Chapter-- 9 १९४५ नंतरचे जग - I
उत्तर: आशियाई परिषदे का स्थान इंडोनेशिया के बांडुंग शहर में था। इस परिषद के कारण यह शहर इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और इसे “बांडुंग परिषद” के नाम से जाना जाता है। यह बैठक आशिया और अफ्रीका के देशों के बीच सहयोग और मित्रता बढ़ाने के लिए आयोजित की गई थी।
२. प्रश्न: बांडुंग परिषद किस वर्ष हुई थी?
उत्तर: बांडुंग परिषद 1955 में हुई थी। यह परिषद आशिया और अफ्रीका के देशों के बीच सामूहिक संवाद और सहयोग की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम थी।
३. प्रश्न: बांडुंग परिषद में भारत के कौन से नेता शामिल हुए थे?
उत्तर: भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू इस परिषद में शामिल हुए थे। उन्होंने इस अवसर का उपयोग आशिया-अफ्रीका देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने और वैश्विक शांति को बढ़ावा देने के लिए किया।
४. प्रश्न: बांडुंग परिषद में अन्य प्रसिद्ध आशियाई नेता कौन शामिल हुए थे?
उत्तर: इस परिषद में महात्मा गांधी के विचारों के प्रतिनिधि, खान अब्दुल गफ्फार खान और अन्य कई देशों के नेता शामिल हुए थे। इन नेताओं की भागीदारी ने परिषद की महत्वपूर्ण वैश्विक छवि बनाई।
५. प्रश्न: बांडुंग परिषद का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर: बांडुंग परिषद का मुख्य उद्देश्य आशिया और अफ्रीका के देशों में सद्भाव, सहयोग और शांति को प्रोत्साहित करना था। यह परिषद विभिन्न देशों के बीच भरोसे और मित्रता को बढ़ाने का प्रयास करती थी।
६. प्रश्न: परिषद का दूसरा उद्देश्य क्या था?
उत्तर: परिषद का दूसरा उद्देश्य आशिया और अफ्रीका के लोगों की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक समस्याओं पर चर्चा करना और उनके समाधान के लिए विचार विमर्श करना था।
७. प्रश्न: बांडुंग परिषद का तीसरा मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर: तीसरा उद्देश्य था कि आशिया और अफ्रीका के देशों की वैश्विक स्थिति और उनके प्रभाव को देखकर विश्व शांति के लिए सामूहिक प्रयास किए जाएँ।
८. प्रश्न: बांडुंग परिषद में कितने देश शामिल हुए थे?
उत्तर: बांडुंग परिषद में कुल 25 देश शामिल हुए थे, जिनमें से भारत के अलावा 24 अन्य देश थे।
९. प्रश्न: बांडुंग परिषद ऐतिहासिक दृष्टि से क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: बांडुंग परिषद इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसने आशिया और अफ्रीका के देशों के बीच एकता का प्रतीक स्थापित किया। इस परिषद ने प्रादेशिक सहयोग और आपसी समझ को बढ़ावा दिया।
१०. प्रश्न: ‘प्रादेशिकतावाद’ का क्या अर्थ है?
उत्तर: प्रादेशिकतावाद का अर्थ है किसी विशिष्ट क्षेत्र के देशों द्वारा आपसी राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ाना और अपने क्षेत्र के हित में मिलकर काम करना।
११. प्रश्न: प्रादेशिकतावाद का यूरोप में विकास कैसे हुआ?
उत्तर: पश्चिमी यूरोप में प्रादेशिकतावाद का आधार आर्थिक सहयोग था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप के देशों ने अपने बीच आर्थिक और राजनीतिक सहयोग बढ़ाकर शांति स्थापित करने की दिशा में कदम उठाए।
१२. प्रश्न: यूरोपीय कोयला और इस्पात समूह की स्थापना कब हुई?
उत्तर: यूरोपीय कोयला और इस्पात समूह 1951 में स्थापित किया गया। इसका उद्देश्य यूरोप के देशों के बीच औद्योगिक और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना था।
१३. प्रश्न: यूरोपीय कोयला और इस्पात समूह का उद्देश्य क्या था?
उत्तर: इसका उद्देश्य यूरोप के देशों के बीच औद्योगिक उत्पादन और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना और शांति बनाए रखना था।
१४. प्रश्न: यूरोपीय संघ (EU) का निर्माण क्यों किया गया?
उत्तर: यूरोपीय संघ की स्थापना आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता कायम करने, सहयोग बढ़ाने और यूरोप में स्थायी शांति स्थापित करने के लिए की गई।
१५. प्रश्न: यूरोपीय संसद क्या है?
उत्तर: यूरोपीय संसद यूरोपीय संघ की विधायी संस्था है, जिसमें सदस्य देशों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। यह संघ के लिए कानून और नीतियाँ निर्धारित करती है।
१६. प्रश्न: यूरोपीय कम्युनिटी क्या है?
