Chapter- 8 उड़ान
प्र.1. कविता ‘उड़ान’ के कवि कौन हैं? उनके साहित्यिक योगदान का वर्णन कीजिए।
उ. ‘उड़ान’ कविता के रचयिता प्रसिद्ध कवि चंद्रसेन विराट हैं।
उनका जन्म ३ दिसंबर १९३६ को इंदौर (मध्य प्रदेश) में हुआ था।
वे हिंदी ग़ज़ल जगत के प्रमुख रचनाकारों में से एक हैं।
उन्होंने नवगीत, ग़ज़ल और मुक्तक के माध्यम से आम आदमी के संघर्ष, स्वाभिमान और जीवन-दर्शन को अभिव्यक्त किया।
उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं — “नेहदी रची हथेली”, “स्वर के सोपान”, “मिट्टी मेरे देश की”, “धार के विपरीत” आदि।
प्र.2. कविता में कवि ने किन मानवीय गुणों को महत्त्व दिया है?
उ. कवि ने इस कविता में स्वाभिमान, आत्मबल, हौसला, विनम्रता, दूरदृष्टि, आत्मनिर्भरता और संघर्षशीलता जैसे गुणों को महत्त्व दिया है।
कवि का मानना है कि जीवन में सफलता पाने के लिए किसी से सहायता माँगने की बजाय,
मनुष्य को अपने परिश्रम और आत्मविश्वास पर भरोसा करना चाहिए।
प्र.3. ‘अंधेरे के इलाके में किरण माँगा नहीं करते’ — पंक्ति का भावार्थ लिखिए।
उ. इस पंक्ति के माध्यम से कवि यह संदेश देता है कि साहसी और आत्मविश्वासी व्यक्ति कठिन परिस्थितियों से नहीं डरता।
वह दूसरों से सहायता नहीं माँगता, बल्कि अपने आत्मबल से ही अंधकार को मिटाने का प्रयत्न करता है।
यह पंक्ति आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास की प्रेरणा देती है।
प्र.4. ‘जहाँ हो कंटकों का वन, सुमन माँगा नहीं करते’ — पंक्ति का क्या तात्पर्य है?
उ. कवि कहना चाहता है कि जहाँ जीवन में कठिनाइयाँ और बाधाएँ हों,
वहाँ हमें सुख-सुविधा की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
सच्चे और कर्मठ व्यक्ति संघर्षों के बीच भी अपनी राह बना लेते हैं,
वे कभी हार नहीं मानते — यही सच्चे जीवन का परिचय है।
प्र.5. ‘जिसे अधिकार आदर का, झुका लेता स्वयं मस्तक’ — पंक्ति की व्याख्या कीजिए।
उ. इस पंक्ति में कवि बताता है कि जो व्यक्ति अपने कर्म और आचरण से महान होता है,
उसे किसी से आदर माँगने की आवश्यकता नहीं होती।
उसका चरित्र और कर्म ही लोगों को उसके प्रति झुकने के लिए प्रेरित करता है।
सम्मान माँगने से नहीं, बल्कि योग्यता और सद्गुणों से अर्जित होता है।
प्र.6. ‘परों में शक्ति हो तो नाप लो उपलब्ध नभ सारा’ — इस पंक्ति में क्या प्रेरणा छिपी है?
