Chapter 4 

                                                              बालगोबिन भगत


1. प्रश्न: बालगोबिन भगत कौन थे?

उत्तर: बालगोबिन भगत एक अत्यंत धर्मपरायण और सिद्धांतप्रिय व्यक्ति थे। वे गृहस्थ होकर भी साधु के समान जीवन व्यतीत करते थे। उनका जीवन सादगी, सत्य, और भक्ति से ओत-प्रोत था। वे कबीरदास को ‘साहब’ मानते थे और उनके उपदेशों का पालन अपने आचरण में करते थे। वे कर्म को ही पूजा समझते थे और आडंबरों से दूर रहते थे।

2. प्रश्न: भगत की वेशभूषा का वर्णन कीजिए।

उत्तर:बालगोबिन भगत का पहनावा अत्यंत सादा और संतों जैसा था। वे शरीर पर केवल एक लंगोटी बाँधते थे और सिर पर कबीरपंथियों की कनफटी टोपी लगाते थे। ठंड के दिनों में वे एक साधारण काली कमली ओढ़ लिया करते थे। उनके गले में तुलसी की जड़ों से बनी माला रहती थी और मस्तक पर रामानंदी परंपरा का चंदन तिलक सदैव शोभा देता था।

3. प्रश्न: लेखक ने क्यों कहा कि “वे गृहस्थ होते हुए भी साधु थे”?

उत्तर: बालगोबिन भगत भले ही गृहस्थ जीवन जीते थे और उनकी खेती-बारी तथा परिवार था, फिर भी उनका मन संसारिक इच्छाओं से परे था। उनका आचरण पूर्णतः सत्य, भक्ति और संयम से भरा हुआ था। वे कभी झूठ नहीं बोलते, किसी की वस्तु बिना पूजा के प्रयोग नहीं करते, और जीवन में सादगी तथा ईश्वर-भक्ति को सर्वोपरि मानते थे।

4. प्रश्न: बालगोबिन भगत की दिनचर्या कैसी थी?

उत्तर: 

  1.  बालगोबिन भगत प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त में जागते, नदी में स्नान करते और उसके बाद अपने खेतों का निरीक्षण करते थे। इसके साथ ही वे कबीर के भजन गाते और पूरे दिन अपने कर्म और भक्ति में लीन रहते थे। उनके जीवन में समय का पालन, अनुशासन और भक्ति का अनोखा संगम दिखाई देता था।

5. प्रश्न: बालगोबिन भगत कबीर को ‘साहब’ क्यों मानते थे?

उत्तर: बालगोबिन भगत कबीर के उपदेशों और विचारों से गहराई से प्रभावित थे। कबीर ने सादगी, सत्य और ईश्वर-भक्ति का मार्ग दिखाया था, और भगत ने इन्हीं मूल्यों को अपने जीवन में अपनाया। इसी कारण वे कबीर को ‘साहब’ कहकर उनका आदर और सम्मान व्यक्त करते थे।

6. प्रश्न: भगत के संगीत की विशेषता क्या थी?

उत्तर: बालगोबिन भगत का संगीत पूर्णतः हृदय से उत्पन्न होता था। वे कबीर के सरल और सार्थक पदों को इस तरह गाते कि सुनने वाले उनका आनंद और भक्ति अनुभव करते। उनका संगीत खेतों, नदी के किनारे और घर के आँगन में जीवन के हर पल को जीवंत और प्रभावशाली बना देता था।

7. प्रश्न: गाँव के लोग बालगोबिन भगत के गीतों पर कैसे प्रतिक्रिया करते थे?

उत्तर: बालगोबिन भगत के गीत सुनते ही गाँव के बच्चे खेल-खेल में नृत्य करने लगते, महिलाएँ धीरे-धीरे गुनगुनाने लगतीं, और खेतों में हल चलाने वाले किसान भी अपने काम में ताल मिला लेते। उनका संगीत पूरे गाँव में जीवन और भक्ति का उत्साह भर देता था।

8. प्रश्न: बालगोबिन भगत की संगीत-साधना का चरम उत्कर्ष कब देखा गया?

उत्तर: बालगोबिन भगत की संगीत-साधना का चरम उनके पुत्र की मृत्यु के समय देखने को मिला। इस कठिन और दुखद घड़ी में भी वे भजन गाते रहे और अपने बेटे की आत्मा को परमात्मा से मिलन मानकर शोक में डूबने के बजाय भक्ति और उत्सव की भावना में लीन रहे।

9. प्रश्न: भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ कैसे व्यक्त कीं?

