Chapter 8

    वे दिन भी क्या दिन थे

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प्रश्न और उत्तर:

प्रश्न: कुम्मी ने अपनी डायरी में 17 मई, 2155 की रात को क्यों लिखा?

उत्तर: कुम्मी ने अपनी डायरी में उस दिन को इसलिए लिखा क्योंकि वह एक महत्वपूर्ण घटना थी। 17 मई, 2155 की रात को रोहित को एक पुरानी पुस्तक मिली थी, जो कुम्मी के दादा के ज़माने की थी। यह घटना इसलिए महत्वपूर्ण थी क्योंकि इसमें बदलाव और पुरानी पुस्तकों के बारे में बात की गई थी।

प्रश्न: रोहित को यह पुरानी पुस्तक कहाँ मिली थी?

उत्तर: रोहित को यह पुरानी पुस्तक अपने घर में मिली थी। वह एक पुराना डिब्बा था, जिसमें यह पुस्तक दबा पड़ी थी। डिब्बा फेंका जा रहा था, तभी उसमें से यह पुस्तक मिली।

प्रश्न: रोहित और कुम्मी के अनुसार पुरानी पुस्तकों और आधुनिक पुस्तकों में क्या अंतर था?
उत्तर: रोहित और कुम्मी के अनुसार, पुरानी पुस्तकों में पृष्ठ होते थे, जिन पर कहानियाँ छपी होती थीं और उन्हें पलटकर आगे पढ़ा जाता था। वहीं, अब के समय में टेलीविज़न के पर्दे पर कहानी की सामग्री आती है और वह सामग्री कभी पुरानी नहीं होती, बल्कि वह नई की नई रहती है। यानी, अब किताबें स्थिर नहीं होतीं, वे गतिशील हो गई हैं।

प्रश्न: रोहित ने पुस्तक में क्या लिखा हुआ था?
उत्तर: रोहित ने बताया कि पुस्तक में स्कूलों के बारे में लिखा था।


प्रश्न: कुम्मी ने स्कूल के बारे में क्या सवाल पूछा था और रोहित ने क्या उत्तर दिया?

उत्तर: कुम्मी ने पूछा, "स्कूलों के बारे में लिखने को है ही क्या?" इसका मतलब था कि स्कूल के बारे में इतनी बड़ी जानकारी क्या हो सकती है। रोहित ने उत्तर दिया कि हर विद्यार्थी के घर पर एक मशीन होती है, जिसमें टेलीविज़न की तरह का एक पर्दा होता है, और रोज़ वह विद्यार्थी उस पर्दे के सामने बैठकर पढ़ाई करता है।


प्रश्न: कुम्मी ने स्कूल के काम को कैसे बताया?

उत्तर: कुम्मी ने स्कूल के काम को उबाऊ बताया। उसने कहा कि स्कूल का सारा काम यह है कि विद्यार्थी बैठकर वही सब याद करते हैं जो मशीन बताती है, फिर गृहकार्य करके उसे मशीन में डाल देते हैं। मशीन विद्यार्थी की गलतियाँ बताकर उसे सुधारती है, और हर विषय के बाद परीक्षा लेकर अगले विषय की पढ़ाई शुरू कर देती है।

प्रश्न: रोहित ने स्कूल के बारे में कैसे बताया?
उत्तर: रोहित ने बताया कि उस पुस्तक में पुराने स्कूलों के बारे में लिखा है। पुराने स्कूलों में मशीन के बजाय स्त्रियाँ और पुरुष अध्यापक होते थे, जो बच्चों को विभिन्न विषय पढ़ाते थे। वे बच्चों के घर नहीं जाते थे, बल्कि बच्चे एक विशेष भवन, जिसे स्कूल कहते थे, में जाते थे।

प्रश्न: कुम्मी को भूगोल का सबक क्यों कठिन लगता था?
उत्तर: कुम्मी को भूगोल का सबक कठिन लगता था क्योंकि उसकी मशीन बहुत तेज़ी से पढ़ाती थी, जिससे उसे समझने में परेशानी होती थी। एक बार उसकी माँ ने इसकी शिकायत की, तो एक आदमी आया और उसने मशीन की गति धीमी कर दी ताकि कुम्मी को समझने में आसानी हो।

प्रश्न: कुम्मी ने पहले स्कूल के बारे में क्या सोचा था और रोहित ने क्या स्पष्ट किया?
उत्तर: कुम्मी ने पहले सोचा था कि पुराने समय में भी स्कूलों में मशीनें होती होंगी। लेकिन रोहित ने स्पष्ट किया कि पुराने स्कूलों में मशीनें नहीं होती थीं, बल्कि स्त्रियाँ और पुरुष ही बच्चों को पढ़ाते थे और वे स्कूलों में पढ़ाते थे, न कि बच्चों के घरों में।


प्रश्न: कुम्मी और रोहित के वार्तालाप से क्या सीखने को मिलता है?

