Chapter 4

 नन्हा फ़नकार   

   👉MCQ Online Exam
    👉Click Here YouTube Video
    👉MCQs Answer

प्रश्न 1: केशव क्या काम कर रहा था और कैसे?

उत्तर: केशव घंटियों की कतारें और कड़ियाँ पत्थर पर उकेरने का काम कर रहा था। वह एक चौकोर लाल पत्थर पर बैठा था और बड़ी सावधानी से छेनी और हथौड़े की मदद से नक्काशी कर रहा था। वह हर वार पर बहुत ध्यान देता और साथ ही धीरे-धीरे कुछ गुनगुनाता भी था।

प्रश्न 2: केशव को कौन-से डिज़ाइन बनाना आता है?

उत्तर: केशव अभी नक्काशी सीख रहा था, और वह अपने पिता से देखकर सीधी लकीरें और घुमावदार डिज़ाइन बना सकता था। हालाँकि, घंटियों की नक्काशी उसके लिए सबसे कठिन कार्य था।

प्रश्न 3: केशव का सपना क्या है?

उत्तर: केशव का सपना है कि वह एक दिन अपने पिता की तरह महीन जालियाँ, नफ़ीस बेल-बूटे, कमल के फूल, लहराते साँप और इठलाते घोड़े जैसी खूबसूरत आकृतियाँ पत्थर पर उकेरे। वह मशहूर फ़नकार बनना चाहता है।

प्रश्न 4: केशव के माता-पिता कहाँ से आए थे और क्यों?

उत्तर: केशव के माता-पिता गुजरात से आगरा आए थे क्योंकि उस समय बादशाह अकबर आगरा का किला बनवा रहे थे और केशव के पिता को वहीं पर काम मिल गया था। तभी से उनका परिवार आगरा में बस गया।

प्रश्न 5: केशव अपने काम के प्रति कैसा दृष्टिकोण रखता है?

उत्तर: केशव अपने काम के प्रति बहुत ही लगनशील, ध्यानपूर्वक और आशावादी है। वह छोटी उम्र में ही संवेदनशीलता और संकल्प से काम करता है, और उसे भरोसा है कि वह एक दिन कुशल कलाकार बनेगा।

प्रश्न 6: केशव को अचानक किसकी आवाज़ सुनाई दी और वह क्यों चौंक गया?

उत्तर: केशव को अचानक एक अजनबी व्यक्ति की आवाज़ सुनाई दी जो उसकी बनाई घंटियों की तारीफ़ कर रहा था। वह इसलिए चौंक गया क्योंकि वह नक्काशी में इतना डूबा था कि उसे कदमों की आहट भी सुनाई नहीं दी थी

प्रश्न 7: अजनबी व्यक्ति ने केशव की तारीफ़ में क्या कहा?

उत्तर: उस अजनबी व्यक्ति ने कहा – "माशा अल्लाह! ये घंटियाँ कितनी सुंदर हैं।" और पूछा कि "क्या तुमने खुद बनाई हैं?"

प्रश्न 8: केशव ने अजनबी व्यक्ति को क्या जवाब दिया?

उत्तर: केशव ने तल्खी से कहा – "बेशक, मैंने ही ये घंटियाँ बनाई हैं। क्या मैं आपको पत्थर पर नक्काशी करता नजर नहीं आ रहा?"

प्रश्न 9: केशव और वह अजनबी व्यक्ति अपनी उम्र के बारे में क्या बातचीत करते हैं?

उत्तर: जब अजनबी व्यक्ति ने कहा कि केशव बहुत छोटा लगता है, तो केशव ने कहा, "मैं दस साल का हूँ।" इस पर अजनबी ने कहा, "मैंने भी तेरह साल की उम्र में एक लड़ाई में हिस्सा लिया था।"

प्रश्न 10: उस अजनबी व्यक्ति का हुलिया और पहनावा कैसा था?

उत्तर: अजनबी व्यक्ति तीस से ऊपर का था, मँझोले कद का, उसने सफ़ेद अँगरखा और पाजामा पहना था, गहरे लाल रंग की पगड़ी, लंबे बाल, मोतियों की माला, अँगूठियाँ, घनी मूँछें, बड़ी आँखें, और तीखी नाक थी। केशव को देखकर लगा कि वह कोई बहुत बड़ा आदमी है।

प्रश्न 11: वह अजनबी व्यक्ति केशव की नक्काशी पर क्या टिप्पणी करता है?

