Chapter- 7                                     शिष्‍टाचार


प्र.1. कहानी का शीर्षक क्या है?

उ. कहानी का शीर्षक है — हेतु।


प्र.2. हेतू कौन था?

उ. हेतू बाबू रामगोपाल के घर का एक नौकर था।


प्र.3. हेतू के चले जाने पर श्रीमती जी ने क्या किया?

उ. उन्होंने अपना ट्रंक खोलकर अपनी चीज़ों की पड़ताल शुरू की और गुम हुई वस्तुओं को ढूँढ़ने लगीं।


प्र.4. श्रीमती जी को किस बात की चिंता थी?

उ. उन्हें डर था कि हेतू कोई कीमती चीज़ चुरा कर ले गया होगा।


प्र.5. बाबू रामगोपाल ने हेतू के पैसे क्यों नहीं दिए?

उ. वे कुछ श्रीमती के डर से और कुछ अपने संदेह के कारण पैसे भेजने से रुक गए।


प्र.6. हेतू को फिर कहाँ देखा गया?

उ. बाबू रामगोपाल ने हेतू को एक धर्मशाला के सामने देखा।


प्र.7. हेतू की हालत कैसी थी जब बाबू जी ने उसे देखा?

उ. वह फटे पुराने कपड़ों में था, चेहरा शिथिल और थका हुआ लग रहा था।


प्र.8. हेतू को देखकर बाबू रामगोपाल की क्या प्रतिक्रिया थी?

उ. वे भावुक हो उठे और सहानुभूति से उसकी कलाई पकड़कर पूछने लगे कि वह कहाँ था।


प्र.9. हेतू गाँव क्यों गया था?

उ. हेतू अपने किसी जरूरी पारिवारिक काम से गाँव गया था (संकेत है कि किसी संकट या बीमारी के कारण)।


प्र.10. हेतू के जवाब देने पर उसकी आँखों में आँसू क्यों आ गए?

उ. क्योंकि वह भावनाओं से भर गया था — उसे अपने मालिक की सच्चाई और खुद पर लगे संदेह दोनों की पीड़ा महसूस हुई।


प्र.11. बाबू रामगोपाल ने हेतू को देखकर क्या कहा?

उ. उन्होंने कहा — “अरे तू कहाँ था इतने दिन? गाँव से कब लौटा?”


प्र.12. हेतू ने क्या उत्तर दिया?

उ. “अभी-अभी लौटा हूँ, साहब।”


प्र.13. श्रीमती जी हेतू के बारे में क्या सोचती थीं?

उ. वे सोचती थीं कि हेतू ने घर से कोई कीमती चीज़ चुरा ली है।


प्र.14. बाबू रामगोपाल का स्वभाव कैसा था?

उ. वे शांत, सहृदय और भावनाशील व्यक्ति थे।


प्र.15. हेतू के चले जाने पर बाबू रामगोपाल को कैसा लगा?

उ. उन्हें भीतर ही भीतर बहुत अफसोस हुआ।


प्र.16. श्रीमती जी की बातों से उनके स्वभाव के कौन-से गुण झलकते हैं?

उ. वे संदेहशील, वस्तुओं के प्रति आसक्त और थोड़ी कठोर स्वभाव की थीं।


प्र.17. “धककर बैठ गई” का अर्थ क्या है?

उ. थककर बैठ जाना।


प्र.18. हेतू की तीन महीने की तनख्वाह क्यों रुकी थी?

उ. क्योंकि वह अचानक बिना बताए चला गया था।


प्र.19. “सी-पचास की चीज़ ले गया तो बीस रुपए तनख्वाह की चिंता करेगा?” — इस वाक्य में क्या भाव है?

उ. यह वाक्य श्रीमती जी के संदेह और व्यंग्यपूर्ण स्वभाव को दर्शाता है।


प्र.20. “मैं पुलिस में इत्तला कर दूँगा” — इससे क्या पता चलता है?

उ. बाबू रामगोपाल ने कठोर शब्दों में पत्नी को शांत करने का प्रयास किया, यद्यपि वे भीतर से कठोर नहीं थे।


प्र.21. हेतू के आँसू किस भाव को प्रकट करते हैं?

उ. सच्चाई, पीड़ा और मालिक के प्रति उसकी वफादारी को।


प्र.22. बाबू रामगोपाल का मन परिवर्तन कब हुआ?

उ. जब उन्होंने हेतू को धर्मशाला में दुःखी हालत में देखा।


प्र.23. कहानी का मुख्य विषय क्या है?

उ. मालिक और नौकर के बीच मानवीय संबंधों की सच्चाई और संवेदना।


प्र.24. हेतू का चरित्र कैसा है?

उ. ईमानदार, विनम्र, भावुक और अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठावान।


प्र.25. इस कहानी में कौन-सा सामाजिक संदेश निहित है?

उ. हमें अपने अधीनस्थों के प्रति संवेदनशील और सहानुभूतिशील होना चाहिए, बिना प्रमाण किसी पर संदेह नहीं करना चाहिए।


प्र.26. “शिथिल अरूप चेहरा” का क्या अर्थ है?

उ. कमजोर, थका हुआ और पीड़ा से भरा चेहरा।


प्र.27. हेतू ने क्यों कुछ नहीं कहा जब बाबू ने पूछा?

उ. वह भावनाओं से इतना भर गया कि बोल नहीं पाया।


प्र.28. कहानी में ‘धर्मशाला’ शब्द का प्रयोग किस संदर्भ में हुआ है?

उ. वहीं हेतू को बाबू रामगोपाल ने देखा था — वह संभवतः वहीं ठहरा था।


प्र.29. कहानी का अंत किस भाव पर होता है?

उ. करुणा और पश्चात्ताप के भाव पर।


प्र.30. कहानी का नैतिक संदेश क्या है?

उ. किसी व्यक्ति पर बिना कारण संदेह नहीं करना चाहिए; सच्चाई और मानवता का सम्मान करना चाहिए।

Answer by Dimpee Bora