उत्तर: इस वार्तालाप से यह सीखने को मिलता है कि समय के साथ शिक्षा का तरीका बदल गया है। पहले शिक्षक खुद छात्रों को पढ़ाते थे, स्कूलों में जाते थे, जबकि अब तकनीकी उपकरण जैसे मशीनों और टेलीविज़न का उपयोग शिक्षा में किया जाता है। हालांकि, कुम्मी को पुराने स्कूलों का तरीका कठिन और उबाऊ लग रहा था, जबकि रोहित पुराने समय की शिक्षा प्रणाली के महत्व को समझा रहा था।


प्रश्न: कुम्मी ने रोहित से क्या पूछा था और रोहित ने क्या उत्तर दिया?

उत्तर: कुम्मी ने पूछा, "क्या सब बच्चे एक समय में एक जैसी ही चीजें सीखते थे?"

रोहित ने जवाब दिया, "हाँ, एक आयु के बच्चे एक साथ बैठते थे।"

प्रश्न: कुम्मी ने अपनी माँ के बारे में क्या कहा?
उत्तर: कुम्मी ने कहा कि उसकी माँ कहती है कि मशीनी अध्यापक हर बच्चे की समझ के अनुसार पढ़ाते हैं, लेकिन वह जानना चाहती थी कि पुराने समय में यह कैसे संभव था जब सारे बच्चे एक साथ पढ़ते थे।

प्रश्न: कुम्मी और रोहित के बीच क्या विवाद हुआ था?
उत्तर: कुम्मी ने जब पुराने समय के स्कूल के बारे में ज्यादा सवाल किए, तो रोहित ने उसे पुस्तक न देने की धमकी दी। कुम्मी ने तुरंत कहा कि वह पुस्तक पढ़ना चाहती है, ताकि पुराने स्कूलों के बारे में और जान सके।

प्रश्न: कुम्मी स्कूलों के बारे में क्या सोचती थी और क्या महसूस करती थी?
उत्तर: कुम्मी सोच रही थी कि पुराने समय में स्कूल जाना कितना आनंददायक होता होगा, जब सभी बच्चे एक ही आयु में होते थे और वे हँसते-खेलते स्कूल जाते थे। उसे यह भी लगता था कि बच्चे खुश रहते होंगे और वहाँ पुरुष और स्त्रियाँ पढ़ाने वाले होते थे, जो आजकल के मशीनी शिक्षा से अलग था।

प्रश्न: कुम्मी के मन में क्या विचार चल रहे थे जब वह मशीन से पढ़ाई कर रही थी?
उत्तर: कुम्मी सोच रही थी कि पुराने स्कूलों में बच्चे कितने खुश रहते होंगे और उन्हें पढ़ने में कितना आनंद आता होगा, जब उन्हें मशीनी शिक्षा के बजाय वास्तविक अध्यापकों से पढ़ाया जाता था।

प्रश्न: कुम्मी के हाथ जो किताब आई थी वह कब छपी होगी?

उत्तर: कुम्मी के हाथ में जो किताब थी, वह बहुत पुरानी थी। इसमें बताया गया था कि उस समय स्कूल में शिक्षक होते थे, और बच्चों को वास्तविक अध्यापकों से शिक्षा मिलती थी। यह किताब संभवतः कई दशकों पुरानी होगी, शायद 20वीं सदी के अंत में छपी हो, जब किताबों का मुख्य रूप से उपयोग शिक्षा के लिए किया जाता था और डिजिटल तकनीक इतनी प्रचलित नहीं थी।


प्रश्न: रोहित ने कहा था, "कितनी पुस्तकें बेकार जाती होंगी। एक बार पढ़ीं और फिर बेकार हो गईं।" क्या सचमुच में ऐसा होता है?

उत्तर: नहीं, सचमुच ऐसा नहीं होता। हालांकि डिजिटल तकनीक और टेलीविज़न के पर्दे पर किताबों की सामग्री को बदलने के कारण किताबों को एक बार पढ़ने के बाद बेकार मानने का विचार आ सकता है, लेकिन किताबों का एक स्थायित्व और महत्त्व होता है। किताबें ज्ञान का संग्रह होती हैं जो बार-बार पढ़ने से नए दृष्टिकोण और जानकारी प्रदान करती हैं।

प्रश्न: कागज़ के पन्नों की किताब और टेलीविज़न के पर्दे पर चलने वाली किताब। तुम इनमें से किसको पसंद करोगे? क्यों?
उत्तर: मुझे कागज़ की किताब पसंद आएगी। क्योंकि किताबें एक स्थायित्व और गहरी पढ़ाई का अनुभव देती हैं, जिनसे हम अपनी गति से सोच सकते हैं, समझ सकते हैं और पुनः पढ़ सकते हैं। टेलीविज़न के पर्दे पर चलने वाली किताब को देखने में तात्कालिक रुचि हो सकती है, लेकिन वह उतनी गहराई से पढ़ाई का अनुभव नहीं देती जितनी कागज़ की किताबें देती हैं।

