Chapter 18

चुनौती हिमालय की 

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प्रश्न और उत्तर:

प्रश्न 1: जवाहरलाल और किशन कहां जा रहे थे, और क्यों?

उत्तर: जवाहरलाल और किशन कश्मीर घूमने निकले थे और वे जोज़ीला पास से होकर लद्दाखी इलाके की ओर जा रहे थे। उन्हें अमरनाथ की गुफा देखने का ख्याल आया था, जो कि बर्फ़ से ढके पहाड़ों के पीछे थी, और इसके लिए वे आगे बढ़ने के लिए उत्सुक थे।

प्रश्न 2: कुली ने जवाहरलाल को अमरनाथ जाने के बारे में क्या जानकारी दी?

उत्तर: कुली ने बताया कि अमरनाथ की गुफा बर्फ़ से ढके पहाड़ों के पीछे है, लेकिन रास्ता बहुत टेढ़ा और कठिन है। वहां बहुत चढ़ाई है और यह आठ मील दूर है।

प्रश्न 3: जवाहरलाल अमरनाथ जाने के लिए क्यों उत्सुक हुए?

उत्तर: जवाहरलाल ने रास्ते की कठिनाइयों के बारे में सुना, लेकिन फिर भी उन्हें सफ़र के लिए और अधिक उत्सुकता हो गई। उन्होंने सोचा कि रास्ते की मुश्किलों के बावजूद अमरनाथ की गुफा देखना रोमांचक होगा।

प्रश्न 4: किसने जवाहरलाल को बताया कि अमरनाथ की गुफा कहाँ है और रास्ता कैसा है?

उत्तर: यह जानकारी कुली ने दी। उसने बताया कि अमरनाथ की गुफा बर्फ़ से ढके पहाड़ों के पीछे है और रास्ता बहुत टेढ़ा है, जिसमें चढ़ाई और दूरियाँ दोनों हैं।

प्रश्न 5: रास्ते की कठिनाइयों के बावजूद, जवाहरलाल और किशन ने यात्रा क्यों शुरू की?

उत्तर: उन्हें यात्रा की कठिनाइयाँ सुनने के बावजूद यह सफ़र रोमांचक और चुनौतीपूर्ण लगा, जिससे वे उत्साहित हो गए और अमरनाथ की गुफा देखने के लिए यात्रा पर चल पड़े।

प्रश्न 6: जवाहरलाल ने इस कठिन यात्रा को क्यों शुरू किया?

उत्तर: जवाहरलाल ने इस कठिन यात्रा को अमरनाथ की गुफा देखने के लिए शुरू किया था। उन्होंने रास्ते की कठिनाइयों के बावजूद यात्रा जारी रखने का निर्णय लिया क्योंकि उन्हें यह यात्रा रोमांचक और चुनौतीपूर्ण लगी।

प्रश्न 7: यात्रा के दौरान जवाहरलाल को किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?

उत्तर: यात्रा के दौरान जवाहरलाल को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। सबसे पहले, सर्द हवा के झोंके से हड्डियाँ तक ठंडक महसूस हो रही थी। चढ़ाई बहुत कठिन थी और एक-एक कदम चलना भी दूभर हो गया था। इसके अलावा, कुली की नाक से खून बहने लगा और खुद जवाहरलाल को भी कनपटी में तनाव महसूस हो रहा था। बर्फ पड़ने के कारण रास्ता और भी फिसलन भरा हो गया था।

प्रश्न 8: बर्फ़ और पहाड़ों के बीच यात्रा करने का क्या अनुभव था?

उत्तर: बर्फ़ और पहाड़ों के बीच यात्रा करने का अनुभव बहुत चुनौतीपूर्ण और कठोर था। रास्ता वीरान था, जहाँ पेड़-पौधों की हरियाली का अभाव था। हालांकि, बर्फ़ और पहाड़ों का दृश्य बहुत मनमोहक था और उन्होंने प्रकृति की सुंदरता और शांति का अनुभव किया। बर्फ़ की सफ़ेद चादर और हिम शिखरों से घिरा मैदान देवताओं के मुकुट जैसा प्रतीत हो रहा था, जो उनकी यात्रा का प्रेरणादायक पल था।

प्रश्न 9: जब जवाहरलाल ने कठिनाइयों के बावजूद यात्रा जारी रखने का निर्णय लिया, तो उनका मनोबल किस प्रकार बढ़ा?