उत्तर: बालगोबिन भगत ने अपने बेटे की मृत्यु को दुख के बजाय ईश्वर से मिलन के रूप में देखा। वे लगातार भजन गाते रहे और पतोहू को भी शोक में डूबने के बजाय इस दिव्य अनुभव में शामिल होने का मार्ग दिखाया। उनका विश्वास था – “आत्मा परमात्मा से मिल गई है, यह आनंद का अवसर है।”

10. प्रश्न: पुत्रवधू द्वारा पुत्र की मुखाग्नि दिलवाने से भगत के किस गुण का पता चलता है?

उत्तर: यह घटना बालगोबिन भगत के अडिग विश्वास, न्यायप्रियता और साहसपूर्ण दृष्टिकोण को प्रदर्शित करती है। उन्होंने पुत्रवधू को समान अधिकार देकर सामाजिक परंपराओं की कठोरता को चुनौती दी और यह दिखाया कि धर्म और न्याय का पालन हर व्यक्ति के लिए समान है।

11. प्रश्न: पतोहू रो-रोकर भगत से क्यों विनती करती रही?

उत्तर: पतोहू नहीं चाहती थी कि वह बालगोबिन भगत को अकेला छोड़ दे। वह उन्हें आश्वस्त कर रही थी कि वृद्धावस्था में वे उसका साथ पाएंगे, उनके लिए भोजन बनाएगी और देखभाल करेगी। बावजूद इसके, भगत ने उसका पुनर्विवाह सुनिश्चित किया और अपने निर्णय में अडिग रहे।

12. प्रश्न: भगत ने पतोहू को घर से क्यों भेज दिया?

उत्तर: बालगोबिन भगत यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि वृद्धावस्था में एक युवा स्त्री अकेली न रहे। उन्होंने सामाजिक मर्यादा और धर्म की शुद्धता को बनाए रखने के लिए पतोहू का पुनर्विवाह कराना आवश्यक समझा और उसी अनुरूप आदेश दिया।

13. प्रश्न: भगत की मृत्यु कैसे हुई?

उत्तर: बालगोबिन भगत वृद्धावस्था में भी गाते-बजाते गंगा स्नान के लिए पैदल जाते थे। एक दिन स्नान से लौटने के बाद उनकी तबीयत बिगड़ी, बुखार हुआ और धीरे-धीरे उनका शरीर कमजोर पड़ गया। भोर में वे संसार से विदा हो गए, केवल उनका पंजर ही रह गया।

14. प्रश्न: ‘चुल्लू भर पानी’ का अर्थ बताइए।

उत्तर: ‘चुल्लू भर पानी’ का मतलब है — थोड़ी मात्रा में पानी, यानी बहुत ही सीमित या अल्प जल। इसका प्रतीकात्मक अर्थ यह है कि वृद्धावस्था में किसी की देखभाल या सेवा करने वाला कोई नहीं है।

15. प्रश्न: “धर्म का मर्म आचरण में है, अनुष्ठान में नहीं” — इस कथन को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: इस कथन का अर्थ है कि सच्चा धर्म केवल पूजा-पाठ या अनुष्ठानों में नहीं, बल्कि हमारे दैनिक आचरण और कर्मों में दिखाई देता है। बालगोबिन भगत ने अपने जीवन में यह साबित किया कि ईश्वर भक्ति का असली अर्थ है—सत्य, प्रेम, करुणा और सादगी के साथ जीवन बिताना।

16. प्रश्न: बालगोबिन भगत का जीवन हमें क्या सिखाता है?

उत्तर: बालगोबिन भगत का जीवन सादगी, भक्ति और मानवता का जीवंत उदाहरण है। उनके आचरण से यह सीख मिलती है कि ईश्वर की प्राप्ति बाहरी दिखावे या अनुष्ठानों से नहीं, बल्कि ईमानदार कर्म, निस्वार्थ सेवा और सत्यनिष्ठा से होती है।

17. प्रश्न: लेखक बालगोबिन भगत के किस गुण से सबसे अधिक प्रभावित था?

उत्तर: लेखक बालगोबिन भगत की भक्ति, सरलता और संगीत के अद्भुत प्रभाव से अत्यंत प्रभावित था। उनका मानना था कि भगत का गाना मानो धरती और आकाश को एक साथ जोड़ देता है और सुनने वालों के हृदय में गहराई से उतर जाता है।

18. प्रश्न: बालगोबिन भगत के संगीत का प्रभाव कैसा था?

उत्तर: बालगोबिन भगत का संगीत अत्यंत प्रभावशाली और जादुई था। यह पूरे गाँव के वातावरण को जीवंत बना देता, सभी लोगों को एक लय और ताल में बाँध देता, और सुनने वालों की आत्मा को गहराई से झकझोर देता था।

19. प्रश्न: कबीर के पदों में ऐसा क्या था जो भगत को प्रिय था?

