Chapter 5
हुंडरू का जलप्रपात
प्रश्न: "जैसे हुंडरू का झरना वैसे उसका मार्ग" कथन का अर्थ क्या है?
उत्तर: इसका तात्पर्य यह है कि किसी अद्भुत या महान स्थान तक पहुँचने के लिए रास्ता भी उतना ही कठिन, रोमांचक और मनोरम होना चाहिए जितना कि वह स्थान स्वयं। हुंडरू का झरना अत्यंत ऊँचाई और भव्यता वाला है, और इसे देखने का मार्ग भी पहाड़ियों, जंगलों और ऊबड़-खाबड़ रास्तों से होकर गुजरता है। यह बताता है कि असली सुंदरता और अनुभव पाने के लिए प्रयास और चुनौती अपरिहार्य हैं।-
प्रश्न: हुंडरू का झरना कैसे बना है?
उत्तर: हुंडरू झरना स्वर्णरेखा नदी का निर्माण है। जब यह नदी पहाड़ों से गुजरती है, तो कई छोटी-छोटी धाराओं में बँट जाती है, और फिर ये सारी धाराएँ एक साथ मिलकर 243 फुट ऊँचाई से गिरती हैं। गिरते समय पानी भैवर और चक्करों की तरह घूमता है, जिससे झरना अत्यंत मनोरम और अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है। -
प्रश्न: यात्रा-वृतांत को रोचक बनाने के लिए किन बातों पर ध्यान देना चाहिए?
उत्तर: यात्रा-वृतांत तभी रोचक बनता है जब लेखक रास्ते की कठिनाइयाँ, प्राकृतिक दृश्य, जंगल-पर्वत, झरने, नदियाँ, वहाँ की हवा और सुगंध, जीव-जंतु, पक्षियों की चहक और स्थानीय लोगों की आदतों को जीवंत ढंग से प्रस्तुत करे। पाठ में लेखक ने हुंडरू झरने की ऊँचाई, पानी की धारा, आसपास के जंगल-पर्वत और वातावरण की पवित्रता का विस्तारपूर्वक वर्णन किया है, जिससे यात्रा-वृतांत सजीव और आकर्षक बनता है। -
प्रश्न: हुंडरू के पानी का वर्णन दो रूपों में किया गया है। कौन-सा वर्णन अधिक प्रभावी लगता है और क्यों?
उत्तर: रूपकयुक्त वर्णन अधिक प्रभावशाली है क्योंकि इसमें पानी की गतिशीलता और शक्ति को जीवंत रूपकों—साँप की तरह घूमना, हरिण की तरह छलाँग लगाना, बाघ की तरह गरजना—के माध्यम से दर्शाया गया है। इससे पाठक के मन में झरने की गति, उत्साह और रोमांच की स्पष्ट छवि बनती है, जबकि सरल वर्णन में यह अनुभव कम तीव्र होता है। -
प्रश्न: हुंडरू का झरना पहुँचने के रास्ते का वर्णन कीजिए।
उत्तर: राँची से हुंडरू पहुँचने के मार्ग में यात्रियों को हरे-भरे जंगलों, ऊँचे पहाड़ों और झाड़ियों के बीच से गुजरना पड़ता है। रास्ते में मकई के पौधे लहराते हैं, सड़क ऊबड़-खाबड़ और पत्थरीली है, तथा किनारे से बहती छोटी-सी नदी का कल-कल स्वर मन को मोह लेता है। मार्ग की हरियाली, पक्षियों की चहचहाहट और हवा में बिखरी सुगंध इसे झरने की भांति ही मनोरम और रोमांचक बनाती है। -
प्रश्न: हुंडरू झरने की धारा कैसे गिरती है?
