Chapter 6

    चिट्ठी का सफर

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1. आखिर चिट्ठी पर डाकटिकट लगाया ही क्यों जाए?

उत्तर: डाकटिकट चिट्ठी पर इसलिए लगाया जाता है क्योंकि वह डाक सेवा के लिए शुल्क का भुगतान होता है। बिना डाकटिकट के चिट्ठी आगे नहीं बढ़ाई जाती।

2. पूरे और ठीक पते से क्या मतलब है?

उत्तर: पूरा और ठीक पता मतलब — मकान नंबर, गली, मोहल्ला, गाँव या शहर का नाम, ज़िला, राज्य और पिनकोड सही-सही लिखना। इससे चिट्ठी सही जगह और सही व्यक्ति तक पहुँचती है।

3. जरूरत पड़ने पर संदेश को जल्दी कैसे पहुँचाया जाए?

उत्तर: जरूरत पड़ने पर संदेश को जल्दी पहुँचाने के लिए स्पीड पोस्ट, कोरियर सेवा या एक्सप्रेस डिलीवरी का उपयोग किया जाता है।

4. स्थान बदलने से चिट्ठी के पहुँचने पर क्या असर पड़ता है?

उत्तर: अगर स्थान बदल जाता है, तो चिट्ठी को नया पता मालूम होना जरूरी है। अगर पता बदलने की जानकारी डाकघर को नहीं दी गई है, तो चिट्ठी लौट सकती है या देर से पहुँचती है।

1. ये दोनों पते किस तरह से भिन्न हैं?

उत्तर: महात्मा गांधी को भेजे गए पत्र में सिर्फ लिखा गया था —
"महात्मा गांधी, जहाँ हो वहाँ वर्धा"
क्योंकि गांधीजी इतने प्रसिद्ध थे कि सिर्फ उनका नाम और वर्धा लिखना ही काफी था।
जबकि दूसरे लिफाफे में पूरा सही पता लिखा गया था — जैसे इमारत का नाम, गली, मोहल्ला, शहर का नाम और पिनकोड — ताकि चिट्ठी सही जगह पहुँच सके।

उत्तर:

  • सबसे पहले घर/मकान नंबर,

  • फिर गली या मोहल्ला,

  • फिर कस्बा/शहर/गाँव का नाम,

  • फिर ज़िला,

  • फिर राज्य का नाम,

  • और अंत में पिनकोड।

3. पिनकोड की जरूरत क्यों होती है?

उत्तर: देश में कई जगहों के नाम एक जैसे होते हैं।
पिनकोड से डाक विभाग को सही गंतव्य स्थान पहचानने में आसानी होती है और पत्र जल्दी और सही जगह पहुँचता है।

4. पिन शब्द का पूरा नाम क्या है?

उत्तर: PIN = Postal Index Number
यह 6 अंकों का एक कोड होता है।

5. पिनकोड के अंक क्या बताते हैं? (उदाहरण से समझो)

उत्तर: जैसे — पिनकोड 110016 में:

  • 1 = यह क्षेत्र (उत्तर भारत - दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल)

  • 10 = दिल्ली क्षेत्र का कोड

  • 016 = दिल्ली क्षेत्र के एक खास डाकघर का कोड

6. तुम्हारे स्कूल और घर के इलाके का पिनकोड कैसे पता करोगे?

उत्तर:

  • डाकघर जाकर पूछ सकते हैं।

  • मोहल्ले में लगे डाकपेटी (Letter Box) पर भी पिनकोड लिखा होता है।

  • या फिर पिनकोड डाइरेक्टरी से पता किया जा सकता है।

7. प्रमुख जगहों/शहरों के पिनकोड नंबर कहाँ मिल सकते हैं?

उत्तर:

  • डाकघर से,

  • पिनकोड डाइरेक्टरी से,

  • भारत डाक विभाग की वेबसाइट से,

  • और कभी-कभी स्कूल या ऑफिस के नोटिस बोर्ड पर भी।

1. गांधी जी को सिर्फ़ उनके नाम और देश के नाम के सहारे पत्र कैसे पहुँच गया होगा?

