Lesson- 1

(हिंदी हमारी भाषा है)


1. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो:

(क) पूर्वोत्तर कितने भू-भागों में बँटा हुआ है?

उत्तर: पूर्वोत्तर आठ भू-भागों में बँटा हुआ है।

(ख) पूर्वोत्तर में किन मानव-जातियों के लोग बसते हैं?

उत्तर: पूर्वोत्तर में नीग्रिटो, द्रविड़, किरात-मंगोल, आॕस्ट्रिक, आर्य आदि मानव जातियों के लोग बसते हैं।

(ग) पूर्वोत्तर के निवासियों को कौन सी भाषा मिलाती है?

उत्तर: पूर्वोत्तर के निवासियों को हिंदी भाषा मिलाती है।

(घ) पूर्वोत्तर किसकी रम्यस्थली है?

उत्तर: पूर्वोत्तर प्रकृति की रम्यस्थली है।

(ङ) पूर्वोत्तर की प्रकृति की छवि कैसी है?

उत्तर: पूर्वोत्तर की प्रकृति की छवि  इंद्रधनुष की तरह है।


2. सही कथन के आगे ✓ चिह्न और गलत कथन के आगे × चिह्न लगाओ:

(क) पूर्वोत्तर के निवासी मिलजुल कर रहते हैं। [√]

(ख) भारतवर्ष के पूर्वोत्तर का भू-भाग बिल्कुल समान-समतल है। [×]

(ग) पूर्वोत्तर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। [√]

(घ) पूर्वोत्तर के निवासी एक ही भाषा का प्रयोग करते हैं। [×]

(ङ) पूर्वोत्तर के निवासी भारत को अपना देश और हिंदी को अपनी भाषा मानते हैं। [√]


3. अत्यंत संक्षेप में उत्तर दो:

(क) 'पूर्वोत्तर' का आशय क्या है?

उत्तर: पूर्वोत्तर का आशय उन आठ छोटे-छोटे प्रांतों से है जो भारत के उत्तरी पूर्व में स्थित है। उन आठ प्रांतों को 'सात बहने एक भाई' के नाम से भी जाना जाता है।


(ख) असम प्रांत को यह नाम कैसे प्राप्त हुआ?

उत्तर: असम प्रांत को यह नाम तेरहवीं  सदी में मिला था। असम नाम से पहले इसे प्रागज्योतिषपुर, कामरूप जैसे नामों से जाना जाता था। जब तेरहवीं सदी में 'टाई' जाति की 'श्याम' शाखा के लोगों ने यहांँ अपना शासन स्थापित किया, तब उनकी वीरता को देख स्थानीय लोग उन्हें असम कह कर पुकारने लगे जिसका अर्थ था "जिनके समान कोई नहीं"। इस प्रकार असम को यह नाम प्राप्त हुआ।


(ग) पूर्वोत्तर को 'सरस' और 'सकाम' क्यों कहा गया है?

उत्तर: पूर्वोत्तर को 'सरस' इसलिए कहा गया है क्योंकि यहांँ के नदी-नाले, झील-सरोवर रसमय होने के साथ-साथ यहांँ के निवासी भी उसी उमंग के साथ प्रकृति का आनंद उठाते हुए अपना जीवन व्यतीत करते आए हैं। दूसरी ओर पूर्वोत्तर के निवासियों के मन में कई कामनाएंँ हैं। और वे कामनाएंँ पूरी भी होती है। जिसके कारण इसे सकाम कहा गया है।


(घ) पूर्वोत्तर को 'अजायबघर' क्यों कहा जाता है?

उत्तर: पूर्वोत्तर प्राचीन काल से अलग-अलग जाति-प्रजातियों का आवास स्थल रहा है। उन जाति-प्रजातियों द्वारा तरह-तरह के गीत, संगीत प्रतिध्वनित होते आए हैं। तथा उनके द्वारा विभिन्न प्रकार की प्राचीन विस्मयकारी चीजें जैसे- मठ, मंदिर, देवालय आदि आज भी उपलब्ध है जिसे देखने के लिए देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं। इसलिए पूर्वोत्तर को अजायबघर कहा जाता है।


(ङ) लोक पूर्वोत्तर को 'मिनी भारत' क्यों कहते हैं?

उत्तर: लोग पूर्वोत्तर को 'मिनी भारत' इसलिए कहते हैं क्योंकि आठ राज्यों के स्थानीय निवासियों के अलावा यहांँ देश भर के अलग-अलग प्रांतों से आए लोग भी बसे हैं। अर्थात भारत के लगभग सभी जाति तथा धर्म के लोग पूर्वोत्तर के साथ बंधे होने के कारण पूर्वोत्तर को एक प्रकार से छोटा भारत कहा गया है। इसलिए इसे 'मिनी भारत' की आख्या दी जाती है।


4. संक्षिप्त उत्तर दो:


(क) लोगों की दृष्टि से पूर्वोत्तर की स्थिति कैसी है?

