सदस्यों ने छुआ और प्रणाम किया। इसके बाद उन्हें एकत्रित कर दान कर दिया गया, जो खिचड़ी त्योहार की एक परंपरा है।
4. पापा ने धोती पहनने पर क्या कहा और क्यों?
उत्तर: पापा ने कहा, "खिचड़ी में अइसन ठाड़ हम पहिले कब्बो ना देखनी, सारा देह कनकना दे ता!" यह उन्होंने इसलिए कहा क्योंकि खिचड़ी के दिन उन्होंने पारंपरिक सफेद धोती-कुर्ता पहना, लेकिन मौसम बहुत ठंडा था और धोती में उन्हें ठंड और ज़्यादा महसूस हो रही थी।
5. अप्पी दिदिया को किस बात में दिक्कत हो रही थी?
उत्तर: अप्पी दिदिया को चूड़ा-दही और खिचड़ी दोनों पसंद नहीं थे, लेकिन त्योहार की वजह से उन्हें ये दोनों पारंपरिक व्यंजन खाने पड़े।
6. इस अंश से कौन-सी पारंपरिक और पारिवारिक भावना झलकती है?
उत्तर: इस अंश से परिवार का मिलन, त्योहार की पवित्रता, परंपरा के पालन, और साझा अनुभवों की भावना स्पष्ट झलकती है। सब लोग साथ मिलकर नहाते हैं, पूजा करते हैं, खास व्यंजन खाते हैं और दान करते हैं। यह सामूहिकता भारतीय ग्रामीण संस्कृति की खूबसूरती को दर्शाती है।
7. स्कूल में मनाई जाने वाली ‘खिचड़ी’ की मस्ती क्या थी?
उत्तर: स्कूल में खिचड़ी मनाने का दिन छुट्टी का होता था। बच्चे नाव से गंगा नदी की सैर करते, टापू पर बालू में दौड़ते, पतंग उड़ाते और मज़े करते। वहीं, गुरुजी और अन्य शिक्षक चूल्हे पर खिचड़ी पकाते थे। बच्चे भी बीच-बीच में मटर और प्याज़ छीलकर मदद करते थे। यह अनुभव बहुत ही खास और आनंददायक होता था।
8. खिचड़ी खाने के साथ क्या याद आ रही थी?
उत्तर: खिचड़ी खाने के साथ लेखक को अपने स्कूल के समय की खिचड़ी की याद आ रही थी, जहाँ दोस्तों और शिक्षकों के साथ मिलकर नदी की सैर, पतंग उड़ाना और खिचड़ी बनाना एक यादगार अनुभव था।
9. भारत के किन-किन प्रांतों में जनवरी के मध्य में फसल से जुड़े त्योहार मनाए जाते हैं?
उत्तर: भारत के विभिन्न राज्यों में जनवरी से अप्रैल तक फसल से जुड़े त्योहार मनाए जाते हैं, जैसे:
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उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश – मकर संक्रांति / तिल संक्रांत
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असम – बीहू
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केरल – ओणम
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तमिलनाडु – पोंगल
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पंजाब – लोहड़ी
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झारखंड – सरहुल
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गुजरात – पतंग पर्व
उत्तर: सरहुल झारखंड का प्रमुख आदिवासी त्योहार है। यह चार दिनों तक बड़े जोश से मनाया जाता है।
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संथाल जनजाति इसे फरवरी-मार्च,
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ओरांव जनजाति मार्च-अप्रैल में मनाती है।
इस दिन 'साल' के पेड़ की पूजा की जाती है क्योंकि इसी समय उसमें फूल आने लगते हैं। यह प्रकृति की पूजा का त्योहार है जिसमें स्त्री-पुरुष ढोल और मंजीरे बजाकर नाचते-गाते हैं।
11. लेखक ने क्यों कहा "वाकई, ढंग कैसा भी हो, पर है ये खुशियों का त्योहार!"?
उत्तर: लेखक ने यह बात इसलिए कही क्योंकि चाहे खिचड़ी घर पर मनाई जाए या स्कूल में, चाहे गाँव में हो या शहर में, यह त्योहार सभी के लिए खुशियाँ और मिलन का प्रतीक है। इसका तरीका अलग हो सकता है, लेकिन भावना एक जैसी होती है — खुशियाँ बाँटने की।
12. सरहुल त्योहार में लोग किस प्रकार नृत्य करते हैं?
उत्तर: सरहुल के समय लोग अपने घरों के सामने पंक्ति में खड़े होकर कमर में बाँहें डालकर नाचते हैं। रात भर ढोल-मंजीरे बजाते हुए नाच-गाना चलता है।
13. सरहुल पर्व में लोग चंदे में क्या माँगते हैं?
उत्तर: सरहुल में लोग घर-घर जाकर चंदा माँगते हैं। चंदे में वे मुर्गा, चावल और मिश्री माँगते हैं।
14. सरहुल पर्व का वसंत ऋतु से क्या संबंध है?