उत्तर: उसने कहा, "इस लड़ी में अभी काफ़ी काम बाकी है।" यानी उसने केशव की नक्काशी में और परिशुद्धता की आवश्यकता जताई।

प्रश्न 12: महल का पहरेदार क्यों दौड़ता हुआ आया?

उत्तर: महल का पहरेदार इसलिए दौड़ता हुआ आया क्योंकि उसे यह ज्ञात हुआ कि बादशाह अकबर वहाँ आ गए हैं और उसे उनके आने की भनक भी नहीं लगी थी।

प्रश्न 13: पहरेदार ने केशव से क्या कहा और क्यों?

उत्तर: पहरेदार ने केशव को डाँटते हुए कहा – "खड़ा हो! हुज़ूरे आला के सामने बैठने की जुर्रत कैसे की तूने? झुककर सलाम कर इन्हें।" उसने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि उसे लगा कि केशव ने बादशाह अकबर के सामने अनुचित व्यवहार किया है।

प्रश्न 14: केशव को कब और कैसे समझ में आया कि वह अकबर से बात कर रहा है?

उत्तर: जब पहरेदार ने अकबर को "हुज़ूरे आला" कहकर संबोधित किया और केशव को सलाम करने को कहा, तभी केशव का माथा ठनका और उसे समझ आया कि यह अजनबी व्यक्ति बादशाह अकबर ही हैं।

प्रश्न 15: अकबर को पहरेदार का व्यवहार कैसा लगा और उन्होंने क्या किया?

उत्तर: अकबर को पहरेदार की दखलंदाज़ी अच्छी नहीं लगी। उन्होंने खीझकर उसे वहाँ से जाने का इशारा किया और कहा – "ठीक है सिपाही! कुछ देर के लिए हमें अकेला छोड़ दो।"

प्रश्न 16: अकबर के व्यवहार से केशव को क्या अनुभव हुआ?

उत्तर: हालाँकि केशव का दिल अभी भी धड़क रहा था, पर वह डरा नहीं था, क्योंकि अकबर ने उसे प्यार से देखा और मुस्कराए। इससे केशव को साहस और सम्मान का अनुभव हुआ।

प्रश्न 17: अकबर ने केशव से क्या पूछा और केशव का क्या जवाब था?

उत्तर: अकबर ने केशव से पूछा, "तुम्हारा नाम क्या है?" और केशव ने जवाब दिया, "केशव,"। इसके बाद अकबर ने उससे नक्काशी करना सीखने की इच्छा व्यक्त की।

प्रश्न 18: अकबर ने केशव से क्या कहा और केशव ने कैसे प्रतिक्रिया दी?

उत्तर: अकबर ने केशव से कहा, "क्या तुम मुझे नक्काशी करना सिखाओगे?" और केशव ने उलझन में आकर सिर हिलाया और फिर अकबर के लिए छेनी और हथौड़ा लाने की व्यवस्था की। केशव अकबर के नक्काशी करने के विचार से थोड़े असमंजस में थे और उन्होंने कहा कि एक बड़े बादशाह को यह काम ठीक नहीं लगता।

प्रश्न 19: अकबर ने नक्काशी के काम को लेकर केशव से क्या पूछा और केशव ने कैसे जवाब दिया?

उत्तर: अकबर ने केशव से पूछा, "क्या यह काम मिट्टी से भरी डलिया ढोने से ज्यादा मुश्किल है?" केशव ने इसका जवाब दिया कि उसे अकबर को नक्काशी सिखाना ठीक नहीं लगता क्योंकि वह बादशाह हैं और इस काम में उनका दर्जा नहीं लगता।

प्रश्न 20: केशव ने अकबर को नक्काशी सिखाने में क्या कदम उठाए?

उत्तर: केशव ने अकबर को सही तरीका बताया, जिसमें उसने कोयले के टुकड़े से पत्थर पर लकीरें खींची और फिर अकबर को धीरे-धीरे हथौड़ा मारने की सलाह दी। उसने यह भी बताया कि नक्काशी करते समय आँखें मींच कर रखनी चाहिए, ताकि पत्थर की किरचें आँखों में न जाएँ।

प्रश्न 21: अकबर ने केशव से नक्काशी की गलती के बाद क्या किया?