उत्तर: जब जवाहरलाल ने कठिनाइयों के बावजूद यात्रा जारी रखने का निर्णय लिया, तो उनका मनोबल बढ़ाने में प्रकृति की सुंदरता और दृढ़ता ने मदद की। हिम शिखरों से घिरा बर्फ़ीला मैदान, जो देवताओं के मुकुट के समान दिख रहा था, ने उन्हें सुकून और प्रेरणा दी, जिससे वे आगे बढ़ने के लिए उत्साहित हुए।

प्रश्न 10: कुली की नाक से खून बहने पर जवाहरलाल ने क्या किया?

उत्तर: कुली की नाक से खून बहने पर जवाहरलाल ने तुरंत उसका उपचार किया। उन्होंने अपनी यात्रा को जारी रखते हुए कुली की मदद की।

प्रश्न 11: जवाहरलाल के मनोबल को क्या बढ़ावा मिल रहा था, जब वह कठिन यात्रा पर जा रहे थे?

उत्तर: जवाहरलाल के मनोबल को हिमालय की चुनौती और निर्गम पथ पार करने का उत्साह बढ़ा रहा था। वे यात्रा में कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद अपनी यात्रा को जारी रखने के लिए प्रेरित हो रहे थे, और इस यात्रा को रोमांचक चुनौती के रूप में देख रहे थे।

प्रश्न 12: जब जवाहरलाल ने बर्फीले मैदान को पार किया, तो क्या समस्या आई?

उत्तर: जब जवाहरलाल ने बर्फीले मैदान को पार किया, तो उन्हें बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। बर्फ़ की पतली चादर ने ऊँची-नीची चट्टानों को ढक रखा था, जिससे गहरे गड्ढे और खाइयाँ बन गई थीं। उन्हें कदम रखते समय बहुत सावधानी बरतनी पड़ी क्योंकि बर्फ़ में पैर फिसलने या धँसने का खतरा था।

प्रश्न 13: जब जवाहरलाल गिर पड़े, तो क्या हुआ?

उत्तर: जब जवाहरलाल गिर पड़े, तो उनका पैर फिसलकर वे गहरी खाई में गिर गए। उनका गिरना किशन के लिए बहुत चिंताजनक था, और वह चीखा। चूँकि जवाहरलाल रस्सी से बँधे हुए थे, वे हवा में लटक रहे थे। रस्सी ही उनका एकमात्र सहारा थी, जिससे वे गिरने से बच गए, लेकिन यह स्थिति बहुत खतरनाक थी।

प्रश्न 14: यह दृश्य किस प्रकार की कठिनाई और साहस का प्रतीक है?

उत्तर: यह दृश्य कठिनाई और साहस का प्रतीक है। जवाहरलाल की यात्रा में बर्फीले मैदान में गिरने के बाद उनका साहस और संयम दिखता है, क्योंकि वह रस्सी से बँधकर खुद को संभालने की कोशिश कर रहे थे। इस कठिन परिस्थिति में उनका साहस उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहा था।

प्रश्न 15: किशन और कुलियों ने जवाहरलाल की गिरने की स्थिति में क्या प्रतिक्रिया दी?

उत्तर: किशन और कुलियों ने जवाहरलाल की गिरने की स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया दी। किशन ने चिंता जताते हुए "शाब ... गिर गए!" कहा और वे सभी तेज़ी से खाई की ओर बढ़े। वे जवाहरलाल को बचाने के लिए दौड़े और रस्सी के सहारे उसे सुरक्षित करने की कोशिश कर रहे थे।

प्रश्न 16: जब जवाहरलाल खाई में गिर गए, तो उनका भाई और किशन किस तरह उनकी मदद कर रहे थे?

