Chapter 14
पीपल
प्रश्न 1. पीपल का पेड़ हमारे लिए किस प्रकार उपयोगी है ?
उत्तर:- पीपल का पेड़ कई तरीकों से हमारे लिए उपयोगी है। यह हमें गर्मियों में ठंडी छाया प्रदान करता है। इसकी पत्तियां वायु को शुद्ध करने में मदद करती हैं क्योंकि यह पेड़ ऑक्सीजन देता है और कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है। इसके अलावा, पीपल के पेड़ों को पवित्र माना जाता है और इनका औषधीय महत्व भी है।
प्रश्न 2. कैसा वातावरण मिलने पर बुल-बुल गाने लगती है।
उत्तर:- बुल-बुल एक प्रकार की चिड़िया है जो गर्मियों के बाद वर्षा ऋतु में मनमोहक स्वर से गाना गाती है। जब वर्षा होती है और शीतल हवा चलने लगती है, तब बुल-बुल अपनी मधुर आवाज से गाना गाना शुरू कर देती है। इस प्रकार, वर्षा ऋतु और शान्त वातावरण बुल-बुल को गाने के लिए प्रेरित करता है।
प्रश्न 3. वन्य प्रान्त के सौंदर्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर:- वन्य प्रांत का सौंदर्य अपने आप में अद्वितीय है। विविध प्रकार के हरे-भरे पेड़ों, लटकती बेलों, झरनों और नदियों से यह प्राकृतिक दृश्य अत्यंत मनोरम होता है। चिड़ियों के मधुर संगीत और मोर के नृत्य से यह वातावरण और भी आनंददायक हो जाता है। वन्य प्रांत की शांति और सुंदरता मन को प्रसन्नता प्रदान करती है।
पाठ से आगे
प्रश्न 1. निम्नलिखित पंक्तियों का भावार्थ लिखिए।
(क) ऊपर विस्तृत नभ नील-नील
नीचे वसुधा में नदी झील
जामुन, तमाल, इमली, करील
जल से ऊपर उठता मृणाल
फनगी पर खिलता कमल लाल
भावार्थ – इन पंक्तियों में वन प्रदेश का सुंदर वर्णन किया गया है। आसमान नीला-नीला है और धरती पर नदियां और झीलें हैं। वहां विभिन्न प्रकार के पेड़ जैसे जामुन, तमाल, इमली और करील उगे हुए हैं। जल के ऊपर मृणाल (नल) उग रहे हैं और कमल के लाल फूल खिले हुए हैं। यह प्राकृतिक दृश्य अत्यंत मनोरम है।
(ख) हैं खड़े जहाँ पर शाल, बांस
चौपाये चरते नरम घास
निर्झर, सरिता के आस-पास
रजनी भर रो-रोकर चकोर कर देता है रे रोज भोर
नाचा करते हैं जहाँ मोर।
भावार्थ – ये पंक्तियां वन्य प्रदेश की विभिन्न विशेषताओं का वर्णन करती हैं। वहां ऊंचे शाल और बांस के पेड़ खड़े हैं। चौपाये जानवर हरी-भरी घास चर रहे हैं। वहां झरने और नदियां भी बहती हैं। रात में चकोर की कुहू-कुहू की आवाज सुनाई देती है और दिन में मोर अपना नृत्य करते हैं। यह प्राकृतिक वातावरण बहुत ही मनोरम है।
व्याकरण
प्रश्न 1. पाठ में आए योजक चिह्न वाले शब्दों को लिखिए।
उत्तर:-
- युग-युग ।
- नील-नील ।
- बूंद-बूँद ।
- कलकल-छलछल ।
- ढल ढल-ढल-ढल ।
- गोल-गोल ।
- डोल-डोल ।
- जब-जब ।
- चुन-चुनकर ।
- हिल-डुल ।
- लख-लख ।
- सुन-सुन ।
- चह-चह ।
- बह-बह ।
- रह-रह ।
- कोटर-कोटर ।
- आस-पास ।
- चिर-आलिंगन।
प्रश्न 2. पर्यायवाची शब्द लिखिए
उत्तर:-
- तरु-पेड़ ।
- कानन–जंगल ।
- सरिता-नदी ।
- वसुधा-धरती ।
- वायु – हवा।
प्रश्न 1: कविता में “कानन का यह तरुवर पीपल” वाक्य का अर्थ क्या है?