उत्तर: अकबर ने गलती से हथौड़े का ज़ोर से वार किया, जिससे कटाव बहुत गहरा हो गया। फिर केशव ने उसे आहिस्ता से मारने की सही विधि समझाई और अकबर ने उसे सही तरीके से काम करने के लिए धन्यवाद दिया।

प्रश्न 22: केशव अकबर के साथ काम करते समय कैसा महसूस कर रहा था?

उत्तर: केशव अकबर के साथ काम करते हुए इतना खो गया कि वह लगभग भूल ही गया कि उसके बगल में बैठा व्यक्ति हिंदुस्तान का बादशाह है।
वह अकबर की हर गलती पर त्यौरियाँ चढ़ा लेता था और अपने हुनर की धाक जमाने में उसे मज़ा आ रहा था।
उसे यह भी अच्छा लग रहा था कि एक अनाड़ी वयस्क उस जैसे बच्चे से कुछ सीखने की कोशिश कर रहा है।

प्रश्न 23: अकबर केशव के काम को देखकर क्या सोचते हैं और क्या भविष्यवाणी करते हैं?

उत्तर: अकबर केशव के काम को बड़े ध्यान से देखते हैं और यह महसूस करते हैं कि केशव न सिर्फ़ दिए गए नमूनों को तराश रहा है, बल्कि उनमें खुद से भी सुंदरता और डिज़ाइन जोड़ रहा है।
इससे प्रभावित होकर अकबर कहते हैं –

"केशव, देखना, एक दिन तुम बड़े फ़नकार बनोगे। हो सकता है कि एक दिन तुम मेरे कारखाने में काम करो।"

प्रश्न 24: अकबर ने 'कारखाना' शब्द का क्या अर्थ समझाया?

उत्तर: अकबर ने बताया कि जब महल बनकर तैयार हो जाएगा और लोग आगरा से यहाँ (सीकरी) आकर बसने लगेंगे, तब वह एक बड़ा कारखाना बनवाएँगे।
इस कारखाने में उनकी सल्तनत के सर्वश्रेष्ठ कलाकार और शिल्पकार काम करेंगे – जैसे:

  • चित्र बनाने वाले कलाकार

  • गलीचों (कालीन) के बुनकर

  • संगतराश

  • पत्थर और लकड़ी पर नक्काशी करने वाले

प्रश्न 25: अकबर के इस प्रस्ताव पर केशव की क्या प्रतिक्रिया थी?

उत्तर: अकबर की बात सुनकर केशव का चेहरा चमक उठा। उसे गर्व और खुशी महसूस हुई कि बादशाह ने उसके हुनर को पहचाना।
वह मुस्कराकर बोला –

"मैं वहाँ ज़रूर काम करना चाहूँगा।"

प्रश्न 26: इस अंश से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?

उत्तर: यह अंश हमें यह प्रेरणा देता है कि:

  • प्रतिभा और लगन की कोई उम्र नहीं होती।

  • एक सच्चा शासक वही होता है जो हर वर्ग और उम्र के व्यक्ति में छुपे हुनर को पहचानता है और प्रोत्साहित करता है।

  • इंसानियत, विनम्रता और सीखने की चाह किसी भी ऊँचे पद से ज़्यादा बड़ी होती है।

  • साथ ही, सपने और अवसर किसी भी पल मिल सकते हैं, ज़रूरत होती है तो बस मेहनत और भरोसे की।

प्रश्न 27: केशव ने अकबर से जाते समय क्या पूछा? अकबर ने क्या उत्तर दिया?

उत्तर: केशव ने जाते समय बादशाह अकबर से उत्सुकता से पूछा,

"हुजूर! क्या आप दुबारा आएँगे?"
इस पर अकबर ने मुस्कराकर कहा,
"मैं ज़रूर आऊँगा केशव!"

प्रश्न 28: बादशाह से मिलने के बाद केशव का व्यवहार कैसा था?

उत्तर: बादशाह से मुलाकात के बाद केशव बहुत उत्साहित था।

  • वह पूरे दिन संगतराशों के बीच अपनी मुलाकात की बातें करता रहा।

  • वह थका हुआ होने के बावजूद रात में सो नहीं पाया और पिता के पास जाकर लेट गया।

  • वह बादशाह के शब्दों से प्रेरित और खुश था।

प्रश्न 29: केशव ने अपने पिता से कौन-सा प्रश्न किया और पिता ने क्या उत्तर दिया?

उत्तर: केशव ने पूछा –

"बाबा, एक बात बताओ, बादशाह के पास आगरा में एक से बढ़कर एक खूबसूरत महल हैं। फिर वे सीकरी में यह शहर क्यों बनवा रहे हैं?"