उत्तर: जब जवाहरलाल खाई में गिर गए, तो उनका भाई और किशन तुरंत रस्सी के सहारे उन्हें खींचने लगे। भाई ने उन्हें हिदायत दी कि रस्सी को कसकर पकड़ें और ऊपर चढ़ने के लिए ताकत लगाएँ। किशन और कुली बार-बार जवाहरलाल को खींचने की कोशिश कर रहे थे और उन्हें ऊपर चढ़ने में मदद कर रहे थे।

प्रश्न 17: जवाहरलाल ने खाई से बाहर निकलने के लिए क्या तरीका अपनाया?

उत्तर: जवाहरलाल ने खाई से बाहर निकलने के लिए खाई की दीवार से उभरी चट्टान को मजबूती से पकड़ लिया और पथरीले धरातल पर पैर जमा लिए। इसके बाद, उन्होंने एक-एक कदम ऊपर की ओर बढ़ना शुरू किया और रस्सी को मजबूती से पकड़े रखा। धीरे-धीरे और सावधानी से वे ऊपर पहुँचे।

प्रश्न 18: जवाहरलाल के लिए उस हादसे के बाद क्या मानसिक स्थिति थी?

उत्तर: हादसे के बाद जवाहरलाल को हल्का-सा झटका लगा, लेकिन उनका जोश ठंडा नहीं हुआ। वह फिर भी आगे बढ़ने के लिए तैयार थे और अमरनाथ तक पहुँचने का सपना पूरा करने के लिए उत्सुक थे, भले ही इस यात्रा में वह चोटिल हो गए थे। उनका मनोबल और साहस बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहा था।

प्रश्न 19: क्यों जवाहरलाल अमरनाथ तक पहुँचने का सपना पूरा नहीं कर पाए?

उत्तर: जवाहरलाल अमरनाथ तक पहुँचने का सपना इसलिए पूरा नहीं कर पाए क्योंकि रास्ते में उन्हें कई गहरी और चौड़ी खाइयाँ मिलीं, जिन्हें पार करना मुश्किल हो गया। उनके पास इस कठिन रास्ते को पार करने के लिए उचित सामान नहीं था, और अंततः निराश होकर उन्हें यात्रा वापस लौटनी पड़ी।

प्रश्न 20: जवाहरलाल के लिए हिमालय की ऊँचाइयाँ क्यों आकर्षक थीं?

उत्तर: जवाहरलाल के लिए हिमालय की ऊँचाइयाँ आकर्षक थीं क्योंकि उन्होंने वहां की सुंदरता और चुनौती का अनुभव किया था। हिमालय की ऊँचाइयाँ उन्हें हमेशा अपनी ओर खींचती रही, और उनकी यात्रा का उद्देश्य भी इन ऊँचाइयों तक पहुँचने का था, चाहे वह अमरनाथ की गुफा तक न पहुँच सके।

प्रश्न 21: लेह लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश कहाँ स्थित है? भारत के नक्शे में इसे ढूँढ़ो और अपने घर की स्थिति से इसका स्थान तुलना करो।

उत्तर: लेह लद्दाख भारत के उत्तर में स्थित एक केंद्र शासित प्रदेश है, जो जम्मू और कश्मीर राज्य के पूर्वी हिस्से में स्थित है। यह क्षेत्र मुख्य रूप से पहाड़ी और रेगिस्तानी है, और इसकी सीमाएँ चीन और पाकिस्तान से मिलती हैं। भारत के नक्शे में लेह लद्दाख का स्थान जम्मू और कश्मीर के उत्तर-पूर्वी हिस्से में दिखता है। अपने घर का स्थान जानने के लिए, आपको अपने राज्य और शहर का नाम पता करना होगा, ताकि इसकी तुलना लद्दाख के स्थान से की जा सके।

22. (क) बर्फ से ढके चट्टानी पहाड़ों के उदास और फीके लगने की क्या वजह हो सकती थी?