उत्तर: कबीर के पदों में सादगी, सत्य और आत्मा की पवित्रता पर बल दिया गया था। वे दिखावे और धार्मिक आडंबरों का विरोध करते थे। बालगोबिन भगत को यही सरल और निष्काम भक्ति वाली शिक्षाएँ प्रिय थीं, इसलिए उन्होंने इन्हें अपने जीवन में अपनाया।

20. प्रश्न: ‘आषाढ़ की रिमझिम’ में भगत का चित्रण किस रूप में हुआ है?

उत्तर: आषाढ़ की रिमझिम में बालगोबिन भगत खेतों में धान रोपते हुए गा रहे हैं। उनका संगीत खेतों, किसानों, बच्चों और औरतों को एक साथ झूमने और आनंदित होने पर मजबूर करता है। यह दृश्य उनके साधक और भक्ति-भावपूर्ण व्यक्तित्व को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करता है।

21. प्रश्न: ‘भादों की अधरतिया’ में कौन-सा दृश्य दिखाया गया है?

उत्तर: भादों की अधरतिया में, वर्षा के बाद बालगोबिन भगत “गोदी में पियवा…” गा रहे हैं। उनका स्वर वातावरण में बिजली की तरह गूँजता है। यह दृश्य उनकी भक्ति, संगीत के प्रति समर्पण और मानसिक मग्नता को दर्शाता है।

22. प्रश्न: भगत का व्यवहार समाज के प्रति कैसा था?

उत्तर: बालगोबिन भगत का समाज के प्रति व्यवहार पूरी तरह सत्य, समानता और स्नेह से परिपूर्ण था। वे किसी प्रकार के झूठ, छल या द्वेष से दूर रहते और कभी किसी से अनावश्यक विवाद नहीं करते थे।

23. प्रश्न: भगत का जीवन किस प्रकार से गृहस्थ-साधु का आदर्श प्रस्तुत करता है?

उत्तर: बालगोबिन भगत घर, परिवार और खेती-बारी संभालते हुए भी पूर्ण वैराग्य और भक्ति भाव में जीवन यापन करते थे। उनके प्रत्येक कर्म में ईश्वर की उपासना झलकती थी। इसी कारण उनका जीवन गृहस्थ होते हुए भी साधु का आदर्श उदाहरण बनता है।

24. प्रश्न: लेखक ने बालगोबिन भगत की मृत्यु को कैसे चित्रित किया है?

उत्तर: लेखक ने बताया है कि बालगोबिन भगत का शरीर संसार छोड़ गया, लेकिन उनकी भक्ति और संगीत की गूँज अब भी जीवित है। उनके जीवन ने धर्म, साधना और निस्वार्थ सेवा की मिसाल कायम की।

25. प्रश्न: ‘निस्तब्धता में सोया संसार, संगीत जाग रहा है’ पंक्ति की व्याख्या कीजिए।

उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ है कि जब पूरा संसार शांत और निद्रालु है, तब बालगोबिन भगत का संगीत सभी में आध्यात्मिक जागृति और चेतना का संदेश फैला रहा है। उनका संगीत हृदय और आत्मा को जीवंत कर देता था।

26. प्रश्न: बालगोबिन भगत के नियम कितने कठोर थे?

उत्तर: बालगोबिन भगत अपने नियमों के प्रति अत्यंत कठोर और अनुशासित थे। वे दूसरे के खेत में शौच तक नहीं करते थे और किसी की वस्तु का बिना पूजा के उपयोग नहीं करते थे। इनके माध्यम से उनके संयम, धर्मनिष्ठा और आत्मानुशासन का पता चलता है।

27. प्रश्न: भगत ने पुत्रवधू के पुनर्विवाह पर जोर क्यों दिया?

उत्तर: बालगोबिन भगत यह समझते थे कि एक युवा स्त्री का जीवन केवल मृत पति की याद में नहीं बीतना चाहिए। इसलिए उन्होंने उसकी नई जीवन यात्रा सुनिश्चित करने के लिए पुनर्विवाह का आदेश दिया।

28. प्रश्न: भगत की कथा से समाज को क्या संदेश मिलता है?

उत्तर: बालगोबिन भगत की कहानी यह संदेश देती है कि सच्चा धर्म केवल अनुष्ठान या दिखावे में नहीं, बल्कि कर्म, सत्य और भक्ति में होता है। समाजिक बंधनों और पुरानी रूढ़ियों से ऊपर उठकर मनुष्य को मानवता और निस्वार्थता अपनानी चाहिए।

29. प्रश्न: बालगोबिन भगत की भक्ति का मूल क्या था?

उत्तर: बालगोबिन भगत की भक्ति कर्मप्रधान और आचरण केंद्रित थी। वे केवल पूजा या अनुष्ठानों में विश्वास नहीं रखते थे, बल्कि गीत, सेवा और सत्यनिष्ठ जीवन के माध्यम से ईश्वर से जुड़ते थे।

30. प्रश्न: लेखक ने बालगोबिन भगत को क्यों अमर कहा?