उत्तर: सरहुल पर्व से ही वसंत ऋतु की शुरुआत मानी जाती है। इस दिन साल के फूलों की पूजा की जाती है और आशीर्वादी धान अगली फसल के लिए बोया जाता है।
15. तमिलनाडु में मकर संक्रांति किस नाम से मनाई जाती है और इस दिन क्या विशेष किया जाता है?
उत्तर: तमिलनाडु में मकर संक्रांति ‘पोंगल’ नाम से मनाई जाती है।
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इस दिन नए धान को कूटकर चावल निकाला जाता है।
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मिट्टी के नए मटके में चावल, दूध और गुड़ डालकर उसे धूप में पकाया जाता है।
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जब दूध उफनकर मटके से बाहर गिरता है, तो लोग "पोंगला पोंगल!" कहते हुए खुशी मनाते हैं।
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मटके के मुँह पर साबुत हल्दी भी बाँधी जाती है।
16. गुजरात में मकर संक्रांति का कौन-सा रूप सबसे प्रसिद्ध है?
उत्तर: गुजरात में मकर संक्रांति पतंग पर्व के रूप में मनाया जाता है।
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लोग विभिन्न रंगों और आकारों की पतंगें उड़ाते हैं।
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पतंग उड़ाना सभी धर्म, जाति और उम्र के लोगों का प्रिय शौक होता है।
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कभी-कभी तो सूरज भी पतंगों से ढक जाता है।
17. पोंगल पर्व पर मिट्टी के मटके को कैसे सजाया जाता है?
उत्तर: पोंगल पर मिट्टी के मटके को सजाने के लिए उसके मुँह के चारों ओर साबुत हल्दी बाँधी जाती है, क्योंकि हल्दी को शुभ माना जाता है।
18. घुघुतिया त्योहार किस स्थान पर मनाया जाता है और इसमें क्या विशेष होता है?
उत्तर: घुघुतिया त्योहार कुमाऊँ क्षेत्र में मकर संक्रांति के दिन मनाया जाता है।
इसमें आटे और गुड़ से डमरू, तलवार, दाड़िम के फूल जैसे आकार के पकवान बनाए जाते हैं।
इन पकवानों को तलकर माला में पिरोया जाता है और बच्चों को दी जाती है, जो इन्हें पक्षियों को खिलाते हैं।
19. बच्चे पक्षियों को पकवान खिलाते समय क्या गाते हैं?
उत्तर: बच्चे पक्षियों को बुलाते हुए यह गीत गाते हैं:
"कौआ आओ, घुघूत आओ
ले कौआ बड़ौ
मकै दे जा सोने का घड़ौ मकै
खालै पूरी
कै दे जा सोने की छुरी"
20. मकर संक्रांति के दिन तिल का क्या महत्व है?
उत्तर: मकर संक्रांति के दिन तिल का विशेष धार्मिक महत्व होता है।
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लोग पानी में तिल डालकर स्नान करते हैं।
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तिल का दान करते हैं।
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आग में तिल डालते हैं।
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तिल के पकवान भी बनाए जाते हैं।
21. मकर संक्रांति के त्योहार को भारत में और किन-किन नामों से जाना जाता है?
उत्तर: भारत के विभिन्न भागों में मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों से जाना जाता है:
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तमिलनाडु: पोंगल
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झारखंड: सरहुल
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उत्तर भारत: खिचड़ी या तिल संक्रांति
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गुजरात: उत्तरायण या पतंग पर्व
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असम: बीहू
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केरल: ओणम
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पंजाब: लोहड़ी
22. मकर संक्रांति के अवसर पर लोग ठंड में भी स्नान क्यों करते हैं?
उत्तर: मकर संक्रांति के दिन को पवित्र माना जाता है, और इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति मानी जाती है।
भले ही पानी ठंडा हो, लोग आस्था और परंपरा के कारण कम-से-कम एक डुबकी ज़रूर लगाते हैं।
23. "खिचड़ी में अइसन जाड़ा हम पहिले कब्बो ना देखनीं।" – यहाँ 'खिचड़ी' से क्या मतलब है?
उत्तर: यहाँ ‘खिचड़ी’ का मतलब त्योहार से है। मकर संक्रांति के दिन को लोग 'खिचड़ी' भी कहते हैं। इस वाक्य में यह कहा जा रहा है कि इतने ठंड में मकर संक्रांति (खिचड़ी का त्योहार) पहले कभी नहीं देखा।
24. क्या कभी ऐसा हो सकता है कि सूरज बिल्कुल ही न निकले? अगर ऐसा हो तो...?
उत्तर : हाँ, ऐसा कुछ दिनों के लिए हो सकता है जब बहुत ज़्यादा धुंध या बादल हों।
अगर सूरज कई दिन न निकले तो:
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ठंड बहुत बढ़ जाएगी
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पौधे सही से नहीं बढ़ पाएँगे
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लोग उदास महसूस करने लगेंगे
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दिन और रात का समय पहचानना मुश्किल हो जाएगा
25. बाहर देखने से समय का अंदाज़ा क्यों नहीं हो पा रहा था?
उत्तर: क्योंकि चारों ओर धुंध और बादल थे, सूरज नहीं निकला था। इसलिए दिन और रात का फर्क नहीं दिख रहा था।
घड़ी न होने पर लोग समय का अनुमान कैसे लगाते हैं?