उत्तर: कविता में "कानन का यह तरुवर पीपल" वाक्य का तात्पर्य है कि जंगल में एक विशाल, पुराना और अडिग पीपल का वृक्ष है। यह पीपल समय की परीक्षाओं से अनभिज्ञ, वर्षों से वहीं खड़ा है और अपनी स्थिरता के माध्यम से जीवन और प्रकृति की अनवरत शक्ति का प्रतीक बनता है। लेखक इसे केवल एक पेड़ नहीं, बल्कि प्राकृतिक इतिहास और जीवन की निरंतरता का साक्षी मानते हैं। यह वृक्ष जंगल के सौंदर्य और स्थायित्व का केंद्र है, जो पाठक के मन में प्रकृति की महिमा और स्थिरता की अनुभूति उत्पन्न करता है।
प्रश्न 2: कविता में नभ और वसुधा का वर्णन कैसे किया गया है?
उत्तर: कविता में ऊपर आकाश को गहरा नीला और विस्तृत बताया गया है, जबकि नीचे वसुधा में झीलें, नदियाँ और विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे जैसे जामुन, तमाल, इमली और करील दिखाई देते हैं। इस प्रकार लेखक ने आकाश और पृथ्वी के बीच के सामंजस्य को बहुत सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया है। यह वर्णन न केवल दृश्यात्मक रूप से मनोहारी है, बल्कि पाठक को प्रकृति की शांति, सुगमता और जीवन के संतुलन का अनुभव भी कराता है। ऐसा लगता है मानो पाठक स्वयं उस नील-नील आकाश और हरे-भरे वनों के बीच विचरण कर रहा हो।
प्रश्न 3: मृणाल और फुनगी का उपयोग कविता में क्यों किया गया है?
उत्तर: कविता में ‘मृणाल’ यानी कमल की कोमल डंठल और ‘फुनगी’ यानी कमल का फूल इस कारण इस्तेमाल किया गया है ताकि प्रकृति की नाजुकता और कोमलता को पाठक के समक्ष स्पष्ट किया जा सके। जल से ऊपर उठता मृणाल और फुनगी पर खिलता कमल दृश्य न केवल दृश्यात्मक रूप से सुंदर है, बल्कि यह जीवन और प्रकृति की कोमल भावनाओं, संवेदनशीलता और संतुलन को भी व्यक्त करता है। लेखक इन प्रतीकों के माध्यम से प्राकृतिक सौंदर्य के सूक्ष्म अनुभव को पाठक के भीतर जाग्रत कराता है।
प्रश्न 4: कविता में “लाल तिर-तिर करते क्रीड़ा मराल” का क्या अर्थ है?
उत्तर: कविता में “लाल तिर-तिर करते क्रीड़ा मराल” से तात्पर्य है कि लाल रंग के हंस (मराल) अपनी चंचलता और उत्साह के साथ खेलते हैं। यह दृश्य जंगल में जीवों की स्वतंत्रता, ऊर्जा और जीवन्तता को प्रदर्शित करता है। लेखक के शब्दों में यह खेल जीवन के आनंद और गतिशीलता का प्रतीक बन जाता है। इस प्रकार, यह प्रकृति के हर जीव की सहजता, आनंद और स्वतंत्र जीवन के महत्व को पाठक के मन में प्रभावशाली ढंग से उभारता है।
प्रश्न 5: निर्झरिणी के पास खड़े पीपल का दृश्य कविता में कैसे प्रस्तुत किया गया है?
उत्तर: कविता में निर्झरिणी के पास खड़ा पीपल इस तरह प्रस्तुत किया गया है कि वह केवल स्थिर वृक्ष नहीं, बल्कि निर्झर के कल-कल करते जलधारा की ध्वनि को सुनता, पत्तों की हलचल को महसूस करता है। पत्ते डोल-डोल करते हैं और वातावरण में जीवंतता भरते हैं। यह चित्र प्राकृतिक संतुलन, शांति और जीवन की निरंतर गति को दर्शाता है। लेखक ने पीपल को प्रकृति की रचना का जीवंत अंग बनाकर उसकी भूमिका और महत्व को अधिक प्रभावशाली ढंग से उजागर किया है।
प्रश्न 6: कविता में पत्तों की हलचल और गोलाई का महत्व क्या है?
उत्तर: कविता में पत्तों की गोल-गोल हलचल और डोल-डोल करना प्रकृति की जीवन्तता और गतिशीलता को व्यक्त करता है। पत्ते हवा के झोंके और धूप की कोमल किरणों से धीरे-धीरे हिलते हैं, जिससे जंगल में एक सजीव वातावरण बनता है। यह केवल दृश्यात्मक सुंदरता नहीं बल्कि प्रकृति के निरंतर चलने वाले चक्र और जीवन की अनवरत क्रियाशीलता का प्रतीक भी है, जो पाठक को जंगल की शांति और तरोताजा वातावरण का अनुभव कराता है।
प्रश्न 7: पंछियों के आगमन और फल चुनने का दृश्य क्या संदेश देता है?