उत्तर: लेखक ने उन्हें इसलिए अमर कहा क्योंकि उनका शरीर भले ही संसार से चला गया, लेकिन उनके गीत, आदर्श और जीवन-साधना आज भी लोगों के हृदय और चेतना में जीवित हैं तथा प्रेरणा देते हैं।

31. प्रश्न: भगत का जीवन किस महान सिद्धांत का उदाहरण है?

उत्तर: बालगोबिन भगत का जीवन इस महान सिद्धांत का उदाहरण है कि “सच्चा धर्म व्यक्ति के व्यवहार और आचरण में प्रकट होता है, न कि केवल दिखावे या आडंबर में।”

32. प्रश्न: बालगोबिन भगत की भक्ति किस प्रकार व्यावहारिक थी?

उत्तर: बालगोबिन भगत भक्ति को केवल शब्दों या अनुष्ठानों तक सीमित नहीं रखते थे, बल्कि इसे अपने दैनिक जीवन का अंग मानते थे। खेत में काम करते समय भी वे ईश्वर का स्मरण करते और अपने कर्मों को पूजा के रूप में देखते थे।

33. प्रश्न: उन्होंने कबीर की शिक्षाओं को जीवन में कैसे अपनाया?

उत्तर:  बालगोबिन भगत ने कबीर की शिक्षाओं को अपने जीवन में वास्तविक रूप से उतारा। उन्होंने सत्य, सादगी और समानता को अपनाया, जाति-पाँति के भेदभाव से ऊपर उठकर सभी के प्रति प्रेम और निष्कपट दृष्टिकोण रखा, और दिखावे से दूर रहते हुए सरल जीवन जिया।

34. प्रश्न: ‘भगत का संगीत’ उनके जीवन का प्रतीक क्यों कहा गया है?

उत्तर: बालगोबिन भगत का संगीत उस सामंजस्य और शांति का प्रतीक था जो उनके जीवन में भी विद्यमान था। जैसे उनका संगीत सभी को एक लय और भाव में बाँध देता था, वैसे ही उनका जीवन भी संतुलन, भक्ति और मानवता का संदेश देता था।

35. प्रश्न: बालगोबिन भगत की सबसे बड़ी विशेषता क्या थी?

उत्तर: बालगोबिन भगत की सबसे बड़ी विशेषता उनकी अटल आस्था और आचरण में सामंजस्य थी। वे हमेशा अपने शब्दों के अनुरूप कर्म करते थे, और यही गुण उन्हें महान बनाता है।

36. प्रश्न: भगत का जीवन किस प्रकार से ‘कर्मयोग’ का उदाहरण है?

उत्तर: बालगोबिन भगत अपने कर्मों में हमेशा सक्रिय रहते थे, परंतु उनके कर्मों का परिणाम पाने की इच्छा नहीं रखते थे। उनका यह दृष्टिकोण गीता में बताए गए कर्मयोग के सिद्धांत से पूरी तरह मेल खाता है।

37. प्रश्न: लेखक ने बालगोबिन भगत के चेहरे का वर्णन कैसे किया है?

उत्तर: बालगोबिन भगत का चेहरा सफ़ेद बालों से दमकता था और उसमें एक विशेष तेज, शांति और भक्ति की झलक दिखाई देती थी, जो उन्हें साधु समान व्यक्तित्व प्रदान करती थी।

38. प्रश्न: बालगोबिन भगत की मृत्यु भी उनके जीवन जैसी क्यों थी?

उत्तर: बालगोबिन भगत की मृत्यु उनके जीवन के समान शांति, निस्वार्थता और भक्ति से परिपूर्ण थी। उन्होंने अंतिम समय तक भजन गाते हुए संसार से विदा ली, बिना किसी आडंबर या भय के।

39. प्रश्न: लेखक के अनुसार, बालगोबिन भगत ‘धर्म का सच्चा अर्थ’ कैसे सिखाते हैं?

उत्तर: बालगोबिन भगत बाहरी दिखावे या अनुष्ठानों में नहीं फँसे थे। वे अपने जीवन में सत्य, निष्ठा और भक्ति के माध्यम से धर्म का पालन करते थे और यह सिखाते थे कि सच्चा धर्म कर्म और आचरण में निहित होता है, पूजा में नहीं।

40. प्रश्न: इस कहानी का मुख्य संदेश क्या है?

उत्तर: इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सच्चा धर्म केवल शब्दों या अनुष्ठानों में नहीं, बल्कि आचरण और जीवन में होता है। बालगोबिन भगत दिखाते हैं कि भक्ति का अर्थ है—सत्य, करुणा, मानवता और सादगी के साथ जीवन जीना।


Answer by Mrinmoee