पिता ने उत्तर दिया –

  • बादशाह अकबर को संतान नहीं हो रही थी, जिससे वे बहुत दुखी रहते थे।

  • वे अनेक साधु-संतों और फ़कीरों के पास गए और अंत में सीकरी में ख्वाजा सलीम चिश्ती के पास पहुँचे।

  • चिश्ती साहब ने उन्हें तीन पुत्र होने की भविष्यवाणी की, जो सच निकली।

  • सम्मान में बादशाह ने सीकरी में एक नया नगर बसाने का निर्णय लिया।

प्रश्न 30: अकबर ने अपने बेटे का नाम ‘सलीम’ क्यों रखा?

उत्तर: बादशाह अकबर ने अपने बेटे का नाम सलीम इसलिए रखा क्योंकि

  • उन्होंने जिन संत से संतान होने का आशीर्वाद पाया – उनका नाम ख्वाजा सलीम चिश्ती था।

  • सम्मान के रूप में उन्होंने अपने पुत्र को ‘सलीम’ नाम दिया।

प्रश्न 31: इस अंश से क्या संदेश मिलता है?

उत्तर: इस अंश से हमें यह सीख मिलती है कि:

  • बड़े पद पर बैठे व्यक्ति भी साधारण लोगों से सच्चा स्नेह और सम्मान रखते हैं।

  • एक सच्चे राजा की पहचान उसकी विनम्रता और दूरदृष्टि से होती है।

  • श्रद्धा और विश्वास से प्रेरित होकर किए गए कार्य चिरस्थायी होते हैं, जैसे सीकरी नगरी।

  • बच्चों की प्रतिभा और उत्साह को सही दिशा दी जाए तो वे बड़े कलाकार बन सकते हैं।

32. "माशा अल्लाह! ये घटियाँ कितनी सुंदर हैं!" – यह बात बादशाह अकबर ने क्यों कही होगी?

सही उत्तर:
(ङ) क्योंकि उन्हें यकीन नहीं था कि 10 साल का बच्चा केशव इतनी सुंदर घंटियाँ बना सकता है।

  • यह वाक्य अकबर की ताज्जुब और तारीफ़ दोनों को दर्शाता है। वे इतने छोटे बच्चे की प्रतिभा देखकर अचंभित थे।

33. चित्र और भवन

उत्तर:

  • छात्र अपनी कॉपी में घंटियाँ और कड़ियाँ (चेन जैसी आकृतियाँ) का चित्र बनाएं।

  • यदि संभव हो, तो फतेहपुर सीकरी, सलीम चिश्ती की दरगाह, या आगरा का किला जैसे प्रसिद्ध भवनों की तस्वीर लगाएँ, जिनमें सुंदर नक्काशी देखने को मिलती है।

34. अकबर को पहरेदार की दखलंदाजी अच्छी क्यों नहीं लगी?

उत्तर: अकबर केशव से सरल और मित्रवत ढंग से बातचीत कर रहे थे। पहरेदार का गुस्से में टोकना और डाँटना उन्हें अनावश्यक और अनुचित लगा। उन्होंने केशव को डरा दिया, जो अकबर को अच्छा नहीं लगा।

35. "लगता है कोई बहुत बड़ा आदमी है" – 'बड़े आदमी' से केशव का क्या मतलब है?

उत्तर:यहाँ ‘बड़े आदमी’ से केशव का तात्पर्य किसी ऊँचे ओहदे वाले, अमीर या प्रभावशाली व्यक्ति से है। अकबर का पहनावा, गहने, और उनका व्यवहार देखकर केशव ने ऐसा अनुमान लगाया।

36. पशु-पक्षियों से तुलना के उदाहरण:

  • हिरन जैसी चाल

  • मोर जैसा नृत्य

  • बाघ जैसी फुर्ती

  • हाथी जैसी चाल

  • बिल्ली जैसी चुप्पी

  • चीते जैसी तेज़ी

  • कोयल जैसी मीठी आवाज़

  • लोमड़ी जैसी चालाकी

  • कछुए जैसा धैर्य

  • गरुड़ जैसी दृष्टि

37. अकबर ने जब नक्काशी सीखना चाहा, तो केशव ने उन्हें संदेहभरी नज़रों से क्यों देखा?

उत्तर: केशव को यह विश्वास नहीं हुआ कि कोई इतना बड़ा बादशाह खुद से नक्काशी सीखना चाहता है। इसलिए उसने संदेह के साथ अकबर को देखा – क्या सच में बादशाह यह करेंगे?