उत्तर: झरने की पानी की धारा पहाड़ की चट्टानों पर गिरते हुए कई अलग-अलग धाराओं में बँट जाती है, और फिर सभी धाराएँ मिलकर नीचे गिरती हैं। गिरते समय पानी चक्कर काटता है, भैवर जैसी अवस्था लेता है और पत्थर से टकराकर सफेद झाग उगलता है। बीच-बीच में इसकी लहरों में संघर्ष से इंद्रधनुष का रंग उत्पन्न होता है, जो दृश्य को और भी मनोहारी बना देता है। -
प्रश्न: झरने के आसपास की वनस्पति और जीव-जंतु का वर्णन कीजिए।
उत्तर: झरने के चारों ओर घना जंगल फैला है, जिसमें झाड़ियाँ, पेड़-पौधे और लता-गुल्म हर ओर बिखरे हुए हैं। यह जंगल जंगली जानवरों का आश्रयस्थल है। पेड़ों पर विचित्र-पक्षियों की चहचहाहट से वातावरण जीवंत हो उठता है। हल्की हवा फूलों की सुगंध लेकर आती है, जिससे झरने का परिवेश और भी आकर्षक और मनमोहक लगता है। -
प्रश्न: झरने का पानी पत्थर पर गिरते समय कैसा प्रतीत होता है?
उत्तर: झरने का पानी पत्थर पर गिरते समय जीवंत और गतिशील प्रतीत होता है। यह कभी चक्करों में घूमता है, कभी भैवर की तरह घुमता है, कभी साँप की तरह लिपटता है, कभी हरिण जैसी छलांग भरता है, और कभी बाघ की तरह गरजता हुआ गिरता है। पत्थर से टकराने पर पानी सफेद झाग बनाता है और कुछ स्थानों पर इसकी धारा संघर्ष से इंद्रधनुष की रंगत पैदा करती है। -
प्रश्न: झरने के गिरने की ऊँचाई और दृश्य का प्रभाव बताइए।
उत्तर: झरने की ऊँचाई 243 फुट है, जिससे गिरता पानी अत्यंत भव्य और प्रभावशाली दिखाई देता है। इसका दृश्य विशाल, मनोरम और मंत्रमुग्ध कर देने वाला है। गिरते पानी की आवाज, उसके चक्र और सफेद झाग से एक प्रकार का प्राकृतिक संगीत बनता है, जो देखने वाले के मन और आँखों दोनों को आनंदित करता है। -
प्रश्न: हुंडरू की धारा और पत्थर में क्या अद्भुत विशेषता है?
उत्तर: हुंडरू झरने में एक पत्थर की छाती से प्रचंड झरना बहता है, जबकि दूसरा पत्थर समय के बावजूद बिल्कुल अडिग और स्थिर बना रहता है। पानी अपने बल और गति में अपार है, फिर भी स्थिर पत्थर को विचलित नहीं कर पाता। यह दृश्य अविरलता और अडिगता का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है। -
प्रश्न: हुंडरू का जलप्रपात कितने जिलों से होकर गुजरती नदी का हिस्सा है?
उत्तर: हुंडरू झरना स्वर्णरेखा नदी से निर्मित है, जो राँची, धनबाद, सिंहभूम और बालासोर जिलों से होकर बंगाल की खाड़ी तक प्रवाहित होती है। -
प्रश्न: पाठ में यात्रा का रोमांच कैसे प्रस्तुत किया गया है?
उत्तर: लेखक ने रास्ते की कठिनाई, हरियाली, पक्षियों की चहचहाहट, झाड़ियों और मकई के पौधों की हरकतों तथा हवा की ताजगी का जीवंत वर्णन कर यात्रा के रोमांच को पाठक तक पहुंचाया है। ऐसा लगता है जैसे पाठक स्वयं उस मार्ग पर चल रहा हो और झरने के दर्शन करने जा रहा हो। -
प्रश्न: झरने के आगे घाटी का दृश्य कैसे है?
उत्तर: झरने के आगे की घाटी में एक पतली नदी बहती है, पहाड़ उसे पार करने की चुनौती देते हैं, और चारों ओर घने जंगल व झाड़ियाँ फैली हैं। यह दृश्य अत्यंत शांत, रमणीय और मन को भा लेने वाला है। झरने की भव्यता के साथ यह घाटी का सौंदर्य दृष्टि और हृदय दोनों को आनंदित करता है। -
प्रश्न: झरने का संगीत कैसे अनुभव होता है?
