Lesson 11

बाज और सांँप


1. सही उत्तर चुनकर लिखो:

(क) सांँप कहांँ रहता था?

उत्तर: गुफा में

(ख) पर्वत की अंँधेरी घाटियों में क्या बहती है?

उत्तर: नदी

(ग) प्रस्तुत कहानी के कहानीकार है-

उत्तर: निर्मल वर्मा

(घ) प्रस्तुत पाठ में समुद्र की लहरें किसके गीत गा रही थी?

उत्तर: बाज के

2. किसने किससे कहा, बताओ:

(क) "क्यों भाई, इतनी जल्दी मरने की तैयारी कर ली?"

उत्तर: सांँप ने बाज को कहा था।

(ख) "आकाश! आकाश को लेकर मैं क्या चाटूँगा!

उत्तर: सांँप ने बात से कहा।

(ग) "आह! काश, मैं सिर्फ एक बार आकाश में उड़ पाता।"

उत्तर: बाज ने सांँप से कहा था।

(घ) "अपने प्राणों को खतरे में डालना कहांँ की चतुराई है?

उत्तर: सांँप ने बाज से कहा।

3. पच्चीस-तीस शब्दों में उत्तर लिखो:

(क) घायल बाज को देखकर साँप क्यों खुश है?

उत्तर: घायल बाज को देखकर सांँप इसलिए खुश था क्योंकि वह बाज खून से लथपथ घायल अवस्था में जोर-जोर से हाफ रहा था। जिससे उसको कोई खतरा नहीं था।

(ख) घायल बाज जब अंतिम इच्छा पूर्ण करने हेतु पंख फैलाकर हवा में कूद पड़ा तब इसका परिणाम क्या हुआ?

उत्तर: घायल बाज जब अंतिम इच्छा पूर्ण करने हेतु पंख फैलाकर हवा में कूद पड़ा तब वह लुढ़कता हुआ नदी में जा गिरा। फिर एक लहर ने उसके पंख पर जमे खून को धो दिया, उसके थके मांँदे शरीर को सफेद फेन से ढक दिया, फिर लहरें अपनी गोद में समेट कर उसे अपने साथ सागर की ओर ले चली।

(ग) किस बात पर सांँप के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा?

उत्तर: जब साँप ने चट्टानों के नीचे से एक मधुर, रहस्यमई गीत की आवाज सुनी तब साँप के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा।

(घ) बाज के लिए लहरों ने गीत क्यों गाया था?

उत्तर: बाज के लिए लहरों ने इसलिए गीत गाया था क्योंकि बाज अधमरा होते हुए भी उसने अपनी प्राणों की चिंता नहीं की और बड़े साहस के साथ आकाश की आजादी को प्राप्त करने के लिए चट्टान से कूद पड़ा था।

(ङ) सांँप ने उड़ने को मूर्खतापूर्ण मानते हुए भी क्यों उड़ने की कोशिश की ?

उत्तर: घायल एवं अधमरा अवस्था में भी बाज द्वारा आकाश में उड़ना सांँप को यह कार्य मूर्खतापूर्ण लगा। फिर भी आकाश की असीम सुन्नता में ऐसा क्या आकर्षण छिपा है जिसके लिए बाज ने अपने प्राण गवा दिए, इस बात की बेचैनी सबको होने लगी थी और आकाश के बारे में जानने की जिज्ञासा  में उसने भी आकाश की सुन्नता में अपने को छोड़ दिया। अतः इस प्रकार सांँप ने उड़ने को मूर्खता मानते हुए भी उड़ने की कोशिश की।


4. पचास-साठ शब्दों में उत्तर दो:

(क) अपनी गुफा में बैठकर सांँप ने  क्यों खुद को सुखी और सुरक्षित समझा था?

उत्तर: साँप अपनी गुफा में बैठकर हर रोज बाहर का नजारा देखता रहता था। वह बैठे-बैठे समुद्र की लहरों, नदी के बहाव से उत्पन्न आवाजों को सुनता और अपने को सुखी और सुरक्षित समझता था। वह सोचता कि कोई उसे दुख नहीं दे सकता, सबसे अलग सबसे दूर वह अपनी गुफा का स्वामी है। उसे किसी से लेना देना नहीं था। दुनिया की भागदौड़ चीनाछत्ती से वह कोसों दूर था। इन सब कारणों की वजह से साफ खुद को सुखी और सुरक्षित समझता था।

(ख) "क्यों भाई इतनी जल्दी मरने की तैयारी कर ली?" सांँप की इस बात पर बाज ने क्या जवाब दिया?