38. केशव दस साल का है – क्या बच्चों का इस तरह के काम से जुड़ना ठीक है?

उत्तर :

  • नहीं, इस उम्र में बच्चों का शिक्षा पर ध्यान देना ज़रूरी होता है।

  • कठिन श्रम या व्यवसायिक कार्य से उनका मानसिक और शारीरिक विकास प्रभावित हो सकता है।

  • लेकिन यदि कोई बच्चा रचनात्मक कला में रुचि लेता है और वह उसे खेल-खेल में सीख रहा हो, तो उसमें मार्गदर्शन दिया जाना चाहिए।

  • सबसे जरूरी बात – उसे मजबूरी में यह कार्य न करना पड़े।

39. "केशव बार-बार सबको सुनाता।" – कल्पना करिए, वह क्या कहता होगा?

उत्तर: “तुम्हें पता है, आज मेरे पास खुद बादशाह अकबर आए थे! वो मेरे पास बैठ गए, मैंने उन्हें नक्काशी सिखाई। वो बहुत अच्छे हैं। उन्होंने कहा कि मैं एक दिन बहुत बड़ा कलाकार बनूँगा। सोचो, इतने बड़े बादशाह मेरे दोस्त बन गए!”

40. (क) किसी काम को चुनकर उसके औज़ारों के नाम और काम लिखो

काम: बढ़ईगिरी (लकड़ी का काम)
मुख्य औज़ार और उनका कार्य:

औज़ारकार्य
आरी (Saw)लकड़ी को काटने के लिए
हथौड़ा (Hammer)कील ठोकने के लिए
रंदा (Plane)लकड़ी को चिकना करने के लिए
छैनी (Chisel)बारीक नक्काशी या गढ़ाई के लिए
स्क्रू ड्राइवरस्क्रू कसने या खोलने के लिए
बुरादालकड़ी को रंदा करने पर निकली महीन कतरन

41. (ख) लकड़ी के काम से जुड़े शब्दों पर बातचीत

उदाहरण शब्द:

  • आरी – लकड़ी काटने का औज़ार

  • रंदा – लकड़ी की सतह को समतल करने का औज़ार

  • बुरादा – लकड़ी काटने या रंदा करने पर निकला चूर्ण

  • प्लाई – परतदार लकड़ी

  • सूत – लकड़ी के जोड़ को मजबूत करने वाला धागा/तार

42. (ग) क्षेत्रीय शब्दों की बातचीत

  • कुछ इलाकों में "छेनी" को "चिसल", "रंदा" को "हथा रंदा", और "आरी" को "आरा" कहा जाता है।

  • अपने क्षेत्र के बढ़ई से मिलकर इन शब्दों की स्थानीय भाषा में पहचान करें और कक्षा में साझा करें।

43. संज्ञाएँ और उनकी मूल क्रियाएँ:

संज्ञामूल क्रियाअर्थवाक्य
चुनावचुननाकिसी चीज़ को चुननास्कूल में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ।
पड़ावपड़नारुकने का स्थानयात्रा के दौरान हमने जंगल में पड़ाव डाला।
बहावबहनाप्रवाहतेज़ बारिश से नदी का बहाव बढ़ गया।
लगावलगनास्नेह या जुड़ावमुझे चित्रकला से बहुत लगाव है।

44. रेखांकित शब्दों का अंतर स्पष्ट करें:

शब्दअर्थउदाहरण वाक्य
बुदबुदानाधीरे से बोलना, अस्पष्ट रूप मेंउसने डर से कुछ बुदबुदाया।
फुसफुसानाबहुत धीमे से कान में बोलनाबच्चों ने एक-दूसरे से फुसफुसाकर राज़ बताया।
बड़बड़ानागुस्से या चिड़चिड़ाहट में बोलनावह गुस्से में बड़बड़ा रहा था।
भुनभुनानालगातार धीमे स्वर में बोलनादादी किसी बात से नाराज़ थीं और भुनभुना रही थीं।

45. पहरेदार ने केशव से ऐसा क्यों कहा?

 उत्तर:
(क) बादशाह के सामने बैठे रहना उनका अपमान करने जैसा है।

  • उस समय बादशाह के सामने खड़े रहना सम्मान का प्रतीक माना जाता था, इसलिए पहरेदार ने उसे झुककर सलाम करने को कहा।