Chapter 8                              ऐसी अक्षरे रसिकें (संतकाव्य) 


1. संत ज्ञानेश्वर का जन्म कब हुआ?


उत्तर: संत ज्ञानेश्वर का जन्म 1275 में हुआ।


2. संत ज्ञानेश्वर की मृत्यु किस वर्ष हुई?


उत्तर: संत ज्ञानेश्वर की मृत्यु 1296 में हुई।


3. संत ज्ञानेश्वर किन गुणों से संपन्न थे?


उत्तर: वे श्रेष्ठ संत, प्रज्ञावंत तत्त्वज्ञ, और अलौकिक प्रतिभावान कवि थे।


4. संत ज्ञानेश्वर का सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ कौन सा है?


उत्तर: ‘ज्ञानेश्वरी’ उनका सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ है।


5. पाठ में उल्लिखित अन्य तीन ग्रंथों के नाम बताइए।


उत्तर: अमृतानुभव, चांगदेवपासष्टी, अभंगगाथा।


6. संत ज्ञानेश्वर की रचनाओं में किन तीन तत्वों का संगम मिलता है?


उत्तर: तत्त्वज्ञान, भक्ति और काव्य का।


7. संत ज्ञानेश्वर के व्यक्तित्व के कौन से गुण पाठ में वर्णित हैं?


उत्तर: विनयशीलता, अतुलनीय गुरुभक्ति, असीम करुणा, मातृत्वपूर्ण वात्सल्य और रसिकता।


8. प्रस्तुत ओवियों में किस भाषा का गौरव गाया गया है?


उत्तर: मराठी भाषा का।


9. संत ज्ञानेश्वर मराठी भाषा की तुलना किससे करते हैं?


उत्तर: अमृत (अमरत्वदायक रस) से।


10. “ऐसी अक्षरे रसिके” वाक्य में ‘अक्षरे’ से क्या अभिप्राय है?


उत्तर: मधुर, रसपूर्ण शब्द या वचन।


11. ‘माझा मराठाची बोलु कौतुकें’ का अर्थ क्या है?


उत्तर: मेरी मराठी भाषा प्रशंसा के योग्य है।


12. संत ज्ञानेश्वर अमृत के साथ क्या करने की बात करते हैं?


उत्तर: वे कहते हैं कि मराठी भाषा के शब्द अमृत को भी पराजित कर देंगे।


13. संत ज्ञानेश्वर ने ओवियों को किससे तुलना की है?


उत्तर: मधुर और रस से भरपूर बोलों को सुरों (संगीत) की उपमा दी गई है।


14. श्रवण (कान) जीभ कैसे बन जाते हैं?


उत्तर: जब शब्द अत्यंत मधुर होते हैं तो उन्हें सुनते हुए ऐसा लगता है मानो श्रवण अंग भी रस का स्वाद लेने लगे हों।


15. ‘परिमळाचा बीक’ किसके लिए कहा गया है?


उत्तर: सुगंध के छोटे से अनुभव के लिए।


16. बोल इतने प्रभावशाली क्यों बताए गए हैं?


उत्तर: क्योंकि वे सभी इंद्रियों को आनंदित करते हैं।


17. “शब्द तरी विषो श्रवणाचा” का भावार्थ क्या है?


उत्तर: सामान्य शब्द कानों के लिए विष जैसे होते हैं (यदि उनमें रस न हो)।


18. “परि रसना म्हणे हा रसु आमुचा” का क्या अर्थ है?


उत्तर: परंतु जीभ कहती है कि यह रस (स्वाद) तो हमारा ही है।


19. ओवियों का मुख्य विषय क्या है?


उत्तर: मराठी भाषा की मधुरता और उसकी प्रभावशाली शक्ति।


20. “उघडली खाणी रूपाची” का क्या संकेत है?


उत्तर: सुंदरता का खजाना खुल गया है।


21. संत ज्ञानेश्वर किस प्रकार की भाषा का प्रयोग करने का वचन देते हैं?


उत्तर: ऐसी भाषा जिसके शब्द अत्यंत रसपूर्ण हों।


22. ‘इंद्रिये आपुलालिया भावीं झोंबती’ का क्या अर्थ है?


उत्तर: इंद्रियाँ भी शब्दों की भावनाओं में डूब जाती हैं।


23. लेखक ने शब्दों को किससे तुलना की है?


उत्तर: चिंतामणि (इच्छा पूरी करने वाले रत्न) से।


24. ‘बोलांची ताटें भलीं’ से क्या आशय है?


उत्तर: शब्दों से भरी हुई स्वादिष्ट थालियाँ।


25. कैवल्यरस किसके साथ परोसा गया है?


उत्तर: उन शब्दों की थाली के ऊपर।


26. संत ज्ञानेश्वर ने इस अनुभव को किसके लिए किया है?


उत्तर: निष्काम (लालसा रहित) व्यक्ति के लिए।


27. ‘आतां आत्मप्रभा नीच नवी’ का क्या अर्थ है?


उत्तर: अब आत्मा की तेजस्विता नई (अधिक प्रखर) हो गई है।


28. शब्दों की शक्ति को किस प्रकार बताया गया है?


उत्तर: शब्द सभी इंद्रियों पर समान रूप से प्रभाव डालते हैं।


29. संत ज्ञानेश्वर मराठी भाषा को किस स्तर तक ले जाने का संकल्प करते हैं?


उत्तर: अमृत से अधिक मधुर बनाकर उसे विजयी करने का।


30. इस पाठ से हमें क्या सीख मिलती है?


उत्तर: अपनी मातृभाषा पर गर्व करना चाहिए और उसे प्रेमपूर्वक अपनाना चाहिए।


Answer by Dimpee Bora