Chapter- 8                            वीरभूमि पर कुछ दिन


प्र.1. लेखक किन-किन स्थानों की यात्रा करके चित्तौड़ पहुँचे?
उ. लेखक ने पहले जैसलमेर की यात्रा की, वहाँ से वे जोधपुर पहुँचे, और फिर रात्रि यात्रा करते हुए 24 दिसंबर की संध्या तक चित्तौड़गढ़ पहुँच गए। यह यात्रा राजस्थान के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों से होकर गुज़री, जिससे उन्हें भारत की गौरवमयी परंपरा का अनुभव हुआ।

प्र.2. चित्तौड़गढ़ का नाम आते ही किसका स्मरण हो आता है?
उ. चित्तौड़गढ़ का नाम आते ही सबसे पहले महाराणा प्रताप की वीरता, साहस और स्वाभिमान की याद मन में उभरती है। वे ऐसे राजा थे जिन्होंने देश और आत्मसम्मान की रक्षा के लिए सब कुछ न्योछावर कर दिया, पर आत्मसमर्पण नहीं किया।

प्र.3. महाराणा प्रताप ने चित्तौड़ की रक्षा के लिए क्या किया?
उ. महाराणा प्रताप ने चित्तौड़ की रक्षा के लिए अपने राज्य, परिवार और सुख-सुविधाओं का त्याग किया। उन्होंने जंगलों में रहकर भी संघर्ष जारी रखा और किसी भी विदेशी शक्ति के सामने झुकना स्वीकार नहीं किया।

प्र.4. महाराणा प्रताप ने कठिन परिस्थितियों में भी हार क्यों नहीं मानी?
उ. क्योंकि वे सच्चे देशभक्त और स्वाभिमानी व्यक्ति थे। उन्होंने भूख, गरीबी और कठिनाइयों को सहा, परंतु मुग़ल बादशाह अकबर के सामने झुकना स्वीकार नहीं किया। उनके लिए स्वराज और स्वतंत्रता सर्वोपरि थी।

प्र.5. भामाशाह कौन थे?
उ. भामाशाह महाराणा प्रताप के विश्वस्त मंत्री, मित्र और महान देशभक्त थे। उन्होंने अपनी सारी संपत्ति महाराणा के चरणों में समर्पित कर दी ताकि वे स्वराज की लड़ाई जारी रख सकें। वे निष्ठा और समर्पण के प्रतीक थे।

प्र.6. चित्तौड़गढ़ किन प्रसिद्ध व्यक्तियों से जुड़ा है?
उ. चित्तौड़गढ़ महाराणा प्रताप, भामाशाह और मीरा बाई जैसी ऐतिहासिक व धार्मिक विभूतियों से जुड़ा है, जिनकी वीरता, भक्ति और त्याग ने इसे पवित्र और गौरवशाली भूमि बना दिया।

प्र.7. लेखक ने चित्तौड़ को कैसा बताया है?
उ. लेखक ने चित्तौड़ को छोटा किंतु अत्यंत गौरवशाली शहर बताया है, जिसके कण-कण में वीरता, त्याग और भक्तिभाव रचा-बसा है। यह भूमि अपने इतिहास और परंपरा से लोगों में देशभक्ति की भावना जगाती है।

प्र.8. चित्तौड़ के निवासियों के स्वभाव में कौन-से गुण दिखाई देते हैं?
उ. वहाँ के लोग अत्यंत सहज, सरल और मिलनसार हैं। उनमें भाईचारे की भावना गहराई से रची-बसी है। लेखक के अनुसार यह गुण उन्हें उनके महापुरुषों की विरासत के रूप में प्राप्त हुए हैं।

प्र.9. चित्तौड़ का प्रसिद्ध किला किस नाम से जाना जाता है?
उ. चित्तौड़ का किला “गढ़ों में गढ़ – चित्तौड़गढ़” के नाम से प्रसिद्ध है। यह भारत के सबसे विशाल और शक्तिशाली दुर्गों में से एक है, जो राजस्थान की शौर्यगाथा का प्रतीक है।

प्र.10. इस किले में कौन-कौन से दर्शनीय स्थल हैं?
उ. इस किले में मीरा मंदिर, विजय स्तंभ, गौमुखी कुंड, कालिका मंदिर, पद्मिनी महल, जौहर कुंड, कुंभा महल, जैन मंदिर और महाराणा म्यूजियम जैसे ऐतिहासिक स्थल हैं।

प्र.11. जैन मंदिर की विशेषता क्या है?
उ. जैन मंदिर में सभी 24 तीर्थंकरों की अत्यंत सुंदर और कलात्मक प्रतिमाएँ स्थापित हैं, जो श्वेत संगमरमर से निर्मित हैं। यह मंदिर धार्मिकता और शिल्पकला का सुंदर उदाहरण है।

प्र.12. किले का मुख्य प्रवेश द्वार कौन-सा है?
उ. किले का मुख्य प्रवेश द्वार रामपोल कहलाता है। यह पश्चिम दिशा में स्थित है और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

प्र.13. विजय स्तंभ किसने और क्यों बनवाया?
उ. महाराणा कुंभा ने विजय स्तंभ का निर्माण मालवा और गुजरात के सुल्तानों पर अपनी वीरतापूर्ण विजय की स्मृति में करवाया था। यह स्तंभ चित्तौड़ की शौर्यगाथा का प्रतीक है।