उत्तर: यूरोपीय कम्युनिटी यूरोप के देशों का आर्थिक और राजनीतिक संगठन है, जो बाद में यूरोपीय संघ में परिवर्तित हुआ। इसका उद्देश्य देशों के बीच सहयोग बढ़ाना और समग्र विकास सुनिश्चित करना था।
१७. प्रश्न: बांडुंग परिषद ने किन महाद्वीपों के देशों को एकत्र किया?
उत्तर: बांडुंग परिषद ने आशिया और अफ्रीका के देशों को एक साथ लाया। यह परिषद इन महाद्वीपों के देशों के बीच सहयोग और संयुक्त प्रयास का प्रतीक बनी।
१८. प्रश्न: बांडुंग परिषद का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: इस परिषद ने भारत को आशिया-अफ्रीका के देशों के बीच नेतृत्व का अवसर प्रदान किया और देश का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थान मजबूत हुआ। भारत ने यहां से अपने विदेश नीति में सक्रिय भूमिका निभाई।
१९. प्रश्न: ‘शिखर परिषद’ क्या है?
उत्तर: शिखर परिषद दो या अधिक देशों के प्रमुख नेताओं की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाली बैठक होती है, जिसमें राजनीतिक और आर्थिक विषयों पर चर्चा होती है।
२०. प्रश्न: ‘शिखर परिषद’ शब्द कब प्रयोग किया जाता है?
उत्तर: जब दो या अधिक देशों के राष्ट्रप्रमुख या सरकार प्रमुख आपसी संबंध और समस्याओं पर चर्चा करने के लिए मिलते हैं, तब इसे शिखर परिषद कहा जाता है।
२१. प्रश्न: अमेरिकी राष्ट्रपति आइजनहावर और सोवियत प्रधानमंत्री निकिता ख्रुश्चेव कब मिले थे?
उत्तर: ये दोनों नेता 1959 में कैम्प डेविड में मिले थे। यह शीत युद्ध काल में दोनों महाशक्तियों के बीच संवाद का पहला अवसर था।
२२. प्रश्न: आइजनहावर और ख्रुश्चेव की बैठक का महत्व क्या था?
उत्तर: यह बैठक अमेरिका और सोवियत रूस के बीच शीत युद्ध के दौरान पहली संवादात्मक बैठक थी, जिससे अंतरराष्ट्रीय तनाव को कम करने का प्रयास किया गया।
२३. प्रश्न: बांडुंग परिषद ने किन विचारों को प्रोत्साहन दिया?
उत्तर: बांडुंग परिषद ने सद्भावना, सहयोग, पारस्परिक समझ और विश्व शांति के विचारों को बढ़ावा दिया।
२४. प्रश्न: बांडुंग परिषद का वैश्विक प्रभाव क्या हुआ?
उत्तर: बांडुंग परिषद ने आशिया और अफ्रीका के देशों को एकजुट होकर सामूहिक आवाज उठाने की प्रेरणा दी, जो बाद में “निरपेक्ष आंदोलन” की नींव बना।
२५. प्रश्न: बांडुंग परिषद में कौन से महाद्वीप प्रमुख थे?
उत्तर: इस परिषद में आशिया और अफ्रीका दो प्रमुख महाद्वीप थे।
२६. प्रश्न: बांडुंग परिषद में देशों की संख्या कितनी थी?
उत्तर: कुल 25 देशों ने भाग लिया, जिनमें से 24 देश भारत के अलावा अन्य थे।
२७. प्रश्न: बांडुंग परिषद का प्रत्यक्ष प्रभाव किस आंदोलन पर पड़ा?
उत्तर: बांडुंग परिषद का प्रत्यक्ष प्रभाव निरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement) के निर्माण पर पड़ा।
२८. प्रश्न: ‘निरपेक्ष आंदोलन’ क्या है?
उत्तर: निरपेक्ष आंदोलन उन देशों का समूह है, जो अमेरिका या सोवियत रूस के किसी गुट में शामिल नहीं होते और स्वतंत्र विदेश नीति अपनाते हैं।
२९. प्रश्न: बांडुंग परिषद का सामाजिक महत्व क्या है?
उत्तर: बांडुंग परिषद ने आशिया और अफ्रीका के देशों को गरीबी, शिक्षा, संस्कृति और विकास जैसी समस्याओं पर वैश्विक चर्चा का अवसर दिया।
३०. प्रश्न: इस पाठ का मुख्य संदेश क्या है?
उत्तर: इस पाठ का मुख्य संदेश यह है कि आशिया और अफ्रीका के देशों को मिलकर प्रादेशिक सहयोग, शांति और वैश्विक एकता बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।
Answer by Dimpee Bora