उत्तर: कविता में जब पंछी तरु पर आते हैं और फल चुनते हैं, तो यह दृश्य प्रकृति के जीवन चक्र और जीव-जंतुओं के परस्पर निर्भर संबंध को प्रदर्शित करता है। लेखक ने इसे इतने सूक्ष्म और सजीव ढंग से प्रस्तुत किया है कि पाठक को जंगल की गतिविधियों का अनुभव होने लगता है। यह संदेश देता है कि प्रकृति में सभी प्राणी संतुलन, सहयोग और सह-अस्तित्व के नियमों के अनुसार जीवन जीते हैं, जिससे प्रकृति में सामंजस्य और जीवन की सुंदरता बनी रहती है।
प्रश्न 8: कविता में वर्षा के समय का वर्णन किस प्रकार किया गया है?
उत्तर: कविता में वर्षा के समय का वर्णन बहुत सजीव तरीके से किया गया है। पावस की बूँदों से कोमल पल्लव हिल-डुलते हैं, हल्की-हल्की गुनगुनी बयार चलती है, और पक्षियों की मधुर चहचहाहट वातावरण को जीवंत बना देती है। लेखक ने इस दृश्य के माध्यम से प्रकृति की नमी, ताजगी और जीवन के उत्साह को प्रभावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया है। वर्षा का यह चित्रण पाठक को जंगल की हरियाली और उसमें व्याप्त जीवंतता का अनुभव कराता है।
प्रश्न 9: कविता में सर्दी और मौसम का चित्रण कैसे किया गया है?
उत्तर: कविता में सर्दी और मौसम का चित्रण बहुत सूक्ष्म और मनोहारी ढंग से किया गया है। लेखक ने ठंडी, गुनगुनी बयार, हिलते-डुलते पत्ते और जल की कलकल जैसी प्राकृतिक गतिविधियों का हवाला देकर वातावरण में ठंडक और शीतलता का अनुभव कराया है। यह केवल मौसम का विवरण नहीं है, बल्कि पाठक को प्रकृति की शांति, हरियाली और उसके सौंदर्य में डूबने का अवसर देता है।
प्रश्न 10: कविता में पत्तों के घरों और कोटर-कोटर भरने का क्या अर्थ है?
उत्तर: कविता में पत्तों के घर-घर में कोटर-कोटर भरना यह दिखाता है कि जंगल और प्रकृति अपने आप में व्यवस्थित और जीवंत हैं। पत्तों के बीच छोटे-छोटे घरों में पक्षियों और अन्य जीव-जंतुओं का बसेरा यह संकेत देता है कि हर जीव का अपना स्थान और जीवन चक्र है। यह दृश्य प्रकृति के संतुलन, सुरक्षा और वन्य जीवन की पूर्णता को प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत करता है।
प्रश्न 11: रात का समय और निद्रा का चित्रण कैसे किया गया है?
उत्तर: कविता में रात के समय को बहुत शांति और एकांत के रूप में प्रस्तुत किया गया है। पत्तों के घर-घर में धीरे-धीरे नींद उतरती है, पक्षी और अन्य जीव विश्राम में चले जाते हैं। यह चित्रण रात और दिन के प्राकृतिक चक्र को दर्शाता है और वन्य जीवन में अनुशासन, संतुलन तथा शांति की स्थिति को उजागर करता है। इससे पाठक को जंगल में रात की गंभीरता और सौम्यता का अनुभव होता है।
प्रश्न 12: कविता में वन्य प्रान्त को एकान्त और शांत क्यों कहा गया है?
उत्तर:कविता में वन्य प्रान्त को एकान्त और शांत बताया गया है क्योंकि यह जगह पूरी तरह प्राकृतिक और मनुष्य के शोर-गुल से दूर है। यहाँ शाल और बाँस जैसे वृक्ष खड़े हैं, चौपायों और अन्य जीवों का जीवन स्वाभाविक रूप से चल रहा है। निर्झर और सरिता के पास की यह भूमि मानसिक शांति, प्राकृतिक सौंदर्य और एकांत का अनुभव कराती है। यह दर्शाता है कि जंगल का यह प्रान्त अपने आप में पूर्ण और मौन है, जहाँ जीवन सरल और सुचारु रूप से चलता है।
प्रश्न 13: चौपाये चरते नरम घास और निर्झर के आस-पास का दृश्य कैसे प्रस्तुत किया गया है?