उ. यह पंक्ति आत्मविश्वास और परिश्रम का प्रतीक है।
कवि कहना चाहता है कि यदि मनुष्य के भीतर आत्मबल है, तो वह कोई भी ऊँचाई प्राप्त कर सकता है।
आकाश की सीमा भी उसके लिए छोटी पड़ जाती है।
यह पंक्ति हर व्यक्ति को सीमाओं से ऊपर उठने की प्रेरणा देती है।
प्र.7. ‘उड़ानों के लिए पंछी गगन माँगा नहीं करते’ — का भाव स्पष्ट कीजिए।
उ. यह पंक्ति आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।
जिस प्रकार पक्षी आकाश से उड़ने की अनुमति नहीं माँगते,
उसी प्रकार मनुष्य को भी अपने प्रयासों से ही सफलता अर्जित करनी चाहिए,
क्योंकि दूसरों पर निर्भर रहने से व्यक्ति अपनी स्वतंत्रता खो देता है।
प्र.8. ‘निमंत्रण के बिना सपन तो खुद-ब-खुद आते’ — पंक्ति का अर्थ बताइए।
उ. कवि का आशय है कि सच्चा प्रेम, लगन और समर्पण निमंत्रण से नहीं आता।
जब मन में सच्ची भावना होती है, तो सपने, अवसर और प्रेरणा स्वयं हमारे पास आते हैं।
यह पंक्ति अंतर्मन की सच्चाई और आत्मिक संबंध का प्रतीक है।
प्र.9. ‘जिसकी ऊँची उड़ान होती है, उसको भारी थकान होती है’ — का भावार्थ लिखिए।
उ. इस पंक्ति में कवि ने गहराई से जीवन का सत्य बताया है —
जो व्यक्ति ऊँचे लक्ष्य निर्धारित करता है,
उसे कठिन परिश्रम और त्याग करने पड़ते हैं।
ऊँची उड़ान का अर्थ सफलता से है और थकान का अर्थ है संघर्ष की कीमत।
प्र.10. ‘बोलता कम जो देखता ज्यादा’ — पंक्ति में कवि क्या कहना चाहता है?
उ. कवि का आशय है कि बुद्धिमान व्यक्ति अधिक देखता और सोचता है, कम बोलता है।
उसकी दृष्टि गहरी होती है और वह शब्दों से नहीं, कार्यों से अपनी बात कहता है।
मौन में भी गहन विचार छिपे होते हैं।
प्र.11. ‘बस हथेली ही हमारी हमको धूप में सायबान होती है’ — का अर्थ बताइए।
उ. इस पंक्ति का तात्पर्य है कि आत्मनिर्भर व्यक्ति दूसरों की सहायता का इंतजार नहीं करता।
वह अपनी रक्षा स्वयं करता है, जैसे धूप में व्यक्ति अपनी हथेली से सिर ढक लेता है।
यह पंक्ति आत्मबल और स्वावलंबन का सुंदर प्रतीक है।
प्र.12. ‘तीर जाता है दूर तक उसका, कान तक जो कमान होती है’ — का अर्थ समझाइए।
उ. यह पंक्ति कहती है कि जो व्यक्ति संयम और धैर्य से काम करता है,
उसकी सफलता अधिक स्थायी होती है।
जैसे एक सही खींची हुई कमान से छोड़ा गया तीर दूर तक जाता है,
वैसे ही संयमित व्यक्ति के कार्यों का प्रभाव भी दूर तक जाता है।
प्र.13. कविता ‘उड़ान’ का शीर्षक उपयुक्त क्यों है?
उ. कविता का शीर्षक “उड़ान” अत्यंत उपयुक्त है,
क्योंकि पूरी कविता जीवन की ऊँचाइयों तक पहुँचने,
आत्मबल, साहस और आत्मनिर्भरता से आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।
‘उड़ान’ यहाँ केवल पक्षियों की उड़ान नहीं, बल्कि मानव आत्मा की ऊँचाई और स्वाभिमान का प्रतीक है।
प्र.14. कविता का केंद्रीय संदेश क्या है?
उ. इस कविता का संदेश है —
“जीवन में सफलता किसी से माँगने से नहीं, बल्कि अपने परिश्रम, आत्मबल और विश्वास से मिलती है।”
मनुष्य को अपने पंखों पर भरोसा रखना चाहिए, क्योंकि सच्ची उड़ान वही है जो स्वयं की शक्ति से भरी हो।
प्र.15. कविता का लहजा और शैली कैसी है?
उ. कविता का लहजा प्रेरणादायक, आत्मविश्वासी और चिंतनशील है।
भाषा सरल, लयात्मक और भावपूर्ण है।
कवि ने प्रतीकों — जैसे उड़ान, गगन, तीर, सुमन, कंटक — का प्रयोग करके जीवन का गहन दर्शन प्रस्तुत किया है।