उत्तर: बर्फ से ढके चट्टानी पहाड़ों के उदास और फीके लगने की वजह यह हो सकती है कि वहाँ प्राकृतिक हरियाली और जीवन की कमी होती है। बर्फ की सफेद चादर पहाड़ों को ढकती है, और यह दृश्य बहुत शुष्क और निर्जीव दिखाई देता है। इसके अलावा, बर्फ़ का सर्दी और ठंडक उत्पन्न करने वाला असर मनुष्य को एक सन्नाटे और ठंडे वातावरण में फंसा हुआ सा महसूस कराता है, जिससे यह स्थान फीका और उदास लग सकता है।

प्रश्न 23. (ख) बताओ, ये जगहें कब उदास और फीकी लगती हैं और यहाँ कब रौनक होती है?

उत्तर: ऐसी जगहें तब उदास और फीकी लगती हैं जब वहाँ जीवन के संकेत नहीं होते, जैसे सर्दियों में बर्फ से ढकी पहाड़ियाँ या किसी निर्जन स्थान पर। लेकिन जब वहाँ की बर्फ़ पिघलने लगती है, और जीवन के संकेत जैसे पौधे, फूल, और जीव-जंतु वापस लौट आते हैं, तब यह स्थान जीवंत और रौनक से भरपूर लगता है। उदाहरण के लिए, गर्मी में पहाड़ों की खूबसूरती और हरियाली अधिक आकर्षक होती है, और उन पर चलने या वहाँ समय बिताने का आनंद अधिक होता है।

प्रश्न 24. 'जवाहरलाल को इस कठिन यात्रा के लिए तैयार नहीं होना चाहिए।' तुम इससे सहमत हो तो भी तर्क दो, नहीं हो तो भी तर्क दो।

उत्तर:

  • सहमत होने का तर्क:
    जवाहरलाल को इस कठिन यात्रा के लिए तैयार नहीं होना चाहिए था क्योंकि यह यात्रा अत्यंत कठिन और खतरनाक थी। पहाड़ी रास्ते, बर्फ़ की चट्टानें, और ऊँचाई के कारण स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता था। इसके अलावा, यदि यात्रा पूरी न हो, तो इसके परिणामस्वरूप उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से अत्यधिक थकान और चोट भी लग सकती थी। इस कारण, यात्रा का निर्णय समय से पहले नहीं लिया जाना चाहिए था।

  • सहमत नहीं होने का तर्क:
    जवाहरलाल को इस कठिन यात्रा के लिए तैयार होना चाहिए था क्योंकि यह यात्रा उनके साहस और दृढ़ निश्चय को मजबूत करने वाली थी। कठिन यात्रा चुनने से वे अपने आत्मविश्वास और शारीरिक क्षमता का परीक्षण कर सकते थे। पहाड़ों का सामना करने से उनकी मानसिक दृढ़ता भी बढ़ी और उन्हें जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की ताकत मिली।

प्रश्न 25. तुम मिलकर पहाड़ों का एक कोलाज बनाओ। इसके लिए पहाड़ों से जुड़ी विभिन्न तस्वीरें इकट्ठा करो।

उत्तर: पहाड़ों का कोलाज बनाने के लिए आप विभिन्न पहाड़ी दृश्यों की तस्वीरें इकट्ठा कर सकते हैं, जैसे पर्वतारोहण करते लोग, बर्फ से ढकी चट्टानें, पर्वत की चोटियाँ, और हिमालय के विभिन्न दृश्य। इन चित्रों को बड़े कागज़ पर एक पहाड़ी आकार में चिपकाएँ। यह कोलाज कक्षा में दीवार पर भी लगाया जा सकता है।

प्रश्न 26. अब इन चित्रों पर आधारित शब्दों का एक कोलाज बनाओ।

उत्तर: इन चित्रों पर आधारित शब्दों का कोलाज बनाते समय आप ऐसे शब्दों का चयन कर सकते हैं जो पहाड़ों के बारे में बताते हों, जैसे "दृढ़ता", "चुनौती", "शांति", "साहस", "ऊँचाई", "ठंडक", "पर्वतारोहण", "बर्फ़", "चोटी", "सकारात्मकता", "मनोबल", आदि। ये शब्द कोलाज में चिपकाए जा सकते हैं और यह चित्रों का प्रभाव और गहरा करेंगे।