उत्तर: झरने के गिरते पानी की कल-कल, उसके चक्कर और भैवर की गूँज वातावरण में अद्भुत संगीत उत्पन्न करती है। यह संगीत ऐसा प्रभाव डालता है कि मानव मन मंत्रमुग्ध हो जाता है और प्रतीत होता है जैसे प्रकृति स्वयं अपने मधुर गीत गा रही हो। -
प्रश्न: पाठ में प्राकृतिक रंगों का वर्णन कैसे किया गया है?
उत्तर: इस पाठ में प्रकृति के रंगों का बड़ा ही सुंदर और सजीव वर्णन किया गया है। झरने की सफेद झाग, सूर्य की किरणों से बनता इंद्रधनुष और गिरते जल की चमक — इन सबने मिलकर एक मनोहर दृश्य रचा है। लेखक ने इन रंगों को इतनी प्रभावशाली भाषा में चित्रित किया है कि पाठक स्वयं को उस दृश्य के बीच अनुभव करता है। -
प्रश्न: झरने के रास्ते में मार्गदर्शन का आनंद कैसे लिया गया?
उत्तर: पाठ में लेखक ने रास्ते की हर छोटी-बड़ी खूबसूरती को दिखाया है—ऊबड़-खाबड़ पगडंडी, पत्थरों से भरी सड़क, चारों ओर हरी-भरी हरियाली, चहकते पक्षी और लहराते मकई के पौधे। इन विवरणों से पाठक को यह अनुभव होता है कि मार्गदर्शन स्वयं एक सुखद और रमणीय यात्रा का हिस्सा है। -
प्रश्न: पाठ में हुंडरू की भव्यता के प्रतीक कौन-कौन से हैं?
उत्तर: पाठ में हुंडरू की भव्यता 243 फुट ऊँचाई से गिरते पानी, पानी की चक्रीय और भैवर जैसी धारा, सफेद झाग, बीच-बीच में दिखने वाला इंद्रधनुष, और चारों ओर फैले जंगल तथा घाटियों की सुंदरता से प्रतीत होती है। प्रश्न: झरने के आसपास किस प्रकार की वन्यजीवन मौजूद है?
उत्तर: झरने के चारों ओर जंगली जानवरों का निवास है और पेड़ों व झाड़ियों में पक्षियों की चहचहाहट गूँजती रहती है। यह जीव-जंतु और पक्षी झरने के सौंदर्य और जीवंतता को और बढ़ाते हैं।-
प्रश्न: झरने की प्राकृतिक आवाज़ का पर्यटक पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: झरने की गूंजती आवाज पर्यटक को अचंभित और मोहित कर देती है। पानी की गतिशीलता और प्रबल धारा सुनकर उनकी उत्सुकता और आनंद बढ़ जाता है, और वे पूरी तरह मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। -
प्रश्न: झरने का पानी गिरते समय इंद्रधनुष कैसे उत्पन्न करता है?
उत्तर: जब झरने की धारा चट्टानों से टकराती है और सूर्य की रोशनी उस पर पड़ती है, तो पानी में इंद्रधनुष के रंग प्रकट होते हैं। यह प्राकृतिक रंगीन दृश्य झरने की भव्यता और मनोहारी सुंदरता को और उभार देता है। -
प्रश्न: हुंडरू झरने तक पहुँचने वाले मार्ग की कठिनाई क्या है?
उत्तर: झरने तक पहुँचने का रास्ता कठिन है—यह पथरीला, ऊबड़-खाबड़ और घने जंगलों से होकर गुजरता है। बीच-बीच में नदी और झाड़ियों को पार करना पड़ता है। यही कठिन मार्ग झरने की भव्यता और यात्रा के रोमांच को और बढ़ा देता है। Answer by Mrinmoee