उत्तर: लोगों की दृष्टि में पूर्वोत्तर प्राकृतिक सौंदर्य से भरा एक सुंदर एवं मनोरम स्थल है। जहांँ चारों ओर हरियाली छाई रहती है। यहांँ के नदी-नदिया तथा पहाड़ों की सुंदरता को देख, देखने वाला भी मुग्ध हो जाता है। यहांँ की कला संस्कृतियाँ रंग-रूप सभी निराले हैं। यहांँ सभी जनजातियांँ आपस में मिलजुल कर निवास करते हैं। पूर्वोत्तर की सीमा चीन म्यांमार और बांग्लादेश की सीमा से सटी हुई है। जहांँ हमेशा से चीन की नजर पूर्वोत्तर की सीमा हथियाने में लगी रहती है।


(ख) पूर्वोत्तर की भाषिक स्थिति का वर्णन करो।

उत्तर: पूर्वोत्तर तो कहने में एक ही है परंतु, इसमें आठ छोटे-छोटे राज्य आपस में समाए हुए हैं। जैसा कि यहांँ आठ राज्य अपने-अपने भू-भागों में बटा हुआ है, उसी प्रकार हर एक राज्य की अपनी-अपनी मातृभाषाएंँ  हैं। जैसे- असम में असमिया, अरुणाचल में अरुणाचली, मणिपुर में मणिपुरी तो नागालैंड में नागा आदि भाषाएंँ प्रचलित है। चाहे भाषाएंँ या बोलियांँ अलग-अलग हो, पूर्वोत्तर वासी हमेशा से एक दूसरे को अपना प्यार बांँटते आए हैं। और हिंदी भाषा उन्हें मिलाने में अहम भूमिका अदा करती है। अर्थात हिंदी भाषा ही सबको मिलाती तथा अपने अपने भावों को एक दूसरे के सामने प्रकट करने में सहायता करती है।


(ग) पूर्वोत्तर के प्राकृतिक सौंदर्य पर प्रकाश डालें।

उत्तर: पूर्वोत्तर को रम्यस्थली कहा गया है। क्योंकि पूर्वोत्तर एक सुंदर एवं मनोरम स्थल है। जो चारों ओर से नदी-नाले, पर्वत-पहाड़, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी आदि प्रकृति के विभिन्न  उपकरणों से परिपूर्ण है। जिसे देखने देसी विदेशी पर्यटक आया करते हैं चारों और हरियाली भरी होने के कारण यहांँ का वातावरण भी शुद्ध रहता है। इसलिए जो भी पूर्वोत्तर की प्राकृतिक सुंदरता का लुफ्त उठाता है उसके मन में हमेशा परिवर्तन की प्राकृतिक छवि बस जाती है।


5. सप्रसंग व्याख्या करो:

(क) हम पूर्वोत्तर के निवासी, हिंद हमारा देश है,

रहते सभी मिलजुल कर, हिंदी हमारी भाषा है।

उत्तर:

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियांँ डॉ. अच्युत शर्मा जी द्वारा रचित 'हिंदी हमारी भाषा है' नामक कविता से लिया गया है।

प्रसंग: यहांँ पूर्वोत्तर वासी अपने देश और भाषा को लेकर अपना विचार व्यक्त कर रहे हैं।

व्याख्या: कवि कहते हैं कि हम सब पूर्वोत्तर के रहने वाले हैं और जिस देश में हम रहते हैं उसका नाम 'हिंद' यानी 'हिंदुस्तान' है। जहांँ सभी लोग मिल जुल कर रहते हैं। एक दूसरे की सहायता करते हैं। आपस में प्यार बांँटते हैं। चाहे हमारे रंग-रूप या जातियांँ अलग-अलग हो मगर, हम सब एक हैं और इस एकता को बांध कर रखा है हिंदी भाषा ने। कवि कहते हैं कि हमारी भाषा हिंदी ही है। जिसकी सहायता से हम सब आपस में जुड़े हुए हैं।


(ख) चार कोस पर पानी बदले, आठ कोस पर बानी यहांँ,

मिलाती सबको हिंदी है, किसी में वैर-भाव कहांँ?

उत्तर:

संदर्भ:  प्रस्तुत पंक्तियांँ डॉ अच्युत शर्मा जी द्वारा रचित 'हिंदी हमारी भाषा है' नामक कविता से लिया गया है।

प्रसंग इन पंक्तियों के जरिए पूर्वोत्तर की एक झलक दिखाई गई है।

व्याख्या: कवि का कहना है कि पूर्वोत्तर की भूमि इतनी रूप रंग से भरी है कि चार कोस चलने पर इसकी पानी बदल जाता है। उसी प्रकार आठ  कोस चलने पर यहांँ की बानी भी बदल जाती है। आठ कोस का मतलब उन छोटे-छोटे राज्यों से है जिसको  को मिलाकर पूर्वोत्तर बना है। हर एक राज्य की अपनी अपनी मातृभाषा है। अलग-अलग मातृभाषा होते हुए भी वे आपस में मिलजुल कर रहते हैं। और उन्हें एक दूसरे से मिलाने का काम हिंदी भाषा करती है। जिसके चलते उन लोगों में कोई वैर-भाव नहीं रहता। अर्थात कहने का भाव यह है कि वे आपस में घृणा नहीं करते एवं आपस में प्यार बांँटते हैं। वे सदियों से भाईचारे के साथ रहते आए हैं और आगे भी रहेंगे।


6. आशय स्पष्ट करो:

इंद्रधनुषी छवि प्रकृति की गहनों-कपड़ों में चमक जाती,

है भारत की पूर्वोत्तरी भूमि, रूप-रंग भरी निराली।

उत्तर:  जिस प्रकार इंद्रधनुष में सात रंग होते हैं उसी प्रकार हमारे पूर्वोत्तर राज्यों में भी सातों रंग निवासियों के गहनों, कपड़ों, खान-पान तथा अन्य उपकरणों मे चमक उठती है। अलग-अलग पहनावे, अलग-अलग बोलियांँ, अलग-अलग कला संस्कृतियांँ यह सब पूर्वोत्तर भूमि की ही निराले रंग रूप है, जो पूर्वोत्तर को अनोखा बनाती है। इसलिए कहा गया है कि पूर्वोत्तर की प्रकृति में इंद्रधनुषी छवि दिखाई दे जाती है।


Reetesh Das

(M.A in Hindi)


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