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सूरज की दिशा और रोशनी देखकर
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पक्षियों की आवाज़ों से
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रोज़मर्रा के कामों के हिसाब से
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घर में होने वाली हलचल से
26. तुम्हें कौन-सा त्योहार सबसे अच्छा लगता है और क्यों?
उत्तर : मुझे दीवाली सबसे अच्छी लगती है क्योंकि इस दिन घर सजाया जाता है, मिठाइयाँ मिलती हैं और पटाखे जलाए जाते हैं।
मेरी दिनचर्या:
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सुबह जल्दी उठकर स्नान
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घर की सफाई में मदद
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पूजा
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दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलना
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रात को दीये और पटाखे
27.अन्न के बारे में
(क) मकर संक्रांति पर 'तिल' का क्या महत्व है और इसका उपयोग किन रूपों में होता है?
उत्तर:
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तिल से तिलकुट, तिल लड्डू, तिल की चिक्की, और तिल की खिचड़ी बनती है।
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तिल को स्नान, दान और हवन में भी प्रयोग किया जाता है।
(ख) क्या तिल से तेल बनता है? और किन चीज़ों से तेल बनता है? कैसे?
उत्तर: हाँ, तिल से तिल का तेल बनता है।
अन्य चीज़ें जिनसे तेल बनता है:
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सरसों से सरसों का तेल
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नारियल से नारियल तेल
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सोयाबीन से सोया तेल
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मूँगफली से मूँगफली तेल
28. आलू की पकौड़ी की कहानी
किन चीज़ों से बनती है?
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आलू, बेसन, नमक, मसाले, तेल
इन चीज़ों का जन्म कहाँ होता है?
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आलू खेतों में उगता है
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बेसन चने से बनता है
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तेल सरसों, सूरजमुखी या सोयाबीन से
हम तक पहुँचने का सफ़र:
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आलू किसान उगाता है → मंडी में बेचता है
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व्यापारी इसे खरीदते हैं → दुकानों तक लाते हैं
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फिर हम बाज़ार से खरीदते हैं और घर में पकौड़ी बनती है
किन-किन हाथों से होकर पहुँचती है?
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किसान → व्यापारी → दुकानदार → ग्राहक → रसोइया (माँ/पिता)
मेहनत कौन करता है?
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किसान खेती करता है
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व्यापारी माल लाता है
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दुकानदार बेचता है
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घर में पकौड़ी बनाने वाला मेहनत करता है
मुनाफा किसे?
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किसान को सबसे कम
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व्यापारी और दुकानदार को ज़्यादा
29. बर्फी की कहानी
बनती है:
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दूध, चीनी, घी, मेवा
कहाँ से आता है:
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दूध पशुपालक देता है
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चीनी गन्ने से बनती है
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घी दूध से और मेवा बागों से आता है
सफर:
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दूध → डेयरी → बाजार
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गन्ना → चीनी मिल → बाजार
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सब सामग्रियाँ मिलाकर बर्फी बनती है
मेहनत:
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पशुपालक, किसान, मिल मजदूर, रसोइया
मुनाफा:
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डेयरी और दुकानदार को ज़्यादा
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पशुपालक को कम
30. आइसक्रीम की कहानी
बनती है:
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दूध, चीनी, फ्लेवर, ठंडक
कहाँ से आता है:
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दूध पशु से
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फ्लेवर पेड़-पौधों से
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फैक्ट्री में बनती है
सफर:
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डेयरी → आइसक्रीम फैक्ट्री → ट्रक → बाजार → ग्राहक
हाथों से होकर:
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पशुपालक → फैक्ट्री कर्मचारी → ट्रक चालक → दुकानदार
मेहनत:
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सभी की मेहनत जरूरी
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सबसे ज्यादा मेहनत किसान और मजदूर की
मुनाफा:
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सबसे कम पशुपालक को
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सबसे ज़्यादा फैक्ट्री और दुकानदार को
31. गया शहर किस पकवान के लिए मशहूर है?
उत्तर: गया शहर तिलकुट के लिए प्रसिद्ध है। यह गुड़ और तिल से बनता है और स्वाद में मीठा व कुरकुरा होता है।
32. अपने क्षेत्र के खास पकवान का पता करें।
इस उत्तर में बच्चा अपने क्षेत्र जैसे गुजरात (ढोकला), पंजाब (मक्के दी रोटी-सरसो दा साग), बंगाल (रसगुल्ला), आदि के अनुसार उत्तर दे सकता है।
खिचड़ी बनाने की विधि (क्रियाओं के साथ पूरी की गई)
बंगाली 'खिचुरी' (5 व्यक्तियों के लिए)
विधि:
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पहले चावल और दाल को अच्छे से धोना।
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अदरक और लहसुन को पीसना।
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एक कड़ाही में थोड़ा घी लेकर उसमें जीरा, इलायची, दालचीनी का छौंकना।
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फिर चावल और दाल डालकर हल्का सा भूनना।
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पानी डालकर मध्यम आँच पर पकाना।
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पक जाने के बाद सबको गरमा गरम खिचड़ी परोसना।