उत्तर: सांँप की इस बात पर बाज ने उत्तर दिया कि उसकी आखिरी घड़ी आ पहुंँची है लेकिन उसे इस बात पर कोई शिकायत नहीं है। उसने अपनी जिंदगी जी भरकर जी ली है। जब तक शरीर में ताकत थी कोई सुख ऐसा नहीं बचा जिसे उसने न भोगा हो। दूर-दूर तक उड़ानें भरी है, आकाश की असीम ऊंँचाइयों को अपने पंखों से नाम आया है। बाज अपना बखान करते हुए साँप को भी खरी खोटी सुना देता है कि "तुम्हारा बड़ा दुर्भाग्य है कि तुम जिंदगी भर आकाश में उड़ने का आनंद कभी नहीं उठा पाओगे।"

(ग) साँप हंँसते हुए क्या कहने लगा?

उत्तर: सांँप हंँसते हुए बाज को कहने लगा कि आकाश में आखिर रखा क्या है? वह तो आकाश में रिंग नहीं सकता। उसके लिए तो वह गुफा ही सब कुछ है। इतनी आरामदेह और सुरक्षित जगह उसके लिए और कहीं नहीं हो सकती। अतः साँप मन ही मन बाज की मूर्खता पर हंँस रहा था। वह सोचने लगा की आखिर उड़ने और रेंगने के बीच कौन-सा भारी अंतर है। आखिर में तो सबके भाग्य में मरना ही तो लिखा है। यह जो शरीर है मिट्टी का है, एक न एक दिन हम सभी को मिट्टी में ही मिल जाना है।

(घ) समुद्र की लहरें क्या गा रही थी?

उत्तर: समुद्र की लहरें बाज के लिए एक मधुर रहस्यमय गीत गा रही थी। समुद्र गाती है कि ओ निडर बाज! शत्रुओं से लड़ते हुए तुमने अपना कीमती रक्त बहाया है। पर वह समय दूर नहीं है, जब तुम्हारे खून की एक-एक बूंँद जिंदगी के अंँधेरे में प्रकाश फैलाएगी और साहसी, बहादुर दिलों में स्वतंत्रता और प्रकाश के लिए प्रेम पैदा करेगी।


5. सप्रसंग व्याख्या करो:

(क) ' अंत में तो सब के भाग्य में मरना ही लिखा है-शरीर मिट्टी का है, मिट्टी में ही मिल जाएगा।'

उत्तर: 

संदर्भ: प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक 'आओ हिंदी सीखें' चौथा भाग के अंतर्गत निर्मल वर्मा जी द्वारा रचित कहानी बाज और सांँप से लिया गया है।

प्रसंग: यहांँ शरीर और मिट्टी के बीच के संबंध को दर्शाया गया है।

व्याख्या: जब घायल बाज ने सांँप को यह प्रश्न किया कि तुम्हारा बड़ा दुर्भाग्य है कि तुम जिंदगी भर आकाश में उड़ने का आनंद कभी नहीं उठा पाओगे, तो इस बात पर सांँप मन ही मन हंँस पड़ा और बाज को मूर्ख समझने लगा। सांँप सोचने लगा कि बाज जो अपने आकाश को लेकर इतनी बड़ी-बड़ी बातें कर रहा है वह यह नहीं जानता कि अंत में तो उसे मिट्टी में ही मिल जाना है। अतः साँप कहता है कि आखिर उड़ने और रेंगने के बीच कौन सा भारी अंतर है। हम सभी के भाग्य में मरना ही तो लिखा है। यह जो हमारा शरीर है मिट्टी का बना है और एक न एक दिन यह शरीर मिट्टी में ही मिल जाएगा।


(ख) 'हमारा गीत जिंदगी के उन दीवानों के लिए है जो मर कर भी मृत्यु से नहीं डरते।'

उत्तर: 

संदर्भ: प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक 'आओ हिंदी सीखें' चौथे भाग के अंतर्गत निर्मल वर्मा जी द्वारा रचित कहानी 'बाज और सांँप' से लिया गया है।

प्रसंग: यहांँ समुद्र द्वारा निड़र, बहादुर और साहसी लोगों का बखान किया गया है। 

व्याख्या: समुद्र का कहना है कि जो लोग अपने प्राणों को हथेली पर रखकर घूमते हैं समुद्र उसका सम्मान करता है। समुद्र के अनुसार चतुर वही है जो प्राणों की बाजी लगाकर जिंदगी के हर खतरे का सामना बहादुरी से  करता हो। ऐसे लोग अपना जीवन बलिदान कर अमर हो जाते हैं। ऐसे लोग मृत्यु से नहीं डरते वह हंँसते-हंँसते अपने प्राणों की आहुति दे देते हैं। इसलिए समुद्र ने ऐसे निड़र, साहसी और बहादुर लोगों का सम्मान करते हुए कहा है कि वह केवल उन्हीं दीवानों के लिए गीत गाएगा जो मरकर भी मृत्यु से नहीं डरते हैं।

Reetesh Das

(M.A in Hindi)




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