उत्तर: गांधी जी को पत्र सिर्फ़ उनके नाम और देश के नाम से इस तरह पहुँच गया होगा क्योंकि उस समय डाक सेवा ने पते के लिए विशेष पहचान प्रणाली बनाई थी, और गांधी जी का नाम इतना प्रसिद्ध था कि डाक विभाग को यह अंदाजा हो सकता था कि वह वर्धा, भारत में रहने वाले महात्मा गांधी के लिए है। जब डाक विभाग के पास पर्याप्त संदर्भ होते हैं, तो वे पत्र को सही स्थान तक पहुँचाने में सक्षम होते हैं।

2. अगर एक पत्र में पते के साथ किसी का नाम न हो तो क्या पत्र ठीक जगह पर पहुँच जाएगा? 

उत्तर: अगर पत्र में किसी का नाम न हो तो पत्र का सही स्थान पर पहुँचने की संभावना बहुत कम होती है। पत्र का सही पता, नाम और स्थान दोनों को ठीक से लिखा जाना जरूरी होता है ताकि डाक विभाग पत्र को सही व्यक्ति तक पहुँच सके। नाम के बिना, डाककर्मी के लिए यह पहचानना मुश्किल हो सकता है कि पत्र को किसे भेजा जाना चाहिए।

3. नाम न होने से क्या समस्याएँ आ सकती हैं? 

उत्तर: नाम न होने से डाक विभाग के कर्मचारियों को पत्र की सही पहचान करने में कठिनाई हो सकती है। अगर एक ही स्थान पर एक जैसे नाम वाले कई लोग होते हैं, तो पत्र की सही जगह पर डिलीवरी सुनिश्चित करना मुश्किल हो सकता है। इसके अलावा, अगर पत्र में कोई अन्य पहचान विवरण जैसे फोन नंबर या पहचान पत्र नहीं है, तो डाक विभाग को पत्र लौटाने या सही पते पर पहुँचाने में समस्या हो सकती है।

4. पैदल हरकारों को किस-किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता होगा? 

उत्तर: पैदल हरकारों को कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता होगा, जैसे:

  • दुर्गम इलाकों तक पहुँचने में कठिनाई

  • खराब मौसम (बारिश, ठंड, गर्मी)

  • पशु और जंगली जानवरों से खतरा

  • डाक को लूटने वाले डाकुओं से सुरक्षा

  • लंबी दूरी तय करने की शारीरिक थकान

  • रास्तों की पहचान में कठिनाई और भ्रमित हो जाना

5. अगर तुम किसी को चिट्ठी लिख रहे हो तो पते में यह जानकारी किस क्रम में लिखोगे? 

उत्तर: मैं पते में निम्नलिखित क्रम में जानकारी लिखूँगा:

  • गली-मोहल्ले का नाम

  • घर का नंबर

  • कस्बे/शहर/गाँव का नाम

  • जनपद का नाम

  • खंड का नाम

  • राज्य का नाम

यह क्रम इसलिए लिखा गया क्योंकि सामान्यतः छोटे से बड़े स्थान का क्रम होता है। सबसे पहले घर का पता, फिर मोहल्ला, फिर गाँव, शहर, जनपद, और अंत में राज्य का नाम दिया जाता है ताकि डाककर्मी को डाक को सही स्थान पर पहुँचाने में कोई कठिनाई न हो।

6. अपने घर पर कोई पुराना (या नया) पत्र दिखाओ। उसे देखकर नीचे लिखे प्रश्नों का जवाब दो: 

उत्तर: (क) पत्र किसने लिखा? (ख) किसे लिखा? (ग) किस तारीख को लिखा? (घ) यह पत्र किस डाकखाने में तथा किस तारीख को पहुँचा? (ङ) यह उत्तर तुम्हें कैसे पता चला? यह जानकारी पत्र के भीतर लिखी तारीख, भेजने वाले और प्राप्तकर्ता के नाम से प्राप्त की जा सकती है।

7. चिट्ठी भेजने के लिए आमतौर पर पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय पत्र या लिफाफा इस्तेमाल किया जाता है। डाकघर जाकर इनका मूल्य पता करके लिखो: 

उत्तर: यह जानकारी मैं डाकघर से प्राप्त कर सकता हूँ, क्योंकि कीमतें समय-समय पर बदलती रहती हैं।

8. डाकटिकट इकट्ठा करो। एक रुपये से लेकर दस रुपये तक के डाकटिकटों को क्रम में लगाकर कॉपी पर चिपकाओ। इकट्ठा किए गए डाकटिकटों पर अपने साथियों के साथ चर्चा करो: 

उत्तर: यह एक शैक्षिक गतिविधि है जिसमें डाकटिकटों का संग्रह और उनके मूल्य और उपयोग पर चर्चा की जा सकती है।