उत्तर:कविता में चौपायों का नरम घास चरना और निर्झर के आस-पास जीवन बिताना यह बताता है कि जंगल का प्रत्येक प्राणी प्राकृतिक संसाधनों के सानिध्य में अपनी दिनचर्या पूरी करता है। निर्झर की कल-कल और पानी की उपस्थिति जीवन को ताजगी और ऊर्जा प्रदान करती है। यह दृश्य वन्य जीवन के सहज, शांत और संतुलित स्वरूप को प्रदर्शित करता है और पाठक को प्रकृति के साथ जीव-जंतुओं की सहजीवन व्यवस्था का अनुभव कराता है।
प्रश्न 14: कविता में रजनी और चकोर का संबंध क्या दर्शाता है?
उत्तर: कविता में रजनी यानी रात के समय चकोर का रो-रोकर अपने प्रेम और पीड़ा का प्रदर्शन करना यह दर्शाता है कि वन्य जीवन भी भावनाओं और संवेदनाओं से परिपूर्ण है। चकोर की यह क्रिया रात की शांति और वन्य वातावरण की गहराई को उजागर करती है। इससे पाठक को यह अनुभव होता है कि प्रकृति न केवल दृश्यात्मक रूप से सुंदर है, बल्कि इसके जीव भी संवेदनशील और जीवंत हैं, जिससे मन में प्रकृति के प्रति सहानुभूति और जुड़ाव उत्पन्न होता है।
प्रश्न 15: मोर और वल्लरी का आलिंगन किस प्रकार की छवि प्रस्तुत करता है?
उत्तर:कविता में मोर और वल्लरी का आलिंगन प्रेम और सौंदर्य का प्रतीक है। यह प्राकृतिक वातावरण में जीव-जंतुओं के आपसी सौहार्द और सामंजस्य को दर्शाता है। लेखक ने इसे इस प्रकार पेश किया है कि पाठक को यह अनुभूति होती है कि वन्य जीवन केवल अस्तित्व तक सीमित नहीं, बल्कि इसमें आपसी स्नेह, मेल-जोल और प्राकृतिक सुंदरता की गहराई भी समाहित है।
प्रश्न 16: कविता में पथिकों का उल्लेख किस उद्देश्य से किया गया है?
उत्तर: कविता में पथिकों का उल्लेख इस बात को उजागर करने के लिए किया गया है कि मानव वन्य प्रान्त में केवल आगंतुक है। उसका प्रवेश अनायास और क्षणिक होता है, जबकि प्रकृति अपनी मौलिकता और शांति के साथ सदा स्थिर रहती है। इससे यह संदेश मिलता है कि मानव चाहे कितना भी आए, वन्य जीवन अपनी नियमितता और संतुलन बनाए रखता है।
प्रश्न 17: कविता में सूरज के अस्ताचल की छवि का महत्व क्या है?
उत्तर: कविता में सूरज के अस्ताचल का चित्रण दिन के समाप्त होने और रात की शुरुआत को दर्शाता है। यह प्राकृतिक चक्र और समय की स्थिरता का प्रतीक है। सूर्यास्त की इस छवि से पाठक को न केवल प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव होता है, बल्कि जीवन के क्रम, समाप्ति और नवीनीकरण की गहन समझ भी मिलती है।
प्रश्न 18: कविता में नीले आकाश और हरे वृक्षों का संयोजन किस अर्थ में है?
उत्तर: कविता में नीला आकाश और हरे वृक्षों का संयोजन प्रकृति की सुंदरता और संतुलन को प्रदर्शित करता है। नीला आकाश अनंतता और स्थिरता का प्रतीक है, जबकि हरे वृक्ष जीवन, ताजगी और ऊर्जा का संकेत देते हैं। इस संयोजन से पाठक में मानसिक शांति, आनंद और प्राकृतिक सौंदर्य के साथ जुड़ाव की भावना पैदा होती है।
प्रश्न 19: पानी, झरना और नदी का प्रयोग कविता में क्यों किया गया है?
उत्तर: कविता में पानी, झरना और नदी का उल्लेख प्रकृति के जीवनदायिनी और सजीव पहलू को उजागर करता है। झरने की कलकल और नदी की बहती धारा जीवन में निरंतरता, तरलता और शांति का प्रतीक हैं। लेखक ने जल के माध्यम से पाठक को प्रकृति की ताजगी, हरित वातावरण और मानसिक सुकून का अनुभव कराया है, जिससे वातावरण जीवंत और आनंददायक प्रतीत होता है।
Answer by Mrinmoee