प्रश्न: तुम कागज पर छपी किताबों से पढ़ते हो। पता करो कि कागज से पहले की छपाई किस-किस चीज़ पर हुआ करती थी?
उत्तर: कागज से पहले, किताबें पंक्ति से पंक्ति लेखन के लिए लकड़ी, ताम्र पत्र (ताम्रपट्ट), बाल पत्र, ताड़ पत्र, कपड़े या पत्तियों पर लिखी जाती थीं। पुराने समय में पांडुलिपियाँ हाथ से लिखी जाती थीं, जिनमें बहुत समय और मेहनत लगती थी।

प्रश्न: तुम मशीन की मदद से पढ़ना चाहोगे या अध्यापक की मदद से? दोनों के पढ़ाने में किस-किस तरह की सरलता और कठिनाइयाँ हैं?
उत्तर: मुझे अध्यापक की मदद से पढ़ना अधिक पसंद होगा, क्योंकि एक शिक्षक हमारे प्रश्नों का उत्तर दे सकता है, हमें सही दिशा दिखा सकता है और हमारी समझ को गहरा कर सकता है। मशीन से पढ़ने में यह सरलता हो सकती है कि हमें हर समय शिक्षक की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन मशीन हमारी भावनाओं और समझ को समझने में सीमित होती है। मशीनें कुछ विशिष्ट तरीके से जानकारी देती हैं, लेकिन अध्यापक से मिलने वाली व्यक्तिगत मार्गदर्शन की तुलना में वह प्रभावी नहीं होती।

प्रश्न: बीते दिनों की प्रशंसा में कही जाने वाली यह बात तुमने कभी किसी से सुनी है?
उत्तर: हाँ, यह बात मैंने कई बार सुनी है, खासकर उन लोगों से जो पुराने समय को याद करते हुए कहते हैं कि पहले जीवन सरल और अधिक आनंदपूर्ण था। वे पुराने समय के अच्छे अनुभवों को याद करते हैं और आज के बदलते समय में उन्हें मिस करते हैं।

प्रश्न: अपने बीते हुए दिनों के बारे में सोचो और बताओ कि उनमें से किस समय के बारे में तुम "वे दिन भी क्या दिन थे!" कहना चाहोगे?
उत्तर: मैं जब छोटे थे, तब हम दोस्तों के साथ खेलते थे, बिना किसी तकनीकी उपकरण के, सिर्फ कल्पना और खेल से दुनिया की खोज करते थे। वह समय बहुत सरल और खुशहाल था, जो अब अक्सर याद आता है। "वे दिन भी क्या दिन थे!" कहते हुए उन दिनों की मासूमियत और खुशी को याद करता हूँ।

प्रश्न: 1. आज हमारे कई काम कंप्यूटर की मदद से होते हैं। सोचो और लिखो कि अपने व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन में हम कंप्यूटर का इस्तेमाल किन-किन उद्देश्यों के लिए करते हैं?

व्यक्तिगत जीवन में कंप्यूटर का इस्तेमाल:

  • शिक्षा: ऑनलाइन कोर्स, रिसर्च, और ई-बुक्स पढ़ने के लिए।

  • मनोरंजन: मूवीज़, गेम्स, संगीत, और वीडियो देखने के लिए।

  • संचार: ईमेल, सोशल मीडिया, और वीडियो कॉलिंग के माध्यम से दोस्तों और परिवार से जुड़े रहने के लिए।

  • खरीदारी: ऑनलाइन शॉपिंग के लिए।

  • वित्तीय लेन-देन: इंटरनेट बैंकिंग और डिजिटल पेमेंट्स के लिए।

  • सार्वजनिक जीवन में कंप्यूटर का इस्तेमाल:

  • शासन और प्रशासन: सरकारी डेटा संग्रहण, रिपोर्टिंग और बजट का प्रबंधन।
  • स्वास्थ्य सेवा: मेडिकल रिकॉर्ड्स का प्रबंधन, टेलीमेडिसिन, और मरीजों की देखभाल के लिए।
  • शिक्षा: स्कूलों और विश्वविद्यालयों में ऑनलाइन शिक्षा और प्रबंधन।
  • संचार: प्रेस विज्ञप्तियाँ, इंटरनेट पर सरकारी घोषणाएँ, और नागरिकों से संवाद के लिए।
  • व्यापार और उद्योग: व्यापार संचालन, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, और ऑनलाइन विपणन के लिए।