प्र.14. जौहर कुंड का क्या महत्व है?
उ. जौहर कुंड वह स्थान है जहाँ रानी पद्मिनी सहित अनेक वीरांगनाओं ने अपने सतीत्व और सम्मान की रक्षा के लिए अग्नि में प्रवेश किया था। यह त्याग, आत्मसम्मान और स्त्री-शक्ति का प्रतीक स्थल है।

प्र.15. महाराणा प्रताप की प्रतिमा कहाँ स्थित है?
उ. चित्तौड़गढ़ के एक पार्क में चेतक पर सवार महाराणा प्रताप की विशाल और आकर्षक प्रतिमा स्थापित है, जो वीरता और गौरव का प्रतीक है।

प्र.16. लेखक को किस गीत की पंक्तियाँ याद आईं?
उ. राजस्थान की वीरभूमि देखकर लेखक को गीत की पंक्तियाँ याद आईं—
“यह देश है वीर जवानों का, अलबेलों का, मस्तानों का...
इस देश का यारों क्या कहना, यह देश है धरती का गहना।”

प्र.17. लेखक ने राजस्थान की भूमि को किस प्रकार की भूमि कहा है?
उ. उन्होंने इसे वीरभूमि कहा है — ऐसी भूमि जहाँ त्याग, बलिदान, भक्ति और देशप्रेम एक साथ जीवंत हैं।

प्र.18. लेखक के अनुसार चित्तौड़ में कौन-कौन सी विशेषताएँ विद्यमान हैं?
उ. चित्तौड़ में त्याग, बलिदान, शत्रु को परास्त करने का जज़्बा, कला की परख, देशभक्ति और ईश्वर-भक्ति जैसी सभी विशेषताएँ एक साथ विद्यमान हैं।

प्र.19. लेखक ने चित्तौड़गढ़ की भूमि को क्या कहा है?
उ. उन्होंने कहा कि यह भूमि भारतीय संस्कृति, शौर्य, और आध्यात्मिकता की धनी है, इसलिए यह शत-शत नमन के योग्य है।

प्र.20. “गढ़ों में गढ़ चित्तौड़गढ़” कहावत का क्या अर्थ है?
उ. इस कहावत का अर्थ है कि सभी दुर्गों में चित्तौड़गढ़ का स्थान सर्वोच्च है। इसकी मजबूती, भव्यता और ऐतिहासिक महत्ता अतुलनीय है।

प्र.21. विजय स्तंभ किस घटना की स्मृति में बनाया गया?
उ. यह महाराणा कुंभा की मालवा और गुजरात के सुल्तानों पर विजयी युद्ध की स्मृति में बनाया गया था।

प्र.22. रानी पद्मिनी का जौहर किसका प्रतीक है?
उ. रानी पद्मिनी का जौहर स्त्री-सम्मान, सतीत्व और आत्मगौरव की रक्षा के आदर्श का प्रतीक है। यह भारत की नारी-शक्ति की महानता को दर्शाता है।

प्र.23. मीरा मंदिर का क्या ऐतिहासिक महत्व है?
उ. मीरा मंदिर भगवान कृष्ण के प्रति मीरा बाई की अटूट भक्ति का साक्षी है। यहाँ उनका भक्ति-संगीत और प्रेम भावना आज भी गूँजती प्रतीत होती है।

प्र.24. लेखक ने यहाँ के लोगों के जीवन से क्या सीखा?
उ. लेखक ने यह सीखा कि सादगी, भाईचारा और देशप्रेम जीवन के वास्तविक आभूषण हैं, जो चित्तौड़ के लोगों के स्वभाव में स्वाभाविक रूप से बसे हैं।

प्र.25. लेखक ने किन तीन शहरों की यात्रा की?
उ. लेखक ने जैसलमेर, जोधपुर और चित्तौड़गढ़ की यात्रा की — ये तीनों शहर राजस्थान की संस्कृति और इतिहास के प्रतीक हैं।

प्र.26. लेखक ने चित्तौड़गढ़ को किस प्रकार का शहर कहा है?
उ. लेखक ने कहा कि चित्तौड़गढ़ भले छोटा शहर है, पर यह वीरता, त्याग और भक्तिभाव की पवित्र भूमि है।

प्र.27. लेखक ने “त्याग और बलिदान” को किससे जोड़ा है?
उ. उन्होंने इसे चित्तौड़गढ़ की भूमि और उसके वीरों से जोड़ा है, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए प्राणों का बलिदान दिया।

प्र.28. लेखक ने इस भूमि को नमन क्यों किया?
उ. क्योंकि यह भूमि केवल युद्ध की नहीं, बल्कि संस्कारों, वीरता और आस्था की भूमि है। यह भारत के गौरव की प्रतीक है।

प्र.29. इस यात्रा से लेखक को क्या अनुभव हुआ?
उ. लेखक को इस यात्रा से देशभक्ति, संस्कृति और त्याग की भावना का गहरा अनुभव हुआ। उन्हें गर्व महसूस हुआ कि वे ऐसे देश के नागरिक हैं जिसकी भूमि वीरों और भक्तों से पवित्र हुई है।

प्र.30. इस पाठ का उपयुक्त शीर्षक क्या हो सकता है?
उ. “चित्तौड़गढ़ की वीरभूमि की यात्रा” या “वीरता, भक्ति और त्याग की धरती” — दोनों ही शीर्षक पाठ के भाव और संदेश को पूर्णतः व्यक्त करते हैं।

Answer by Dimpee Bora