Chapter- 9                     मेरे पिता जी (पूरक पठन)


प्र.1. यह अंश किस कृति से लिया गया है?

उ. यह अंश हरिवंश राय बच्चन की आत्मकथा ‘क्या भूलूँ क्या याद करूँ’ से लिया गया है।


प्र.2. इस अंश के लेखक कौन हैं?

उ. इस अंश के लेखक हरिवंश राय बच्चन हैं।


प्र.3. लेखक यहाँ किस व्यक्ति का वर्णन कर रहे हैं?

उ. लेखक अपने पिता का वर्णन कर रहे हैं।


प्र.4. लेखक के पिता को किस बात का “मर्ज़” था?

उ. उन्हें चलने (टहलने) का मर्ज़ था — वे बहुत अधिक चलना पसंद करते थे।


प्र.5. वे सुबह कितने बजे उठते थे?

उ. वे प्रतिदिन सुबह तीन बजे उठते थे, चाहे रात को कितनी भी देर से सोएँ।


प्र.6. वे नींद के बारे में क्या कहते थे?

उ. उनका कहना था — “नींद लंबाई नहीं, गहराई माँगती है।”


प्र.7. इस कथन का क्या अर्थ है?

उ. इसका अर्थ है कि कम समय की गहरी नींद भी उतनी ही लाभदायक होती है जितनी लंबी और अधूरी नींद।


प्र.8. लेखक अपने पिता की इस आदत से क्यों परेशान थे?

उ. क्योंकि उनके पिता की समय-पाबंदी और नींद के सिद्धांतों के कारण लेखक को अपनी नींद का त्याग करना पड़ता था।


प्र.9. लेखक ने मज़ाक में अपनी मृत्यु के बाद क्या कहा है?

उ. लेखक कहते हैं — “जब मैं मर जाऊँ, तो मुझे सात-आठ दिन तक सोने देना, क्योंकि मुझे अपनी अधूरी नींद पूरी करनी है।”


प्र.10. पिता ने अपनी नौकरी के पहले वर्ष में क्या खरीदा था?

उ. उन्होंने एक ‘आराम घड़ी’ खरीदी थी।


प्र.11. वह घड़ी कहाँ से खरीदी गई थी?

उ. वह घड़ी पवनिवर के दफ्तर से खरीदी गई थी, जहाँ उसे ‘कंडम माल’ घोषित कर बेच दिया गया था।


प्र.12. घड़ी कितने दिनों तक चाभी देने पर चलती थी?

उ. उस घड़ी में हर सातवें दिन चाभी देनी पड़ती थी।


प्र.13. उस घड़ी की खासियत क्या थी?

उ. वह घड़ी एलार्म बजाती थी, और वर्षों तक बिना खराब हुए लगातार चलती रही।


प्र.14. लेखक ने घड़ी को किस नाम से पुकारा है?

उ. लेखक ने उसे “आराम घड़ी” कहा है।


प्र.15. माँ उस घड़ी के बारे में क्या कहती थीं?

उ. माँ कहती थीं — “नाम तो एकर आराम घड़ी है, पर न ई खुद आराम करत है, न केहू क आराम करै देत है।”


प्र.16. माँ के इस कथन से क्या भाव झलकता है?

उ. इस कथन में हास्य और व्यंग्य का भाव झलकता है, क्योंकि घड़ी लगातार बजती रहती थी और सबको जगा देती थी।


प्र.17. लेखक के पिता की मृत्यु के बाद भी घड़ी किसके पास रही?

उ. घड़ी लेखक की बड़ी बहन के बेटे रामचंद्र के पास रही।


प्र.18. रामचंद्र कौन थे?

उ. रामचंद्र लेखक के भांजे थे और फुटबॉल के अखिल भारतीय प्रसिद्ध खिलाड़ी थे।


प्र.19. घड़ी को देखकर लेखक को क्या अनुभव होता है?

उ. घड़ी को देखकर लेखक को अपने पिता की यादें और बीते हुए दिनों की स्मृतियाँ ताज़ा हो जाती हैं।


प्र.20. घड़ी ने घर में क्या-क्या देखा था?

उ. उस घड़ी ने परिवार के जन्म-मरण, शादी-ब्याह, हर्ष-विषाद, कलह-संवाद, और अनेक घटनाएँ देखी थीं।


प्र.21. ‘आराम घड़ी’ शब्द में क्या विडंबना है?

उ. ‘आराम घड़ी’ नाम होने के बावजूद वह कभी आराम नहीं देती थी, क्योंकि उसका एलार्म सबको जगा देता था।


प्र.22. लेखक के अनुसार ‘आराम’ का ‘आ’ छूटने पर लोग क्या कहते थे?

उ. लोग उसे ‘राम घड़ी’ कहते थे।


प्र.23. ‘नींद लंबाई नहीं, गहराई माँगती है’ पंक्ति में कौन-सा जीवन-सिद्धांत है?

उ. यह सिद्धांत बताता है कि जीवन में मात्रा से अधिक गुणवत्ता का महत्व होता है।


प्र.24. पिता के जीवन का कौन-सा गुण लेखक को सबसे अधिक प्रभावित करता है?

उ. उनके पिता की समय-निष्ठा, अनुशासनप्रियता और नियमितता लेखक को अत्यंत प्रभावित करती थी।


प्र.25. लेखक ‘आराम घड़ी’ को किस रूप में देखते हैं?

उ. लेखक उसे अपने पिता की स्मृति और अनुशासन का प्रतीक मानते हैं।


प्र.26. पाठ का मुख्य विषय क्या है?

उ. यह पाठ समय की महत्ता, अनुशासन और पिता की स्मृतियों के प्रति श्रद्धा को व्यक्त करता है।


प्र.27. ‘आराम घड़ी’ किस मूल्य का प्रतीक है?

उ. ‘आराम घड़ी’ समय-पालन, श्रम और नियमितता का प्रतीक है।


प्र.28. लेखक ने इस अंश में किस शैली का प्रयोग किया है?

उ. इस अंश में आत्मकथात्मक और संस्मरणात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।


प्र.29. लेखक के पिता किस युग की घड़ी लाए थे?

उ. उनके पिता विक्टोरियन युग की घड़ी लाए थे।


प्र.30. इस पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

उ. हमें इस पाठ से समय का मूल्य समझने, अनुशासन में जीवन जीने, और अपने पूर्वजों की स्मृतियों का सम्मान करने की प्रेरणा मिलती है।

Answer by Dimpee Bora