तुम्हारी समझ से

प्रश्न 27. इस वृत्तांत को पढ़ते-पढ़ते तुम्हें भी अपनी कोई छोटी या लंबी यात्रा याद आ रही हो तो उसके बारे में लिखो।

उत्तर: इस पाठ को पढ़ने से मुझे अपनी एक छोटी यात्रा याद आ रही है, जब मैं अपने परिवार के साथ एक हिल स्टेशन पर गया था। वहाँ की सर्दी और पहाड़ी रास्तों ने मुझे बहुत आकर्षित किया था। हमें बर्फ़ और बर्फ से ढके रास्तों पर चलने का अनुभव हुआ, और जैसे-जैसे हम ऊपर चढ़े, मुझे उस शांति और ठंडक का अहसास हुआ, जो इस प्रकार के पर्वतीय स्थानों में होती है।

प्रश्न 28. जवाहरलाल को अमरनाथ तक का सफ़र अधूरा क्यों छोड़ना पड़ा?

उत्तर: जवाहरलाल को अमरनाथ तक का सफ़र अधूरा छोड़ना पड़ा क्योंकि रास्ते में अत्यधिक कठिनाइयाँ आ रही थीं। बर्फ़ और खाइयों ने यात्रा को खतरनाक बना दिया, और एक खाई में गिरने के बाद उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए वापस लौटने का निर्णय लेना पड़ा। इसके बावजूद, उनकी यात्रा ने उन्हें हिमालय की चुनौतियों का सामना करने का अद्भुत अनुभव दिया।

प्रश्न 29. जवाहरलाल, किशन और कुली सभी रस्सी से क्यों बँधे थे?

उत्तर: जवाहरलाल, किशन और कुली सभी रस्सी से बँधे थे ताकि एक दूसरे की मदद कर सकें और एक दूसरे के साथ सुरक्षित रूप से चढ़ाई कर सकें। यह सुरक्षा का एक तरीका था, क्योंकि बर्फ़ से ढके पहाड़ों में फिसलन और गहरी खाइयों का सामना करना पड़ सकता था।

प्रश्न30:  (क) पाठ में नेहरू जी ने हिमालय से चुनौती महसूस की। कुछ लोग पर्वतारोहण क्यों करना चाहते हैं?

उत्तर: कुछ लोग पर्वतारोहण इसलिए करना चाहते हैं क्योंकि यह उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाता है। पर्वतारोहण में कठिनाई और चुनौतियाँ होती हैं, लेकिन इनका सामना करने से आत्मविश्वास और साहस बढ़ता है। साथ ही, यह अनुभव एक व्यक्ति को प्रकृति से जुड़ने और उसकी शक्ति का एहसास दिलाता है।

प्रश्न 31: (ख) ऐसे कौन-से चुनौती भरे काम हैं जो तुम करना पसंद करोगे?

उत्तर: मुझे ऐसे काम पसंद हैं जो मुझे मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से चुनौती दें, जैसे लंबी पैदल यात्रा, कठिन खेल, और नई भाषाएँ सीखना। इन कामों से न केवल मेरा आत्मविश्वास बढ़ता है, बल्कि ये मेरी सोच और समझ को भी विस्तृत करते हैं।

प्रश्न 32;. 'उदास होना' और 'चुनौती देना' मनुष्य के स्वभाव हैं। यहाँ निर्जीव पहाड़ ऐसा कर रहे हैं।

उत्तर: यह वाक्य प्राकृतिक दृश्यों को मानवीय भावनाओं से जोड़ने का एक उदाहरण है। पहाड़ों को 'उदास' या 'चुनौती देने' के रूप में व्यक्त करना एक रूपक (metaphor) है, जिसमें हम निर्जीव वस्तु को जीवित, सोचने-समझने वाली अवस्था में मानते हैं। यही भाषा में संवेदनशीलता और गहराई लाती है।